Uttar Pradesh

Muradabad-II

CC/140/2011

Shri R.C Mittal - Complainant(s)

Versus

P.V.V.N.L - Opp.Party(s)

21 Sep 2015

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum -II
Moradabad
 
Complaint Case No. CC/140/2011
 
1. Shri R.C Mittal
A-2 Gandhi Nagar District Moradabad
...........Complainant(s)
Versus
1. P.V.V.N.L
EED-II Moradabad
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्‍यक्ष

  1.   इस परिवाद के माध्‍यम से परिवादी ने अनुरोध किया है कि विपक्षीगण को आदेशित किया जाऐ कि वे परिवादी के विधुत कनेक्‍शन सं0-1032/095372  स्‍वीकृत भार 7 कि0वाट के सम्‍बन्‍ध में प्रतिभू राशि 2100/- रूपया समयोजित करते हुऐ विस्‍तृत विवरणयुक्‍त कार्यालय ज्ञापन जारी करे। परिवाद व्‍यय तथा  क्षतिपूर्ति की मद में 10,000/-रूपया परिवादी ने अतिरिक्‍त मांगे हैं।
  2.   संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि अपने जीवि‍कोपार्जन के उद्देश्‍य  से परिवादी ने 7 कि0वाट का एक विधुत कनेक्‍शन सं0-1032/095372 विपक्षीगण से लिया था। परिवादी विधुत बिलों का नियमानुसार भुगतान करता रहा। विपक्षी ने निरन्‍तर गलत एवं फर्जी बिल प्रेषित किये जिनको अनुरोध  के बाबवजूद विपक्षीगण ने संशोधित नहीं किया और 09/8/1999 में परिवादी का विधुत कनेक्‍शन काट दिया। परिवादी ने इसे पुर्न स्‍थापित नहीं कराया। परिवादी का  कथन है  कि 6  माह तक यदि कनेक्‍शन को पुर्नस्‍थापित नहीं कराया जाऐ तो अस्‍थाई विच्‍छेदन मानते हुऐ उपभोक्‍ता को अन्तिम बिल/ कार्यालय ज्ञापन जारी कर दिया जाना चाहिए और इसमें प्रतिभू राशि को भी समायोजित कर दिया जाना चाहिए किन्‍तु विपक्षीगण ने ऐसा नहीं किया। परिवादी का अग्रेत्‍तर कथन है कि आर0डी0एफ0 दर्शाकर 2,395/-रूपया और 5,846/- रूपये के क्रमश: विधुत बिल दिनांकित 26/7/1999 और 27/8/1999 भेजकर परिवादी से अपेक्षा की गई कि वह यह धनराशि विपक्षीगण के कार्यालय में जमा करे। परिवादी ने 2100/- रूपया प्रतिभू राशि और उस पर ब्‍याज  लगाकर अन्तिम कार्यालय ज्ञापन जारी करने का अनुरोध किया तो परिवादी को धमकी दी गई कि या तो 8,553/- रूपया जमा कर दे अन्‍यथा उसे  डिफाल्‍टर के रूप में बन्‍दी बना लिया जायेगा। मजबूरन परिवादी ने 8,553/- रूपये विपक्षी सं0-2 के कार्यालय में जमा कर दिऐ। धनराशि जमा करने के  बाद परिवादी ने पुन: अनुरोध किया कि आर0डी0एफ0 के रूप में दर्शाये गऐ  रूपयों का समायोजन कर दिया जाऐ और उसकी जमानत राशि ब्‍याज सहित समायोजित कर दी जाऐ, किन्‍तु विपक्षीगण ने इन्‍कार कर दिया। उक्‍त कथनों के आधार पर परिवादी ने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाऐ जाने की प्रार्थना की।
  3.   परिवाद के साथ परिवादी ने बिल दिनांकित 26/7/99 मुवलिंग 2,395/- रूपये, बिल दिनांकित 27/9/99 मुवलिंग 5,846/- रूपये तथा 8,553/- रूपये जमा करने की रसीद दिनांकित 25/3/2011 की फोटो प्रतियों को दाखिल किया, यह प्रपत्र कागज सं0-2/5 लगायत 2/7 हैं।
