Uttar Pradesh

Muradabad-II

cc/89/2014

Hazi. Mohd. Yusuf - Complainant(s)

Versus

P.V.V.N.L - Opp.Party(s)

19 Oct 2016

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum -II
Moradabad
 
Complaint Case No. cc/89/2014
 
1. Hazi. Mohd. Yusuf
R/0 Zumeraat ka Bazar Kasbad Thana Pakbada, Moradabad
...........Complainant(s)
Versus
1. P.V.V.N.L
E.E.D-I Moradabad
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 19 Oct 2016
Final Order / Judgement

द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्‍यक्ष

  1.   इस परिवाद के माध्‍यम से परिवादी ने यह उपशम मांगा है कि विपक्षीगण को आदेशित किया जाऐ कि परिवादी के वि|qत कनेक्‍शन सं0-85742, बुक संख्‍या- 3616 क्षमता 1 किलोवाट के सम्‍बन्‍ध में दिनांक 14/2/2012 से मीटर रीडिंग के अनुसार बिल संशोधित कर परिवादी को  जारी करें। क्षतिपूर्ति की मद में 20,000/-रूपया और परिवाद व्‍यय परिवादी  ने अतिरिक्‍त मांगा है।
  2.   संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी ने 1 किलोवाट  क्षमता का घरेलू कनेक्‍शन लेने के लिए दिनांक 26/2/2009 को विपक्षी सं0-2 के कार्यालय में 1800/-रूपया जमा किऐ और रसीद प्राप्‍त की,  रसीद की नकल उसने लाईनमैन को दे दी और कनेक्‍शन चालू करने के  लिए कहा, किन्‍तु  विपक्षीगण ने उसके घर पर बिजली का केबिल नहीं डाला। पूछने पर परिवादी को बताया गया कि लाईनमैनों की कमी है कुछ   दिनों बाद उसे लाइट दे दी जाऐगी। परिवादी ने कई बार विपक्षीगण के  अधिकारियों/ कर्मचारियों से कनेक्‍शन चालू करने का मौखिक अनुरोध  किया और फिर दिनांक 05/1/2012 को लिखित में भी केबिल डालकर  लाइट देने का अनुरोध किया तब बड़ी मुश्किल से 14/2/2012 को केबिल डालकर परिवादी की लाइट चालू की गई उसी दिन मीटर लगाकर सीलिंग  प्रमाण पत्र परिवादी को दिया गया। परिवादी के अनुसार 2 महीने तक   जब परिवादी के पास बिल नहीं आया तो उसने विपक्षीगण के अधिकारयों/ कर्मचारियों से शिकायत की, किन्‍तु उसे बिल फिर भी नहीं दिया गया।  परिवादी ने बिल के लिए विपक्षी सं0-2 के कार्यालय के कई चक्‍कर लगाऐ  तब दिनांक 01/6/2013 को 2 किलोवाट क्षमता का 13,339/-रूपया का  बिल परिवादी को जारी किया गया। परिवादी के अनुसार यह बिल गलत  था। उसने उसे ठीक करने का अनुरोध किया, किन्‍तु इसे ठीक नहीं किया गया। मजबूर होकर परिवादी ने दिनांक 03/6/2013 को बिल संशोधित  करने हेतु विपक्षीगण को पत्र लिखा, किन्‍तु उसका बिल संशोधित नहीं  किया गया। परिवादी ने सूचना का अधिकार अधिनियम के अधीन उसके  सम्‍बन्‍ध में सूचनाऐं भी विपक्षी सं0-2 से मांगी, किन्‍तु कोई सूचना उसे  उपलब्‍ध नहीं कराई गई। परिवादी के अनुसार विपक्षीगण के कृत्‍य सेवा   में कमी हैं उसके पास परिवाद योजित करने के अतिरिक्‍त अन्‍य कोई विकल्‍प नहीं है।
  3.   परिवादी ने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष स्‍वीकार किऐ जाने की  प्रार्थना की।
  4.   परिवाद के समर्थन में परिवादी ने अपना शपथ पत्र कागज सं0-3/5 दाखिल किया। सूची कागज सं0-3/6 के माध्‍यम से उसने 1800/- रूपये जमा करने की रसीद, मीटर सीलिंग प्रमाण पत्र दिनांकित 14/2/2012, जिलाधिकारी को कनेक्‍शन चालू कराने हेतु भेजे गऐ पत्र दिनांकित 05/1/2012, विपक्षी सं0-2 को रजिस्‍टर्ड डाक से भेजे गऐ पत्र  दिनांकित 03/6/2013, सूचना का अधिकार अधिनियम के अधीन अधिशासी अभियन्‍ता वि|qत नगरीय वितरण खण्‍ड प्रथम से मांगी गई सूचनाओं सम्‍बन्‍धी पत्र, सूचना उपलब्‍ध न कराऐ जाने के कारण सूचना  का अधिकार अधिनियम की धारा-19 के अधीन दाखिल अपील, अधिशासी अभियन्‍ता वि|qत नगरीय वितरण खण्‍ड प्रथम द्वारा  प्रेषित पत्र  दिनांक   15/5/2014 तथा  बिल दिनांकित 15/7/2013 और बिल दिनांकित   18/5/2013 की नकलों को दाखिल किया गया। इसके अतिरिक्‍त सूचना  का अधिकार अधिनियम के अधीन भेजे गऐ पत्र, नोटिस इत्‍यादि की  डाकखाने की असल रसीदों को भी दाखिल किया, यह प्रपत्र पत्रावली के  कागज सं0-3/7 लगायत 3/14 हैं।
