Uttar Pradesh

Muradabad-II

cc/42/2013

Shri Abir Ul Islam - Complainant(s)

Versus

P.V.V.N.L - Opp.Party(s)

15 Jun 2016

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum -II
Moradabad
 
Complaint Case No. cc/42/2013
 
1. Shri Abir Ul Islam
R/0 D-81 Ram Ganga Vihar Phase-II Moradabad
...........Complainant(s)
Versus
1. P.V.V.N.L
E.E.D-II Civil Line Moradabad
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्‍यक्ष

  1.   इस परिवाद के माध्‍यम से परिवादी ने अनुरोध किया है कि विपक्षी को आदेशित किया जाय कि वह परिवादी के आवासीय परिसर में लगे  वि|qत कनेक्‍शन को विच्‍छेदित न करे और उसकी वि|qत आपूर्ति जारी रखें। क्षतिपूर्ति की मद में 25000/- रूपया और परिवाद व्‍यय परिवादी ने  अतिरिक्‍त मांगा है।
  2.   संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी भवन सं0-डी-81, रामगंगा विहार, मुरादाबाद का स्‍वामी है। इस मकान में वि|qत कनेक्‍शन  सं0-127476/1116 लगा है। परिवादी वि|qत बिल का नियमित रूप से  भुगतान कर रहा है, अन्तिम बिल का भुगतान उसने दिनांक 26/2/2013 को किया। परिवादी के अनुसार विपक्षी के कुछ कर्मचारी/ अधिकारी  परिवादी का वि|qत कनेक्‍शन काटने के लिए प्रयासरत हैं जिसका उन्‍हें  कोई अधिकार नहीं है नियमानुसार वे परिवादी की वि|qत आपूर्ति बनाऐ  रखने के पाबन्‍द हैं। परिवादी की ओर कोई वि|qत बकाया नहीं है, उस पर  वि|qत चोरी का भी आरोप नहीं है उसका कनेक्‍शन कभी चेक नहीं हुआ  और न ही उसे कोई अस्स्मिेंट नोटिस मिला। परिवादी की ओर यदि कोई  बकाया है तो उसे अदा करने के लिए वह तैयार है। दिनांक 15/2/2013 को विपक्षी के अधिकारियों से परिवादी मिला और वि|qत आपूर्ति बाधित  न करने का अनुरोध किया किन्‍तु वे सुनवा नहीं हुऐ अत: मजबूरन परिवादी को यह परिवाद योजित करना पड़ा। परिवादी ने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष स्‍वीकार किऐ जाने की प्रार्थना की।
  3.   परिवाद के साथ सूची कागज सं0-3/6 के माध्‍यम से परिवादी ने दिनांक 26/10/2011 से 27/11/2011 तक  की अवधि का बिल अंकन 1168/- रूपया और इसे जमा करने की रसीद, दिनांक 22/5/2012 से दिनांक 20/6/2012 तक की अवधि का बिल अंकन 5841/-रूपया और इसे जमा  करने की रसीद, 1556/- रूपया जमा करने की रसीद दिनांकित 30/4/2011, दिनांक 25/1/2011 से 24/2/2011 तक की अवधि का बिल  अंकन 584/-रूपया और इसे जमा करने की रसीद, दिनांक 2/12/22010 से 25/1/2011 तक की अवधि का बिल अंकन 751/- रूपया और इसे  जमा करने की रसीद तथा 24/1/2013 से 24/2/2013 तक की अवधि का  बिल अंकन 1267/- रूपया और इसे जमा करने की रसीद की फोटो प्रतियों को दाखिल किया है, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-3/7 लगायत 3/12  हैं।
  4.   विपक्षी की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-8/1 लगायत 8/5  दाखिल हुआ जिसमें परिवादी के मकान सं0-डी-81, रामगंगा विहार, मुरादाबाद में दिनांक 01/12/2010 से घरेलू कनेक्‍शन सं0-127476/1116 लगा होना, 2010 के बाद से इस कनेक्‍शन के बिल जमा होना और  परिवादी द्वारा अन्तिम बिल का भुगतान दिनांक 26/2/2013 को किया जाना तो स्‍वीकार किया गया है, किन्‍तु शेष परिवाद कथनों से इन्‍कार किया गया। विशेष कथनों में कहा गया कि यह मकान परिवादी ने दिनांक  11/10/2010 को खरीदा था। परिवादी ने इस मकान में बिजली कनेक्‍शन   लेने हेतु दिनांक 27/9/2010 को आवेदन पत्र प्रस्‍तुत किया। इस आवेदन के साथ परिवादी ने एक शपथ पत्र भी प्रस्‍तुत किया जिसमें परिवादी ने  अन्‍य के अतिरिक्‍त यह कथन किऐ कि इस परिसर पर कोई वि|qत कनेक्‍शन नहीं था जिसका गत डेढ़ वर्ष के अन्‍दर अनुबन्‍ध समाप्‍त किया गया हो तथा उसकी जानकारी में इस परिसर पर कोई ऐसा वि|qत कनेक्‍शन  नहीं था जिस पर वि|qत विभाग का कोई देय हो। परिवादी ने इस शपथ  पत्र में यह भी स्‍वीकारोक्ति की कि यदि उसकी जानकारी के विपरीत इस  परिसर का वि|qत विभाग का रूपया बकाया निकलता है तो उसकी जिम्‍मेदारी परिवादी की है।
