Rajasthan

Ajmer

CC/77/2010

SURAJ MARBLE - Complainant(s)

Versus

P.N.B - Opp.Party(s)

ADV PADAM LAKHNI

09 Aug 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/77/2010
 
1. SURAJ MARBLE
KISHANGARH
...........Complainant(s)
Versus
1. P.N.B
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Vinay Kumar Goswami PRESIDENT
  Naveen Kumar MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 09 Aug 2016
Final Order / Judgement

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण,         अजमेर

मैसर्स सूरज मार्बल्स प्रा.लि. पंजीकृत कार्यालय- मकराना रोड़,मदनगंज-किषनगढ जरिए निदेषक महावीर कोठारी
                                                -         प्रार्थी

                            बनाम

1. पंजाब नेषनल बैंक जरिए अध्यक्ष 7-भीखाजी कामा प्लेस, नई दिल्ली ।
2. पंजाब नेषनल बैंक जरिए सर्किल हैड,मण्डल कार्यालय, 802, चैपासनी रोड़, जोधुपर । 
3. पंजाब नेषनल बैंक जरिए ष्षाखा प्रबन्धक, मैन चोराहा,मदनगंज-किषनगढ, जिला-अजमेर, राजस्थान । 
4. नेषनल इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड जरिये मण्डल प्रबन्धक,मण्डल कार्यालय पटवारी भवन, अजमेर । 
5.  नेषनल इन्ष्यारेंस कम्पनी लिमिटेड जरिए षाखा प्रबन्धक, यादव भवन, ष्षार्दुल स्कूल के सामने, मदनगंज-किषनगढ, जिला-अजमेर ।      
                                               -       अप्रार्थीगण
                 परिवाद संख्या 77/2010  

                            समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी       अध्यक्ष
                 2. श्रीमती ज्योति डोसी       सदस्या
3. नवीन कुमार               सदस्य

                           उपस्थिति
                  1.श्री पदम लखानी, अधिवक्ता, प्रार्थी
                  2.श्री विमल सिंह बाफना,अधिवक्ता अप्रार्थी  बैंक
                  3.श्री जे.पी.ओझा,अधिवक्ता अप्रार्थी  बीमा कम्पनी 
                              
