Uttar Pradesh

StateCommission

A/274/2022

Punjab National bank - Complainant(s)

Versus

Pankaj Kumar Saini - Opp.Party(s)

S M Bajpai

29 Nov 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/274/2022
( Date of Filing : 19 Apr 2022 )
(Arisen out of Order Dated 26/02/2022 in Case No. Complaint Case No. CC/167/2019 of District Jyotiba Phule Nagar)
 
1. Punjab National bank
Amroha
...........Appellant(s)
Versus
1. Pankaj Kumar Saini
Amroha
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 29 Nov 2022
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-274/2022

(मौखिक)

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, अमरोहा द्वारा परिवाद संख्‍या 167/2019 में पारित आदेश दिनांक 26.02.2022 के विरूद्ध)

1. पंजाब नेशनल बैंक

ब्रांच शेरपुर चुंगी

कस्‍बा, तहसील व पी0एस0 धनौरा मण्‍डी

जिला अमरोहा

द्वारा सीनियर ब्रांच मैनेजर

2. पंजाब नेशनल बैंक

जोनल आफिस : 1-2, रघुनाथ नगर

एम0जी0 रोड, जिला आगरा

द्वारा जोनल मैनेजर

                        ........................अपीलार्थीगण/विपक्षीगण

बनाम

पंकज कुमार सैनी

पुत्र श्री लखपत राय

निवासी-मोहल्‍ला गांधी नगर

कस्‍बा, पोस्‍ट व तहसील मण्‍डी धनौरा

जिला अमरोहा

                ...................प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष।

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री एस0एम0 बाजपेयी,  

                               विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।

दिनांक: 29.11.2022

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील अपीलार्थीगण पंजाब नेशनल बैंक व एक अन्‍य द्वारा इस न्‍यायालय के सम्‍मुख जिला उपभोक्‍ता आयोग, अमरोहा द्वारा परिवाद संख्‍या-167/2019 पंकज कुमार सैनी बनाम पंजाब नेशनल  बैंक  व  एक

 

 

-2-

अन्‍य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 26.02.2022 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी है।

प्रश्‍नगत निर्णय और आदेश के द्वारा जिला उपभोक्‍ता आयोग ने उपरोक्‍त परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

''परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से आर्थिक तथा मानसिक क्षतिपूर्ति मु0 5000/-रू0 (पॉंच हजार रुपये) तथा वाद व्‍यय के रूप में मु0 5000/-रू0 (पॉंच हजार रुपये) के लिए स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी सं0 1 उक्‍त धनराशि निर्णय के 30 दिन के अन्‍दर परिवादी को अदा करें और निर्धारित अवधि में उक्‍त धनराशि न अदा किये जाने पर निर्णय की तिथि से वास्‍तविक वसूली तक 6 प्रतिशत की दर से ब्‍याज भी देय होगा।''

मेरे द्वारा अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता             श्री एस0एम0 बाजपेयी को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादी की माता श्रीमती बीना देवी पत्‍नी श्री लखपत राय का विपक्षी संख्‍या-1 की बैंक में खाता है तथा उक्‍त खाते से प्रधानमंत्री जीवन ज्‍योति बीमा योजना के अन्‍तर्गत दिनांक 14.10.2015 को प्रीमियम धनराशि 330/-रू0 काटकर 2,00,000/-रू0 का परिवादी की माता का बीमा किया गया था तथा प्रत्‍येक वर्ष बैंक द्वारा प्रीमियम धनराशि 330/-रू0 काटी जाती रही तथा इस खाते में परिवादी को उसकी माता जी द्वारा नामिनी बनाया गया था तथा उन्‍होंने यह बीमा अपनी इच्‍छा से स्‍वीकार किया था।

परिवादी का कथन है कि दिनांक 25.05.2016 को भी विपक्षी संख्‍या-1 द्वारा प्रीमियम धनराशि 330/-रू0 की कटौती करके सम्‍बन्धित बीमा पालिसी का नवीनीकरण किया गया तथा परिवादी की माता के खाते से काटी गयी प्रीमियम धनराशि को उनकी पासबुक में भी प्रविष्टियां दर्ज की गयी। वर्ष 2018-19 के लिए बीमा पालिसी के नवीनीकरण हेतु विपक्षी संख्‍या-1 द्वारा दिनांक 26.05.2018 को प्रीमियम की धनराशि प्राप्‍त  की।

 

 

-3-

दिनांक 26.05.2019 को सुबह परिवादी की माता का निधन हो गया तथा इस दौरान परिवादी की माता सम्‍बन्धित पालिसी के अन्‍तर्गत बीमित थीं।

परिवादी द्वारा उक्‍त बीमा क्‍लेम के भुगतान हेतु क्‍लेम फार्म भरकर विपक्षी संख्‍या-1 को प्रस्‍तुत किया गया, परन्‍तु विपक्षीगण द्वारा परिवादी को बीमित धनराशि का भुगतान नहीं किया गया, जबकि प्रीमियम की धनराशि अग्रिम के रूप में प्रत्‍येक वर्ष वसूल की जाती रही है। अत: क्षुब्‍ध होकर परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख परिवाद योजित करते हुए वांछित अनुतोष की मांग की गयी।

