ORDER | द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्यक्ष - इस परिवाद के माध्यम से परिवादी ने यह अनुरोध किया है कि विपक्षीगण को आदेशित किया जाऐ कि वे परिवादी के विरूद्ध जारी वि|qत बिल अंकन 1,75,000/- रूपया को निरस्त करें और उसकी बाबत कोई वसूली की कार्यवाही न करें। क्षतिपूर्ति की मद में 50,000/- रूपया और विधिक व्यय की मद में 2500/-रूपया परिवादी ने अतिरिक्त मांगे हैं।
- संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवाद 6 हार्स पावर क्षमता के वि|qत कनेक्शन संख्या-118498 का उपभोक्ता रहा है। इसकी बुक संख्या-00718 थी। इस कनेक्शन से परिवादी अपनी पालिश की मशीनें चलाता था। इन मशीनों पर परिवादी मजदूरी का काम करता था। काम न मिलने की वजह से परिवादी को पालिश की मशीनें बन्द करनी पड़ीं। परिवादी ने वि|qत कनेक्शन स्थाई रूप से विच्छेदित करने हेतु दिनांक 06/2/2006 को एक प्रार्थना पत्र विपक्षी संख्या-2 को दिया। दिनांक 22/3/2006 को विपक्षीगण ने परिवादी का वि|qत कनेक्शन काटकर मीटर हटा दिया। परिवादी के अनुसार उसके वि|qत कनेक्शन का दिनांक 27/11/2005 से 27/12/2005 तक की अवधि का बिल 17,952/- रूपया आया जिसका पार्ट पेमेन्ट 6000/- रूपया परिवादी ने जमा कर दिया। इसके बाद दिनांक 27/12/2005 से 27/1/2006 तक की अवधि का 16,634/- रूपया बिल परिवादी को मिला इसका पार्ट पेमेन्ट 4000/- रूपया परिवादी ने वि|qत विभाग में जमा किया। दिनांक 27/1/2006 से 26/2/2006 तक की अवधि का मुवलिंग 11,194/- रूपये का बिल परिवादी को भेजा गया जिसके सापेक्ष परिवादी ने पार्ट पेमेन्ट 7000/- रूपये जमा किऐ। दिनांक 26/2/006 से 26/3/2006 तक की अवधि का 5,699/-रूपये का बिल परिवादी को मिला। इसके बाद दिनांक 26/3/2006 से 28/4/2006 तक की अवधि का एक गलत बिल मुवलिंग 13,143/- रूपये का परिवादी को भेजा गया जिसका पार्ट पेमेन्ट 4000/- रूपया परिवादी ने जमा किया। दिनांकि 28/4/2006 से 22/5/2006 तक की अवधि के 11,440/- रूपये के बिल के सापेक्ष परिवादी ने 3000/-रूपया पार्ट पेमेन्ट में जमा किऐ। दिनांक 22/6/2006 से 24/7/2006 तक की अवधि का गलत बिल मुवलिंग 19,345/- रूपया का परिवादी को भेजा गया। चूँकि बिल गलत था अत: परिवादी ने इसे जमा नहीं किया। परिवादी के अनुसार स्थाई रूप से वि|qत कनेक्शन की पी0डी0 करने हेतु परिवादी द्वारा दिनांक 06/2/2006 को प्रार्थना पत्र दे दिऐ जाने के बावजूद परिवादी को गलत बिल भेजे जाते रहे जिसकी लगातार परिवादी शिकायत करता रहा। दिनांक 31/1/2006 को परिवादी से 275/- रूपया पी0डी0 हेतु जमा कराऐ गऐ। इसके बाद परिवादी को कोई वि|qत बिल नहीं भेजा गया परन्तु परिवादी के विरूद्ध 1,75,000/- रूपया का बकाया गलत तरीके से दर्शाते हुऐ परिवादी से वसूली हेतु तहसील, मुरादाबाद को रिकवरी भेज दी गई। तहसील कर्मियों ने दिनांक 08/8/2007 को परिवादी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। 