ORDER | द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्यक्ष - इस परिवाद के माध्यम से परिवादी ने यह उपशम मांगा है कि उसे भेजा गया विधुत बिल मुवलिंग 54,746/- रूपया निरस्त किया जाऐ। क्षतिपूर्ति की मद में 25,000/- रूपया और परिवाद व्यय की मद में पर 5000/- परिवादी ने रूपया अतिरिक्त मांगे हैं।
- संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि एम0डी0ए0 की नया मुरादाबाद आवासीय योजना में परिवादी को एल0आई0जी0 मकान संख्या-13 एफ-122 ऐलाट हुआ था। दिनांक 07/01/2008 को इस मकान में 2 कि0वाट का विधुत कनेक्शन लेने हेतु परिवादी ने आवेदन किया। विधुत विभाग में उसने 2400/- रूपया जमा किऐ, किन्तु काफी दिनों तक परिवादी के मकान में विपक्षीगण ने न तो कनेक्शन लगाया और न ही मीटर लगाया। परिवादी उस मकान में एक भी दिन नहीं रहा। फरवरी,2013 में उसने उक्त मकान बेच दिया। सितम्बर, 2013 तक की अवधि का 54,748/- रूपया का एक बिल सं0-2233989 बनाकर विपक्षीगण ने उसे भेजा जिस पर कनेक्शन सं0-079274 अंकित थी। परिवादी के अनुसार उसे भेजा गया बिल झूठा था क्योंकि उसके मकान में न तो कनेक्शन लगाया गया था और न ही उसमें मीटर लगाया गया। परिवादी के अनुसार उसे भेजा गया बिल चॅूंकि झूठा और आधारहीन है अत: उसे परिवाद में अनुरोधित अनुतोष विपक्षीगण से दिलाऐ जाऐं ऐसा परिवादी ने अभिकथित किया।
- परिवाद के समर्थन में परिवादी ने अपना शपथ पत्र कागज सं0-3/4 दाखिल किया जिसके साथ उसने बिजली विभाग में दिनांक 07/01/2008 को जमा कराऐ गऐ 2400/- रूपया की रसीद, 54,746/- रूपये के बिल और एम0डी0ए0 द्वारा उसके पक्ष में जारी ऐलाटमेंट लेटर दिनांक 07/11/2007 की फोटो प्रतियों को दाखिल किया, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-3/5 लगायत 3/7 हैं।
- विपक्षीगण की ओर से लिखित उत्तर कागज सं0-6/1 लगायत 6/5 दाखिल हुआ जिसमें परिवादी द्वारा 2 कि0वाट के घरेलू कनेक्शन हेतु आवेदन करना तो स्वीकार किया गया है, शेष परिवाद कथनों से इन्कार किया गया। अग्रेत्तर कथन किया गया कि दिनांक 07/01/2008 को 2 कि0वाट का घरेलू कनेक्शन सं0-332/3621/079274 परिवादी को स्वीकृत हुआ था। उसके बाद परिवादी की विधुत सप्लाई चालू कर दी गई, किन्तु परिवादी का घर बन्द होने के कारण बिजली का मीटर वहॉं नहीं लग पाया। मीटर न लग पाने का परिवादी स्वयं जिम्मेदार है। विशेष कथनों में यह भी कहा गया कि विधुत कनेक्शन के सम्बन्ध में परिवादी और विधुत विभाग के मध्य हुआ एग्रीमेंट जब तक टर्मीनेटनहीं हुआ तब तक नियमानुसार परिवादी बिजली के बिलों के भुगतान का जिम्मेदार है। परिवादी को नियमित रूप से बिजली के बिल भेजे गऐ, किन्तु उसने बिलों का भुगतान नहीं किया। विपक्षीगण की ओर से अग्रेत्तर कहा गया कि दिनांक 07/01/2008 से माह फरवरी, 2010 तक परिवादी ने बिना मीटर लगे ही विधुत का उपभोग किया अत: नियमानुसार 160 यूनिट प्रतिमाह का बिल चार्ज करके उसकी पी0डी0 निस्तारित कर दी गई और माह मार्च, 2010 से माह मई, 2014 तक कम्प्यूटर द्वारा चार्ज किऐ गऐ बिलों को निरस्त कर दिया गया है। अब परिवादी की ओर अंकन 19,938/- रूपया विधुत देयों का बकाया है जिसकी अदायगी का परिवादी जिम्मेदार है। विपक्षीगण द्वारा उपरोक्त के अतिरिक्त परिवाद को टाइम वार्ड होना भी अभिकथित किया गया और परिवाद को सव्यय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की गई।
