Final Order / Judgement | द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्यक्ष - इस परिवाद के माध्यम परिवादी ने यह उपशम मांगा है कि उसके नलकूप के वि|qत कनेक्शन के सम्बन्ध में दिनांक 25/4/1988 से पूर्व जमा की गई धनराशि को समायोजित करते हुऐ विपक्षीगण से उसे अधिभार रहित कार्यालय ज्ञापन जारी कराया जाय तथा पत्र सं0- 1222/ई0डी0डी0एम/डब्लू-2 दिनांक 19/7/2003 निरस्त किया जाय। क्षतिपूर्ति की मद में 10,000/- रूपया और परिवाद व्यय परिवादी ने अतिरिक्त मांगा है।
- संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी निजी नलकूप के लिए वि|qत कनेक्शन सं0-3505/055272 का उपभोक्ता चल आता है। यह कनेक्शन वि|qत बकाया दर्शाकर विपक्षीगण के कर्मचारियों ने दिनांक 25/4/1988 को काट दिया था। नियमानुसार छ: माह तक बिजली कनेक्शन कटे रहने की दशा में यदि उपभोक्ता द्वारा कनेक्शन को पुर्न स्थापित नहीं कराया जाय तो छ: महीने की अवधि बीतने के बाद वि|qत कनेक्शन स्थाई रूप से विच्छेदित माना जायेगा और तदानुसार कार्यालय ज्ञापन जारी होना चाहिए, किन्तु विपक्षीगण ने ऐसा नहीं किया। माह मई, 2003 में 1,19,451/- रूपये का वसूली प्रमाण पत्र लेकर अमीन साहब परिवादी के घर आये और कहा कि यदि पैसा जमा नहीं करोगे तो तुम्हें गिरफ्तार करने जेल भेज दिया जायेगा और तुम्हारी जमीन नीलाम कर दी जायेगी। दिनांक 22/5/2004 को परिवादी विपक्षी सं0-2 से मिला और उनको बताया कि वसूली कालबाधित है। विपक्षी सं0-2 ने पत्रावली मंगाकर अध्ययन किया तो पाया कि परिवादी के विरूद्ध वर्ष 2001 में वसूली प्रमाण पत्र जारी किया गया था और चेकिंग रिपोर्ट दिनांक 08/1/2002 के आधार पर परिवादी का वि|qत कनेक्शन विच्छेदित किया गया था। विपक्षी सं0-2 ने परिवादी को बताया कि यदि एकमुश्त समाधान योजना के अन्तर्गत परिवादी धनराशि जमा कर दे तो ब्याज में उसे छूट दी जा सकती है। ब्याज की छूट पाने के लिए परिवादी ने ओ0टी0एस0 स्कीम के तहत 5000/- रूपया जमा कराऐ, किन्तु ब्याज माफी से पूर्व ही दिनांक 21/7/2003 को परिवादी की कृषि भूमि नीलाम करके ब्याज सहित धनराशि वसूल कर ली गई। परिवादी के अनुसार उसका कनेक्शन दिनांक 25/4/1988 से विच्छेदित था अत: उसके बाद जारी बिल गलत हैं, किन्तु उसकी कोई सुनवाई नहीं की गई। चेकिंग रिपोर्ट के अनुसार भी उसका कनेक्शन दिनांक 08/1/2002 से विच्छेदित माना जाना चाहिए। परिवादी ने उपरोक्त कथनों के आधार पर परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाऐ जाने की प्रार्थना की।
- परिवाद के साथ परिवादी ने ओ0टी0एस0 स्कीम के तहत जमा किऐ गऐ 5000/-रूपये की रसीद, कथित बकाया की वसूली हेतु जमीन नीलामी की घोषणा, परिवादी को प्रेषित पत्र दिनांक 197/2003, चेकिंग रिपोर्ट दिनांक 08/1/2002 तथा विपक्षी सं0-2 को भेजे गऐ कानूनी नोटिस की नकल और नोटिस भेजे जाने की डाकखाने की असल रसीद को दाखिल किया गया, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-3/7 लगायत 3/12 हैं।
