राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील सं0-२८७२/२०१२
(जिला मंच, हमीरपुर द्वारा परिवाद संख्या-१६/२०१० में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०५-११-२०१२ के विरूद्ध)
कैरियर एयरकण्डीशनिंग एण्ड रेफ्रिजरेशन लि0, रजिस्टर्ड आफिस खरकी दौला, पोस्ट नर्सिंगपुर, गुड़गॉंव (हरियाणा)-१२२००१ द्वारा अधिकृ;त हस्ताक्षरी श्री सुदर्शन गोपालन।
............. अपीलार्थी/विपक्षी सं0-२.
बनाम
१. पंकज कुमार पालीवाल पुत्र श्री ओंकार दास पालीवार, प्रौपराइटर मै0 पंकज गैस एजेन्सी, स्टेशन रोड, सुमेरपुर, तहसील व जिला हमीरपुर, उ0प्र0।
............ प्रत्यर्थी/परिवादी।
२. स्वतन्त्र कुमार ओमर प्रौपराइटर बुन्देलखण्ड इलैक्ट्रॉनिक्स, सागर रोड, सुमेरपुर, तहसील व जिला हमीरपुर, उ0प्र0।
............ प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-२.
समक्ष:-
१- मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य।
२- मा0 श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्रीमती सुचिता सिंह विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री सुशील कुमार शर्मा विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक :- ३१-१२-२०१९.
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, जिला मंच, हमीरपुर द्वारा परिवाद संख्या-१६/२०१० में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०५-११-२०१२ के विरूद्ध योजित की गई है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी के कथनानुसार परिवादी ने अपीलार्थी कम्पनी का एक एयर कण्डीशनर परिवाद के विपक्षी सं0-१ से दिनांक २४-०६-२००९ को ४२,३००/- रू० में क्रय किया। यह ए0सी0 परिवादी ने अपनी गैस एजेन्सी में परिवाद के विपक्षी सं0-१ द्वारा लगवाया। ए0सी0 स्थापित किए जाने के बाद जब उसे चालू किया गया तो उससे बड़े जोर की आवाज आई तथा पानी निकलने लगा। उस समय
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परिवाद के विपक्षी सं0-१ ने परिवादी से कहा कि नई मशीन है कुछ दिनों में काम करने लगेगी किन्तु जब भी परिवादी उसे चलाता तभी उससे पानी निकलने लगता और आवाज होने लगती थी। तब परिवादी ने उक्त ए0सी0 को १५ दिन बाद परिवाद के विपक्षी सं0-१ से बदलने के लिए कहा किन्तु परिवाद के विपक्षी सं0-१ ने कहा कि उन्हें कम्पनी को लिखकर भेजना पड़ेगा तभी बदला जा सकता है तथा कम्पनी को लिखकर भेजने का आश्वासन दिया था किन्तु उसने कोई कार्यवाही नहीं की थी। परिवादी ने परिवाद के विपक्षी सं0-१ से कई बाद उक्त ए0सी0 को बदल कर नया ए0सी0 दने की कहा किन्तु परिवादी को झूठा आश्वासन देता रहा और खराब ए0सी0 को बदलकर दूसरा नहीं दिया तथा परिवादी के कहा कि बिका हुआ माल वापस नहीं हो पायेगा। तदोपरान्त परिवादी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से विधिक नोटिस पंजीकृत पत्र द्वारा अपीलार्थी तथा परिवाद के विपक्षी सं0-१ को भिजवाई किन्तु परिवादी का ए0सी0 नहीं बदला गया और न ही वापस किया गया। अत: प्रश्नगत ए0सी0 की कीमत ४२,३००/- रू० मय ब्याज तथा मानसिक कष्ट हेतु ०३.०० लाख रू० कुल ३,४२,३००/- रू० मय ब्याज दिलाए जाने हेतु परिवाद योजित किया गया।
परिवाद के विपक्षी सं0-१ ए0सी0 बिक्रेता द्वारा कोई प्रतिवाद पत्र जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया। अपीलार्थी/ परिवाद के विपक्षी सं0-२ द्वारा प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत किया गया। अपीलार्थी के कथनानुसार प्रश्नगत ए0सी0 परिवादी के परिसर में स्थापित करते समय पूर्णत: त्रुटि रहित था। प्रश्नगत ए0सी0 के सन्दर्भ में जारी की गई वारण्टी के अन्तर्गत ए0सी0 की वारण्टी क्रय की तिथि से ०१ वर्ष की अवधि के लिए थी तथा कम्प्रेशर की वारण्टी क्रय की तिथि से ०५ वर्ष की अवधि के लिए थी। वारण्टी की शर्तों के अन्तर्गत वारण्टी अवधि के मध्य ए0सी0 के किसी पार्ट में त्रुटि होने पर सम्बन्धित पार्ट की मरम्मत बिना किसी अतिरिक्त व्यय के की जानी थी। पार्ट मरम्मत योग्य न होने पर पार्ट को बिना किसी व्यय के बदला जाना था। अपीलार्थी के कथनानुसार प्रश्नगत ए0सी0 में कोई निर्माण सम्बन्धी दोष नहीं था। परिवादी ने सर्वप्रथम प्रश्नगत ए0सी0 के सम्बन्ध में शिकायत दिनांक ११-०८-२००९ को की। कम्पनी
