Uttar Pradesh

StateCommission

A/1779/2016

M/S MRF Ltd - Complainant(s)

Versus

Pankaj Patel - Opp.Party(s)

Anurag Srivastava

13 Nov 2017

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1779/2016
(Arisen out of Order Dated 26/07/2016 in Case No. C/91/2013 of District Jhansi)
 
1. M/S MRF Ltd
Jhansi
...........Appellant(s)
Versus
1. Pankaj Patel
Jhansi
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 13 Nov 2017
Final Order / Judgement

        राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखन

अपील संख्‍या- 1779/2016

(मौखिक)

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, झांसी द्वारा परिवाद संख्‍या- 91/2013 में पारित आदेश दिनांक 26.07.2016 के विरूद्ध)

M/s MRF Ltd. Plot No. 1316  opposite Lifeline Hospital, Jhansi-Kanpur Road, Pichhore, Jhansi through its Power of Attorney Holder Sri Sardar Singh

                                ..............अपीलार्थी/ विपक्षी संख्‍या-02        

बनाम

  1. Pankej Patel, S/o Sri Lakhan Lal, R/o Railway Station Chirgaon, Tehsil Moth District Jhansi,                  

                                     ..........प्रत्‍यर्थी/परिवादी        

  1. Manager Guruprapa Tyres authorized seller MRF 206/1 Near Shikha Bhawan Gate, Jhokan Bagh Road, Kachahri Chauraha, Jhansi.                             

                                    ..........प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-01         

                                                                                   

समक्ष:-

1. माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित  :  श्री अनुराग श्रीवास्‍तव।

                              विद्वान अधिवक्‍ता ।                                  

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित :            -

दिनांक: 13.11.2017

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

परिवाद सं0- 91/2013 पंकज पटेल बनाम प्रबन्‍धक एम.आर.एफ लि0 व 1 अन्‍य में जिला फोरम झांसी द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 26.07.2016  के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

"परिवादी का परिवाद स्‍वीकार किया जाता है, और विपक्षी को निर्देशित किया जाता है कि वह तथाकथित टायर दो माह के अन्‍दर बदलकर नया टायर परिवादी को दे दें, अथवा विकल्‍प में टायर की कीमत 18,500/-रू0 12 प्रतिशत ब्‍याज सहित अदा करें। यह ब्‍याज की धनराशि वाद दाखिल करने के दिनांक से भुगतान की तिथि तक देय होगा। मानसिक कष्‍ट हेतु 3,000/-रू0 एवं वाद व्‍यय भी 3,000/-रू0(कुल छह हजार रूपये) अदा करें।"

जिला फोरम के निर्णय से  क्षुब्‍ध होकर यह अपील उपरोक्‍त परिवाद के विपक्षी एम.आर.एफ लि0 ने प्रस्‍तुत की है।

अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री अनुराग श्रीवास्‍तव उपस्थित हुए है। प्रत्‍यर्थीगण की ओर से नोटिस तामीला के बाद भी कोई उपस्थित नहीं हुआ है।

मैंने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार है प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि उसने दिनांक 05.12.2012 को 18,500/-रू0 में ट्रैक्‍टर का टायर परिवाद के विपक्षी संख्‍या-02 प्रबन्‍धक गुरू कृपा टायर से खरीदा, परन्‍तु वारन्‍टी अवधि में ही टायर खराब हो गया। जिसकी शिकायत उसने दिनांक 06.04.2013 को उक्‍त विपक्षी संख्‍या-02 से की तो उसने टायर एक सप्‍ताह में बदलने को कहा और उसके बाद वह टालता रहा। अत: विवश होकर दिनांक 09.05.2013 को प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने नोटिस भेजा, फिर भी टायर नहीं बदला गया। तब उसने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत किया है।

जिला फोरम के समक्ष विपक्षी संख्‍या-01 की ओर से लिखित कथन प्रस्‍तुत किया गया है जिसमें कहा गया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत परिवाद पोषणीय नहीं है। लिखित कथन में विपक्षी संख्‍या-01 की ओर से कहा गया है कि टायर की जो वारन्‍टी थी वह केवल निर्माण सम्‍बन्‍धी दोष के लिए थी। यदि टायर में निर्माण सम्‍बन्‍धी दोष है तब अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-01 जिम्‍मेदार होगा। लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-01 की ओर से कहा गया है कि कथित रूप से टायर विपक्षी संख्‍या-02 के द्वारा परीक्षण कराने के लिए दिनांक 08.04.2013 को प्राप्‍त किया गया था। जहां यह पता चला कि टायर वाहन को चलाते समय किसी तेज बाहरी आब्‍जेक्‍ट से सम्‍पर्क में आने के कारण खराब हुआ है। ऐसी स्थिति में टायर में कोई निर्माण सम्‍बन्‍धी दोष नहीं है। अत: विपक्षी की सेवा में कोई कमी नहीं है।

