Uttar Pradesh

StateCommission

A/1/2019

Noor Alam - Complainant(s)

Versus

Pachimanchal Vidyut Vitran Nigam Ltd - Opp.Party(s)

Dinesh Kumar

16 Jan 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1/2019
( Date of Filing : 01 Jan 2019 )
(Arisen out of Order Dated 30/08/2017 in Case No. C/119/2016 of District Jyotiba Phule Nagar)
 
1. Noor Alam
S/O Sri Abdul RAshid Presently R/O Village Ghaunari Meer Tehsil Ghanauri Distt. Amroha
...........Appellant(s)
Versus
1. Pachimanchal Vidyut Vitran Nigam Ltd
Victoriya Park MEruth Amroha Through Prabandh Nirdeshak
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 16 Jan 2023
Final Order / Judgement

                                  (मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

 

अपील सं0- 01/2019

नूर आलम पुत्र श्री अब्‍दुल रशीद वर्तमान पता ग्राम धनौरी मीर तहसील धनौरा, जनपद अमरोहा।

                                                    .........अपीलार्थी

बनाम

1. पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड विक्‍टोरिया पार्क मेरठ, द्वारा प्रबंधक निदेशक।

2. अधिशासी अभियंता, विद्युत वितरण खण्‍ड, अमरोहा।

                                                    .......प्रत्‍यर्थीगण

 

समक्ष:-

   माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष।

   माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से   : श्री आनंद भार्गव, विद्वान अधिवक्‍ता।                         

प्रत्‍यर्थीगण की ओर से   : श्री इसार हुसैन, विद्वान अधिवक्‍ता।

                     

दिनांक:- 16.01.2023

माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य द्वारा उद्घोषित

 

निर्णय        

          परिवाद सं0- 119/2016 नूर आलम बनाम पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लि0 व एक अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता आयोग, अमरोहा द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दि0 30.08.2017 के विरुद्ध यह अपील धारा- 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गई है। प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश के माध्‍यम से अपीलार्थी/परिवादी का परिवाद निरस्‍त किया गया है।

          अपीलार्थी/परिवादी ने यह परिवाद प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण को रू0 94,000/- की वसूली शुरू किये जाने तथा वसूली गई धनराशि रू0 10,000/- वापस दिलाये जाने एवं अन्‍य अनुतोष के लिए योजित किया था।

          परिवाद पत्र में अपीलार्थी/परिवादी का कथन इस प्रकार है कि अपीलार्थी/परिवादी प्रश्‍नगत विद्युत कनेक्‍शन का उपभोक्‍ता है। वह अपने दादा श्री अल्‍लादिये के समय से 06 हार्सपावर के कनेक्‍शन के माध्‍यम से स्‍वरोजगार एवं परिवार के पालन-पोषण हेतु आटा चक्‍की का व्‍यवसाय करता है। प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण ने दि0 16.07.2014 को कनेक्‍शन चेक किया और रू0 40,000/- का शमन शुल्‍क जबर्दस्‍ती जमा करवा लिया। अपीलार्थी/परिवादी के अनुसार प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण विद्युत विभाग ने गलत रिकार्ड व अभिलेखों के आधार पर अपीलार्थी/परिवादी से वसूली कर ली जिसके आधार पर यह परिवाद प्रस्‍तुत किया गया है।

          परिवाद के दौरान प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण को नोटिस की तामीली पर्याप्‍त हो जाने के उपरांत भी प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगणकी ओर से कोई उपस्थित नहीं आया। अपीलार्थी/परिवादी को सुनवाई का अवसर देते हुए परिवाद इस आधार पर निरस्‍त किया गया कि अपीलार्थी/परिवादी ने कोई भी विद्युत बिल व रसीद दाखिल नहीं की है। साक्ष्‍य के अभाव में भी अपीलार्थी/परिवादी ने अपने विरुद्ध जारी रिकवरी साइटेशन निरस्‍त कराना चाहता है। प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण द्वारा आर0सी0 को न रोक कर सेवा में कोई कमी नहीं की गई है। इस आधार पर अपीलार्थी/परिवादी का परिवाद निरस्‍त किया गया, जिससे व्‍यथित होकर अपील प्रस्‍तुत की गई है।