14 दिन तक परिवादी जेल में बन्द रहा। इससे परिवादी की बेईज्जती हुई और उसे मानसिक आघात पहुँचा। परिवादी का यह भी कथन है कि ट्रांसफार्मर की खराबी के कारण परिवादी और मौहल्ले वालों के बिजली के मीटर खराब हो गऐ थे जिसकी बाबत परिवादी और मौहल्ले के लोगों ने सामूहिक रूप से दिनांक 04/1/2006 को वि|qत विभाग में एक प्रार्थना पत्र दिया था कि उनके बिजली के मीटर ठीक कराऐ जाये। उक्त प्रार्थना पत्र के आधार पर विपक्षी संख्या -2 ने जूनियर इंजीनियर को रिपोर्ट किऐ जाने के आदेश किऐ थे जिस पर परिवादी का मीटर बदलने के आदेश हुऐ किन्तु उसका खराब मीटर नहीं बदला गया। इसके बाद दिनांक 18/8/2006 को परिवादी की अनुपस्थिति में विपक्षीगण के कर्मचारियों द्वारा परिवादी का मीटर उतारा गया। मीटर उतारते समय परिवादी की पत्नी मौजूद थी उस समय विपक्षीगण के कर्मचारियों ने न तो कोई मीटर सीलिंग प्रमाण पत्र बनाया और नही उसकी कोई नकल परिवादी की पत्नी को दी। परिवादी की पत्नी अनपढ़ है, बिजली कर्मियों ने उससे 10,000/- रूपये की रिश्वत मांगी थी उसे न देने के कारण मीटर परीक्षण की कोई जानकारी परिवादी को नहीं दी गई और यह रिपोर्ट दे दी गई कि मीटर की सील टैम्पर्ड है और मीटर में शन्ट डाल रखा है। परिवादी ने मीटर से कभी छेड़छाड़ नहीं की और न ही कभी बिजली चोरी की, उसे नुकसान पहुँचाने की गरज से बिजली विभाग ने सारी कार्यवाही फर्जी की है। परिवादी ने अग्रेत्तर कथन किया कि उसके विरूद्ध जारी 1,75,000/- रूपया की गलत बकाया की वसूली को रद्द करने के लिए परिवादी ने कई बार अनुरोध किया किन्तु विपक्षीगण उसे रद्द नहीं कर रहे और इस प्रकार वे सेवा में कमी करने के दोषी हैं। परिवादी ने उपरोक्त कथनों के आधार पर परिवाद में अनुरोधित अनुतोष स्वीकार किऐ जाने की प्रार्थना की।
- परिवाद के समर्थन में परिवादी ने अपना शपथ पत्र कागज संख्या 3/6 लगायत 3/10 दाखिल किया। शपथ पत्र के साथ उसने कनेक्शन को स्थाई रूप से विच्छेदित करने हेतु विपक्षी संख्या-2 को सम्बोधित प्रार्थना पत्र दिनांक 06/2/2006, दिनांक 02/7/2006 को बतौर पार्ट पेमेन्ट जमा कराऐ गऐ 2000/- रूपये की रसीद, दिनांक 27/5/2006 को पार्ट पेमेन्ट जमा कराऐ गऐ 4000/- रूपये की रसीद, वि|qत बिल दिनांकित 12/8/2006, मीटर सीलिंग सटिफिकेट, दिनांक 31/1/2006 को पार्ट पेमेन्ट के रूप में जमा कराऐ गऐ 2000/- रूपये की रसीद, 1,75,000/- रूपया की बकाया की वसूली को निरस्त किऐ जाने हेतु विपक्षी संख्या-2 को कथित रूप से भेजे गऐ नोटिस दिनांकित 06/9/2007, इस पत्र को भेजे जाने की डाकखाने की रसीद, दिनांक 06/9/2006 को पार्ट पेमेन्ट के रूप में जमा कराऐ गऐ 6000/-रूपये की रसीद, वि|qत बिल दिनांकित 09/6/2006 तथा दिनांक 28/6/2006 को पार्ट पेमेन्ट में जमा कराऐ गऐ 4000/- रूपये की रसीद की फोटो प्रतियों को दाखिल किया गया है, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज संख्या- 3/12 लगायत 3/25 हैं।
