द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्यक्ष
- इस परिवाद के माध्यम से परिवादी ने यह अनुरोध किया है कि विपक्षीगण को आदेशित किया जाय कि परिवादी को वह परिवाद के पैरा संख्या-1 में उल्लिखित कनेक्शन के सम्बन्ध में प्रतिमाह आयी यूनिटों के आधार पर वि|qत बिल प्रेषित करे। चेकिंग रिपोर्ट दिनांक 23/8/2014 और उसके आधार पर किऐ गऐ असिस्मेंट अंकन 1,32,932/-रूपये को निरस्त किऐ जाने तथा इस असिस्मेंट के आधार पर बाद के बिलों में मांगी जा रही लेट पेमेन्ट सरचार्ज की धनराशि को भी परिवादी ने वापिस किऐ जाने की मांग की है।
- संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी के दादा श्री शिव नारायण गुप्ता के नाम से सिविल लाइन्स, मुरादाबाद में साढ़े सात किलोवाट क्षमता का एक घरेलू वि|qत कनेक्शन संख्या- 120422913121/7319 है। दादा का स्वर्गवास होने के उपरान्त परिवादी द्वारा उक्त कनेक्शन का उपयोग किया जा रहा है। उक्त कनेक्शन के सम्बन्ध में वि|qत बिलों का परिवादी नियमानुसार लगातार भुगतान कर रहा है। माह अक्टूबर, 2014 का वि|qत बिल 3200/-रूपया का परिवादी को प्राप्त हुआ था जो उसने तत्काल जमा करा दिया। अगले माह अर्थात् माह नवम्बर, 2014 का परिवादी को 2899/- रूपया का बिल प्राप्त हुआ जब इस बिल को जमा कराने के लिए परिवादी विपक्षीगण के कार्यालय में गया तो सम्बन्धित क्लर्क ने बिल पर हाथ से ‘’ असिस्मेंट रूपया 1,32,932/- ‘’ अंकित कर कुल धनराशि 1,35,831/- रूपया की मांग की। परिवादी ने प्रत्यावेदन दिनांक 16/12/2014 के माध्यम से इस आशय का अनुरोध विपक्षीगण से किया कि परिवादी को अवगत कराया जाऐ कि किन कारणों से 1,35,831/- रूपये की मांग उससे की जा रही है। विपक्षी सं0-2 के कार्यालय में परिवादी के प्रार्थना पत्र को प्राप्त कर लिया गया किन्तु उसका निस्तारण नहीं किया गया। परिवादी के अनुसार दिनांक 18/12/2014 को वि|qत विभाग का एक कर्मचारी परिवादी का कनेक्शन काटने के लिए आया तो परिवादी ने उससे अनुरोध किया कि बिल दिनांकित 22/11/2014 में वर्णित धनराशि अंकन 2899/- रूपया उससे जमा करा ली जाऐ। शेष धनराशि के सम्बन्ध में परिवादी को स्पष्ट विवरण दिया जाऐ तो इस पर विपक्षी सं0-2 ने कोई मदद करने से इन्कार कर दिया। परिवादी के अनुसार दिनांक 23/8/2014 से पूर्व एक वर्ष में परिवादी को जो वि|qत बिल भेजे गऐ थे उनमें स्वीकृत भार से अधिक भार की पेनल्टी जोड़ी गई थी और उसका भुगतान परिवादी ने लगातार किया। अब स्वीकृत भार से अधिक भार के लिए विपक्षीगण की ओर से पेनल्टी नहीं लगाई जा सकती क्योंकि ऐसा करना भारत के संविधान के अनुच्छेद-22 का उल्लंघन है। परिवादी का यह भी कथन है कि कनेक्शन का केवल घरेलू उपयोग किया जा रहा है, कभी भी इसका वाणिज्यिक उपभोग नहीं किया गया। परिवादी ने यह कहते हुऐ कि विपक्षीगण के कृत्यों से उसे अत्याधिक मानसिक कष्ट एवं आर्थिक हानि हुई है, परिवाद में अनुरोधित अनुतोष स्वीकार किऐ जाने की प्रार्थना की।
- परिवाद कथनों के समर्थन में परिवादी ने अपना शपथ पत्र कागज सं0-3/4 लगायत 3/5 दाखिल किया। परिवाद के साथ सूची कागज सं0-3/7 के माध्यम से माह अक्टूवर, 2014 का बिल अंकन 3207/- रूपया, इस बिल में मांगी गई धनराशि जमा करने की रसीद, माह नवम्बर, 2014 का बिल अंकन 2899/- रूपया 47 पैसा जिस पर ‘’ असिस्मेंट अंकन 1,32,932/- रूपया ’’ हाथ से लिखा हुआ है मूल रूप में तथा परिवाद पत्र के पैरा सं0-4 में उल्लिखित प्रत्यावेदन दिनांकित 16/12/2014 की नकल और प्रत्यावेदन डाक से भेजे जाने की डाकखाने की रसीद दाखिल की गई है, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-3/8 लगायत 3/11 हैं।