  5.   प्रतिवाद पत्र में अग्रेत्‍तर कथन किया कि कनेक्‍शन हेतु दिऐ गऐ  आवेदन पत्र में परिवादी ने इस तथ्‍य को छिपाया कि इस मकान में  पहले वि|qत कनेक्‍शन लगा हुआ था और इस तथ्‍य को छिपाकर उसने वि|qत कनेक्‍शन प्राप्‍त किया। प्रतिवाद पत्र में अग्रेत्‍तर कहा गया कि इस  मकान पर मकान के पूर्व स्‍वामी श्री राजेश अग्रवाल के नाम कनेक्‍शन  सं0-92669/1122 लगा हुआ था जिसकी पी0डी0 59889/- रूपया पर फाइनल की गई थी। परिवादी को उक्‍त तथ्‍यों से सूचित करते हुऐ दिनांक 31/10/2012 को एक नाटिस भेजा गया था जिसे परिवादी ने जानबूझकर प्राप्‍त नहीं किया और डाक विभाग की इस रिपोर्ट के साथ वापिस कर  दिया कि  ‘’ बार-बार जाने पर प्राप्‍तकर्ता नहीं मिले ‘’। परिवादी को पूर्व स्‍वामी के विरूद्ध बकाया की जानकारी थी जिसे उसने छिपाया और  झूठा शपथ पत्र देकर नया कनेक्‍शन प्राप्‍त कर लिया। वि|qत अधिनियम, 2003 तथा वि|qत प्रदाय संहिता, 2005 के प्रावधानों के अनुसार विपक्षी को यह अधिकार है कि कनेक्‍शन लेने हेतु दिऐ गऐ  आवेदन पत्र में उल्लिखित तथ्‍य यदि झूठे पाऐ जायं तो  कनेक्‍शन  काटा जा सकता है। परिवादी 59889/- रूपया अदा करने का उत्‍तरदाई है और  इसका भुगतान न करने की स्थिति में विपक्षी को परिवादी का कनेक्‍शन  काटने का पूरा अधिकार है। विपक्षी की ओर से यह अभिकथित करते हुऐ  कि परिवादीने तथ्‍यों को छिपाकर मनगढ़न्‍त आधारों पर यह परिवाद प्रस्‍तुत किया है, परिवाद को सव्‍यय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की  गई।
  6.   परिवादी ने अपना साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-10/1 लगायत 10/2  दाखिल किया।
  7.   विपक्षी की ओर से अधिशासी अभियन्‍ता श्री दीपक अग्रवाल का  साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-11/1 लगायत 11/3 दाखिल हुआ जिसके  साथ मकान के पूर्व स्‍वामी श्री राजेश अग्रवाल के वि|qत कनेक्‍शन सं0-042/1122/092669 की स्‍थाई विच्‍छेदन रिपोर्ट, राजेश अग्रवाल के विरूद्ध 59889/-रूपया का डिमांड नोटिस दिनांकित 24/12/2011, परिवादी द्वारा नये कनेक्‍शन हेतु किऐ गऐ आवेदन पत्र, ठेकेदार की आख्‍या, आवेदन पत्र के साथ परिवादी द्वारा दिऐ गऐ शपथ पत्र, मकान के पूर्व स्‍वामी राजेश अग्रवाल के विरूद्ध 59889/- रूपया की बकाया होने विषयक परिवादी को स्‍पीड पोस्‍ट से भेजे गऐ नोटिस दिनांक 31/10/2012 और इस नोटिस के लिफाफे पर डाक विभाग की आख्‍या की फोटो प्रतियों को बतौर संलग्‍नक दाखिल किया गया, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-11/4 लगायत 11/13 हैं।
  8.   प्रत्‍युत्‍तर में परिवादी ने रिज्‍वांइडर शपथ पत्र कागज सं0-13/1  लगायत 13/2 दाखिल किया।
  9.   परिवादी ने लिखित बहस दाखिल की। विपक्षी की ओर से लिखित बहस दाखिल नहीं हुई।
  10.   हमने दोनों पक्षों के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्कों को सुना और  पत्रावली का अवलोकन किया।
  11.   परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि प्रश्‍नगत भवन पर  वि|qत कनेक्‍शन के ड्यूज बकाया थे इस बात की जानकारी परिवादी को  नहीं थी। उनका यह भी कथन है कि यदि तर्क के तौर पर यह मान भी  लिया जाऐ कि मकान के पूर्व स्‍वामी राजेश अग्रवाल के विरूद्ध प्रश्‍नगत  मकान के इलैक्ट्रिक ड्यूज बकाया थे तब भी परिवादी उक्‍त ड्यूज अदा करने का उत्‍तरदाई नहीं है। परिवादी की ओर से यह भी कहा गया कि विपक्षी के साक्ष्‍य शपथ पत्र के साथ दाखिल स्‍थाई विच्‍छेदन रिपोर्ट कागज सं0-11/4 और डिमांड नोटिस कागज सं0-11/5 कूटरचित है और इन्‍हें फर्जी तैयार किया गया है। परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता ने अपने उक्‍त तर्क के समर्थन में निम्‍न रूलिंग्‍स का अवलम्‍ब लिया गया :-

