ORDER | द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्यक्ष - इस परिवाद के माध्यम परिवादी ने अनुरोध किया है कि विपक्षी सं0-1 व 2 को आदेशित किया जाऐ कि वे दिनांक 06/08/2004 के बाद की अवधि की कोई वसूली न करें और दिनांक 06/08/2004 तक की अवधि का परिवादी के कनेक्शन का कार्यालय ज्ञापन/ अन्तिम बिल जारी करें। क्षतिपूर्ति की मद में 10,000/- रूपया और परिवाद व्यय परिवादी ने अतिरिक्त मांगा है।
- संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी का 2 किलोवाट भार का घरेलू विधुत कनेक्शन सं0- 2704/097408 स्वीकृत है। समस्त बिलों का उसने नियमानुसार भुगतान किया है। परिवादी मौ0 भदौरा, जिला मुरादाबाद स्थित जिस मकान में रहता था उसे वह खरीदना चाहता था, किन्तु अपरिहार्य कारणों से परिवादी मकान नहीं खरीद सका, अत: वर्ष 2000 में उसने वह मकान छोड़ दिया। माह जून,2004 में विपक्षी सं0-2 से परिवादी ने अनुरोध किया कि परिवादी ने उक्त मकान छोड़ दिया है इस पर विपक्षी सं0-2 ने परिवादी को निर्देशित किया कि वह समस्त बकाया राशि जमा करे। जून, 2004 में परिवादी ने 440/- रूपये विपक्षी सं0-2 के कार्यालय में जमा कराकर कनेक्शन को स्थाई रूप से विच्छेदित करने का अनुरोध किया, इस पर परिवादी से शपथ पत्र देने को कहा गया। परिवादी ने दिनांक 05/08/2004 को अपना शपथ पत्र दे दिया। परिवादी द्वारा बकाया धनराशि जमा देने और शपथ पत्र प्रस्तुत कर देने के बाद विपक्षी सं0-2 ने दिनांक 06/08/2004 को परिवादी का कनेक्शन विच्छेदित कर दिया। विपक्षी सं0-2 को चाहिऐ था कि वह विच्छेदन रिपोर्ट तैयार कर अन्तिम बिल परिवादी को उपलब्ध कराते, किन्तु सैकड़ो चक्कर लगाने के बावजूद भी उन्होंने कार्यालय ज्ञापन जारी नहीं किया। परिवादी दिनांक 25/06/2010 को विपक्षी सं0-2 के कार्यालय में गया तो उसे पता चला कि उसके मकान में लगा कनेक्शन किसी राज कुमारी पत्नी राज कुमार निवासी मौ0 चौक भदौरा, मुरादाबाद के घर पर लगा हुआ है और इसी कारण परिवादी को अन्तिम बिल/ कार्यालय ज्ञापन जारी नहीं हुआ। विपक्षीगण परिवादी को कार्यालय ज्ञापन जारी नहीं कर रहें हैं, अत: उसे यह परिवाद योजित करने की आवश्यकता हुई। उसने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाऐ जाने की प्रार्थना की।
- विपक्षीगण सं0-1 व 2 की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-12/1 लगायत 12/6 दाखिल किया गया जिसमें ग्राम भदौरा जिला मुरादाबाद में परिवादी के नाम एक घरेलू विधुत कनेक्शन होना तो स्वीकार किया है, किन्तु शेष परिवाद कथनों से इन्कार किया गया है। विशेष कथनों में कहा गया है कि परिवादी का यह कहना कि वर्ष 2004 में उसने स्थाई विच्छेदन का अनुरोध किया था, असत्य है। परिवादी ने यह भी स्पष्ट नहीं किया है कि उसके मकान पर जो मीटर लगा था वह कहॉं गया। उसने मीटर सीलिंग का कोई प्रमाण पत्र भी दाखिल नहीं किया। विपक्षीगण सं0-1 व 2 की ओर से अग्रेत्तर कहा गया कि परिवादी का यह कथन असत्य है कि उसका विधुत कनेक्शन दिनांक 06/08/2004 को विच्छेदित हुआ था, परिवाद कालबाधित है। विपक्षी सं0-1 व 2 के अनुसार परिवाद के पैरा सं0-1 में उल्लिखित कनेक्शन के सम्बन्ध में जॉंच करने पर जॉंच समिति ने रिपोर्ट दी जिसके आधार पर पाया गया कि कनेक्शन दिनांक 10/06/2007 को विच्छेदित हुआ था। परिवादी के विरूद्ध 14,697/- रूपया देय निकलते हैं जिसका परिवादी ने भुगतान नहीं किया और भुगतान से बचने के लिए उसने असत्य कथनों के आधार पर यह परिवाद योजित किया है।
- विपक्षी सं0-3 पर रजिस्ट्री डाक से तामीला पर्याप्त हुई, किन्तु वह उपस्थित नहीं हुई।
