Uttar Pradesh

Chanduali

CC/20/2014

Jai Ram Pandey - Complainant(s)

Versus

P.V.V NIGAM LTD - Opp.Party(s)

13 Oct 2014

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/20/2014
 
1. Jai Ram Pandey
Vill-Hrdhanjuda Po&Thana Balua Chandauli
...........Complainant(s)
Versus
1. P.V.V NIGAM LTD
CHANDAULI
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. jagdishwar Singh PRESIDENT
 HON'BLE MR. Markandey singh MEMBER
 HON'BLE MRS. Munni Devi Maurya MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, चन्दौली।
परिवाद संख्या 20                                सन् 2014ई0
जयराम पाण्डेय पुत्र श्री मुन्नू पाण्डेय निवासी हरधनजूड़ा थाना बलुआ जिला चन्दौली।
                                      ...........परिवादी                                                                                                                                    बनाम
1-अधिशासी अभियन्ता(नियत अधिकारी) विद्युत विकास खण्ड द्वितीय उ0प्र0 पावर कारपोरेशन लि0 मुगलसराय जिला चन्दौली।
2-जिलाधिकारी, चन्दौली।
3-तहसीलदार सकलडीहा जिला चन्दौली।
4-संग्रह अमीन सुरेन्द्र नाथ तहसील सकलडीहा जिला चन्दौली।
                                            .............................विपक्षीगण
उपस्थितिः-
माननीय श्री जगदीश्वर सिंह, अध्यक्ष
माननीया श्रीमती मुन्नी देवी मौर्या सदस्या
माननीय श्री मारकण्डेय सिंह, सदस्य
                               निर्णय
द्वारा श्री जगदीश्वर सिंह,अध्यक्ष
1-    परिवादी द्वारा यह परिवाद विपक्षी संख्या 1 के खाते में विपक्षी संख्या 2 ता 4 के माध्यम से वसूल की गयी धनराशि मु0 66205/-का समायोजन कराने एवं बढ़े हुए विद्युत देय की बकाया धनराशि माफ कराने के साथ ही परिवादी द्वारा ओ0टी0एस0 के तहत जमा की गयी धनराशि मु0 1000/-मय ब्याज एवं विपक्षीगण के लापरवाही एवं उपेक्षा के कारण परिवादी को हुई मानसिक आर्थिक क्षति हेतु मु0 90,000/-दिलाये जाने हेतु प्रस्तुत किया गया है।
2-    परिवादी की ओर से संक्षेप में कथन किया गया है कि परिवादी उपरोक्त पते का स्थायी निवासी है एवं विपक्षी संख्या 1 का वैध कनेक्शन धारक व उपभोक्ता है। विपक्षी संख्या 1 द्वारा परिवादी के विरूद्ध मु0 66205/-की विद्युत वसूली हेतु आर0सी0 अपने पत्र संख्या 525 दिनांकित 5-12-2008 द्वारा जिलाधिकारी चन्दौली के माध्यम से विपक्षी 3 के यहाॅं प्रेषित किया जिस पर कार्यवाही करते हुए विपक्षी संख्या 3 द्वारा परिवादी को प्रताडि़त करते हुए मु0 72820/- वसूल कर लिये। जिसकी क्रमशः रसीद संख्या 664651 मु0 22000/-रसीद संख्या 161357 मु0 25300/- तथा रसीद संख्या 161356 मु0 25,000/- है। तदोपरान्त विपक्षी संख्या 3,4 द्वारा वसूल की गयी उपरोक्त सम्पूर्ण धनराशि यूनियन बैंक आफ इण्डिया सकलडीहा में चालान के माध्यम से जमा किया गया। विपक्षी 2 ता 4 के लापरवाही के कारण विपक्षी संख्या 1 के खाते में जमा की गयी उपरोक्त धनराशि दिनांक 13-3-2014 तक नहीं पहुंचा। विपक्षीगण के उपेक्षात्मक रवैये के कारण परिवादी के विरूद्ध विपक्षी संख्या 1 का देय बकाया धनराशि दिनांक 4-3-2014 तक मु0 73298/- हो गया है। परिवादी ने विपक्षी संख्या 1 के यहाॅं ओ0टी0एस0 योजना के अन्र्तगत मु0 1000/-जमा किया है इसलिए परिवादी से कोई भी अधिभार विपक्षी संख्या 1 को नहीं लेना चाहिए। विपक्षी संख्या 1,3व 4 द्वारा अधिभार के रूप में मु0 6621/- अतिरिक्त ले लिया गया है।परिवादी बराबर उपरोक्त धनराशि के 