- विपक्षीगण की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज संख्या-16/1 लगायत 16/8 दाखिल किया गया जिसमें स्वीकार किया गया है कि परिवादी 6 हार्स पावर क्षमता के औ|ksगिक वि|qत कनेक्शन संख्या-718/118498 का ‘’ उपभोक्ता ’’ रहा है। यह कनेक्शन एल0एम0वी0-6 श्रेणी का है। परिवादी ‘’ उपभोक्ता ‘’ की परिभाषा में नहीं आता क्योंकि उसका वि|qत कनेक्शन औ|ksगिक था इस आधार पर परिवाद पोषणीय नहीं है। प्रतिवाद पत्र में अग्रेत्तर कहा गया है कि दिनांक 18/8/2006 को परिवादी का मीटर हटाया गया था। उसकी ओर 1,81,424/- रूपया बकाया है। दिनांक 18/8/2006 को मीटर उतारे जाने के समय मीटर रीडिंग सीलिंग प्रमाण पत्र बनाया गया था जिस पर परिवादी के प्रतिनिधि ने हस्ताक्षर करने से इन्कार कर दिया था। मीटर सीलिंग प्रमाण पत्र में यह उल्लेख था कि उतारे गऐ मीटर की जॉंच 23/8/2006 को की जायेगी किन्तु परिवादी अथवा उसका कोई प्रतिनिधि मीटर परीक्षण के समय उपस्थित नहीं हुऐ। जांच किऐ जाने पर मीटर की सीलें टैम्पर्ड पाई गई और मीटर की वाडी के अन्दर दो फेस शन्ट द्वारा जुड़े हुऐ पाऐ गऐ। इस प्रकार परिवादी चोरी से बिजली का प्रयोग कर रहा था। निरीक्षण आख्या और बिजली चोरी के आधार पर परिवादी के विरूद्ध 1,33,699/-रूपया का एसिस्मेंट हुआ उसके अलावा परिवादी के विरूद्ध वि|qत के बकाया, पी0डी0फीस तथा सरचार्ज आदि मिलाकर कुल 1,81,424/- रूपया की देनदारी निकली जिसे परिवादी अदा करने का उत्तरदाई है। परिवादी को स्थाई विच्छेदन का कार्यालय ज्ञापन दिनांक 13/1/2007 को जारी किया गया था किन्तु परिवादी ने उक्त धनराशि जमा नहीं की। प्रतिवाद पत्र में अग्रेत्तर कहा गया है कि फोरम को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है। उपरोक्त कथनों के आधार पर परिवाद को सव्यय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की गई है।
- प्रतिवाद पत्र के साथ परिवादी को भेजे गऐ कार्यालय ज्ञापन संख्या-152 दिनांकित 13/1/2007, एसिस्मेन्ट की गणना तथा दिनांक 18/8/2006 को मीटर उतारे जाते समय तैयार किऐ गऐ मीटर सीलिंग सर्टिफिकेट की फोटो प्रतियों को संलग्नक-1 लगायत संलग्नक-3 के रूप में दाखिल किया गया है, यह संलग्नक पत्रावली के कागज सं0-16/9 लगायत 16/11 हैं।
- परिवादी ने अपना साक्ष्य शपथ पत्र कागज संख्या-18/1 लगायत 18/6 दाखिल किया।
- विपक्षी की ओर से वि|qत विभाग के अधिशासी अभ्यिन्ता श्री अनूप कुमार वर्मा का साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-20/1 लगायत 20/8 दाखिल हुआ जिसके साथ मीटर सीलिंग सर्टिफिकेट दिनांक 18/8/2006, एसिस्मेन्ट की गणना तथा कार्यालय ज्ञापन दिनांकित 13/1/2007 की फोटो प्रतियों को बतौर संलग्नक दाखिल किया गया, यह संलग्नक पत्रावली के कागज सं0-20/10 लगायत 20/12 हैं।
- परिवादी ने अतिरिक्त साक्ष्य शपथ पत्र कागज संख्या-21/1 लगायत 21/4 दाखिल किया।
- किसी भी पक्ष ने लिखित बहस दाखिल नहीं की।
- हमने पक्षकारों के विद्वान अधिवक्तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया।
- परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने परिवाद कथनों पर बल देते हुऐ तर्क दिया कि परिवादी का वि|qत कनेक्शन विच्छेदित हो जाने के बावजूद परिवादी से 1,75,000/- रूपया बकाया राशि की मांग की गई जो बिल्कुल गलत है। इस मांग को निरस्त किया जाना आवश्यक है। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने संशोधन द्वारा परिवाद में जोड़े गऐ पैरा सं0-2 (अ), 2 (ब) और 2 (स) की ओर हमारा ध्यान आकर्षित किया और कहा कि दिनांक 18/8/2006 को विपक्षीगण के कर्मचारियों ने उसकी पत्नी की उपस्थिति में उसका मीटर उतारा था किन्तु मौके पर कोई सीलिंग सर्टिफिकेट न तो बनाया गया और न ही उसकी कापी परिवादी की पत्नी को दी गई। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का यह भी कथन है कि उतारे गऐ मीटर की परीक्षण रिपोर्ट में परिवादी द्वारा चोरी से बिजली का प्रयोग किया जाना गलत और फर्जी दर्शाया गया है। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष स्वीकार किऐ जाने की प्रार्थना की।
- विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता ने प्रत्युत्तर में कहा कि परिवादी का वि|qत कनेक्शन एल0एम0वी0-6 श्रेणी का है उसे औ|ksगिक कार्य हेतु परिवादी ने लिया था अत: उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2 (1) (डी) के अनुसार परिवादी ‘’ उपभोक्ता ‘’ नहीं है। उन्होंने मीटर सीलिंग सर्टिफिकेट कागज सं0-20/10 की ओर हमारा ध्यान आकर्षित किया और तर्क दिया कि दिनांक 18/8/2006 को जब परिवादी के परिसर से बिजली का मीटर उतारा गया तब यह सीलिंग सर्टिफिकेट मौके पर ही बनाया गया था और इसकी नकल परिवादी की पत्नी ने लेने से इन्कार कर दिया था। विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता का यह भी कथन है कि सीलिंग सर्टिफिकेट में यह स्पष्ट उल्लेख है कि उतारे गऐ मीटर की जांच दिनांक 23/8/2006 को होगी। उनके अनुसार नियत तिथि पर जब मीटर की जांच की गई तो मीटर की सील टैम्पर्ड पाई गई और मीटर के अन्दर बिजली चोरी हेत शन्ट लगा हुआ पाया गया। चोरी के आधार पर वि|qत अधिनियम की धारा 126 के अधीन असिस्मेंट किया गया जिसके आधार पर परिवादी के विरूद्ध पिछले एरियर जोड़ते हुऐ 1,81,424/- रूपया का निर्धारण हुआ। कार्यालय ज्ञापन जारी होने के बावजूद परिवादी ने यह धनराशि अदा नहीं की। विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता के अनुसार चॅूंकि यह मामला चोरी से वि|qत उपभोग के राजस्व निर्धारण का है अत: इस दृष्टि से भी फोरम के समक्ष परिवाद पोषणीय नहीं है उन्होंने परिवाद को खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की। हम विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता के तर्कों से सहमत हैं।
- मीटर सीलिंग सर्टिफिकेट की नकल कागज सं0-20/10 के अवलोकन से प्रकट है कि परिवादी का वि|qत कनेक्शन 6.70 हार्स पावर क्षमता का था और इसकी श्रेणी एल0एम0वी0-6 थी। परिवाद के पैरा सं0-2 में परिवादी ने स्वयं यह उल्लेख किया है कि इस कनेक्शन से वह पालिश की मशीनें चलाता था। इस प्रकार यह प्रमाणित है कि वि|qत कनेक्शन औ|ksगिक श्रेणी का था और इसका कामर्शियल इस्तेमाल किया जा रहा था। IV 2015 सी0पी0जे0 पृष्ठ-368, चन्द्रकान्त अन्नाराव ढ़ावले