   1. ए0आई0आर0 2004 सुप्रीम कोर्ट पृष्‍ठ-2171, अहमदाबाद इलैक्‍ट्रीसिटी कम्‍पनी लिमिटेड बनाम गुजरात इन्‍न प्राईवेट लिमिटेड आदि .....(मा0 सर्वोच्‍च न्‍यायालय)

  2. 2005 (23) एल0सी0डी0 पृष्‍ठ-634, राजेश कुमार गुप्‍ता  बनाम स्‍टेट आफ  यू0पी0  आदि ...... (मा0 इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय)

  1.   विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि परिवादी ने भवन सं0-डी0-1, रामगंगा विहार,  मुरादाबाद इसके पूर्व स्‍वामी राजेश अग्रवाल से  दिनांक 11/10/2010 को खरीदा था। स्‍थाई विच्‍छेदन रिपोर्ट कागज सं0- 11/4 और डिमांड नोटिस कागज सं0-11/5 की ओर हमारा ध्‍यान आकर्षित करते हुऐ उन्‍होंने तर्क दिया कि इस भवन में पूर्व स्‍वामी राजेश अग्रवाल  के नाम वि|qत कनेक्‍शन सं0-41/1122/92669 लगा हुआ था। दिनांक 03/10/2011 को उक्‍त कनेक्‍शन की पी0डी0 हुई जिसके आधार पर राजेश अग्रवाल के विरूद्ध 59889/- का डिमांड नोटिस जारी हुआ। डिमांड नोटिस की यह धनराशि जमा नहीं हुई। परिवादी ने इन सभी तथ्‍यों को छिपाते हुऐ धोखे से नया कनेक्‍शन प्राप्‍त कर लिया। परिवादी ने कनेक्‍शन लेने हेतु दिऐ गऐ आवेदन पत्र में जानबूझकर ‘’ परिसर का विवरण ‘’ खण्‍ड में वांछित सूचनाओं को भी छिपाया। विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह भी तर्क है कि परिवादी भवन पर पूर्व से बकाया बिजली के बिलों की अदायगी का उत्‍तरदाई है। इस सम्‍बन्‍ध में विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता ने परिवादी द्वारा कनेक्‍शन लेने हेतु दिऐ गऐ आवेदन पत्र के साथ दाखिल शपथ पत्र कागज सं0-11/11 और 2010(3) ऐपेकस कोर्ट जजमेन्‍ट्स  पृष्‍ठ-234, हरियाणा स्‍टेट  इलैक्‍ट्रीसिटी बोर्ड बनाम मैसर्स हनुमान राइल्‍स मिल्‍स आदि में मा0 सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा दी गई विधि व्‍यवस्‍था का अवलम्‍ब लिया। उन्‍होंने परिवादी की ओर से दिऐ गऐ इस तर्क का भी प्रबल प्रतिवाद किया कि स्‍थाई  विच्‍छेदन रिपोर्ट कागज सं0-11/4 और डिमांड नोटिस कागज सं0-11/5 फर्जी एवं कूटरचित दस्‍तावेज हैं।
  2.   यह सही  है कि परिवादी ने अपने परिवाद पत्र अथवा साक्ष्‍य शपथ  पत्र में इस बात का कोई उल्‍लेख नहीं किया है कि उसने प्रश्‍नगत मकान इसके पूर्व स्‍वामी राजेश अग्रवाल से दिनांक 11/10/2010 को खरीदा था परिवाद में उसने उक्‍त तथ्‍य छिपाया। वि|qत कनेक्‍शन लेने हेतु परिवादी ने विपक्षी के कार्यालय में जो आवेदन पत्र दिया था वह पत्रावली का कागज सं0-11/6 लगायत 11/11 है। इस आवेदन पत्र के कालम सं0-6 और कालम सं0-7 भी परिवादी ने नहीं भरे थे। परिसर में पूर्व में वि|qत कनेक्‍शन लगा था यह सूचना उसने नहीं दी। प्रकटत: यह सूचना भी उसने छिपाई। प्रश्‍नगत परिसर में पूर्व स्‍वामी राजेश अग्रवाल के नाम 4 किलोवाट का वि|qत कनेक्‍शन लगा हुआ था, यह तथ्‍य कागज सं0-11/4 और कागज सं0-11/5 से प्रमाणित है। कागज सं0-11/4 और कागज सं0-11/5 परिवादी ने फर्जी और  कूटरचित होना तो कह दिया, किन्‍तु उसने कहीं