Uttar Pradesh

StateCommission

C/2012/63

Ashish Kumar Dahiya - Complainant(s)

Versus

Panchsheel Buildtech Ltd - Opp.Party(s)

L M Khare & N.K. Pathak

05 May 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. C/2012/63
( Date of Filing : 18 Jun 2012 )
 
1. Ashish Kumar Dahiya
a
...........Complainant(s)
Versus
1. Panchsheel Buildtech Ltd
a
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. DR. ABHA GUPTA MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 05 May 2022
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

परिवाद संख्‍या-63/2012

1. श्री आशीष कुमार दाहिया पुत्र श्री कुलदीप सिंह दाहिया।

2. श्रीमती निर्मला देवी पत्‍नी श्री कुलदीप सिंह दाहिया

दोनो निवासीगण WZ -231 A/2 स्‍ट्रीट नं0 7 साध नगर

पालम कालोनी न्‍यू दिल्‍ली- 110045                ...........परिवादीगण

बनाम्

मैसर्स पंचशील बिल्‍डटेक प्राइवेट लिमिटेड एच-169 सेक्‍टर 63 नोएडा

उत्‍तर प्रदेश 201301                                                 .......विपक्षी

समक्ष:-

1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. मा0 डा0 आभा गुप्‍ता, सदस्‍य।

परिवादी की ओर से उपस्थित  : श्री एल0एम0 खरे, विद्वान अधिवक्‍ता।

विपक्षी की ओर से उपस्थित   : श्री सुयश गुप्‍ता, विद्वान अधिवक्‍ता

दिनांक 08.06.2022

मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.   यह परिवाद विपक्षी भवन निर्माता के विरूद्ध परिवादी को आवंटित युनिट नं0 908 बी नाइन्‍थ फ्लोर ब्‍लाक 1 का कब्‍जा प्राप्‍त करने के लिए प्रतिमास रू. 8500/- दण्‍ड शुल्‍क वसूल करने के लिए तथा 36 माह पश्‍चात 24 प्रतिशत ब्‍याज प्राप्‍त करने के लिए प्रस्‍तुत किया गया है। संशोधन के पश्‍चात यह अनुतोष मांगा गया है कि यदि विपक्षी कब्‍जा प्राप्‍त करने में विफल रहे तब परिवादी द्वारा जमा राशि रू. 3149250/- अनुबंध की तिथि से 18 प्रतिशत ब्‍याज सहित वापस दिलाया जाए तथा 40 लाख रूपये वित्‍तीय हानि तथा मानसिक प्रताड़ना के मद में बतौर प्रतिकर दिलाया जाए।

2.   परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार परिवादी ने उपरोक्‍त वर्णित फ्लैट प्राप्‍त करने के लिए कुल रू. 3149500/- जमा कराए। पंजीकरण कराने की तिथि से 36 माह के अंदर कब्‍जा देने का वायदा विपक्षी द्वारा किया गया था।

-2-

कब्‍जे के समय देय राशि अंकन रू. 116750/- अदा करने के लिए परिवादी तत्‍पर है। परिवादी ने आईडीबीआई बैंक से लोन लिया था, इसके बाद इस लोन को एक्जिट बैक में ट्रांसफर कराया। लोन ट्रांसफर के समय विपक्षी ने यूनिट संख्‍या 908 बी नाइन्‍थ फ्लोर के आवंटन की पुष्टि की थी, परन्‍तु 11 जनवरी 2012 के पत्र द्वारा सूचित किया गया, यह यूनिट परिवादी को प्रदान नहीं की जा सकती। परिवादी ने विधिक नोटिस के माध्‍यम से आवंटित फ्लैट के कब्‍जे की मांग की तथा 10 लाख रूपये क्षतिपूर्ति की मांग की गई, परन्‍तु नोटिस का अनुपालन करने के बजाय परिवादी को स्‍वयं डिफाल्‍टर ठहराते हुए जवाब दिया गया और परिवादी को आवंटित यूनिट का कब्‍जा प्रदान नहीं किया गया, इसलिए परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।

3.   परिवाद के साथ 15 दस्‍तावेज तथा परिवाद में वर्णित तथ्‍यों की पुष्टि में शपथपत्र प्रस्‍तुत किया गया है।

4.   विपक्षीगण की ओर से प्रस्‍तुत लिखित कथन में भूखंड के आवंटन से इंकार नहीं किया गया है, परन्‍तु यह कथन किया गया है कि अत्‍यधिक बढ़ा-चढ़ा कर उच्‍च दर के ब्‍याज के साथ प्रतिकर की मांग की गई है, जबकि उसे परिवाद प्रस्‍तुत करने का कोई आधार उपलब्‍ध नहीं है। परिवाद पत्र में वर्णित सभी अनुतोष असत्‍य हैं। आवंटन पत्र में भी किसी प्रकार के परिवर्तत का उल्‍लेख किया गया था, यदि ऐसी परिस्थिति बनती है तो कंपनी के नियंत्रण से बाहर है, जैसे यह ज्ञात हुआ कि परिवादी को आवंटित फ्लैट उपलब्‍ध नहीं है तब उन्‍हें स्‍वयं इस तथ्‍य की सूचना दी गई और चौथे फ्लोर पर फ्लैट प्राप्‍त करने का अवसर उपलब्‍ध कराया। बैंक रेट पर जमा राशि वापस लौटाने का भी प्रस्‍ताव दिया गया, परन्‍तु परिवादी ने परिस्थिति

 

-3-

का लाभ उठाते हुए लीगल नोटिस भेजा और प्रतिकर की मांग की गई, इसलिए परिवाद खारिज होने योग्‍य है।

5.   लिखित कथन के साथ श्री रहुल तोमर का शपथपत्र तथा दि. 11.01.12 को लिखा गया पत्र तथा आवंटन पत्र की प्रति प्रस्‍तुत की गई है।

