ORDER | द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्यक्ष - इस परिवाद के माध्यम परिवादी ने अनुरोध किया है कि विपक्षीगण द्वारा उससे दिनांक 25/03/2009 को वसूल की गई 9,790/- रूपये की धनराशि तथा दिनांक 31/07/2009 को वसूल की गई 1,046/-रूपये की धनराशि, विपक्षीगण परिवादी को वापिस करें। परिवादी ने यह भी अनुरोध किया कि उसका विधुत कनेक्शन स्थाई रूप से विच्छेदित हुऐ पी0डी0 प्रमाण पत्र को जारी किया जाऐ और उसे जमानत की राशि भी वापिस की जाऐ।
- संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी विधुत कनेक्शन सं0- 077160, बुक सं0-4917 का उपभोक्ता है। दिनांक 28/06/2002 तक की अवधि का 4,960/-रूपये का उसे बिल प्राप्त हुआ था जिसका उसने दिनांक 25/8/2002 को भुगतान कर दिया इसके बावजूद आइंदा जो बिल परिवादी को जारी किऐ गऐ उनमें उक्त धनराशि बकाया दर्शाते हुऐ अधिभार भी जोड़ दिया गया। अनेकों प्रार्थना पत्र देने के बावजूद भी परिवादी के बिल संशोधित नहीं किऐ गऐ। अन्तत: दिनांक 31/05/2004 को जारी बिल में उक्त जमा 4,960/- रूपये की धनराशि एडजेस्ट की गई, किन्तु अधिभार समाप्त नहीं किया गया। दिनांक 25/04/2004 से 22/06/2004 तक की अवधि हेतु परिवादी को 4,247/- रूपया का बिल जारी किया गया। इसमें मांगी जा रही धनराशि पूर्व की भांति काल्पनिक थी। विभाग ने स्वयं इस धनराशि को संशोधित कर 2,356/- रूपया देय होना बताया जिसका परिवादी ने दिनांक 29/09/2004 को भुगतान कर दिया। इस प्रकार परिवादी की ओर दिनांक 22/06/2004 तक कोई बकाया देय नहीं था। इसके बावजूद दिनांक 22/06/2004 से 25/08/2004 तक की अवधि हेतु परिवादी को 4,535/- रूपया का बिल प्रेषित कर दिया गया। इसमें परिवादी द्वारा पूर्व में जमा की गई धनराशि को समायोजित नहीं किया गया। बाद में विपक्षीगण ने दिनांक 25/08/2004 से 25/10/2004 की अवधि हेतु जो बिल प्रेषित किया उसमें 2,408/- रूपये की आधारहीन गणना दर्शा दी गई। पेरशान होकर परिवादी ने दिनांक 25/06/2004 को अपना विधुत कनेक्शन विच्छेदित करने हेतु आवेदन किया, किन्तु निरन्तर अनुरोध के बावजूद परिवादी की पी0डी0 नहीं की गई और जमानत राशि भी वापिस नहीं की जा रही है। दिनांक 12/01/2009 10,761/- रूपये का एक बिल परिवादी को जारी किया गया, जो सर्वथा गलत है। दिनांक 22/08/2009 के बिल में भी 2,349/- रूपये की राशि देय होना दर्शाया गया वो भी गलत है। परिवादी ने अग्रेत्तर कथन किया कि दिनांक 07/02/2009 को प्रेषित नोटिस द्वारा उसने विपक्षीगण को एक सप्ताह के अन्दर पी0डी0 करने और अदेयता प्रमाण पत्र जारी करने तथा दिनांक 19/01/2009 की तिथि के बिल को निरस्त किऐ जाने का अनुरोध किया, किन्तु विपक्षीगण ने कोई सुनवाई नहीं की और इसके बावजूद परिवादी से 9,790/- रूपये की धनराशि वसूल कर ली जिसका उन्हें कोई अधिकार नहीं था। परिवादी ने उक्त कथनों के आधार पर परिवाद में अनुरोधित अनुतोष स्वीकार किऐ जाने की प्रार्थना की।
