Uttar Pradesh

Barabanki

CC/64/2020

Rakesh Chandra - Complainant(s)

Versus

Panum Steel Pvt. Ltd. - Opp.Party(s)

S.K. Maurya & S.C. Verma

17 Mar 2023

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, बाराबंकी।

परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि       15.02.2020

अंतिम सुनवाई की तिथि            28.02.2023

निर्णय उद्घोषित किये जाने के तिथि  17.03.2023

परिवाद संख्याः 64/2020

राकेश चन्द्र वयस्क पुत्र जगदीश प्रसाद निवासी ग्राम इस्माईलपुर छोटीपुरवा, निकट देवां शरीफ जिला-बाराबंकी प्रो0 फर्म-वर्मा ट्रेडर्स स्थित कस्बा देवां जिला-बाराबंकी।

द्वारा-श्री सुनील कुमार मौर्य, अधिवक्ता

श्री सुभाष चन्द्र वर्मा, अधिवक्ता

बनाम

प्रबंधक, पैनम स्टील प्रा0 लि0 794, 795 गुधरौली चैडगरा फतेहपुर पंजीकृत पता-120/192 (6) लाजपतनगर कानपुर 208005

समक्षः-

माननीय श्री संजय खरे, अध्यक्ष

माननीय श्रीमती मीना सिंह, सदस्य

माननीय डॉ0 एस0 के0 त्रिपाठी, सदस्य

उपस्थितः परिवादी की ओर से -श्री सुनील कुमार मौर्य, अधिवक्ता

             विपक्षी की ओर से-कोई नही

द्वारा- संजय खरे, अध्यक्ष

निर्णय

            परिवादी ने यह परिवाद विपक्षी के विरूद्व धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 प्रस्तुत कर परिवादी को विपक्षी से धनराशि रू0 3,68,768/-दिनांक 12.02.2018 से अदायगी की तिथि तक बारह प्रतिशत ब्याज सहित तथा क्षतिपूर्ति के रू0 50,000/-तथा मुकदमे का खर्चा रू0 50,000/- दिलाये जाने का अनुतोष चाहा है।

            परिवादी ने परिवाद में मुख्य रूप से अभिकथन किया है कि परिवादी की फर्म विपक्षी की फर्म से माल खरीदती व अपने फर्म पर विक्रय करती है। परिवादी उपरोक्त व्यवसाय अपने स्वरोजगार व भरण-पोषण हेतु करता है। विपक्षी द्वारा परिवादी की फर्म पर जरिए इनवाइस माल भेजा जाता रहा, जिसका भुगतान परिवादी करता रहा। परिवादी ने विपक्षी को जरिये इनवाइस नं0-3875 के द्वारा माल भेजने का आग्रह किया। विपक्षी ने माल की डिलीवरी इनवाइस संख्या-3875 दिनांक 08.02.2018 वर्मा ट्रेडर्स बाराबंकी बरदरी मोड मरकामऊ बाराबंकी को कर दिया। सम्बन्धित माल वर्मा ट्रेडर्स द्वारा परिवादी की फर्म को प्राप्त हो गया है। माल की कुल कीमत रू0 3,68,768/-है जिसका भुगतान परिवादी अपने खाता संख्या-343501010032020 यूनियन बैंक शाखा देवां के द्वारा जरिये आर.टी.जी.एस. चेक संख्या-33009121 दिनांक 12.02.2018 को विपक्षी को कर दिया गया। जबकि प्रतिवादी ने वर्मा ट्रेडर्स से भी माल का भुगतान ले लिया है।  धनराशि का भुगतान विपक्षी को प्राप्त हो गया है। वास्तव में माल की डिलीवरी विपक्षी की त्रुटि के कारण परिवादी की फर्म को वर्मा ट्रेडर्स बाराबंकी द्वारा की गयी थी ऐसी दशा में उपरोक्त भुगतान परिवादी को वर्मा ट्रेडर्स को किया जाना चाहिये था। परिवादी ने भ्रमवश, भूलवश, गलतीवश विपक्षी को भुगतान कर दिया। डिलवरी करने वाले वर्मा ट्रेडर्स परिवादी से माल की धनराशि का भुगतान मांग रहे है। जरिये नोटिस परिवादी ने भूलवश, भ्रमवश, गलतीवश जरिये आर.टी.जी.एस. -33009121 दिनांक 12.02.2018 रू0 3,68,768/-की धनराशि पन्द्रह दिन में वापस करने हेतु प्रेषित किया परन्तु विपक्षी ने धनराशि वापस नहीं किया। जिसके कारण परिवादी को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अतः परिवादी ने उक्त अनुतोष हेतु प्रस्तुत परिवाद योजित किया है। परिवाद के समर्थन में शपथपत्र दाखिल किया है।