6.   दोनों पक्षकारों के विद्वान अधिवक्‍ताओं को सुना गया तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया।

7.   दोनों पक्षकारों को यह तथ्‍य स्‍वीकार है कि परिवाद पत्र में वर्णित यूनिट परिवादी को आवंटित की गई। यह तथ्‍य भी स्‍वीकार है कि भवन निर्माता द्वारा यूनिट 908 बी नाइन्‍थ फ्लोर के स्‍थान पर यूनिट संख्‍या 408 बी फोर्थ फ्लोर पर प्रदान करने का पत्र दि. 11.01.12 को लिखा। इस पत्र में यह अंकित है कि कुछ अपरिहार्य परिस्थितियों के कारण नाइन्‍थ फ्लोर पर आवंटित फ्लैट संख्‍या 908 बी परिवादी को प्रदान नहीं किया जा सकता, परन्‍तु अपरिहार्य परिस्थिति क्‍या है इस तथ्‍य का कोई उल्‍लेख इस पत्र में नहीं किया गया है, अत: स्‍पष्‍ट है कि अपरिहार्य परिस्थिति को जाहिर करने और साबित करने का उत्‍तरदायित्‍व भवन निर्माता पर है। पक्षकारों के मध्‍य जो करार निष्‍पादित हुआ है उस करार के अनुसार 36 माह के अंतर्गत कब्‍जा देने का उल्‍लेख है, 5 प्रतिशत राशि का भुगतान कब्‍जा के समय किया जाना है। प्‍लान में परिवर्तन के कारण नई यूनिट दी जा सकती है और विकल्‍प में प्राप्‍त किया गया वास्‍तविक मूल्‍य तत्‍समय प्रचलित बैंक ब्‍याज दर सहित वापस किया जाएगा, अत: प्रश्‍न उठता है कि क्‍या प्रस्‍तुत केस में प्‍लान में परिवर्तन हुआ है, जिसके लिए स्‍वयं भवन निर्माता उत्‍तरदायी नहीं है। शपथपत्र में यह उल्‍लेख किया गया है कि त्रुटिवश यह यूनिट दो व्‍यक्तियों को आवंटित हो गई है, इसलिए प्‍लान में

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कोई परिवर्तन नहीं हुआ, अत: भवन निर्माता कंपनी दोनों पक्षकारों के मध्‍य निष्‍पादित करार की शर्त के अनुसार यूनिट परिवर्तन करने का लाभ प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत नहीं है। एक फ्लैट दो-दो व्‍यक्तियों को आवंटित करना न केवल कंपनी, इसके कर्मचारियों की लापरवाही है अपितु अनुचित व्‍यापार प्रणाली भी है, जिसके लिए वे परिवादी को प्रतिकर अदा करने के लिए उत्‍तरदायी हैं, अत: स्‍पष्‍ट है कि प्रतिवादी भवन निर्माता कंपनी द्वारा अपने बचाव में जो अभिवाक लिया गया है वह निरर्थक तथा औचित्‍यविहीन है और चूंकि एक यूनिट दूसरे व्‍यक्ति को आवंटित की जा चुकी है, इसलिए इस यूनिट का कब्‍जा परिवादी को प्रदान ही नहीं किया जा सकता, अत: परिवादी परिवाद पत्र में वर्णित वैकल्पिक अनुतोष यानी परिवादी द्वारा जमा की गई राशि ब्‍याज सहित प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत है। परिवादी ने अंकन 18 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्‍याज की मांग की है जो अत्‍यधिक है, परिवादी द्वारा जमा राशि पर केवल 09 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्‍याज अदा करने का आदेश देना विधिसम्‍मत है।

8.   परिवादी ने मानसिक प्रताड़ना तथा अनुचित व्‍यापार प्रणाली के मद में 40 लाख रूपये की मांग की है। परिवादी द्वारा जो राशि जमा की गई है उस राशि से अधिक की मांग इस मद में करना उचित नहीं है, परन्‍तु  जैसाकि ऊपर निष्‍कर्ष दिया गया है कि एक ही यूनिट दो-दो व्‍यक्तियों को आवंटित करना विपक्षी की लापरवाही के साथ-साथ अनुचित व्‍यापार प्रणाली के तथ्‍य को स्‍थापित करता है। इसी अवसर पर यह उल्‍लेख करना भी समीचीन होगा कि तत्‍समय प्रचलित बाजार भाव के आधार पर जो यूनिट परिवाद पत्र में वर्णित मूल्‍य पर प्राप्‍त की जा सकती थी वह यू‍निट आज के बाजार भाव के अनुसार दुगने रेट में भी प्राप्‍त नहीं की जा सकती, इसलिए

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इस मद में परिवादी अंकन 20 लाख रूपये प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत है तथा परिवाद व्‍यय के रूप में रू. 10000/- प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत है।

आदेश

9.   परिवाद इस प्रकार स्‍वीकार किया जाता है:-

A.   विपक्षी परिवादी को उसके द्वारा जमा की राशि रू. 3149250/- पर 09 प्रतिशत प्रतिवर्ष ब्‍याज सहित अदा करें।

B.   विपक्षी परिवादी को अंकन रू. 2000000/- (बीस लाख रूपये) बतौर क्षतिपूर्ति अदा करें।

C.   विपक्षी परिवादी को रू. 10000/- परिवाद व्‍यय के रूप में अदा करें।

     आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की

वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

         

     (सुशील कुमार)                     (डा0 आभा गुप्‍ता)                                                                                                                                                सदस्‍य                             सदस्‍य         

राकेश, पी0ए0-2

  कोर्ट-2

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. DR. ABHA GUPTA]
MEMBER
 

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