          अपील में मुख्‍य रूप से यह आधार लिए गए हैं कि प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण विद्युत विभाग की चेकिंग के दौरान अपीलार्थी/परिवादी पर शमन शुल्‍क रू0 40,000/- अधिरोपित किये गये थे जो अपीलार्थी/परिवादी ने प्रदान कर दिये। अपीलार्थी/परिवादी ने वर्ष 2014 तक के सभी विद्युत देयक प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण विद्युत परिषद को प्रदान कर दिये थे, किन्‍तु इसके बावजूद भी रिकवरी साइटेशन जारी किया गया। इन तथ्‍यों को जिला उपभोक्‍ता आयोग ने अपने संज्ञान में नहीं लिया है। अत: अपील स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।

          हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री आनंद भार्गव और प्रत्‍यर्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता श्री इसार हुसैन को सुना। प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों का सम्‍यक परिशीलन किया।

          परिवाद में विपक्षीगण पर नोटिस की तामीली पर्याप्‍त मानते हुये उनकी अनुपस्थिति में परिवाद का निस्‍तारण किया गया था एवं प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण को सुनवाई का अवसर नहीं मिल सका था। दूसरी ओर प्रश्‍नगत निर्णय के अवलोकन से स्‍पष्‍ट होता है कि अपीलार्थी/परिवादी के विरुद्ध रिकवरी साइटेशन रू0 94,581/- एवं अन्‍य देयों हेतु दि0 30.07.2016 को जारी किया गया। इसके पूर्व दि0 14.07.2014 का शमन शुल्‍क एवं रसीद दि0 30.07.2016 अपीलार्थी/परिवादी द्वारा दाखिल की गई। जिला उपभोक्‍ता आयोग के अनुसार अपीलार्थी/परिवादी द्वारा ऐसी कोई रसीद बिल के साथ दाखिल नहीं की जा सकी है, जिससे स्‍पष्‍ट हो सके कि अपीलार्थी/परिवादी अपने विद्युत देयकों का भुगतान नियमित कर रहा है। इस प्रकार स्‍वयं अपीलार्थी/परिवादी द्वारा भी अपने समर्थन में दस्‍तावेजी साक्ष्‍य प्रस्‍तुत नहीं किये जा सके थे जिसका अवसर उसे दिया जा सकता है। इस प्रकार दोनों पक्षों को सुनवाई का अवसर देकर परिवाद का निस्‍तारण किया जाना उचित होगा। अत: उपरोक्‍त आधार पर यह पीठ उचित पाती है कि अपील स्‍वीकार करते हुए जिला उपभोक्‍ता आयोग, अमरोहा को इस निर्देश के साथ प्रति प्रेषित की जाए कि वह उपरोक्‍त परिवाद को अपने पुराने नम्‍बर पर पुनर्स्‍थापित करें और तदोपरांत विधिनुसार उभयपक्ष को साक्ष्‍य व सुनवाई का अवसर देते हुए वाद का पुन: निस्‍तारण 03 माह में करें।

आदेश

          अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश अपास्‍त किया जाता है तथा जिला उपभोक्‍ता आयोग, अमरोहा को इस निर्देश के साथ प्रति प्रेषित की जाती है कि वह उपरोक्‍त परिवाद को अपने पुराने नम्‍बर पर पुनर्स्‍थापित करें और तदोपरांत विधिनुसार उभयपक्ष को साक्ष्‍य व सुनवाई का अवसर देते हुए वाद का पुन: निस्‍तारण 03 माह में करें।

          अपील में उभयपक्ष अपना-अपना व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।          

          आशुलिपि‍क से अपेक्षा की जाती है कि‍ वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

   (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                      (विकास सक्‍सेना)

                          अध्‍यक्ष                                सदस्‍य

 

शेर सिंह, आशु0,

कोर्ट नं0- 1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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