- परिवादी ने सूची कागज सं0-3/6 के माध्यम से बिल दिनांक 31/05/2004 अंकन 312/- रूपये जमा करने की रसीद, विपक्षी सं0-3 श्रीमती राज कुमारी के शपथ पत्र और अपने शपथ पत्र की नकलों को दाखिल किया, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-3/7 लगायत 3/9 हैं।
- परिवादी ने अपना साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-13/1 लगायत13/2 दाखिल किया। विपक्षी सं0-1 व 2 की ओर से अधिशासी अभियन्ता श्री अनूप कुमार वर्मा का साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-14/1 लगायत 14/5 प्रस्तुत किया गया जिसके साथ परिवादी के विरूद्ध जारी 14,697/- रूपये के कार्यालय ज्ञापन और स्थाई विच्छेदन के सन्दर्भ में समिति की रिपोर्ट की नकलों को दाखिल किया गया है, यह प्रपत्र क्रमश: कागज सं0-14/7 व 14/8 हैं।
- किसी भी पक्ष ने लिखित बहस दाखिल नहीं की।
- हमने परिवादी और विपक्षी सं0-1 व 2 के विद्वान अधिवक्तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया। विपक्षी सं0-3 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुऐ।
- परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने शपथ पत्र की नकल कागज सं0- 3/9 की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करते हुऐ कथन किया कि दिनांक 06/08/2004 से परिवादी का कनेक्शन विच्छेदित हो चुका है अत: दिनांक 06/08/2004 के बाद की अवधि के विधुत बिलों की धनराशि अदा करने का वह उत्तरदायी नहीं है। प्रत्युत्तर में विपक्षी सं0-1 व 2 के विद्वान अधिवक्ता ने समिति की रिपोर्ट दिनांकित 26/04/2011 (कागज सं0-14/8) को इंगित किया और तर्क दिया कि समिति की रिपोर्ट के आधार पर विच्छेदन तिथि 10/06/2007 मानते हुऐ परिवादी को कार्यालय ज्ञापन कागज सं0-14/7 जारी किया गया था जिसके अनुसार परिवादी की और 14,697/- रूपया बकाया था जो उससे मांगा गया, किन्तु परिवादी ने उसे जमा नहीं किया। विधुत विभाग के विद्वान अधिवक्ता के अनुसार धनराशि अदा करने से बचने के लिए परिवादी ने यह झूठा परिवाद योजित किया है।
- प्रत्युत्तर में परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने विधुत विभाग की ओर से दिऐ गऐ इस तर्क पर घोर आपत्ति उठाई कि परिवाद असत्य कथनों के आधार पर आधारित है। हमने पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया। विधुत विभाग द्वारा गठित समिति की रिपोर्ट कागज सं0-14/8 महत्वूपर्ण है। समिति ने परिवादी के परिसर की जॉंच दिनांक 26/04/20011 को की थी। मौके पर पूछताछ एवं जॉंच में समिति ने यह पाया कि परिवादी का कनेक्शन वर्षों से विच्छेदित है और इस कनेक्शन द्वारा वर्षों से विधुत का प्रयोग नहीं किया गया है। विधुत कनेक्शन कब से विच्छेदित है इस बाबत समिति ने कोई तिथि निष्कर्षित नहीं की। विधुत विभाग द्वारा जारी कार्यालय ज्ञापन कागज सं0-14/7 में क्रमांक-4 पर विच्छेदन की तिथि समिति की रिपोर्ट के आधार पर दिनांक 10/06/2007 दर्शाई गई है। कार्यालय ज्ञापन कागज सं0-14/7 में क्रमांक-5 पर सर्विस लाइन/ मीटर हटाने की तिथि 26/04/2011 अंकित है। रिपोर्ट के अनुसार जॉंच के समय मौके पर केबिल /मीटर इत्यादि नहीं थे। जब मौके पर केबिल/ मीटर इत्यादि थे ही नहीं तो कार्यालय ज्ञापन में सर्विस लाइन/मीटर हटाने की तिथि 26/04/2011 कैसे लिख दी गई इसका कोई स्पष्टीकरण विधुत विभाग की ओर से नहीं आया है। कार्यालय ज्ञापन मनमाने तरीके से तैयार किया जाना प्रतीत होता है।