- विपक्षीगण की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-6/1 लगायत 6/5 दाखिल किया गया जिसमें परिवाद के पैरा सं0-1 में उल्लिखित साढ़े सात किलोवाट का घरेलू कनेक्शन श्री शिव नारायण गुप्ता के नाम होना तो स्वीकार किया गया, किन्तु शेष परिवाद कथनों से इन्कार करते हुऐ कहा गया है कि परिवादी को कोई वाद हेतुक उत्पन्न नहीं हुआ तथा परिवाद में लगाऐ गऐ आरोप बेबुनियाद और निराधार हैं, विपक्षीगण ने सेवा में कोई कमी नहीं की। विशेष कथनों में कहा गया है कि मूल उपभोक्ता श्री शिव नारायण गुप्ता की मृत्यु हो चुकी है, किन्तु उसकी कोई सूचना वि|qत विभाग को नहीं दी गई, परिवादी उत्तरदाता विपक्षीगण का उपभोक्ता नहीं है। प्रतिवाद पत्र में अग्रेत्तर कथन किया गया कि दिनांक 23/8/2014 को वि|qत विभाग के निरीक्षण अधिकारी द्वारा परिवादी के परिसर में लगे वि|qत कनेक्शन की चेकिंग की गई जिसमें वि|qत कनेक्शन पर निर्धारित वि|qत भार से अधिक वि|qत भार पाया गया। उक्त कनेक्शन घरेलू (एल0एम0वी0-1) में स्वीकृत है जबकि उपभोक्ता द्वारा इसका वाणिज्यिक उपयोग (एल0एम0वी0-2) में किया जा रहा था। उपभोक्ता का यह कृत्य वि|qत चोरी के अन्तर्गत आता है। चेकिंग रिपोर्ट दिनांक 23/8/2014 के आधार पर परिवादी के विरूद्ध वि|qत चोरी का राजस्व निर्धारण किया गया जिसकी परिवादी को पूर्ण जानकारी है। माह नवम्बर, 2014 के बिल में वि|qत विभाग के सम्बन्धित क्लर्क ने 23/8/2014 की चेकिंग के आधार पर किऐ गऐ राजस्व निर्धारण की धनराशि का उल्लेख किया था। इस सम्बन्ध में परिवादी द्वारा लगाया गया यह आरोप की क्लर्क ने परिवादी से 1,35,831/- रूपये की मांग की थी, असत्य है। परिवादी का यह आरोप भी असत्य है कि दिनांक 18/12/2014 को परिवादी के निवास पर बिजली विभाग का कोई कर्मचारी कनेक्शन काटने के लिए गया था। उक्त आरोप नाजायज दबाव बनाने के उद्देश्य से निरर्थक लगाऐ गऐ हैं। विपक्षीगण ने यह कहते हुऐ कि मामला वि|qत चोरी से सम्बन्धित होने के कारण फोरम को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है, परिवाद को खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की गई।
- प्रतिवाद पत्र के साथ चेकिंग रिपोर्ट दिनांक 23/8/2014 और उक्त रिपोर्ट के आधार पर परिवादी के विरूद्ध किऐ गऐ राजस्व निर्धारण की फोटो प्रतियों को बतौर संलग्नक दाखिल किया गया है, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-7/2 व 7/3 हैं।
- परिवादी द्वारा परिवाद में संशोधन किऐ गऐ। संशोधनों के जबाव में विपक्षीगण की ओर से अतिरिक्त प्रतिवाद पत्र कागज सं0-19/1 लगायत 19/2 दाखिल किया गया जिसमें परिवादी के इस आरोप से इन्कार किया गया कि परिवादी ने स्वीकृत भार से अधिक भार की पेनल्टी का भुगतान कर दिया है, बल्कि सही बात यह है कि उसने पूर्व में किऐ गऐ अपराध और चेंकिग में पाऐ गऐ स्वीकृत भार से अधिक भार की पेनल्टी का भुगतान किया है जबकि परिवादी द्वारा यह अपराध पुन: दिनांक 23/8/2014 के बाद भी किया गया है। अतिरिक्त प्रतिवाद पत्र में यह भी कहा गया कि परिवादी का यह कथन भी गलत है कि उसने वि|qत कनेक्शन का वाणिज्यिक उपभोग नहीं किया।
- परिवादी ने अपना साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-9/1 लगायत 9/8 दाखिल किया। परिवाद में संशोधन के उपरान्त परिवादी ने अतिरिक्त साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-16/1 लगायत 16/2 दाखिल किया।