भी यह स्‍पष्‍ट नहीं किया कि इन प्रपत्रों को वह किस आधार पर फर्जी अथवा कूटरचित कह रहा है। यें प्रपत्र सरकारी दस्‍तावेजहैं बिना किसी प्रमाण के इन्‍हें फर्जी व कूटरचित नहीं माना जा सकता। इन प्रपत्रों के अनुसार प्रश्‍नगत परिसर पर इसके पूर्व स्‍वामी राजेश अग्रवाल के विरूद्ध कनेक्‍शन की पी0डी0 फाइनल होने पर डिमांड नोटिस दिनांकित  24/12/2011 के अनुसार 59889/- रूपये बकाया निकले। स्‍वीकृत रूप से  इस धनराशि का भुगतान विपक्षी को नहीं हुआ।
  3.    अब देखना यह है कि क्‍या परिवादी डिमांड नोटिस दिनांकित 24/12/2011 में  उल्लिखित 59889/- रूपये की अदायगी का उत्‍तरदाई है अथवा नहीं ? इस सन्‍दर्भ में परिवादी ने जिन दो रूलिगों का अवलम्‍ब  लिया है वर्तमान मामलें के तथ्‍यों पर लागू नहीं होतीं। अहमदाबाद इलैक्ट्रिसिटी कम्‍पनी लिमिटेड की  रूलिंग में मा0 सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा यह अव‍धारित किया गया है कि किसी विधिक प्राविधानों के अभाव में Auction purchaser पूर्व स्‍वामी के वि|qत बिलों की बकाया धनराशि अदा करने का उत्‍तरदाई नहीं है। यह रूलिंग वर्तमान मामले के तथ्‍यों पर  लागू नहीं है क्‍योंकि परिवादी प्रश्‍नगत परिसर का Auction purchaser  नहीं है बल्कि उसने प्रश्‍नगत भवन पूर्व स्‍वामी राजेश अग्रवाल से बैनामा द्वारा खरीदा था।
  4.   राजेश कुमार गुप्‍ता की रूलिंग भी परिवादी के लिए सहायक नहीं है  क्‍योंकि इस रूलिंग के तथ्‍य वर्तमान मामले के तथ्‍यों से भिन्‍न हैं। राजेश कुमार गुप्‍ता जिस दुकान का किराऐदार था उसके मालिक ने दुकान खाली कराने के उद्देश्‍य से वि|qत विभाग में प्रार्थना पत्र देकर वि|qत कनेक्‍शन स्‍थाई  रूप से कटवा दिया था। राजेश कुमार गुप्‍ता के आवेदन पर विभाग ने  उसे नया कनेक्‍शन दे दिया जिसे बाद में वि|qत विभाग ने इस आधार  पर काट दिया कि राजेश कुमार गुप्‍ता ने अपने और दुकान स्‍वामी के  मध्‍य दुकान खाली कराने सम्‍बन्‍धी मुकदमें की जानकारी वि|qत विभाग  से छिपाई और अपनी किराऐदारी का कोई प्रमाण प्रस्‍तुत नहीं किया।  राजेश कुमार गुप्‍ता के मामले में वि|qत बिलों का बकाया परिसर पर  नहीं था जबकि वर्तमान मामले  में  ऐसा  नहीं है। वर्तमान मामलें में  प्रश्‍नगत परिसर पर  पूर्व स्‍वामी  के  विरूद्ध वि|qत का रूपया  अंकन 59,889/- बकाया है।  
  5.   वि|qत कनेक्‍शन हेतु दिऐ गऐ आवेदन के साथ परिवादी ने जो  शपथ पत्र कागज सं0-11/11 वि|qत विभाग के समक्ष दाखिल किया था  उसमें उसने यह अन्‍डर टेकिंग दे रखी है कि यदि प्रश्‍नगत परिसर पर  वि|qत विभाग का कोई रूपया बकाया निकलता है तो उसकी अदायगी की  जिम्‍मेदारी परिवादी की होगी। परिवादी की इस स्‍वीकारोक्ति के दृष्टिगत अब प्रश्‍नगत परिसर पर बकाया पिछले एरियर की अदायगी से वह इन्‍कार  नहीं कर सकता।
  6.   हरियाणा स्‍टेट इलैक्ट्रिसिटी बोर्ड की जिस रूलिंग का विपक्षी ने  अवलम्‍ब लिया है उसमें मा0 सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा पैरा सं0-9 में यह अवधारित किया गया है कि :-     