- परिवाद के साथ परिवादी ने बिल दिनांक 23/07/2002, बिल दिनांक 31/05/2004, बिल दिनांक 29/07/2004, बिल दिनांक 28/09/2004, बिल दिनांक 19/11/2004, पी0डी0 हेतु डाक से भेजे गऐ प्रार्थना पत्र दिनांकित 25/06/2004, इस पत्र को भेजे जाने की रसीद, बिल दिनांक 19/01/2009, बिल दिनांक 22/08/2009 तथा विपक्षीगण को भेजे गऐ कानूनी नोटिस दिनांकित 07/02/2009, इसे भेजे जाने की रसीद, ओ0टी0एस0 स्कीम में जमा कराऐ गऐ 9,790/- रूपये और 300/- रूपये की रसीदें, बिल दिनांक 21/07/2009 की नकलों को दाखिल किया गया है।
- विपक्षीगण की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-7/1 लगायत 7/4 दाखिल हुआ जिसमें परिवाद के पैरा सं0-1 में उल्लिखित विधुत कनेक्शन तथा दिनांक 25/08/2002 को परिवादी द्वारा 4,960/- रूपये की धनराशि जमा किय जाना तो स्वीकार किया गया है, किन्तु शेष कथनों से इन्कार किया गया। अग्रेत्तर कथनों में कहा गया कि जून, 2002 के बिल में 4,960/- रूपये की धनराशि परिवादी ने अमरोहा डिविजन में देय तिथि के बाद जमा की थी जो माह जून, 2004 में समायोजित हुई। परिवादी ने समायोजन के उपरान्त 4,247/- रूपया के स्थान पर 2,356/- रूपया देय तिथि के बाद जमा किऐ जिस कारण सरचार्ज आगे वाले बिलों में लगा इसके लिए परिवादी स्वयं जिम्मेदार है। प्रतिवाद पत्र में आगे कहा गया कि एकमुश्त समाधान योजना के अन्तर्गत माह जनवरी, 2009 के बिल में छूट देकर 9,790/- रूपया परिवादी ने दिनांक 25/03/2009 को जमा किऐ उसने 300/- रूपया लाइन काटने और जोड़ने की फीस भी अपनी मर्जी से जमा की। अब परिवादी की शिकायत सारहीन हो गयी है। परिवादी की ओर जुलाई, 2009 तक का 693 यूनिट का बिल 2,347/- रूपया का बना उसकी ओर इस धनराशि के अतिरिक्त पिछला कुछ बकाया नहीं है। परिवादी विधुत कनेक्शन की पी0डी0 नहीं कराना चाहता बल्कि उसे चालू रखना चाहता है उसने यह भी स्पष्ट नहीं किया कि उसी जमानत राशि कितनी है और उसने कब जमा की। परिवादी ने जमानत राशि जमा करने की रसीद भी दाखिल नहीं की, उसने असत्य कथनों के आधार पर परिवाद योजित किया है जिसे सव्यय खारिज किया जाऐ।
- परिवादी ने अपना साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-8/1 लगायत 8/4 दाखिल किया जिसके साथ उसने परिवाद के साथ दाखिल प्रलेखों को बतौर संलग्नक दाखिल किया।
- विपक्षीगण की ओर से अधिशासी अभियन्ता खान चन्द्र ने अपना साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-9/1 लगायत 9/4 दाखिल किया। परिवादी ने रिज्वांडर शपथ पत्र कागज सं0-11/1 लगायत 11/2 दाखिल किया।
- परिवादी ने अपनी लिखित बहस भी दाखिल की। विपक्षीगण की ओर से लिखित बहस दाखिल नहीं हुई।
- हमने पक्षकारों के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क सुने और पत्रावली का अवलोकन किया।