2
समायोजन हेतु विपक्षीगण के यहाॅं प्रार्थना पत्र देता रहा किन्तु विपक्षीगण सुनवा नहीं हुए। इस आधार पर परिवादी द्वारा परिवाद प्रस्तुत किया गया है।  
3-    विपक्षी 2ता 4 की ओर से संक्षेप में कथन किया गया है कि  विपक्षी संख्या 1 द्वारा जारी आर0सी0 के विरूद्ध परिवादी से मु0 72820/- वसूल किया गया है जिसके सम्बन्ध में परिवादी को रसीदें प्राप्त करायी गयी है। परिवादी से वसूल की गयी धनराशि विपक्षी संख्या 1 के लेखाशीर्षक 0043001010100 0043 विद्युतकर तथा शुल्क 101 विद्युत के उपभोग और बिक्री पर कर 01 विद्युत के उपभोग में समय से जमा कर दिया गया है। विपक्षी 2 ता 4 की ओर से उपरोक्त धनराशि खाते में जमा हो जाने के बाद विपक्षी संख्या 1 का दायित्व था कि वह जमा धनराशि परिवादी के बकाये खाते में समायोजित करते लेकिन विपक्षी संख्या 1 ने अपने दायित्वों का निर्वहन नहीं किया। तदोपरान्त विपक्षी संख्या 2ता 4 की कोई वैधानिक जिम्मेदारी शेष नहीं रह जाती है।  विपक्षी संख्या 2 ता 4 द्वारा वसूल की गयी धनराशि पर 10 प्रतिशत की दर से संग्रह व्यय वसूल करने की वैधानिक बाध्यता है, जिसके क्रम में परिवादी से मु0 6621/- संग्रह व्यय वसूल किया गया है।इस प्रकार विपक्षी 2 ता 4 की ओर से कोई उपेक्षा या लापरवाही नहीं की गयी है। इस आधार पर परिवादी के परिवाद को निरस्त किये जाने की प्रार्थना की गयी है।
4-    परिवादी की ओर से शपथ पत्र के साथ विपक्षीगण को भेजी गयी रजिस्ट्री रसीद की छायाप्रति 4/1, नोटिस की प्रति 4/2ता 4/3, तहसील दिवस में दिये गये प्रार्थना पत्र की प्रति 4/4, लोक निर्माण मंत्री को भेजे गये प्रार्थना पत्र की प्रति 4/5, विद्युत विभाग का पत्र 4/6,वसूल की गयी धनराशि का ट्रेजरी चालान के माध्यम से जमा की गयी धनराशि का पर्चा 4/7 ता 4/9,ओ0टी0एस0 के अन्र्तगत जमा धनराशि की रसीद 4/10,जमा रसीद की छायाप्रति 4/11 ता 4/13,वसूली प्रमाण पत्र की प्रति 4/14 दाखिल किया गया है। विपक्षी संख्या 2 ता 4 की ओर से  तहसीलदार सकलडीहा द्वारा उप कोषाधिकारी को लिखे गये पत्र की छायाप्रति कागज संख्या 9/1,ट्रेजरी चालान के माध्यम से जमा धनराशि की रसीद 9/2 ता 9/4, ओ0टी0एस0 के अन्र्तगत जमा धनराशि की रसीद 9/5, परिवादी को उपलब्ध करायी गयी रसीद की छायाप्रति 9/6 ता 9/8 दाखिल किया गया है। विपक्षी संख्या 1 को इस फोरम द्वारा रजिस्टर्ड डाक से नोटिस भेजी गयी जो उन पर तामिल भी हुई, किन्तु वाद का प्रतिवाद करने हेतु उपस्थित नहीं आये। अतः यह परिवाद विपक्षी संख्या 1 के विरूद्ध एक पक्षीय रूप से चला। 
5-    हम लोगों ने परिवादी एवं विपक्षी 2 ता 4  के विद्वान अधिवक्ता के तर्को को सुना है, तथा पत्रावली का गम्भीरतापूर्वक अवलोकन किया है।
6-    परिवादी का कथन है कि वह वैध विद्युत कनेक्शन धारक है तथा विपक्षी संख्या 1 का उपभोक्ता है। विपक्षी संख्या 1 द्वारा परिवादी के विरूद्ध विद्युत देय मु0 66205/- की वसूली हेतु वसूली प्रमाण पत्र जरिये पत्र संख्या 525 दिनांकित 