     (ii) Where the statutory rules or trems and conditions of supply which are statutory in character, authorize the supplier of electricity, to           demand from the purchaser of a property claiming re-connection or fresh connection of electricity , the arrears due by the previous              owner/ occupier in regard to supply of electricity to such premises, the supplier can recover the arrears from a purchaser.

  1.   मा0 सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा हरियाणा इलैक्ट्रिसिटी बोर्ड के मामले  में दी गई उपरोक्‍त विधि व्‍यवस्‍था और वि|qत कनेक्‍शन के आवेदन पत्र के साथ दिऐ गऐ शपथ पत्र में परिवादी द्वारा दी गई इस अन्‍डर टेकिंग के दृष्टिगत कि यदि प्रश्‍नगत परिसर पर वि|qत विभाग का कोई बकाया निकलता हो तो उसकी अदायगी की जिम्‍मेदारी परिवादी की होगी, परिवाद में मांगे गये अनुतोष स्‍वीकार किऐ जाने योग्‍य नहीं है। परिवाद खारिज होने योग्‍य है।

परिवाद खारिज किया जाता है।

 

   (श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)    (सुश्री अजरा खान)    (पवन कुमार जैन)

          सदस्‍य               सदस्‍य              अध्‍यक्ष

  •     0उ0फो0-।। मुरादाबाद    जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद  जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

     15.06.2016           15.06.2016        15.06.2016

 

 

   हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 15.06.2016 को खुले फोरम में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया।

 

     (श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)   (सुश्री अजरा खान)    (पवन कुमार जैन)

          सदस्‍य               सदस्‍य              अध्‍यक्ष

  •     0उ0फो0-।। मुरादाबाद    जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद  जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

      15.06.2016          15.06.2016         15.06.2016

 

 

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