- परिवादी के शपथ पत्र की नकल कागज सं0-3/9 के अवलोकन से प्रकट है कि यह शपथ पत्र परिवादी ने विधुत विभाग के अधिशासी अभियन्ता को सम्बोधित किया है और यह शपथ पत्र दिनांक 05/08/2004 का है। इस शपथ पत्र में उसने परिवाद के पैरा सं0-1 में उल्लिखित अपने विधुत कनेक्शन को स्थायी रूप से विच्छेदित करने का अनुरोध किया है। यधपि विपक्षी के साक्षी श्री अनूप कुमार वर्मा अधिशासी अभियन्ता ने परिवादी का यह शपथ पत्र फर्जी होना कहा है, किन्तु हमारे मत में विधुत विभाग की चैकिंग रिपोर्ट कागज सं0-14/8 में उल्लिखित तथ्यों के दृष्टिगत परिवादी के शपथ पत्र कागज सं0-3/9 को फर्जी होना नहीं कहा जा सकता। परिवादी ने अपने साक्ष्य शपथ पत्र के पैरा सं0-5 में विधुत विभाग को यह चुनौती देकर कि जब उसका शपथ पत्र फर्जी कहा जा रहा है तो उसके विरूद्ध विधुत विभाग पुलिस में रिपोर्ट क्यों नहीं दर्ज कराता, अपने शपथ पत्र की सत्यता का समर्थन किया है। परिवादी ने अपने साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-13/1 ता 13/2 में यधपि यह कहा है कि उसका कनेक्शन दिनांक 06/08/2004 से विच्छेदित है, किन्तु हमारे अभिमत में कनेक्शन विच्छेदित करने के अनुरोध की तिथि को सामान्यत: कनेक्शन विच्छेदित नहीं होता बल्कि विभागीय प्रक्रिया में निश्चित रूप से कुछ समय अवश्य लगता है। हम परिवादी के विधुत कनेक्शन की स्थाई विच्छेदन की तिथि दिनांक 31/08/2004 निर्धारित करते हैं।
- उपरोक्त विवेचना से हम इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि परिवादी को जारी कार्यालय ज्ञापन कागज सं0-14/7 निरस्त होने योग्य है। दिनांक 31/08/2004 को स्थाई विच्छेदन की तिथि मानते हुऐ परिवादी को दिनांक 31/08/2004 तक की अवधि के लिए नये सिरे से कार्यालय ज्ञापन जारी किया जाना न्यायोचित दिखाई देता है।
- जहॉं तक विधुत विभाग की इस आपत्ति का प्रश्न है कि वर्तमान परिवाद टाइम वार्ड है, हम इस तर्क से सहमत नहीं हैं। विपक्षी के साक्षी श्री अनूप कुमार वर्मा के साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-14/1 ता 14/6 के पैरा सं0-9 के अवलोकन से प्रकट है कि परिवादी को जारी कार्यालय ज्ञापन दिनांक 26/04/20011 को स्थाई विच्छेदन तिथि मानते हुऐ तदानुसार किऐ गऐ आंगणन के आधार पर तैयार हुआ है। परिवाद वर्ष 2010 में योजित हुआ था कहने का आशय यह है कि जिस समय परिवाद योजित हुआ तब तक विधुत विभाग ने परिवादी का प्रकरण फाइनल नहीं किया था और वह लम्बित था। इस दृष्टि से परिवाद को टाइम वार्ड नहीं माना जा सकता।
- उपरोक्त विवेचना के आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुँचे है कि दिनांक 31/08/2004 स्थाई विच्छेदन की तिथि मानते हुऐ उक्त तिथि तक का कार्यालय ज्ञापन परिवादी को जारी किया जाऐ और पत्रावली में अवस्थित कार्यालय ज्ञापन कागज सं0-14/7 निरस्त होने योग्य है। दिनांक 31/08/2004 के बाद की अवधि का कोई बिल देने का परिवादी उत्तरदायी नहीं होगा।
परिवादी को जारी कार्यालय ज्ञापन जो पत्रावली का कागज सं0-14/7 है, निरस्त किया जाता है। परिवादी के कनेक्शन का स्थाई विच्छेदन दिनांक 31/08/2004 मानते हुऐ परिवादी को एक माह में नये सिरे से कार्यालय ज्ञापन जारी किया जाये। दिनांक 31/08/2004 के बाद की अवधि का कोई बिल अदा करने का परिवादी उत्तरदायी नहीं होगा। परिवाद तदानुसार सव्यय स्वीकार किया जाता है। परिवादी विपक्षी सं0-1 व 2 से परिवाद व्यय की मद में 2,500/- (दो हजार पाँच सौ रूपये) अतिरिक्त पाने का अधिकारी होगा। (श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन) सदस्य सदस्य अध्यक्ष - 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
12.08.2015 12.08.2015 12.08.2015 हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 12.08.2015 को खुले फोरम में हस्ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया। (श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन) सदस्य सदस्य अध्यक्ष - 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
12.08.2015 12.08.2015 12.08.2015 | |