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की ओर से सर्विस इंजीनियर नियुक्त किया गया जिसने निरीक्षण के उपरान्त यह पाया कि विद्युत की त्रुटि के कारण ए0सी0 का मेग्नेटिक कण्टेक्टर खराब हो गया। अत: टेक्नीशियन द्वारा वह पार्ट दिनांक १४-०८-२००९ को बदल दिया गया। परिवादी ने सर्विस रिपोर्ट दिनांकित १४-०८-२००९ पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया तथा टेक्नीशियन से कहा कि वह इस पर हस्ताक्षर ए0सी0 को चलाकर देखने के उपरान्त करेगा। तदोपरान्त परिवादी ने फोन पर ए0सी0 सुचारू रूप से चलने के सम्बन्ध में अपनी सहमति व्यक्त की। कण्टेक्टर एक विद्युत सम्बन्धित पार्ट होता है उसका खराब होना वोल्टेज में बदलाव के कारण सम्भव है। अत: यह त्रुटि सम्पूर्ण ए0सी0 में निर्माण सम्बन्धी त्रुटि नहीं मानी जा सकती। पुन: परिवादी ने दिनांक ०६-१०-२००९ को ए0सी0 से पानी निकलने की शिकायत की। अपीलार्थी ने अपने सर्विस इंजीनियर को मरम्मत के लिए निरीक्षण हेतु भेजा एवं परिवादी से निरीक्षण से पूर्व निरीक्षण के लिए सहमति भी प्राप्त की किन्तु परिवादी ने सर्विस इंजीनियर को कार्य करने की अनुमति नहीं दी तथा उसके साथ अभद्रता की। तदोपरान्त परिवादी से कई बार सम्पर्क करने का प्रयास किया गया किन्तु परिवादी ने अपीलार्थी कम्पनी के कर्मचारी को कार्य करने नहीं दिया एवं प्रश्नगत ए0सी0 के स्थान पर दो विण्डो ए0सी0 दिलाए जाने की मांग की। अपीलार्थी का यह भी कथन है कि प्रश्नगत ए0सी0 में निर्माण सम्बन्धी त्रुटि प्रमाणित करने हेतु परिवादी ने कोई विशेषज्ञ आख्या प्रस्तुत नहीं की।
जिला मंच ने प्रश्नगत ए0सी0 में निर्माण सम्बन्धी दोष प्रमाणित होना मानते हुए प्रश्नगत निर्णय द्वारा अपीलार्थी तथा प्रत्यर्थी सं0-२ को आदेशित किया कि वे परिवादी से प्रश्नगत एयर कण्डीशनर वापस लेकर उसे उसी वर्जन का नया ए0सी0 प्रदान करें। यदि यह सम्भव न हो तो वे परिवादी को त्रुटिपूर्ण ए0सी0 का मूल्य ४२,३००/- रू० तथा उस पर दिनांक २४-०६-२००९ से वास्तविक अदायगी की तिथि तक ०६ प्रतिशत वार्षिक ब्याज प्रदान करेंगे। इसके अतिरिक्त परिवादी को ५,०००/- रू० मानसिक आघात के मद में तथा २,०००/- रू० वाद व्यय के रूप में अपीलार्थी तथा प्रत्यर्थी सं0-२ को निर्णय की तिथि से ३० दिन के अन्दर भुगतान करने हेतु भी आदेशित किया।
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इस निर्णय से क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गई।
हमने अपीलार्थी/विपक्षी सं0-२ की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्रीमती सुचिता सिंह तथा प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री सुशील कुमार शर्मा के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि जिला मंच ने पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य का उचित परिशीलन न करते हुए प्रश्नगत निर्णय पारित किया है। अपीलार्थी की ओर से यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि प्रश्नगत ए0सी0 के सन्दर्भ में जारी की गई वारण्टी की शर्तों के अनुसार त्रुटिपूर्ण पार्ट की मरम्मत अथवा मरम्मत योग्य न होने पर उसका नि:शुल्क बदला जाना आच्छादित था। परिवादी द्वारा दिनांक ११-०८-२००९ को की गई शिकायत पर विद्युत त्रुटि के कारण प्रश्नगत ए0सी0 के मेगनेटिक कण्टेक्टर के खराब होना पाये जाने पर दिनांक १४-०८-२००९ को अपीलार्थी के सर्विस इंजीनियर द्वारा यह पार्ट बदल दिया गया। परिवादी द्वारा प्रश्नगत ए0सी0 से पानी निकलने की शिकायत दिनांक ०६-१०-२००९ को प्राप्त होने पर अपीलार्थी कम्पनी ने सर्विस इंजीनियर को निरीक्षण के उपरान्त त्रुटि निवारण हेतु भेजा किन्तु प्रत्यर्थी/परिवादी त्रुटि निवारण के लिए इच्छुक नहीं था अत: सर्विस इंजीनियर को कार्य करने की अनुमति नहीं दी तथा उसके साथ अभद्रता की। इस प्रकार अपीलार्थी द्वारा सेवा में कोई त्रुटि नहीं की गई।