            परिवादी ने दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में सूची से टैक्स इनवायस दिनांक 08.02.2018, आर. टी. जी. एस. का विवरण, सूचना दिनांक 26.12.2019, आधार कार्ड की छायाप्रति दाखिल किया है।

            तामीला पश्चात् भी विपक्षी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। विपक्षी के विरूद्व परिवाद दिनांक 22.08.2022 को एकपक्षीय रूप से अग्रसारित हुआ।

            परिवादी द्वारा साक्ष्य शपथपत्र दाखिल किया गया है।

            परिवादी द्वारा लिखित बहस दाखिल की गई है।

            परिवादी के विद्वान अधिवक्ता के तर्को को सुना तथा पत्रावली पर प्रस्तुत किये गये साक्ष्यों/अभिलेखों का गहन परिशीलन किया।

            वर्तमान प्रकरण में परिवादी के कथनानुसार परिवादी राकेश चन्द्र प्रोपराइटर फर्म वर्मा टेडर्स स्थित कस्बा देवां जिला-बाराबंकी द्वारा इनवायस संख्या-3875 से विपक्षी पैनम स्टील प्राइवेट लिमिटेड से माल भेजने का आग्रह किया गया। परिवादी ने उपरोक्त इनवायस से माल क्रय के लिये जरिये बैंक एन. ई. एफ. टी. से दिनांक 12.02.2018 को रू0 3,68,768/-विपक्षी को भुगतान किये। विपक्षी ने उपरोक्त इनवायस का माल वर्मा ट्रेडर्स, बरदरी मोड़ मरकामऊ, बाराबंकी को डिलीवर कर दिया। परिवादी का यह भी कथन है कि उक्त माल वर्मा ट्रेडर्स, बरदरी मोड़ मरकामऊ, बाराबंकी से परिवादी की फर्म को प्राप्त हो गया।

            वर्तमान प्रकरण में यद्यपि विपक्षी की ओर से तामीला पश्चात् भी कोई उपस्थित नहीं हुआ है। कोई जवाबदावा नहीं दाखिल है, फिर भी उपरोक्त तथ्यों से यह विदित होता है कि परिवादी की फर्म वर्मा ट्रेडर्स, बाराबंकी की है। इसी प्रकार विपक्षी द्वारा जिसको परिवादी की इनवायस पर माल प्राप्त कराना कहा है उस फर्म का नाम भी वर्मा ट्रेडर्स, बाराबंकी है। इन दोनो वर्मा ट्रेडर्स के केवल पते में अंतर है। विपक्षी से प्राप्त माल उक्त वर्मा ट्रेडर्स द्वारा परिवादी को प्राप्त करा देना परिवादी को स्वीकृत तथ्य है। इस संव्यवहार में इस तथ्य का कोई साक्ष्य पत्रावली पर नहीं है कि परिवादी राकेश चन्द्र, प्रोपराइटर वर्मा ट्रेडर्स, कस्बा देवां जिला-बाराबंकी ने कोई धनराशि का भुगतान वर्मा ट्रेडर्स बरदरी मोड़ मरकामऊ, बाराबंकी को किया है। परिवादी ने अपने परिवाद पत्र की धारा-3 में यह अंकित किया है कि परिवादी से वर्मा ट्रेडर्स ने माल का भुगतान ले लिया। साथ ही इस तथ्य का भी कोई अभिलेखीय साक्ष्य नहीं है कि वर्मा ट्रेडर्स बरदरी मोड़ मरकामऊ, बाराबंकी ने परिवादी इनवायस का माल प्राप्त होने पर उसका कोई भुगतान विपक्षी पैनम स्टील को कर दिया हो। यह भी ध्यान देने योग्य तथ्य है कि वर्तमान प्रकरण में फर्म वर्मा ट्रेडर्स बरदरी मोड़ मरकामऊ, बाराबंकी को वर्तमान मामले में पक्षकार भी नहीं बनाया गया है। पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य से स्पष्ट है कि परिवादी ने केवल विपक्षी पैनम स्टील को ही भुगतान किया है। परिवादी का कथन है कि परिवादी की इनवायस पर जो माल त्रुटिवश वर्मा ट्रेडर्स बरदरी मोड़ मरकामऊ बाराबंकी को विपक्षी द्वारा प्राप्त कराया जाना कहा है, उक्त माल परिवादी को प्राप्त हो गया है। परिवादी ने अपने परिवाद पत्र या साक्ष्य में यह स्पष्ट नहीं किया है कि जब माल त्रुटिवश वर्मा ट्रेडर्स बरदरी मोड़ मरकामऊ बाराबंकी को विपक्षी द्वारा प्राप्त कराया गया था उक्त माल परिवादी को किस प्रक्रिया से प्राप्त कराया गया। इस तथ्य का भी कोई साक्ष्य नहीं है कि गलत पते पर प्राप्त कराए गए माल को सही पते की फर्म को प्राप्त कराये जाने के लिये किसने निर्देशित किया। वर्मा ट्रेडर्स बरदरी मोड़ मरकामऊ बाराबंकी ने उक्त प्राप्त माल परिवादी को देकर माल की कोई क्रय धनराशि प्राप्त की हो, इसकी न तो कोई रसीद दाखिल है और न ही बैंक से भुगतान होने का कोई साक्ष्य है।