- विपक्षीगण की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-15/1 लगायत 15/4 दाखिल हुआ जिसमें परिवादी के इस कथन से इन्कार किया गया कि उसका कनेक्शन दिनांक 25/4/1988 को वि|qत बकाया के कारण काटा गया था बल्कि सही बात यह है कि दिनांक 08/1/2002 को विजिलेंस की चेकिंग होने पर वि|qत बकाया जमा न करने के बावजूद परिवादी बिजली का उपभोग करता हुआ पाया गया था अत: तत्काल विजिलेंस टीम ने उसका कनेक्शन विधिवत् विच्छेदित किया। प्रतिवाद पत्र में अग्रेत्तर कथन किया गया कि परिवादी के विरूद्ध यदि बकाया नहीं होता तो ओ0टी0एस0 स्कीम के अन्तर्गत छूट पाने हेतु परिवादी 5000/- रूपये की पंजीकरण राशि जमा नहीं करता। ओ0टी0एस0 स्कीम के तहत परिवादी को 1,18,391/-रूपये का बिल बनाकर दिया गया और विभागीय पत्र सं0-1222 दिनांक 19/7/2003 द्वारा परिवादी से अपेक्षा की गई कि दिनांक 04/8/2003 तक खण्ड कार्यालय में इस धनराशि को जमा कर दे, किन्तु उसने इस धनराशि को जमा नहीं किया, फलस्वरूप उसके विरूद्ध आर0सी0 जारी की गई। विपक्षीगण की ओर से यह भी कहा गया कि तहसीलदार, सम्भल को अनेकों पत्र भेजने के बावजूद भी परिवादी द्वारा तहसील में जमा की गई धनराशि का कोई विवरण विपक्षीगण को प्राप्त नहीं हुआ है जिस कारण परिवादी का वि|qत कनेक्शन के स्थाई विच्छेदन का कार्यालय ज्ञापन जारी नहीं किया जा सकता। उक्त कथनों के अतिरिक्त यह अभिकथित करते हुऐ कि फोरम को परिवाद की सुनवाई का क्षेकत्राधिकार नहीं और परिवाद कालबाधित है, परिवाद को सव्यय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की गई।
- परिवादी ने अपना साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-16/1 लगायत 16/5 दाखिल किया जिसके साथ उसने परिवाद के साथ दाखिल प्रपत्रों को बतौर संलग्नक पुन: दाखिल किया, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-16/6 लगायत 16/12 हैं।
- विपक्षीगण की ओर से वि|qत वितरण खण्ड प्रथम, मुरादाबाद के तत्कालीन अधिशासी अभियन्ता श्री सीताराम आर्य का साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-17/1 लगायत 17/5 दाखिल हुआ।
- परिवादी ने अपनी लिखित बहस दाखिल की। विपक्षीगण की ओर से लिखित बहस दाखिल नहीं हुई।
- हमने विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया। परिवादी की ओर से बहस हेतु कोई उपस्थित नहीं हुऐ।
- परिवादी ने अपने परिवाद पत्र के पैरा सं0-2 में कहा है कि उसके विरूद्ध बकाया दर्शाकर वि|qत विभाग के कर्मचारियों ने दिनांक 25/4/1988 को उसका कनेक्शन काट दिया था। विपक्षीगण की ओर से दाखिल प्रतिवाद पत्र में परिवादी के इस कथन से इन्कार किया गया है और कहा गया है कि परिवादी का कनेक्शन दिनांक 25/4/1988 को नहीं काटा गया। विपक्षीगण के अनुसार उसका कनेक्शन दिनांक 08/1/2002 को विजिलेंस टीम की रिपोर्ट के आधार पर इसलिए काटा गया कि परिवादी ने वि|qत का बकाया जमा नहीं किया और वह वि|qत का उपयोग करता हुआ पाया गया था। परिवादी की ओर से ऐसा कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया गया जिससे प्रकट हो कि दिनांक 25/4/1988 को उसका