  4.   विपक्षीगण की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-5/3 लगायत 5/8  दाखिल किया गया। प्रतिवाद पत्र में 7 कि0वाट का विधुत कनेक्‍शन सं0-1032/095372 परिवादी  के परिसर में लगाया जाना और दिनांक 19/8/99  को इसे विच्‍छेदित किया जाना तो स्‍वीकार किया गया, किन्‍तु शेष परिवाद कथनों से इन्‍कार किया गया। प्रतिवाद पत्र में अग्रेत्‍तर कथन किया गया कि  दिनांक 20/9/2000 को परिवादी के उपरोक्‍त विधुत कनेक्‍शन की पी0डी0 का  कार्यालय ज्ञापन जारी किया गया था जिसमें परिवादी पर अन्तिम बकाया 7,964/- रूपया था जो सरचार्ज लगाकर 8,553/- रूपया हुआ। परिवादी ने 8,553/- रूपया पी0डी0 फाइनल होने के 10 वर्ष बाद विभाग में जमा किऐ जो परिवादी की दुर्भावना को दर्शाता है। विशेष कथनों में कहा गया कि परिवादी  के यह कथन मिथ्‍या हैं कि उसे गलत बिल जारी किऐ गऐ बल्कि सही बात यह है कि परिवादी को सही बिल जारी किऐ गऐ, किन्‍तु उसने भुगतान में  डिफाल्‍ट किया। यहॉं तक कि पी0डी0 फाइनल होने के बाद देय धनराशि परिवादी ने 10 वर्ष बाद जमा की। सिक्‍योरिटी के सन्‍दर्भ में विपक्षीगण का  कथन है कि परिवादी ने सिक्‍योरिटी जमा करने की मूल रसीद विभाग में  प्रस्‍तुत नहीं की। यदि परिवादी मूल रसीद प्रस्‍तुत करेगा तो सिक्‍योरिटी की धनराशि को समायोजित कर दिया जाऐगा। परिवाद असत्‍य कथनों पर आधारित होना बताते हुऐ उसे सव्‍यय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की।
  5.   प्रतिवाद पत्र के साथ विपक्षीगण ने कार्यालय ज्ञापन दिनांकित 20/9/2000 तथा कैलकुलेशन का विवरण क्रमश: संलग्‍नक-1 व 2 के रूप में दाखिल किऐ। परिवादी ने अपना साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0- 4/1 लगायत 4/4 दाखिल किया जिसके साथ उसने बिल दिनांक 26/7/99 तथा बिल दिनांकित 27/9/99 और विधुत विभाग में  8,553/- रूपया जमा करने की रसीद की नकलों को संलग्‍नकों के रूप में दाखिल किया।
  6.   विपक्षीगण की ओर से अधिशासी अभियन्‍ता श्री अनूप कुमार शर्मा का साक्ष्‍य शपथ पत्र दाखिल हुआ जिसके साथ कार्यालय ज्ञापन दिनांकित 20/9/2000 तथा कार्यालय ज्ञापन की कैलकुलेशन शीट को बतौर संलग्‍न दाखिल किया गया।
  7.   किसी भी पक्ष ने लिखित बहस दाखिल नहीं की।
  8.   हमने पक्षकारों के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया।
  9.   विपक्षीगण के अधिशासी अभियन्‍ता श्री अनूप कुमार वर्मा के साक्ष्‍य  शपथ पत्र के साथ दाखिल संलग्‍नकों से प्रकट है कि परिवादी के विधुत कनेक्‍शन की पी0डी0 दिनांक 19/8/99 को की गई थी। पी0डी0 के आधार पर  परिवादी के विरूद्ध जारी कार्यालय ज्ञापन दिनांक 20/9/2000 के अनुसार परिवादी की ओर 8,553/- रूपया बकाया थे। 8,553/- रूपये की यह धनराशि परिवादी ने दिनांक 25/3/2011 को जमा की जैसा कि रसीद की नकल कागज सं0-2/7 से प्रकट है। कहने का आशय यह है कि परिवादी का विधुत कनेक्‍शन  स्‍थाई रूप से विच्‍छेदित हो चुका है और परिवादी द्वारा कार्यालय ज्ञापन के अनुसार पूरी धनराशि विधुत विभाग में जमा कर दी गयी है।