बनाम एम0जी0वी0सी0एल0 बड़ौदा के मामले में मा0 राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, नई दिल्ली द्वारा यह व्यवस्था दी गई कि यदि वि|qत कनेक्शन कामर्शियल परपज के लिऐ लिया गया हो तो ऐसे कनेक्शन के वि|qत बिलों का विवाद कन्ज्यूमर डिस्प्यूट नहीं है और ऐसा विवाद जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष पोषणीय नहीं है। मा0 राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, नई दिल्ली की इस विधि व्यवस्था के दृष्टिगत वर्तमान परिवाद इस फोरम के समक्ष पोषणीय नहीं है।
- परिवाद के पैरा सं0-2 (स) में परिवादी ने स्वयं यह स्वीकार किया है कि दिनांक 18/8/2006 को जब परिवादी का मीटर उतारा गया तो मौके पर उसकी पत्नी मौजूद थी। सीलिंग सर्टिफिकेट कागज सं0-20/10 के अवलोकन से प्रकट है कि परिवादी की ओर से मौके पर उपस्थित प्रतिनिधि ने सीलिंग सर्टिफिकेट की नकल लेने से इन्कार कर दिया था। प्रकट है कि यह इन्कारी कदाचित परिवादी की पत्नी द्वारा की गई थी ऐसी दशा में परिवादी का यह कथन कि उतारे गऐ मीटर की जांच हेतु सीलिंग सर्टिफिकेट में निर्धारित तिथि का उसे ज्ञान नहीं था स्वीकार किऐ जाने योग्य नहीं है। सीलिंग सर्टिफिकेट के अनुसार उतारा गया मीटर जांच में टैम्पर्ड पाया गया और यह भी पाया गया कि मीटर के अन्दर बिजली चोरी हेतु शन्ट लगा हुआ था। बिजली चोरी के आधार पर वि|qत अधिनियम की धारा 126 के अधीन परिवादी के विरूद्ध राजस्व निर्धारण हुआ है जिसके आधार पर परिवादी को कार्यालय ज्ञापन सं0-152 दिनांकित 13/1/2007 जारी हुआ था किन्तु परिवादी ने मांगी गई धनराशि का भुगतान नहीं किया।
- ए.आई.आर.2013 सुप्रीम कोर्ट पृष्ठ-2766, यू0पी0 पावर कारपोरेशन लिमिटेड बनाम अनीस अहमद के मामले में मा0 सर्वोच्च न्यायालय ने निम्न व्यवस्था दी है:- A “ complaint ” against the assessment made by assessing officer under Section 126 or against the offences committed under Sections 135 to 140 of the Electricity Act, 2003 is not maintainable before a Consumer Forum.”
- मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनीस अहमद के उपरोक्त मामले में दी गई विधि व्यवस्था के दृष्टिगत भी यह परिवाद जिला फोरम के समक्ष पोषणीय नहीं है।
- उपरोक्त विवेचना के आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुँचे है कि परिवाद खारिज होने योग्य है।
आदेश परिवाद खारिज किया जाता है। (श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन) सामान्य सदस्य सदस्य अध्यक्ष - 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
26.04.2016 26.04.2016 26.04.2016 हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 26.04.2016 को खुले फोरम में हस्ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया। (श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन) सामान्य सदस्य सदस्य अध्यक्ष - 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
26.04.2016 26.04.2016 26.04.2016 | |