जिला फोरम ने उभयपक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों पर विचार करने के उपरांत अपने निर्णय में यह उल्‍लेख किया है कि विपक्षी की तरफ से यह कहा गया है कि जो परीक्षण किया गया उस परीक्षण में किसी बाहरी नुकीली चीज के सम्‍पर्क में आने से टायर खराब हुआ है लेकिन पत्रावली पर इस प्रकार की कोई रिपोर्ट नहीं है। जिला फोरम ने अपने निर्णय और आदेश में उल्‍लेख किया है कि परिवाद पत्र में यह कथन किया गया है कि टायर का तार निकलकर बाहर आ जा रहा था। ट्रैक्‍टर को चलाते समय किसी नुकीले बाहरी आब्‍जेक्‍ट से सम्‍पर्क में आने के कारण क्षति नहीं हुयी है क्‍योंकि यदि किसी नुकीले बाहरी आब्‍जेक्‍ट से सम्‍पर्क में आने से इस प्रकार का दोष आएगा तो वह एक जगह आएगा पूरे टायर में नहीं आएगा। उपरोक्‍त्‍ उल्‍लेख के आधार पर ही जिला फोरम ने यह निष्‍कर्ष निकाला है कि टायर में निर्माण सम्‍बन्‍धी त्रुटि है। अत: जिला फोरम ने अपीलार्थी/विपक्षी को टायर बदलने अथवा उसकी कीमत ब्‍याज सहित वापिस करने हेतु को आदेशित किया है और उपरोक्‍त प्रकार से निर्णय और आदेश पारित किया है।

अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश साक्ष्‍य और विधि के विरूद्ध है। अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि टायर का तकनीकी परीक्षण कराए जाने पर यह पाया गया है कि ट्रैक्‍टर में निर्माण सम्‍बन्‍धी त्रुटि नहीं है, वरन्‍ ट्रैक्‍टर चलाते समय टायर तेज बाहरी आब्‍जेक्‍ट के सम्‍पर्क में आने से क्षतिग्रस्‍त हुआ है और यह आख्‍या जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है, परन्‍तु जिला फोरम ने इस पर विचार नहीं किया है। अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता ने टायर की Inspection Report की प्रति अपील की सुनवाई के समय दिखायी है।

जिला फोरम के आक्षेपित निर्णय से यह स्‍पष्‍ट है कि जिला फोरम के समक्ष टायर में निर्माण सम्‍बन्‍धी त्रुटि होने के सम्‍बन्‍ध में कोई तकनीकी आख्‍या या साक्ष्‍य प्रस्‍तुत नहीं किया गया है। जिला फोरम ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी के मात्र मौखिक कथन के आधार पर यह माना है कि टायर में निर्माण सम्‍बन्‍धी त्रुटि है। जिला फोरम के निर्णय से यह भी स्‍पष्‍ट है कि जिला फोरम के समक्ष दोषपूर्ण टायर भी प्रस्‍तुत नहीं किया गया है।

अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से आधार अपील की धारा H में यह स्‍पष्‍ट रूप से कहा गया है कि दोषपूर्ण टायर की जांच उचित लेबोरेटरी से कराने हेतु प्रार्थना पत्र अपीलार्थी की ओर से जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत किया गया था परन्‍तु जिला फोरम ने उस पर विचार नहीं किया है।

उपरोक्‍त तथ्‍यों से यह स्‍पष्‍ट है कि अपीलार्थी निर्माता कम्‍पनी के अनुसार टायर में कोई निर्माण सम्‍बन्‍धी त्रुटि नहीं पायी गयी है जबकि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के अनुसार टायर में निर्माण सम्‍बन्‍धी त्रुटि थी। अत: इस बिन्‍दु कि क्‍या टायर में कोई तकनीकी त्रुटि रही है, के निर्णय हेतु धारा 13(IV) उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत सक्षम लेबोरेटरी या व्‍यक्ति से जांच कराया जाना आवश्‍यक है। अत: उचित प्रतीत होता है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश अपास्‍त कर पत्रावली जिला फोरम को इस निर्देश के साथ्‍ प्रत्‍यावर्तित की जाए कि जिला फोरम धारा 13(IV) उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत प्रश्‍नगत टायर की जांच सक्षम लेबोरेटरी या व्‍यक्ति से टायर के दोष के सम्‍बन्‍ध में कराकर आख्‍या प्राप्‍त करे और तदोपरांत उभयपक्ष को साक्ष्‍य और सुनवाई का अवसर देकर पुन: निर्णय विधि के अनुसार तीन मास के अन्‍दर पारित करे।

उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर अपील स्‍वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश अपास्‍त कर पत्रावली जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्‍यावर्तित की जाती है कि वह प्रश्‍नगत टायर की जांच धारा- 13(IV) उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत सक्षम लेबोरेटरी या व्‍यक्ति से उसके दोष के सम्‍बन्‍ध में कराकर आख्‍या प्राप्‍त करे और तदोपरांत उभयपक्ष को साक्ष्‍य और सुनवाई का अवसर देकर परिवाद में पुन: निर्णय विधि के अनुसार तीन मास के अन्‍दर पारित करे।

उभयपक्ष जिला फोरम के समक्ष दिनांक 27.12.2017 को उपस्थित हो।

अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वादव्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

वर्तमान अपील में धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत जमा धनराशि 16,000/-रू0 अर्जित ब्‍याज सहित अपीलार्थी को वापिस की जाए।

                     (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)           

                                  अध्‍यक्ष                                  

  सुधांशु श्रीवास्‍तव, आशु0

         कोर्ट नं0-1

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
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