(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-637/2008
(जिला आयोग, ललितपुर द्वारा परिवाद संख्या-75/2005 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 2.1.2008 के विरूद्ध)
1. यूनियन आफ इण्डिया द्वारा जनरल मैनेजर, दक्षिण रेलवे, चेन्नई पिन 600003 ।
2. चीफ कामर्शियल मैनेजर, हेड क्वाटर्स आफिस, कामर्शियल ब्रांच, चेन्नई 600003 ।
3. चीफ क्लेम्स आफिसर, दक्षिण रेलवे, चेन्नई।
4. चीफ कामर्शियल मैनेजर, नार्थ सेंट्रल रेलवे, इलाहाबाद।
5. डिविजनल कामर्शियल मैनेजर, दक्षिण रेलवे, पाल घाट, तमिलनाडू।
6. डिविजनल कामर्शियल मैनेजर, नार्थ सेंट्रल रेलवे, झांसी डिविजन झांसी।
7. चीफ गुड्स सुपरवाइजर, दक्षिण रेलवे, कोयमबत्तूर , तमिलनाडू।
8. स्टेशन सुप्रीटेंडेंट, दक्षिण रेलवे, कोयमबत्तूर , तमिलनाडू।
9. स्टेशन सुप्रीटेंडेंट, रेलवे स्टेशन, नार्थ सेंट्रल रेलवे, ललितपुर।
अपीलार्थीगण/विपक्षीगण
बनाम
परमानन्द वरया पुत्र श्री मौजी लाल वरया, निवासी सिविल लाइन्स, जिला ललितपुर, वास्ते मैसर्स वरया सेल्स 8, नवीन गल्ला मण्डी, ललितपुर।
प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री आलोक रंजन।
दिनांक: 21.05.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-75/2005, परमानन्द वरया बनाम यूनियन आफ इण्डिया तथा आठ अन्य में विद्वान जिला आयोग, ललितपुर द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 2.1.2008 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है। इस निर्णय/आदेश द्वारा विद्वान जिला आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए विपक्षीगण को आदेशित किया है कि परिवादी से वसूले गए अंकन 41,312/-रू0 तथा डिमरेज का अंकन 480/-रू0 12 प्रतिशत ब्याज के साथ वापस लौटाया जाए तथा परिवाद व्यय के रूप में अंकन 1200/-रू0 एवं क्षतिपूर्ति के रूप में अंकन 3,000/-रू0 भी अदा किए जाए।
2. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी गल्ले के क्रय विक्रय का थोक व्यापार करते हैं और ललितपुर स्टेशन से माल बाहर के स्टेशन को भेजते हैं। परिवादी ने दिनांक 22.1.2005 को ललितपुर से कोयमबत्तूर से 580 कुन्तल गेहूँ विपक्षी के निर्देश के अनुसार नियमों का अनुपालन करते हुए भेजा था और वांछित प्रभार 60796/-रू0 ललितपुर में जमा किया था, जब माल कोमयबत्तूर रेलवे स्टेशन तमिलनाडू पहुँचा तब माल उतारते समय बैंगन की क्षमता 555 कुन्तल थी, जबकि माल 580 कुन्तल लाया गया। इस प्रकार अंकन 41,312/-रू0 और अंकन 480/-रू0 डेमरेज के रूप में प्राप्त किए गए। इसी राशि को वापस प्राप्त करने के लिए परिवाद प्रस्तुत किया गया, जिसे विद्वान जिला आयोग द्वारा स्वीकार कर लिया गया।
3. इस निर्णय/आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि विद्वान जिला आयोग ने विधि विरूद्ध निर्णय/आदेश पारित किया है। परिवादी एक व्यापारी है, जो उपभोक्ता नहीं है।
4. अपीलार्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री आलोक रंजन उपस्थित हुए, उन्हें सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
5. स्वंय परिवाद पत्र के तथ्यों के अवलोकन से ज्ञात होता है कि परिवादी थोक व्यापार में संलग्न है। उनके द्वारा 580 कुन्तल गेहूँ प्रेषित किया गया था। अत: परिवादी तथा रेलवे के मध्य यह संव्यवहार व्यापारिक संव्यवहार है न कि उपभोक्ता संव्यवहार, इसलिए अपीलार्थीगण की ओर से जो आपत्ति की गई है वह विधिसम्मत थी, परन्तु इस बिन्दु पर विद्वान जिला आयोग ने अवैधानिक रूप से निष्कर्ष दिया है कि परिवादी रेलवे विभाग का उपभोक्ता है। माल भाड़े की वसूली के नियम रेलवे एक्ट के अंतर्गत मौजूद हैं। विद्वान जिला आयोग को भाड़े की वसूली की प्रक्रिया तथा देरी को सुनिश्चित करने में हस्तक्षेप का कोई अधिकार प्राप्त नहीं है। तदनुसार विद्वान जिला आयोग ने क्षेत्राधिकार विहीन आदेश पारित किया है, जो अपास्त होने और प्रस्तुत अपील स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
6. प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 2.1.2008 अपास्त किया जाता है तथा परिवाद संधारणीय न होने के कारण खारिज किया जाता है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2