कनेक्शन विच्छेदित कर दिया गया था। इसके विपरीत विजिलेंस की चेकिंग रिपोर्ट दिनांकित 08/1/2002 जिसकी फोटो प्रति स्वयं परिवादी ने पत्रावली में दाखिल की है और जो पत्रावली का कागज सं0-3/10 है, के अनुसार परिवादी का वि|qत कनेक्शन दिनांक 08/1/2002 को काटा गया था और तत्समय परिवादी की ओर विपक्षीगण का 1,29,000/- रूपया बकाया था। परिवादी ने अपने साक्ष्य शपथ पत्र में यधपि विजिलेंस की इस चेकिंग रिपोर्ट को फर्जी होना बताया है, किन्तु परिवादी यह उल्लेख करने का साहस नहीं कर पाया कि किस आधार पर और किन कारणों से वह चेकिंग रिपार्ट दिनांक 08/1/2002 को फर्जी कह रहा है। चेकिंग रिपोर्ट विभागीय अभिलेख है जिसे परिवादी के मात्र यह कह देने पर कि यह रिपोर्ट फर्जी है, इसे फर्जी नहीं माना जा सकता। इस रिपोर्ट में यह उल्लेख है कि परिवादी का वि|qत कनेक्शन दिनांक 08/1/2002 को काटा गया।
- परिवादी ने पत्रावली में वि|qत बिल जमा करने की एक भी रसीद दाखिल नहीं की ऐसी दशा में विपक्षीगण की ओर से दिऐ गऐ इस तर्क में बल है कि परिवादी को निरन्तर बिल प्रेषित किऐ गऐ थे, किन्तु उसने अदायगी में डिफाल्ट किया।
- परिवाद के अनुसार ओ0टी0एस0 का लाभ लेने हेतु दिनांक 18/6/2003 को उसने 5000/-रूपया विपक्षीगण के कार्यालय में जमा किऐ थे। परिवादी द्वारा 5000/-रूपया जमा किऐ जाने की पुष्टि नकल रसीद कागज सं0-3/7 से होती है। विपक्षी सं0-2 के पत्र दिनांकित 19/7/2003 जो पत्रावली का कागज सं0-3/9 है, के अवलोकन से प्रकट है कि परिवादी को ओ0टी0एस0 का लाभ दिया गया था, किन्तु उसने ओ0टी0एस0 का लाभ देने के उपरान्त बनाऐ गऐ बिल अंकन 1,18,381/- रूपया को विभाग में जमा नहीं किया, फलस्वरूप उसके विरूद्ध आर0सी0 जारी हुई। आर0सी0 के सापेक्ष परिवादी की कृषि भूमि से उसकी ओर बकाया धनराशि की वसूली तहसील, सम्भल के माध्यम से हो चुकी है। इस प्रकार विपक्षी सं0-2 के पत्र सं0-1222/ई0डी0डी0एम/डब्लू-2 दिनांक 19/7/2003 का अनुपालन हो चुका है इसे निरस्त किऐ जाने का कोई औचित्य नहीं है।
- परिवादी यह प्रमाणित करने में असफल रहा है कि उसका कनेक्शन दिनांक 25/4/1988 को विच्छेदित हुआ था और तब से उसका कनेक्शन कटा हुआ है। परिवादी कोई अनुतोष पाने का अधिकारी नहीं है।
- उपरोक्त विवेचना के आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि परिवाद खारिज होने योग्य है।
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परिवाद खारिज किया जाता है। (श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन) सामान्य सदस्य सदस्य अध्यक्ष - 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
27.07.2016 27.07.2016 27.07.2016 हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 27.07.2016 को खुले फोरम में हस्ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया। (श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन) सामान्य सदस्य सदस्य अध्यक्ष - 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
27.07.2016 27.07.2016 27.07.2016 | |