अपीलार्थी की ओर से यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि प्रश्नगत ए0सी0 में कोई निर्माण सम्बन्धी त्रुटि नहीं थी और न ही ऐसी कथित त्रुटि को परिवादी द्वारा जिला मंच के समक्ष प्रमाणित किया गया। इस सन्दर्भ में किसी अधिकृत इंजीनियर की कोई विशेषज्ञ आख्या परिवादी द्वारा प्रस्तुत नहीं की गई।
प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता ने प्रश्नगत निर्णय को उचित बताते हुए अपील निरस्त किए जाने की प्रार्थना की।
अपीलार्थी द्वारा अपील मेमो के साथ प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत किए गये परिवाद की फोटोप्रति दाखिल की है जिसके अवलोकन से यह विदित
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होता है कि परिवादी ने ऐसा कोई अभिकथन नहीं किया है कि प्रश्नगत ए0सी0 की कथित शिकायत दूर करने हेतु परिवाद के विपक्षी सं0-१ (विक्रेता) से कोई शिकायत कभी की बल्कि परिवाद के अभिकथनों में परिवादी द्वारा यह अभिकथित किया गया कि ए0सी0 के प्रारम्भ से ही त्रुटि रहित क्रियाशील न होने पर उसने परिवाद के विपक्षी सं0-१/विक्रेता से ए0सी0 को बदलने के लिए कहा किन्तु विक्रेता द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई।
अपीलार्थी द्वारा जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत किए गये प्रतिवाद पत्र की फोटोप्रति भी प्रस्तुत की गई है जिसमें अपीलार्थी द्वारा यह स्पष्ट किया गया है कि परिवादी ने सर्वप्रथम दिनांक ११-०८-२००९ को प्रश्नगत ए0सी0 के सम्बन्ध में शिकायत की। अपीलार्थी के सर्विस इंजीनियर ने परिवादी की शिकायत दूर करते हुए त्रुटिपूर्ण पार्ट बदल दिया। तदोपरान्त परिवादी ने दिनांक ०६-१०-२००९ को ए0सी0 से पानी निकलने की पुन: शिकायत की। अपीलार्थी द्वारा सर्विस इंजीनियर को त्रुटि निवारण हेतु भेजा गया किन्तु प्रत्यर्थी/परिवादी ने सर्विस इंजीनियर को त्रुटि निवारण हेतु निरीक्षण तथा कार्य करने की अनुमति नहीं दी।
प्रत्यर्थी/परिवादी का यह कथन नहीं है कि वारण्टी की शर्तों के अन्तर्गत त्रुटिपूर्ण पार्ट की नि:शुल्क मरम्मत अथवा मरम्मत योग्य न होने पर उसका नि:शुल्क बदला जाना आच्छादित नहीं था। प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा प्रतिवाद पत्र के अभिकथनों को अस्वीकार करते हुए कोई प्रत्ययुत्तर जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया। ऐसी परिस्थिति में यह नहीं माना जा सकता कि परिवादी द्वारा प्रश्नगत ए0सी0 की शिकायत दूर करने के लिए अपीलार्थी द्वारा कोई प्रयास नहीं किया गया।
यह भी उल्लेखनीय है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने जिला मंच के समक्ष प्रश्नगत ए0सी0 में निर्माण सम्बन्धी त्रुटि होना प्रमाणित करने के लिए कोई अधिकृत इंजीनियर की आख्या प्रस्तुत नहीं की। वस्तुत: जिला मंच ने परिवाद के अभिकथनों को स्वयं स्वीकार करते हुए प्रश्नगत ए0सी0 में निर्माण सम्बन्धी त्रुटि होना माना है।
जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत की गई साक्ष्य से प्रश्नगत ए0सी0 में निर्माण
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सम्बन्धी त्रुटि होना प्रमाणित नहीं है। जिला मंच ने पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य का उचित परिशीलन न करते हुए प्रश्नगत निर्णय पारित किया है, अत: अपास्त किए जाने योग्य है। अपील तद्नुसार स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
अपील स्वीकार की जाती हैं। जिला मंच, हमीरपुर द्वारा परिवाद संख्या-१६/२०१० में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०५-११-२०१२ अपास्त करते हुए परिवाद निरस्त किया जाता है।
इस अपील का व्यय-भार उभय पक्ष अपना-अपना स्वयं वहन करेंगे।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
(उदय शंकर अवस्थी)
पीठासीन सदस्य
(गोवर्द्धन यादव)
सदस्य
प्रमोद कुमार
वैय0सहा0ग्रेड-१,
कोर्ट नं.-२.