  5.   विपक्षीगण की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-11/1 लगायत 11/4   दाखिल हुआ जिसमें परिवादी को विपक्षीगण का उपभोक्‍ता होना तो  स्‍वीकार किया गया है, किन्‍तु शेष परिवाद कथनों से इन्‍कार किया गया  है। विशेष कथनों में कहा गया कि यह तो सही है कि दिनांक 26/2/2009 को घरेलू कनेक्‍शन लगवाने हेतु परिवादी ने उत्‍तरदाता विपक्षी सं0-2 के  कार्यालय में 1800/- रूपया जमा किऐ थे, किन्‍तु परिवादी का यह कथन  असत्‍य है कि केबिल डालकर उसकी लाइन दिनांक 14/2/2012 को चालू  की गई बल्कि सही बात यह है कि दिनांक 26/2/2009 से परिवादी ने  वि|qत का उपभोग करना शुरू कर दिया था, ततसमय विभाग के पास मीटर उपलब्‍ध नहीं थे अत:  परिवादी  के  घर  पर दिनांक 14/2/2012 को मीटर लगाया गया था। इस प्रकार परिवादी ने 3 साल तक बिना  मीटर के बिजली का उपभोग किया। सूचना का अधिकार अधिनियम के  अधीन परिवादी द्वारा मांगी गई सूचना उसे दिनांक 08/8/2014 को   उपलब्‍ध करा दी गई थी। परिवादी का यह कथन असत्‍य है कि उसने   कनेक्‍शन चालू कराने हेतु विपक्षीगण के कार्यालय के चक्‍कर काटे हों।   अग्रेत्‍तर यह भी कथन किया गया कि माह अक्‍टूबर, 2012 को चेकिंग  के दौरान परिवादी द्वारा स्‍वीकृत भार से अधिक भार का उपभोग किया जाना पाया गया जिस पर परिवादी का वि|qत भार 1 किलोवाट से 2 किलोवाट कर दिया गया। परिवादी द्वारा शिकायत करने पर उसका वि|qत भार पुन: चेक किया गया और  रि-चेकिंग के बाद उसका कनेक्‍शन पुन: 1 किलोवाट कर दिया गया। परिवादी की ओर वि|qत कनेक्‍शन की शुद्ध देय धनराशि 14,650/- रूपये बाकी है जिसको अदा करने का वह  जिम्‍मेदार है। उक्‍त कथनों के अतिरिक्‍त यह कहते हुऐ कि परिवादी ने  असत्‍य कथनों के आधार पर परिवाद योजित किया है, परिवाद सव्‍यय   खारिज किऐ जाने की प्रार्थना विपक्षीगण से की।
  6.   परिवादी ने  अपना साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-12/1 लगायत  12/5 दाखिल किया।
  7.   विपक्षीगण की ओर से अधिशासी अभियन्‍ता श्री विवेक कुमार  अग्रवाल ने साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-14/1 लगायत 14/3 दाखिल  किया।
  8.   परिवादी ने लिखित बहस दाखिल की। विपक्षीगण की ओर से  लिखित बहस दाखिल नहीं हुई।
  9.   हमने पक्षकारों के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्कों को सुना और  पत्रावली का अवलोकन किया।
  10.   विपक्षीगण को यह स्‍वीकार है कि परिवादी ने अपने घर में 1 किलोवाट का घरेलू वि|qत कनेक्‍शन लगवाने हेतु दिनांक 26/2/2009 को   विपक्षी सं0-2 के कार्यालय में 1800/- रूपया जमा किऐ थे। विपक्षीगण को यह भी स्‍वीकार है कि परिवादी उनका उपभोक्‍ता है। परिवादी का  कथन है कि दिनांक 26/2/2009 को कनेक्‍शन लेने हेतु 1800/- रूपया जमा करने के बाद बार-बार अनुरोध करने और लिखित नोटिस भेजने के बाद भी विपक्षीगण ने उसके घर पर दिनांक 14/2/2012 को मीटर  लगाया और तब केबिल डालकर बिजली चालू की। इसके विपरीत  विपक्षीगण का कहना है कि जिस दिन परिवादी ने 1800/- रूपया कनेक्‍शन   लेने हेतु विपक्षी के कार्यालय में जमा किऐ थे उसी दिन से परिवादी ने  बिजली का उपभोग करना प्रारम्‍भ कर दिया।
  11.   विपक्षीगण ने परिवादी को बिजली के बिल दिनांक 18/5/2013 तथा  बिल दिनांक 15/7/2013 भेजे जो पत्रावली के कागज सं0-3/14 पर दृष्‍टव्‍य   हैं। इन बिलों में दिनांक 26/2/2009 से बिजली के एरियर सम्मिलित हैं।  देखना यह है कि क्‍या परिवादी का कनेक्‍शन दिनांक 26/2/2009 को जुड़  गया था और इस तारीख से उसने बिजली का उपभोग करना शुरू कर   दिया था ?
  12.   विपक्षीगण ने अपने प्रतिवाद पत्र में दिनांक 14/2/2012 तक   परिवादी के मकान पर बिजली का मीटर न लग पाने का कारण यह  बताया है कि बिजली विभाग के पास मीटर उपलब्‍ध नहीं था। बहस के  दौरान हमने विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता से कहा कि फोरम को इस  बात का प्रमाण उपलब्‍ध कराया जाऐ कि दिनांक 26/2/2009 से मीटर  लगाऐ जाने की तिथि अर्थात् 14/2/2012 तक वि|qत विभाग द्वारा कहीं अन्‍य मीटर लगाया है अथवा नहीं ? किन्‍तु हमारी इस जिज्ञासा का  विपक्षीगण की ओर से समाधान नहीं किया गया। यदि विपक्षीगण यह  कहने की स्थिति में होते कि दिनांक 26/2/2009 से 14/2/2012 तक