  10.   परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का कथन है कि परिवादी के 2100/- रूपया बतौर सिक्‍योरिटी विपक्षी सं0-2 के कार्यालय में जमा है जो न तो  परिवादी को वापिस किऐ गऐ और न ही अन्तिम  कार्यालय  ज्ञापन  में उसे समायोजित किया गया। परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता ने हमारा ध्‍यान  विधुत प्रदाय संहिता, 2005 के क्‍लाज 4.20 की सब क्‍लाज (एच.) की ओर आकर्षित किया जिसके अनुसार पी0डी0 होने के बाद और विधुत विभाग के समस्‍त देयों का भुगतान करने के उपरान्‍त 30 दिन में सिक्‍योरिटी राशि परिवादी को वापिस कर दी जानी चाहिए थी। इस सब क्‍लाज में यह भी  व्‍यवस्‍था है कि यदि सिक्‍योरिटी की राशि वापिस करने में 90 दिन से अधिक का विलम्‍ब होता है तो तत्‍समय लागू बैंक रेट के अनुसार सिक्‍योरिटी राशि पर परिवादी को विधुत विभाग ब्‍याज भी अदा करेगा। प्रतिवाद पत्र में  विपक्षीगण ने यह स्‍वीकार किया है कि अब भी परिवादी की सिक्‍योरिटी वापिस नहीं हुई है। इसका कारण विपक्षी ने यह बताया कि परिवादी ने सिक्‍योरिटी जमा करने की असल रसीद प्रस्‍तुत नहीं की।
  11.   विपक्षीगण ऐसा कोई प्राविधान इंगित नहीं कर पाऐ जिसके अनुसार सिक्‍योरिटी वापिसी अथवा उसके समायोजन हेतु उपभोक्‍ता को सिक्‍योरिटी जमा करने की असल रसीद प्रस्‍तुत करना आवश्‍यक हो। ऐसी दशा में हम उचित नहीं समझते कि परिवादी को असल रसीद प्रस्‍तुत  करने हेतु बाध्‍य किया जाऐ।
  12. ​ जैसा कि हमने ऊपर कहा है कि परिवादी ने कार्यालय ज्ञापन के अनुसार समस्‍त राशि दिनांक 25/3/2011 को विपक्षी के कार्यालय में कर दी थी अत: हमारे मत में परिवादी सिक्‍योरिटी की राशि 2100/- रूपया दिनांक  01/7/2011 को आगणित 9 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज सहित परिवादी को वापिस दिलाई जानी चाहिए। उक्‍त के अतिरिक्‍त परिवादी को 2,500/- (दो हजार पांच सौ रूपया केवल) परिवाद व्‍यय भी विपक्षीगण से दिलाया जाना हम न्‍यायोचित समझते हैं। तदानुसार परिवाद स्‍वीकार होने योग्‍य है।
  • दिनांक 01/7/2011 से वास्‍तविक वसूली की तिथि तक की अवधि हेतु 9 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित 2100/- (दो हजार एक सौ रूपया केवल) की वसूली हेतु विपक्षीगण के विरूद्ध, परिवादी के पक्ष में यह परिवाद सव्‍यय स्‍वीकार किया जाता है। परिवाद व्‍यय के रूप में परिवादी विपक्षीगण से

          2,500/- (दो हजार पाँच सौ रूपया) अतिरिक्‍त पाने का अधिकारी होगा। समस्‍त धनराशि का भुगतान दो माह में किया जाऐ।

 

 

    (श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)   (सुश्री अजरा खान)    (पवन कुमार जैन)

          सदस्‍य               सदस्‍य              अध्‍यक्ष

  •     0उ0फो0-।। मुरादाबाद    जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद  जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

    

  हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 21-09-2015  को खुले फोरम में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया।

 

 

     (श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)   (सुश्री अजरा खान)    (पवन कुमार जैन)

          सदस्‍य               सदस्‍य              अध्‍यक्ष

  •     0उ0फो0-।। मुरादाबाद    जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद  जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

    

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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