Uttar Pradesh

Bahraich

CC/155/2013

Krishna wati - Complainant(s)

Versus

Parbahri Adhikari Samudayik Kendra Hospital Kaiser Ganj, & Others - Opp.Party(s)

Sri B. S. Tripathi

28 May 2015

ORDER

DISTRICT CONSUMER FORUM
Bahraich (UP)
 
Complaint Case No. CC/155/2013
 
1. Krishna wati
W/o Ram Kailesh Nivasi Gulariha Gajipur Post Sutuali District Baharich
...........Complainant(s)
Versus
1. Parbahri Adhikari Samudayik Kendra Hospital Kaiser Ganj, & Others
Kaiser Ganj, Bahraich
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. DEEPAK KUMAR SRIVASTAVA PRESIDENT
 HON'BLE MR. NAVED AHAMAD MEMBER
 
For the Complainant:Sri B. S. Tripathi, Advocate
For the Opp. Party:
ORDER

 प्रस्तुत परिवाद पत्र परिवादनी कृष्णावती द्वारा विपक्षीगण प्रभारी चिकित्साधिकारी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र कैसरगंज, बहराइच, मुख्य चिकित्साधिकारी जिला चिकित्सालय ,बहराइच, एवं निदेषक परिवार कल्याण स्वास्थ्य भवन कैसरबाग लखनऊ उ0प्र0 एवं सरकार उ0प्र0 द्वारा जिलाधिकारी बहराइच के विरूद्ध हर्जाना धनराषि अदा करने हेतु दाखिल किया हैं।
    परिवाद पत्र में परिवादनी का कथन संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादनी का विवाह श्री राम कैलाष के साथ सम्पन्न हुआ। परिवादनी व राम कैलाष के नुतेल से क्रमषः रीता देवी, सुषमा देवी, बृजेष कुमार, सन्दीप कुमार, अर्जुन कुमार ,परमजीत कुमार उत्पन्न हुये। परिवादनी ने अपने पुत्र परमजीत के जन्म के उपरान्त विपक्षी सं04 द्वारा परिवार कल्याण कार्यक्रम के अन्र्तगत परिवार नियोजन अपनाने हेतु सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र कैसरगंज पर विपक्षी सं01 से नसबन्दी कराने हेतु सम्पर्क किया दिनांक 22.12.09 को परिवादनी की नसबन्दी की गयी । नसबन्दी कराने के लगभग ढाई वर्ष पष्चात  दिनांक 30.10.13 को परिवादनी ने एक सन्तान को जन्म दिया । परिवादनी तब से लगातार विपक्षी सं0 1 व 2 से सम्पर्क करके गलत नसबन्दी की षिकायत करते हुये, मुफ्त इलाज के लिये व हर्जाने के लिये परिवादनी व उसके पति द्वारा कहा गया परन्तु विपक्षी सं01 व 2 ने कोई ध्यान नहीं दिया। विपक्षीगण के लापरवाही पूर्ण रवैये से परिवादनी की गलत नसबन्दी हुई । विपक्षीगण द्वारा सेवा में कमी की गई है।
   परिवादनी द्वारा अपने कथन के समर्थन में अपने स्वयं के षपथ पत्र एवं कुछ अभिलेख की छाया प्रतियां दाखिल की गई हैं। जिनका यथास्थान वर्णन किया जायेगा।   
    विपक्षीगण को मुकदमें की नोटिस भेजी गई परन्तु उनकी ओर से किसी के उपस्थित न होने पर मुकदमें में एक पक्षीय करने का आदष्ेा पारित किया गया ।
  हमने परिवादी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क को सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया।
  परिवादनी द्वारा परिवाद पत्र में कथित हैं कि विपक्षी सं04 द्वारा प्रायोजित परिवार कल्याण कार्यक्रम के अन्तर्गत दि0 22.12.09 को उसकी नसबन्दी की गई इस सम्बन्ध में उसका प्रमाण पत्र भी षल्य चिक्तिसक द्वारा दिया गया तथा यह बताया गया कि उसकी नसबन्दी कर दी गई नसबन्दी कराने के लगभग ढाई वर्ष
पष्चात परिवादी को गर्भवती होने का अहसास हुआ तथा डाक्टर को दिखाने पर डाक्टर ने बताया  िकवह गर्भवती है। परिवादनी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क हैं कि नसबन्दी करवा लेने के उपरान्त भी परिवादनी का गर्भवती होना ही इस बात का द्योतक हैं कि विपक्षीगण द्वारा परिवादी  की नसबन्दी में लापरवाही बरती गई
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जिसके फलस्वरूप परिवादनी गर्भवती हुई और उसके एक बच्ची पैदा हुई। यहां यह तथ्य महत्वपूर्ण हैं कि विपक्षी सं01 लगायत 3 राजकीय चिकित्सक हैं परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र में कही भी इस तथ्य का उल्लेख नहीं किया गया कि उसने षल्य चिकित्सा हेतु विपक्षीगण को कोई फीस अदा की ।
   माननीय सर्वोच्च न्यायालय में इंडियन एसोषियसन बनाम बी0पी0षान्ता एवं अन्य 1995 (3) सीपीआर 412 में यह अवधारित किया गया हैं कि ऐसे राजकीय चिकित्सालय जहां निःषुल्क सेवा प्रदान की जाती हैं वहां उपभोक्ता संरक्षण विधि के अन्तर्गत परिवादी को उपभोक्ता नहीं माना जा सकता। इस विधि व्यवस्था का उल्लेख तमिलनाडु राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष कमीषन द्वारा निर्णीत  आर सनमुग्गा चंद्रा वायडू बनाम सर ईवान स्टेडफोर्ट हास्पिटल ।।। सीपेजे 299 में करते हुये परिवाद पत्र को खंडित किया था। प्रहरी कज्यूमर वेलफेयर एसोसियेषन एवं अन्य बनाम नार्थ ईस्र्टन रेलवे ।।। (2000)सीपेजे 205 की विधि व्यवस्था माननीय उ0प्र0कमीषन ने भी यही अवधारित किया हैं कि राजकीय अस्पताल में जहां परिवादी द्वारा कोई षुल्क अदा नहीं किया गया ऐसे परिवाद उपभोक्ता फोरम में पोषणीय नहीं हैं।
  माननीय सर्वोच्च न्यायालय तथा माननीय राज्य कमीषन द्वारा निर्धारित विधि व्यवस्था के अवलोकन के उपरान्त हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि परिवादनी ने विपक्षीगण को नसबन्दी का कोई षुल्क अदा करने के संबध में कोई साक्ष्य नहीं प्रस्तुत किया था तथा परिवादनी का परिवाद खंडित किये जाने योग्य हैं।
                                 आदेश

   परिवादनी का परिवाद खारिज किया जाता हैं।

 

 
 
[HON'BLE MR. DEEPAK KUMAR SRIVASTAVA]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. NAVED AHAMAD]
MEMBER

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