- परिवाद के साथ परिवादी ने संशोधित कार्यालय ज्ञापन दिनांक 24/03/2014 तथा उसकी कैलकुलेशन शीट की फोटो प्रति दाखिल की, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-6/7 व 6/8 हैं।
- परिवादी ने अपना साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-10/1 लगायत 10/2 दाखिल किया।
- विपक्षीगण की ओर से विधुत विभाग के अधिशासी अभियन्ता श्री विवेक अग्रवाल ने अपना साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0 11/1 लगायत 11/2 प्रस्तुत किया।
- परिवादी ने विधुत कनेक्शन हेतु किऐ गऐ आवेदन सम्बन्धी प्रपत्रों की फोटो प्रतियां भी प्रार्थना पत्र कागज सं0-14 के माध्यम से दाखिल कीं, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-15/1 लगायत 15/4 हैं।
- परिवादी ने लिखित बहस दाखिल की। विपक्षीगण की ओर से लिखित बहस दाखिल नहीं हुई।
- हमने पक्षकारों के विद्वान अधिवक्तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया।
- इस मामले में पक्षकारों के मध्य यह विवाद है कि परिवाद के पैरा सं0-1 में उल्लिखित परिवादी के घर में विपक्षीगण ने विधुत कनेक्शन चालू किया था अथवा नहीं? परिवादी का कथन है कि उसने 2 कि0वाट क्षमता के घरेलू कनेक्शन हेतु दिनांक 07/11/2007 को आवेदन तो किया था, किन्तु विपक्षीगण ने बार-बार अनुरोध के बावजूद भी न तो उसका कनेक्शन लगाया और न ही मीटर ही लगाया। इसके विपरीत विपक्षीगण ने अपने प्रतिवाद पत्र में यह स्टैण्ड लिया है कि परिवादी का विधुत कनेक्शन दिनांक 07/01/2008 को चालू कर दिया गया था, किन्तु आवास लगातार बन्द मिलने के कारण परिवादी के घर पर विधुत मीटर नहीं लगाया जा सका। विपक्षीगण की ओर से यह भी कहा गया है कि परिवादी को निरन्तर बिजली के बिल भेजे गऐ, किन्तु उसने बिलों का भुगतान नहीं किया। अब देखना यह है कि क्या विपक्षीगण यह प्रमाणित करने में सफल रहे हैं कि परिवादी के घर में विधुत कनेक्शन दिनांक 07/01/2008 को चालू हो गया था अथवा नहीं? अपने स्टैण्ड के समर्थन में विपक्षीगण ने रसीद कागज सं0-3/5 दिनांकित 07/01/2008 का अवलम्ब लिया है। विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता का कथन है कि कागज सं0-3/5 द्वारा परिवादी ने बिजली विभाग में 2400/- रूपया दिनांक 07/01/2008 को जमा किऐ थे और इसके बाद परिवादी का बिजली का कनेक्शन चालू कर दिया गया। बहस के दौरान विधुत विभाग के विद्वान अधिवक्ता के साथ विभाग के एक क्लर्क भी उपस्थित थे जब हमने विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता से यह पूछा कि परिवादी से 2400/- रूपया जमा करने की रसीद दिनांक 07/01/2008 में किस-किस मद में कितनी-कितनी धनराशि जमा कराई गई है तो हमारी जिज्ञासा का समाधान नहीं हो पाया। बिजली विभाग के लिपिक ने मात्र यह कहा कि 2400/- रूपये की यह धनराशि परिवादी ने बतौर एस्टीमेट जमा की थी। विपक्षीगण की ओर से ऐसा कोई भी प्रपत्र दाखिल नहीं किया गया जिससे प्रकट हो कि वास्तव में परिवादी के आवास में विधुत कनेक्शन विपक्षीगण ने चालू कर दिया था। 