विपक्षीगण की ओर से जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख जवाबदावा प्रस्‍तुत किया गया तथा कथन किया गया कि परिवादी द्वारा परिवाद गलत तथा झूठे तथ्‍यों के आधार पर प्रस्‍तुत किया गया। प्रधानमंत्री जीवन ज्‍योति बीमा योजना के अन्‍तर्गत बीमा भारतीय जीवन बीमा निगम के माध्‍यम से कराया जाता है, परन्‍तु परिवादी द्वारा भारतीय जीवन बीमा निगम को परिवाद में पक्षकार नहीं बनाया गया है, इसलिए परिवाद में आवश्‍यक पक्षकार न बनाये जाने का दोष है। इसके अतिरिक्‍त बीमाधारक मृतका श्रीमती बीना देवी के सभी उत्‍तराधिकारियों को परिवाद में पक्षकार नहीं बनाया गया है क्‍योंकि बीमाधारक के उत्‍तराधिकारी के रूप में उसके पति लखपत राय तथा पुत्रियां श्रीमती करुना एवं श्रीमती सरिता हैं, इन सभी को परिवाद में दावा पक्षकार नहीं बनाया गया है।

विपक्षीगण का कथन है कि परिवादी द्वारा दिनांक 01.07.2019 को श्रीमती बीना देवी की मृत्‍यु के उपरान्‍त बीमा दावा भरकर विपक्षी  संख्‍या-1 को दिया गया तथा विपक्षी संख्‍या-1 द्वारा दावा फार्म बैंक के मण्‍डल कार्यालय मुरादाबाद को अग्रसारित किया गया। इसके बाद बैंक के मण्‍डल कार्यालय द्वारा दिनांक 17.07.2019 को परिवादी का बीमा दावा इस आधार पर वापस कर दिया गया कि योजना में शामिल होने की उम्र 18 से 50 वर्ष है तथा बैंक प्रपत्र के अनुसार मृतका की 55 वर्ष की उम्र तक ही बीमा धनराशि वारिसान को प्राप्‍त हो सकती है, जबकि बीमित की मृत्‍यु दिनांक 26.05.2019 को आयु 57 वर्ष 1 माह हो गयी थी,  इसलिए

 

 

 

-4-

बीमा दावा को उक्‍त योजना की पात्रता एवं शर्तों के अनुसार परिवादी बीमा धनराशि प्राप्‍त करने का अधिकारी नहीं है।

विपक्षीगण का कथन है कि विपक्षी संख्‍या-1 द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक की सलाह के अनुसार दिनांक 31.10.2020 को सभी प्राप्‍त की गयी बीमा प्रीमियम की धनराशि बीमित के खाते में जमा कर दी गयी है। अत: परिवादी विपक्षीगण से कोई भी बीमा धनराशि अथवा मुआवजा पाने का अधिकारी नहीं है। बीमाधारक के खाते से कोई भी धनराशि नवीनीकरण हेतु निर्धारित समय से पूर्व अग्रिम के रूप में नहीं ली गयी है। विपक्षीगण द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है। परिवाद निरस्‍त होने योग्‍य है। 

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों/प्रपत्रों पर विचार करने के उपरान्‍त अपने निर्णय में बिन्‍दुवार सभी तथ्‍यों की विस्‍तृत रूप से विवेचना करते हुए यह पाया गया कि विपक्षी संख्‍या-1 द्वारा प्रधानमंत्री जीवन ज्‍योति बीमा योजना की शर्तों के विपरीत बीमित को बीमा योजना का सदस्‍य बनाकर स्‍पष्‍ट रूप से विधि विरूद्ध कार्य किया गया था, जिसके कारण उक्‍त बीमित को बीमा लाभ प्राप्‍त नहीं हो सका, जिसकी क्षतिपूर्ति के लिए विपक्षी संख्‍या-1 उत्‍तरदायी है, परन्‍तु उपरोक्‍त सदस्‍यता उक्‍त बीमा योजना की शर्तों के विपरीत होने के कारण बीमा लाभ देय नहीं है तथा प्रीमियम की धनराशि बीमित के खाते में प्रेषित की जा चुकी है, इसलिए परिवादी मात्र मानसिक तथा आर्थिक क्षतिपूर्ति व वाद व्‍यय का अनुतोष ही विपक्षीगण से पाने का अधिकारी है। तदनुसार विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा प्रश्‍नगत आदेश दिनांक 26.02.2022 पारित किया गया।

सम्‍पूर्ण तथ्‍यों एवं परिस्थितियों पर विचार करते हुए तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध प्रपत्रों एवं जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्‍त मैं इस मत का हूँ कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा समस्‍त तथ्‍यों का सम्‍यक अवलोकन/परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्‍त विधि  अनुसार  निर्णय

 

 

 

-5-

पारित किया गया, जिसमें हस्‍तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं हैं।

अतएव, प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थीगण द्वारा जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित जिला उपभोक्‍ता आयोग को 01 माह में विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

आशुलिपि‍क से अपेक्षा की जाती है कि‍ वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

                           (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)           

                          अध्‍यक्ष            

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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