3
5-12-08 विपक्षी संख्या 3 तहसीलदार चन्दौली को प्रेषित किया। जिस पर कार्यवाही करते हुए विपक्षी संख्या 4 ने संग्रह कर मिलाकर परिवादी से कुल मु0 72820/- वसूल कर लिया तथा इसी वसूली की गयी धनराशि की रसीदें परिवादी को निर्गत किया गया है इसके उपरान्त विपक्षी संख्या 3 व 4 द्वारा वसूल की गयी विद्युत देय की धनराशि मु0 66200/- विपक्षी संख्या 1 के लेखाशीर्षक में जमा कर दिया गया। इस जमा धनराशि का समयोजन परिवादी के बकाया विद्युत देय में विपक्षी संख्या 1 द्वारा क्यों नहीं किया गया तथा दिनांक 4-3-2014 तक मु0 73298/- परिवादी के ऊपर बकाया विद्युत देय दर्शाया जा रहा है। उपरोक्त आधार पर कथन किया गया है कि विपक्षीगण द्वारा सेवा में कमी किया गया है।
7-    परिवाद एवं विपक्षी संख्या 2 ता 4 द्वारा प्रस्तुत जबाबदावा के कथन से यह तथ्य निर्विवादित है कि परिवादी विपक्षी संख्या 1 का विद्युत कनेक्शन धारक व उपभोक्ता है। परिवादी द्वारा विद्युत देय के भुगतान में लापरवाही किया गया है जिसके परिणामस्वरूप विपक्षी संख्या 1 की ओर से दिनांक 5-12-2008 को परिवादी के विरूद्ध बकाया विद्युत देय मु0 66205/- के वसूली हेतु वसूली प्रमाण पत्र तहसीलदार चन्दौली को प्रेषित किया गया। यह धनराशि एवं इस पर देय संग्रह कर तहसीलदार चन्दौली के अमीन द्वारा परिवादी से क्रमशः दिनांक 4-3-2013 को मु0 25300/-,दिनांक 24-3-2013 को मु0 22000/-एवं दिनांक 25-3-2013 को मु0 25520/- कुल मु0 72820/- वसूल किया गया तथा इस संदर्भ में क्रमशः रसीद सं0 161356,161357व 664651 अमीन ने परिवादी को दिया जो पत्रावली में कागज संख्या 4/13,4/12 व 4/11 है।विपक्षी संख्या 2 ता 4 की ओर से प्रस्तुत जबाबदावा से एवं बैंक के चालान क्रमशः कागज संख्या 4/7 ता4/9 से यह प्रमाणित होता है कि अमीन द्वारा वसूल की गयी धनराशि में से संग्रह चार्ज काटते हुए विपक्षी संख्या 1 के लेखाशीर्षक में दिनांक 4-3-2013 को मु0 23000/-,दिनांक 25-3-2013 को मु0 20000/- तथा मु0 23200/- कुल मु0 66200/- जमा कर दिया गया है। नोटिस के तामिला के बावजूद विपक्षी संख्या 1 की ओर से कोई उपस्थित नहीं आये, एवं न ही कोई प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत किया गया। अतः यह स्पष्ट नहीं होता है कि वसूली प्रमाण पत्र के आधार पर परिवादी से विद्युत देय के रूप में जो उपरोक्त कुल मु0 66200/- वसूल करके विपक्षी संख्या 1 के लेखाशीर्षक में जमा किया गया है उसका समायोजन परिवादी के बकाया विद्युत में किया गया है अथवा नहीं, लेकिन यह तथ्य पाया जाता है कि परिवादी के विरूद्ध मु0 66205/-के बकाया विद्युत देय के वसूली हेतु वसूली प्रमाण पत्र दिनांक 5-12-2008 को निर्गत किया गया था उस धनराशि की वसूली लगभग चार वर्ष 3 माह बाद संग्रह अमीन द्वारा मार्च 2013 में वसूल करके विपक्षी संख्या 1 के लेखाशीर्षक में जमा किया गया है।
8-    यह सर्व विदित तथ्य है कि बकाया विद्युत देय जमा न करने पर विद्युत विभाग द्वारा देय धनराशि पर अधिभार लगाया जाता है। इस प्रकार जो देय धनराशि वर्ष 2008 में मु0 66205/- रहा होगा उस पर नियमानुसार विद्युत विभाग 
