राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1817/2015
(मौखिक)
(जिला उपभोक्ता फोरम, मेरठ द्वारा परिवाद संख्या 413/2008 में पारित आदेश दिनांक 26.08.2015 के विरूद्ध)
Raghubar Dayal Sharma Advocate S/o Late Shri Vishamber Sahai r/o E-6 Meenakshi Puram, Mawana Road, Meerut.
....................अपीलार्थी/परिवादी
बनाम
1. Pachimanchal Vidhut Vitran Nigam Ltd. Office at 33/11 KV Sub
Division, University Road, Meerut through its Executive Engineer
EUDD (II).
2. Urban Electricity Testing Lab III, IVth Pachimanchal Vidhut Vitran
Nigam Ltd., office at 11 Vishali Colony, Garh Road, Meerut through
its officer Vidhut Vitran Khand A.
................प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री वीरेन्द्र सिंह, अध्यक्ष।
2. माननीय श्री उदय शंकर अवस्थी, सदस्य।
3. माननीय श्री संजय कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री वी0एस0 बिसारिया,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 09.09.2015
माननीय न्यायमूर्ति श्री वीरेन्द्र सिंह, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
अपीलार्थी/परिवादी द्वारा यह अपील जिला फोरम, मेरठ द्वारा परिवाद संख्या-413/2008 श्री रघुबर दयाल शर्मा बनाम पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लि0 आदि में दिनांक 26.08.2015 को पारित उक्त आदेश के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी है, जिसके द्वारा जिला फोरम ने परिवादी का परिवाद इस कारण अस्वीकार कर दिया है कि परिवादी ने अवसर दिए जाने के बाद भी अपना साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया है और उक्त तिथि को भी स्थगन की याचना की है।
श्री वी0एस0 बिसारिया विद्वान अधिवक्ता अपीलार्थी को सुना गया और अभिलेख का अवलोकन किया गया।
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हमने इस अपील को अंगीकार किए जाने के प्रश्न पर ही गुणदोष के आधार पर सुनवाई करते हुए निस्तारित किया जाना समीचीन पाया है और न्यायहित में हम यह समीचीन पाते हैं कि प्रश्नगत आदेश को अपास्त करते हुए परिवादी को पर्याप्त अवसर दिए जाने के उद्देश्य से परिवाद को उभय पक्ष के साक्ष्य के आधार पर गुणदोष पर निर्णीत करने के लिए प्रतिप्रेषित कर दिया जाए क्योंकि दिनांक 26.08.2015 को जो प्रार्थना पत्र परिवादी ने जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया था, उसमें यह निवेदन किया गया था कि ‘परिवादी ने टेस्टींग मीटर के लिए सब मीटर का प्रार्थना पत्र दिया है, जिसके सम्बन्ध में गंगानगर बिजली कार्यालय से भी बातचीत हुई है तथा उन्होंने सब मीटर लगाने के लिए कहा है और इसलिए उक्त परिवाद में कोई अन्य तिथि नियत कर दी जाए।’ उक्त तथ्य के परिवादी के प्रार्थना पत्र पर विपक्षी द्वारा यह पृष्ठांकन किया गया था कि ‘परिवादी को निर्देश दिया जाए कि वह उक्त प्रार्थना पत्र की प्रति विपक्षी को उपलब्ध कराए ताकि विपक्षी उक्त प्रार्थना पत्र पर आपत्ति प्रस्तुत कर सके।’ हमारी राय में कोई औचित्य नहीं था कि जिला उपभोक्ता फोरम परिवादी के उपरोक्त तथ्यों से सम्बन्धित प्रार्थना पत्र पर ध्यान देने के बजाय परिवाद को यह कहते हुए अस्वीकार करते कि परिवादी को पर्याप्त अवसर दिए जाने के बाद भी परिवादी ने उसका साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया है। इस सम्बन्ध में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 13 अवलोकनीय है, जिसमें परिवादों के ग्रहण होने पर प्रक्रिया का उल्लेख है। उक्त धारा में उल्लेख है कि ‘जहॉं विरोधी पक्षकार परिवाद के अभिकथनों से इंकार करता है तो जिला फोरम परिवादी और विरोधी पक्षकार द्वारा फोरम की जानकारी में लाए गए साक्ष्य के आधार पर विवाद का निपटारा कर सकता है, परिवादी द्वारा फोरम की जानकारी में लाए गए साक्ष्य के आधार पर एकपक्षीय विवाद का निपटारा कर सकता है बशर्ते कि विरोधी पक्षकार जिला फोरम द्वारा दिए गए समय के भीतर अपना प्रतिवाद प्रस्तुत करने में सफल रहता है।’ प्राय: देखा गया है कि परिवादी परिवाद प्रस्तुत करते समय ही परिवाद के संलग्नकों के रूप में कुछ दस्तावेज प्रस्तुत करते हैं और शपथ पत्र भी प्रस्तुत करते हैं, जो कि साक्ष्य की ही श्रेणी में आता है। ऐसे साक्ष्य पर विचार न करके मात्र यह
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उल्लिखित करके परिवाद को खारिज कर दिया जाना समीचीन नहीं है कि परिवादी को बार-बार समय दिए जाने के बाद भी परिवादी उसका साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सका है। प्रश्नगत आदेश में ऐसा कोई उल्लेख नहीं है कि परिवाद के साथ भी कोई दस्तावेज या शपथ पत्र परिवादी ने प्रस्तुत नहीं किया है, इसलिए इन तमाम परिस्थितियों के आलोक में हम न्यायहित में यह समीचीन पाते हैं कि उभय पक्ष को उनके साक्ष्य का पर्याप्त अवसर दिए जाने के उपरान्त प्रश्नगत परिवाद जिला फोरम द्वारा निस्तारित किया जाए।
आदेश
अपील उपरोक्त स्वीकार की जाती है और प्रश्नगत आदेश दिनांकित 26.08.2015 अपास्त किया जाता है। यह प्रकरण सम्बन्धित जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रतिप्रेषित किया जाता है कि वह उभय पक्ष को पर्याप्त अवसर प्रदान करने के उपरान्त उनके साक्ष्य के आधार पर परिवाद को गुणदोष पर निस्तारित किया जाना सुनिश्चित करें और प्रयास करें कि परिवाद तीन माह के अन्तर्गत निस्तारित हो जाए।
(न्यायमूर्ति वीरेन्द्र सिंह) (उदय शंकर अवस्थी) (संजय कुमार)
अध्यक्ष सदस्य सदस्य
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1