- विपक्षीगण की ओर से अधिशासी अभियन्ता श्री सी0पी0 सिंह का साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-14/1 लगायत 14/2 दाखिल हुआ जिसमें चेकिंग रिपोर्ट दिनांक 23/8/2014 और उसके आधार पर किऐ गऐ राजस्व निर्धारण की नकलें बतौर संलग्नक दाखिल की गई, यह संलग्नक पत्रावली के कागज सं0-14/3 व 14/4 हैं। परिवाद में हुऐ संशोधनों के उपरान्त विपक्षीगण की ओर से अतिरिक्त साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-22 दाखिल हुआ।
- प्रत्युत्तर में परिवादी ने प्रत्युत्तर साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-23/1 लगायत 23/5 दाखिल किया।
- परिवादी ने लिखित बहस दाखिल की। विपक्षीगण की ओर से लिखित बहस दाखिल नहीं हुई।
- हमने पक्षकारों के विद्वान अधिवक्तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया।
- परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने परिवादी के साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-9/1 लगायत 9/8, परिवाद में संशोधन के उपरान्त प्रस्तुत परिवादी के अतिरिक्त साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-16/1 लगायत 16/2 तथा रिज्वांइडर शपथ पत्र कागज सं0-23/1 लगायत 23/5 की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करते हुऐ तर्क दिया कि दिनांक 23/8/2014 को उसके कनेक्शन की जो चेकिंग रिपोर्ट विपक्षीगण द्वारा तैयार की गई है वह नि:नान्त फर्जी दस्तावेज है। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता की ओर से यह भी कहा गया कि यह चेकिंग रिपोर्ट चॅूंकि फर्जी और बनावटी दस्तावेज है अत: इसके आधार पर परिवादी के विरूद्ध किया गया राजस्व निर्धारण अंकन 1,32,932/- रूपया स्थिर रहने योग्य नहीं है, उन्होंने परिवादी के साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-9/1 ता 9/8 के पैरा सं0-19 तथा रिज्वाइंडर शपथ पत्र कागज सं0-23/1 लगायत 23/5 के पैरा सं0-6 में उल्लिखित कथनों पर विशेष बल देते हुऐ चेकिंग रिपोर्ट और उसके आधार पर किऐ गऐ राजस्व निर्धारण को खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने यह भी कहा कि वि|qत का कभी भी वाणिज्यिक उपभोग नहीं किया गया।
- प्रत्युत्तर में विपक्षीगण की ओर से कहा गया कि चेकिंग रिपोर्ट सही है तथा उक्त रिपोर्ट के आधार पर परिवादी के विरूद्ध किया गया राजस्व निर्धारण नियमानुसार किया गया है जिसे निरस्त अथवा खण्डित नहीं किया जा सकता। विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता ने यह भी कहा कि प्रश्नगत वि|qत कनेक्शन घरेलू उपयोग हेतु स्वीकृत है जबकि चेकिंग के दौरान यह पाया गया कि उसका वाणिज्यिक उपभोग किया जा रहा है ऐसी दशा में मामला विशुद्धत: वि|qत चोरी का है और वि|qत चोरी के मामलों की सुनवाई का क्षेत्राधिकार फोरम को नहीं है, उन्होंने परिवाद को खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की।
- इलैक्ट्रीसिटी (अमेन्डमेंट) एक्ट, 2007 (अधिनियम सं0-26 वर्ष 2007) द्वारा अन्य के अतिरिक्त वि|qत अधिनियम की धारा-135 में संशोधन किऐ गऐ हैं। संशोधन के उपरान्त धारा-135 के सुसंगत अंश निम्नवत् हैं :-
Amendment of section 135. - In section 135 of the principal Act,-
- for sub-section (1), the following sub-sections shall be substituted, namely:-
'' (1) Whoever, dishonestly,-
(a) ……………………………………………………………….,
(b)..................................................................................................