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द्वारा अधिभार लगाया गया होगा। परिवादी ने इस तथ्य को परिवाद पत्र में स्पष्ट नहीं किया है कि वर्ष 2008 के उक्त बकाया धनराशि को संग्रह अमीन द्वारा उससे मार्च 2013 में वसूल की गयी है तब तक इस पर विद्युत अधिभार विद्युत विभाग द्वारा इस दौरान लगाया गया होगा। परिवादी सिर्फ यही कहता है कि दिनांक 4-3-2014 तक उसके ऊपर मु0 73298/- विद्युत विभाग द्वारा बकाया दर्शाया जा रहा है। दिसम्बर 2008 से मार्च 2014 के बीच बकाया धनराशि पर विद्युत अधिभार का कोई स्पष्ट कथन परिवादी द्वारा नहीं किया गया है और न तो यही कथन किया गया है कि अधिभार माफ कर दिया गया है। परिवादी ने यह भी कहा है कि ओ0टी0एस0 योजना के अन्र्तगत उसने मु0 1,000/- विपक्षी के यहाॅं दिनांक 28-2-2013 को जमा किया लेकिन विद्युत विभाग ने इसके अन्र्तगत ब्याज को माफ कर दिया अथवा कितना छूट दिया। इसका कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं है। उपरोक्त तथ्य एवं परिस्थितियों में हम लोगों द्वारा यह पाया जाता है कि विपक्षी संख्या 1 को इस प्रकरण में यह निर्देश दिया जाना उचित है कि वह वसूली प्रमाण पत्र के आधार पर संग्रह अमीन द्वारा वसूल करके जो धनराशि मु0 66200/- मार्च 2013 में विपक्षी संख्या 1 के लेखाशीर्षक में जमा किया है उसका यदि विपक्षी संख्या 1 ने परिवादी के ऊपर बकाया विद्युत देयों में समायोजन नहीं किया है तो इसका समायोजन करते हुए एक माह के अन्दर परिवादी को सूचित करें तथा यह भी सूचित करें कि परिवादी ओ0टी0एस0 के संदर्भ में जो मु0 1,000/- दिनांक 28-2-2013 को जमा किया है उस पर क्या कार्यवाही की गयी। तद्नुसार आंशिक तौर पर परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य है। मामले के तथ्य एवं परिस्थितियों में कोई हर्जा अथवा ब्याज अधिरोपित करना न्यायोचित नहीं है क्योंकि परिवादी स्वयं विद्युत देय के भुगतान में लापरवाह रहा है।
                             आदेश
    प्रस्तुत परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी संख्या 1 को आदेश दिया जाता है कि परिवादी के विरूद्ध उनके द्वारा निर्गत वसूली प्रमाण पत्र के आधार पर विपक्षी संख्या 3 व 4 द्वारा परिवादी से विद्युत देय वसूल करके जो मु0 66200/- की धनराशि मार्च 2013 में विपक्षी संख्या 1 के लेखाशीर्षक में जमा किया गया है उसका परिवादी के बकाया विद्युत देय में समायोजन करके एवं मु0 1000/- ओ0टी0एस0 के रूप में जो परिवादी ने जमा किया है उसके आधार पर कोई सरचार्ज आदि माफ करने के बारे में कोई कार्यवाही की गयी है या नहीं इस बारे में परिवादी को स्पष्ट सूचना एक माह के अन्दर प्रदान करें। 
 
(मारकण्डेय सिंह)               (मुन्नी देबी मौर्या)                   (जगदीश्वर सिंह)
   सदस्य                        सदस्या                           अध्यक्ष
                                                           दिनांक 13-10-2014

 

 

 
 
[HON'BLE MR. jagdishwar Singh]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Markandey singh]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. Munni Devi Maurya]
MEMBER

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