की  अवधि में अन्‍य किसी व्‍यक्ति के आवासीय परिसर में विपक्षीगण ने कोई मीटर नहीं लगाया गया तो विपक्षीगण की ओर से किया गया यह कथन स्‍वीकार योग्‍य होता कि मीटर उपल्‍बध न होने की वजह से दिनांक 14/2/2012 तक परिवादी के मकान पर मीटर नहीं लगाया जा सका था। विपक्षीगण की ओर से इस बात का प्रमाण दाखिल न किया जाना कि दिनांक 26/2/2009 से 14/2/2012 तक की अवधि में किसी अन्‍य उपभोक्‍ता के आवास पर वि|qत विभाग ने कोई मीटर नहीं लगाया इस बात का |ksतक है कि कदाचित परिवादी के मकान पर दिनांक 14/2/2012 तक मीटर न लगाऐ जाने का जो कारण विपक्षीगण की ओर से प्रतिवाद पत्र में बताया गया है, वह असत्‍य है। 
  13.   विपक्षीगण का यह कथन कि दिनांक 26/2/2009 से ही परिवादी  ने वि|qत उपभोग करना शुरू कर दिया किसी भी दृष्टि से प्रमाणित नहीं  हुआ है। यदि दिनांक 26/2/2009 से परिवादी ने बिजली का उपभोग  करना प्रारम्‍भ कर दिया था तो निश्चित रूप से परिवादी को उक्‍त तिथि  से निरन्‍तर बिल भेजे जाते, किन्‍तु विपक्षीगण ऐसा कोई बिल अथवा कोई   विभागीय अभिलेख दाखिल नहीं कर पाऐ जिससे यह पता चलता कि दिनांक 6/2/2009 से परिवादी की बिलिंग नियमित रूप से की गई थी और उसे नियमित रूप से बिल भेजे गऐ थे। आश्‍चर्यजनक रूप से विपक्षीगण ने ऐसा भी कोई प्रपत्र दाखिल नहीं किया जिसके आधार पर यह माना जा सके कि दिनांक 26/2/2009 को परिवादी की बिजली चालू हो गई थी और मीटर लगाऐ जाने की तिथि तक अर्थात् दिनांक 14/2/2012 तक परिवादी बिजली का उपभोग करता रहा। ऐसी दशा में परिवादी के यह कथन स्‍वीकार किऐ जाने योग्‍य हैं कि बार-बार अनुरोध करने के बावजूद विपक्षीगण ने परिवादी का कनेक्‍शन चालू नहीं किया, तब मजबूर होकर  परिवादी ने दिनांक 05/1/2012 को इस मामले की शिकायत जिला मजिस्‍ट्रेट, मुरादाबाद से पत्र कागज सं0-3/9 के माध्‍यम से की तब जाकर  दिनांक 14/2/2012 को उसका मीटर लगाया गया। पत्रावली पर जो  तथ्‍य, परिस्थितियां और साक्ष्‍य सामग्री उपलब्‍ध है उससे यह भलीभांति प्रमाणित  है कि परिवादी का कनेक्‍शन दिनांक 14/2/2012 को चालू हुआ था और   विपक्षीगण का यह कथन नि:तान्‍त मिथ्‍या है कि दिनांक 26/2/2009 से  परिवादी ने वि|qत का उपभोग करना शुरू कर दिया था।
  14.    यह भी उल्‍लेखनीय है कि परिवादी का वि|qत कनेक्‍शन मात्र 1 किलोवाट का है जबकि बिल कागज सं0-3/14 दो किलोवाट के है। जब   परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में इस बिन्‍दु को उठाया कि कनेक्‍शन   उसने मात्र 1 किलोवाट का लिया जबकि बिल 2 किलोवाट के भेजे गऐ  तो विपक्षीगण ने अपने प्रतिवाद पत्र के पैरा सं0-22 में 2 किलोवाट के  त्रुटिपूर्ण बिलों को जस्‍टीफाई करने का असफल प्रयास किया। यदि प्रतिवाद पत्र के पैरा सं0-22 में लिखी हुई बात सही होती तो विपक्षीगण उस चेकिंग रिपोर्ट की प्रति पत्रावली में दाखिल करते जिनके आधार पर परिवादी का प्रश्‍नगत वि|qत कनेक्‍शन पहले 1 किलोवाट से 2 किलोवाट किया गया और फिर 2 किलोवाट से उसे वापिस 1 किलोवाट का किया  गया। ऐसी कोई चेकिंग रिपोर्ट दाखिल न किया जाना पुन: इस तथ्‍य को  बल प्रदान करता है कि परिवादी को गलत बिल भेजे गऐ।
  15.   उपरोक्‍त विवेचना के आधार पर हम इस निष्‍कर्ष पर पहुँचे हैं कि   परिवादी का वि|qत कनेक्‍शन मात्र 1 किलोवाट का है जो दिनांक  14/2/2012 से चालू हुआ और दिनांक 14/2/2012 से पूर्व परिवादी का  कनेक्‍शन न तो विपक्षीगण ने चालू किया था और न ही परिवादी ने  बिजली का दिनांक 14/2/2012 से पूर्व उपभोग किया। ऐसी दशा में   विपक्षीगण दिनांक 14/2/2012 से पूर्व की अवधि के वि|qत बिल  परिवादी  से वसूल करने के अधिकारी नहीं हैं। इस तिथि से पूर्व का यदि कोई   बिल है तो उसे निरस्‍त किया जाना होगा। दिनांक 14/2/2012 की तिथि  से मीटर रीडिंग के आधार पर परिवादी को नियमित बिल उपलब्‍ध कराऐ  जाने चाहिए। इसके अतिरिक्‍त विपक्षीगण के कृत्‍यों की वजह से परिवादी को मानसिक क्षतिपूर्ति के रूप में  5000/- (पाँच हजार रूपया) और परिवाद व्‍यय की मद में 2500/- (दो हजार पाँच सौ रूपया) अतिरिक्‍त दिलाया जाना भी न्‍यायोचित दिखाई देता है। तदानुसार  परिवाद स्‍वीकार होने योग्‍य है।   