- पत्रावली में अवस्थित विधुत बिलों के अवलोकन से प्रकट है कि परिवादी द्वारा दिनांक 25/8/2002 को जमा किऐ गऐ 4,950/- रूपये की धनराशि विपक्षीगण ने माह जून,2004 में समायोजित की थी। परिवादी के आरोप हैं कि इस धनराशि को आईन्दा जारी बिलों में उसकी ओर बकाया दर्शाया जाता रहा और इस पर अधिभार भी मांगा गया जो विधि विरूद्ध था। विपक्षीगण ने अपने प्रतिवाद पत्र के पैरा सं0-17 में यह तो स्वीकार किया कि परिवादी द्वारा दिनांक 25/08/2002 को जमा हुई 4,960/- रूपये की धनराशि जुलाई, 2004 में समायोजित हुई थी, किन्तु समायोजन में हुई इस देरी का स्पष्टीकरण भी उन्होंने प्रतिवाद पत्र के पैरा सं0-17 में दिया है। परिवादी ने 2,356/- रूपया देय तिथि के बाद जमा किऐ जो अगस्त, 2004 के बिल से कम न होकर माह अक्टूबर,2004 के बिल में समायोजित हुऐ। पत्रावली में अवस्थित रसीद कागज सं0-6/2 के अवलोकन से प्रकट है कि परिवादी ने ओ0टी0एस0 स्कीम के अधीन 9,790/- रूपया दिनांक 25/03/2009 को जमा किऐ थे और इस प्रकार जनवरी,2009 तक देय धनराशि का भुगतान परिवादी ने ओ0टी0एस0 स्कीम में कर दिया। परिवादी यह नहीं दर्शा पाया कि ओ0टी0एस0 स्कीम के तहत उसकी ओर 9,790/- रूपये की जो धनराशि देय बताई गई थी (जो परिवादी जमा कर चुका है) उसमें क्या त्रुटि थी। ऐसी दशा में अब यह स्वीकार किऐ जाने योग्य नहीं है कि परिवादी से 9,790/- रूपया विधि विरूद्ध तरीके से जमा कराऐ गऐ हों। रसीद कागज सं0-6/3 द्वारा परिवादी ने डिस-कनेक्शन एवं रि-कनेक्शन की मद में दिनांक 25/03/2009 को 300/- रूपये जमा किऐ। प्रकट है कि दिनांक 25/03/2009 तक परिवादी की पी0डी0 नहीं हुई थी और उसने स्वयं रि-कनेक्शन की फीस जमा की थी, 1,046/- रूपये के बिल दिनांकित 21/07/2009 (पत्रावली का कागज सं0-3/19) में क्या त्रुटि है परिवादी यह भी नहीं दर्शा पाया।
- उपरोक्त विवेचना के आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि परिवादी द्वारा दिनांक 25/03/2009 को जमा 9,790/- रूपये तथा दिनांक 31/07/2009 को जमा 1,046/- रूपये की धनराशि गलत बिलों के सापेक्ष नहीं थी, अत: इन धनराशियों को वापिस किऐ जाने का कोई आधार नहीं है।
- परिवादी के अनुरोधानुसार उसका नियमानुसार स्थाई विच्छेदन करके उसके द्वारा जमा की गई सिक्योरिटी राशि उसे नियमानुसार वापिस समायोजित कराया जाना हम न्यायोचित समझते हैं। परिवाद तदानुसार निस्तारित होने योग्य है।
आदेश् विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि परिवाद के पैरा सं0-1 में उल्लिखित परिवादी के विधुत कनेक्शन की एक माह में नियमानुसार पी0डी0 करके जमा सिक्योरिटी धनराशि परिवादी को नियमानुसार वापिस/ समायोजित की जाये। शेष अनुतोष हेतु परिवाद खारिज किया जाता है। (श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन) सामान्य सदस्य सदस्य अध्यक्ष - 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
22.01.2016 22.01.2016 22.01.2016 हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 22.01.2016 को खुले फोरम में हस्ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया। (श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन) सामान्य सदस्य सदस्य अध्यक्ष - 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
22.01.2016 22.01.2016 22.01.2016 | |