            वर्मा ट्रेडर्स बरदरी मोड़ मरकामऊ, बाराबंकी द्वारा परिवादी से उपरोक्त माल की धनराशि मांगने की कोई नोटिस आदि दिये जाने का भी साक्ष्य नहीं है। यदि वर्मा ट्रेडर्स बरदरी मोड़ मरकामऊ, बाराबंकी से माल परिवादी ने क्रय किया तो उसकी भी कोई रसीद आदि दाखिल नहीं है।

            परिवादी की ओर से वर्मा ट्रेडर्स बरदरी मोड़ मरकामऊ, बाराबंकी के प्रोपराइटर का कोई साक्ष्य शपथपत्र भी नहीं दाखिल है।

            उपरोक्त तथ्यों के विवेचन के आधार पर निष्कर्ष निकलता है कि परिवादी ने जिस माल के लिये विपक्षी को रू0 3,68,768/-अदा किये थे, उक्त माल परिवादी को प्राप्त हो गया है और उसके लिये परिवादी ने विपक्षी के अतिरिक्त किसी अन्य को कोई अतिरिक्त भुगतान नहीं किया है। अतः परिवादी द्वारा विपक्षी को अदा की गई धनराशि रू0 3,68,768/-परिवादी को विपक्षी से वापस दिलाये जाने का कोई न्यायिक आधार नहीं है।

            परिवादी और विपक्षी के बीच जिस माल के क्रय विक्रय का संव्यवहार हुआ है, उक्त माल परिवादी ने अपने प्रयोग के लिये क्रय किया हो, ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है। यह स्वीकृत तथ्य है कि परिवादी वर्मा ट्रेडर्स का प्रोपराइटर है और इसी फर्म ने विपक्षी से माल खरीदा। जिससे स्पष्ट होता कि परिवादी ने विपक्षी से माल पुनः बिक्री करने के लिये ही क्रय किया था, यह वाणिज्यिक संव्यवहार था। परिवादी ने अपने परिवाद पत्र के प्रथम पैरा में अंकित किया है कि परिवादी उक्त व्यवसाय अपने स्वरोजगार व अपने भरण पोषण के लिये करता है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत यदि कोई व्यक्ति कोई सामान पुनः बेंचकर आय अर्जित करने के लिये क्रय करता है तो वह वाणिज्यिक संव्यवहार माना जायेगा और यदि उक्त सामान का प्रयोग करके कोई आय अर्जित करता है तो उक्त सामान स्वरोजगार के लिये क्रय करना माना जायेगा। उदाहरणार्थ, यदि किसी व्यक्ति द्वारा एक सिलाई की मशीन क्रय करके उससे क्रेता द्वारा अपने पालन पोषण के लिये कपड़े सिलकर बेचे जाते है तो ऐसी मशीन के क्रय का संव्यवहार स्वरोजगार के लिये माना जायेगा। यदि उक्त मशीन का क्रेता उक्त मशीन को पुनः वाणिज्यिक लाभ के लिये विक्रय कर देता है तो यह क्रय विक्रय स्वरोजगार हेतु नहीं माना जायेगा, बल्कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत वाणिज्यिक संव्यवहार माना जायेगा।

            उपरोक्त विवेचन से स्पष्ट है कि परिवादी ने इनवायस संख्या-7875 से क्रय किया माल वाणिज्यिक संव्यवहार की श्रेणी में आता है। अतः ऐसे वाणिज्यिक संव्यवहार का क्रेता उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत उपभोक्ता की श्रेणी में भी नहीं आता है। ऐसी स्थिति में परिवादी को परिवाद पत्र के आधार पर कोई अनुतोष स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।

             उपरोक्त विवेचन के आलोक में परिवादी का परिवाद पत्र निरस्त किये जाने योग्य है।

आदेश

परिवाद संख्या-64/2020 निरस्त किया जाता है।

(डॉ0 एस0 के0 त्रिपाठी)                       (संजय खरे)

           सदस्य                                    अध्यक्ष

 

यह निर्णय आज दिनांक को  आयोग  के  अध्यक्ष  एंव  सदस्य द्वारा  खुले न्यायालय में उद्घोषित किया गया।

(डॉ0 एस0 के0 त्रिपाठी)                       (संजय खरे)

           सदस्य                                    अध्यक्ष

 

दिनांक 17.03.2023

 

 

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