(c)..................................................................................................
(e) uses electricity for the purpose other than for which the usage of electricity was authorised,
‘’ so as to abstract or consume or use electricity shall be punishable with imprisonment……………………………… or with both. ’’
- ए0आई0आर0 2013, सुप्रीम कोर्ट पृष्ठ-266 यू0पी0पावर कारपोरेशन लिमिटेड आदि बनाम अनीस अहमद के मामले में मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्णय के पैरा सं0-45 में अवधारित किया है कि :-
‘’ Forum cannot derive power to adjudicate a dispute in relation to assessment made under Section 126 or offences, Under Sections 135 to 140 of the Electricity Act,as the acts of indulging in ‘’ Unauthorized use of electricity ‘’ as detined Under Section 126 or committing offence under Section 135 to 140 do not tall within the meaning of ‘’ complaint ‘’ as defined under. Section 2(1)(c) of the Consumer Protection Act.1986. ’’
- मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दी गई उपरोक्त व्यवस्था के दृष्टिगत फोरम को चेकिंग रिपोर्ट तथा उक्त रिपोर्ट के आधार पर वि|qत अधिनियम की धारा-126 के अधीन किऐ गऐ राजस्व निर्धारण की वैधता के सन्दर्भ में परिवादी पक्ष द्वारा उठाई गई आपत्तियों का विनिश्चय करने का अधिकार नहीं है। अनीस अहमद की इस निर्णयज विधि में मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा यह व्यवस्था दी गई है कि वि|qत अधिनियम की धारा-126 के अधीन किऐ गऐ राजस्व निर्धारण के विरूद्ध परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार उपभोक्ता फोरम को नहीं है। उपरोक्त विधि व्यवस्था के दृष्टिगत परिवाद इस फोरम के समक्ष पोषणीय नहीं है।
- वि|qत अधिनियम, 2003 में व्यवस्था है कि धारा-126 के अधीन किऐ गऐ राजस्व निर्धारण के विरूद्ध व्यथित पक्ष को अधिनियम की धारा-126 (6)(a) में परिभाषित अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष अपील करने का अधिकार है। परिवादी ने अपने साक्ष्य शपथ पत्र के पैरा सं0-15 में स्पष्ट रूप से कहा है कि उसे राजस्व निर्धारण की सर्वप्रथम सूचना वर्तमान परिवाद की सुनवाई के दौरान हुई। राजस्व निर्धारण के नोटिस अथवा राजस्व निर्धारण की सूचना परिवादी को कब और किस रीति अथवा किस माध्यम से भेजी गई थी इस बिन्दु पर विपक्षीगण मौन हैं ऐसी दशा में परिवादी का यह कथन स्वीकार किऐ जाने योग्य है कि उसे राजस्व निर्धारण की सूचना एवं जानकारी सर्वप्रथम परिवाद की सुनवाई के दौरान हुई। राजस्व निर्धारण के नोटिस और राजस्व निर्धारण की सूचना परिवादी को भेजा जाना चूँकि प्रमाणित नहीं है अत: परिवादी राजस्व निर्धारण के विरूद्ध इलैक्ट्रीसिटी एक्ट की धारा-127 के अधीन अपील करने के अपने वैधानिक अधिकार से वंचित हुआ है और इसमें परिवादी का कोई दोष नहीं है। हमारे विनम्र अभिमत में परिवादी को राजस्व निर्धारण के विरूद्ध वि|qत अधिनियम की धारा-127 के अधीन अपील योजित करने का अवसर दिया जाना चाहिऐ।
आदेश
परिवाद खारिज किया जाता है। परिवादी को यह अधिकार दिया जाता है कि वह राजस्व निर्धारण के विरूद्ध इस निर्णय के 30 दिवस के भीतर वि|qत अधिनियम की धारा-127 के अधीन अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष अपील योजित कर सकता है। अपील योजित किऐ जाने की दशा में सक्षम प्राधिकारी द्वारा नियमानुसार उक्त अपील का सकारण और मुखरित आदेश से निस्तारण किया जायेगा।
इस निर्णय की एक प्रति मुख्य अभियन्ता, पश्चिमांचल वि|qत वितरण मुरादाबाद क्षेत्र मुरादाबाद (मझोला) को नियमानुसार आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषित की जाय।
(श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
- 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
13.06.2016 13.06.2016 13.06.2016
हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 13.06.2016 को खुले फोरम में हस्ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया।
(श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
- 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
13.06.2016 13.06.2016 13.06.2016