54746/- रूपये का जो बिल संख्या-2233989 (पत्रावली का कागज सं0-3/6) परिवादी को जारी हुआ था, उस बिल में न तो क्रम संख्या पड़ी हुई है न ही इस पर बुक नम्बर पड़ा है और न ही इससे यह पता चलता है कि यह बिल किस तिथि को जारी हुआ था। किसी मूल अभिलेख के अभाव में यह स्वीकार किऐ जाने योग्य नहीं है कि बिल कागज सं0-3/6 सरकारी अभिलेखों के आधार पर तैयार किया गया है। प्रतिवाद पत्र के पैरा सं0-17 में विपक्षीगण का यधपि यह कथन है कि परिवादी को नियमित रूप से बिल भेजे गऐ, किन्तु कोई विभागीय अभिलेख उक्त कथन के समर्थन में विपक्षीगण ने दाखिल नहीं किया जिससे पता चलता कि वास्तव में परिवादी को लगातार विधुत बिल भेजे गऐ थे। परिवाद पत्र के पैरा सं0-15 में परिवादी तथा विभाग के मध्य कथित रूप से हुऐ एक एग्रीमेंट का जिक्र किया गया है, किन्तु ऐसे किसी एग्रीमेंट को विपक्षीगण की ओर से दाखिल न किया जाना भी परिवादी के इस कथन को बल प्रदान करता है कि वास्तव में परिवादी के आवास में कोई विधुत कनेक्शन चालू किया ही नहीं गया था। विपक्षीगण की ओर से यह भी कहा गया है कि लगातार आवास बन्द रहने के कारण परिवादी के घर पर विधुत मीटर नहीं लग पाया। विपक्षीगण का यह कथन भी आधारहीन प्रतीत होता है। यदि परिवादी का आवास लगातार बन्द था और उसके घर पर मीटर नहीं लग पा रहा था तो विपक्षीगण से अपेक्षित था कि वे परिवादी को कोई लिखित नोटिस अथवा लिखित सूचना इस आशय की भेजते कि उसके आवास पर मीटर लगाया जाना है अत: वह अमुक तिथि पर अमुक समय अपने घर पर मौजूद रहे, किन्तु ऐसा भी नहीं किया गया है। पत्रावली में इस प्रकार कोई भी ऐसा अभिलेखीय साक्ष्य विपक्षीगण की ओर से दाखिल नहीं हुआ जिससे यह प्रमाणित हो कि वास्तव में परिवादी के आवास में बिजली का कनेक्शन लगा दिया गया था।
13 - विपक्षीगण की ओर से प्रतिवाद पत्र के पैरा सं0-28 में यधपि परिवाद को काल बाधित होना भी कहा गया है किन्तु इस कथन के समर्थन में विपक्षीगण की ओर से बहस के दौरान कोई तथ्य इंगित नहीं किया गया है। परिवादी ने बिल कागज सं0-3/6 को निरस्त करने हेतु यह परिवाद योजित किया है। यह बिल किस तिथि को जारी हुआ यह तो बिल में अंकित नहीं है किन्तु इस बिल में देय तिथि 30/09/2013 अंकित है। परिवाद दिनांक 17/10/2013 को योजित हो गया था, स्पष्ट है कि परिवाद काल बाधित नहीं है। - - उपरोक्त विवेचना के आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि परिवादी को भेजा गया बिल कागज सं0-3/6 और संशोधित कार्यालय ज्ञापन कागज सं0-6/7 बिजली विभाग ने अपने कृत्यों को छिपाने के लिए और मात्र खाना पूरी करने के लिए तैयार किऐ हैं जिनका भुगतान करने को परिवादी उत्तरदाई नहीं है। पत्रावली पर जो साक्ष्य सामग्री उपलब्ध हुई है उसके आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुँचे है कि परिवाद के पैरा सं0-1 में उल्लिखित परिवादी के आवास पर विपक्षीगण ने कभी भी बिजली कनेक्शन नहीं लगाया और न परिवादी ने कोई बिजली का उपभोग किया। तदानुसार परिवाद स्वीकार होने योग्य है। परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण द्वारा परिवादी को जारी विधुत बिल सं0-2233989 मुवलिग 54,746/- (चव्वन हजार सात सौ छियालीस रूपये) तथा कार्यालय ज्ञापन दिनांकित 24/03/2014 मुवलिग 19938/- (उन्नीस हजार नो सौ अड़तीस रूपया) निरस्त किऐ जाते हैं।
(श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन) सामान्य सदस्य सदस्य अध्यक्ष - 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
16.02.2016 16.02.2016 16.02.2016 हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 16.02.2016 को खुले फोरम में हस्ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया। (श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन) सामान्य सदस्य सदस्य अध्यक्ष - 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
16.02.2016 16.02.2016 16.02.2016 | |