 

  परिवादी के घरेलू वि|qत कनेक्‍शन सं0-085742, बुक संख्‍या-3616, अनुबन्धित भार 1 किलोवाट से सम्‍बन्धित दिनांक 14/2/2012 से पूर्व की अवधि के यदि कोई बिल हों तो उन्‍हें निरस्‍त किया जाता है। विपक्षीगण को  आदेशित किया जाता है कि दिनांक 14/2/2012 की तिथि से मीटर रीडिंग के आधार पर परिवादी को नियमित बिल आज की तिथि से 2 माह में उपलब्‍ध कराऐ। विपक्षीगण परिवादी को क्षतिपूर्ति की मद में  एकमुशत 5000/- (पाँच हजार रूपया) तथा परिवाद व्‍यय की मद में  2500/- (दो हजार पाँच सौ रूपया) अतिरिक्‍त अदा करेगें।

 

     (सुश्री अजरा खान)                  (पवन कुमार जैन)

          सदस्‍य                            अध्‍यक्ष

  •     0उ0फो0-।। मुरादाबाद                  जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

     19.10.2016                           19. 10.2016

     हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 19.10.2016 को खुले फोरम में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया।

 

 

      (सुश्री अजरा खान)                  (पवन कुमार जैन)

          सदस्‍य                          अध्‍यक्ष

  •     0उ0फो0-।। मुरादाबाद                  जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

       19.10.2016                           19.10.2016

 

 

 

 

 

 

 

 

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