मंच द्वारा           :ः- निर्णय:ः-      दिनांकः- 23.08.2016
 
1.       प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार  हंै कि प्रार्थी संस्थान एक पंजीकृत निजी कम्पनी है। जिसके निदेषक श्री महावीर प्रसाद कोठारी  को परिवाद प्रस्तुत करने के लिए अधिकृत किया हुआ है । प्रार्थी संस्थान ने  अप्रार्थी बैंक से   एक ऋण/ ओवर ड्राफट की सुविधा प्राप्त कर रखी है इसलिए  अप्रार्थी बैंक अपने स्तर पर  प्रार्थी संस्थान की गुड्स फैक्ट्री आदि का अप्रार्थी बीमा कम्पनी से  ’’ अग्नि नुकसानी का बीमा ’’ करवा रखा है और बीमा प्रीमियम  उसके खाते से  अदा किया जाता रहा है जो ऋण खाते में समायेाजित हो जाता है । यह व्यवस्था विगत 13-14 वर्षो से चली आ रही है ।  इसी क्रम में  प्रार्थी संस्थान के स्टाॅक मूल्य रू. 55,00,000/- का बीमा  अप्रार्थी बैंक ने जरिए बीमा पाॅलिसी  संख्या 370703/4/07/00001251  के अवधि दिनंाक 
27.2.2008 से 26.2.2009 तक के लिए करवा रखा है । दिनंाक 27.2.2008 को सायं 3.00 बजे  दीवार गिरने से तैयार माल (थ्पदपेीमक ळववके) की क्षति हुई ।  जिसकी सूचना प्रार्थी संस्थान ने दिनंाक 27.2.2008 को अप्रार्थी बैंक को लिखित में दे दी । तत्पष्चात् अप्रार्थी बैंक के निर्देषानुसार  उसने समस्त औपचारिकताएं पूर्ण करते हुए माल की नुकसानी व भवन की क्षति बाबत् क्लेम राषि रू. 9,83,500/- का क्लेम अप्रार्थी बीमा कम्पनी के समक्ष प्रस्तुत किया ।  क्लेम प्रस्तुत किए जाने के 3 माह बाद  अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने  दिनंाक 25.5.2008 को  अप्रार्थी संख्या 3 को प्रेषित पत्र की प्रति एवं श्री के.के.उबाना, सर्वेयर के दिनांक 22.5.2008 के पत्र को नत्थी कर प्रार्थी से क्लेम फार्म, पाॅलिसी की प्रति, हानि की अनुमानित क्षति, स्टाॅक रजिस्टर इत्यादि की मांग की  ताकि हानि का मूल्यांकन किया जा सके जबकि प्रार्थी संस्थान ने उक्त चाहे गए दस्तावेज  
12.4.2008 को ही अप्रार्थी बैंक को प्रस्तुत कर दिए थे । तत्पष्चात् अप्रार्थी बैंक ने दिनंाक 31.5.2008  के द्वारा स्टाॅक रजिस्टर, बिल आदि की मांग की ।  जो प्रार्थी ने दिनंाक 13.6.2008 को प्रस्तुत कर दिए जिन्हें अप्रार्थी बैंक ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी को दिनांक 16.6.2008 को भिजवा दिए ।   क्लेम अदा किए जाने के संबंध में काफी पत्राचार हुआ  । अन्त में अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने  अपने पत्र दिनंाक 15.10.2008 के द्वारा क्लेम इस आधार पर खारिज कर दिया कि  दुर्घटना की तिथि दिनांक  24.2.2008 को बीमा पाॅलिसी अस्तित्व में नहीं थी  जबकि प्रार्थी संस्थान में दुर्घटना दिनंाक 27.2.20098 को घटित हुई है । इस प्रकार अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने उसका क्लेम खारिज कर सेवा में कमी कारित की है । प्रार्थी संस्थान ने परिवाद प्रस्तुत कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है ।   परिवाद के समर्थन में महावीर प्रसाद कोठारी, निदेषक के ष्षपथपत्र के अलावा श्री अनिल अग्रावत, सुपरवाईजर, श्री बाबूलाल जैन, लेखाकार, श्री गिरधर सिंह ष्षेखावत, महेष कुमार षर्मा केष्षपथपत्र पेष हुए है ।  
2.       अप्रार्थी बैंक ने जवाब प्रस्तुत  करते हुए प्रार्थी संस्थान का पंजीकृत संस्थान होना, किषनगढ़ में लगभग 20 वर्षो  से मार्बल पत्थर का व्यवसाय करना  व अपने व्यवसाय हेतु उनके यहां से ऋण/ओवर ड्राफट प्राप्त करने के तथ्य को स्वीकार करते हुए आगे यह कथन किया है कि  इस ऋण को सुरक्षित करने के लिए जवाब  की चंरण संख्या 3 में अंकित ष्षर्तानुसार  दृष्टिबधंन  निष्पादित किया गया ।  और इन्हीं ष्षर्तो के क्रम में  उत्तरदाता ने  प्रार्थी संस्थान के गुड््स का  अग्नि बीमा करवाया गया   और प्रार्थी संस्थान के  समय समय पर निवेदन किए जाने पर  बैंक द्वारा  ऋणी के खाते से प्रीमियम की राषि बीमा कम्पनी को हस्तांन्तरित कर दी जाती है ।  चूंकि इकरारनामे के अनुसार दुर्घटना की स्थिति में बीमा से प्राप्त होने वाली राषि पर प्रथम अधिकार बैंक का होने के कारण बीमा पाॅलिसी, कवर नोट बैंक के पास रहते हैं । 
    अप्रार्थी बैंक ने आगे कथन किया है कि दिनंाक 27.2.2008 को  प्रार्थी संस्थान की ओर से  सांयकाल लगभग  3 बजे  उनकी फैक्ट्री की दीवार गिरने की घटना की सूचना सायं 6.00 बजे प्राप्त होने पर  अप्रार्थी  बीमा कम्पनी को टेलीफोन के माध्यम से सूचना देने का प्रयास किया गया । किन्तु किसी के द्वारा टेलीफोन नहीं उठाए जाने पर बैंक के प्रबन्धक द्वारा यह कयास लगाया गया कि बैंक का समय 10.00 से 5.00 बजे का होने के कारण किसी ने टेलीफोन अटेण्ड नहीं किया । इसलिए दिनांक   28.2.2008 को  दुर्घटना की सूचना का एक पत्र प्रातः 11.00 बजे चपरासी के माध्यम से दस्ती भिजवाया गया । तत्पष्चात् क्लेम की अदायगी के संबंध में अप्रार्थी बीमा कम्पनी से पत्राचार किए जाते रहे।  अन्त में अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने  दुर्घटना दिनंाक 24.2.2008 को होना मानते हुए  व बीमा पाॅलिसी  के उक्त दिनंाक को अस्तित्व में नहीं होने के कारण क्लेम खारिज कर दिया ।  जवाब के समर्थन में श्री  घेवर चन्द बड़ौला, वरिष्ठ प्रबन्धक का ष्षपथपत्र पेष हुआ है । 
3.       अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने जवाब प्रस्तुत कर  दर्षाया है कि अप्रार्थी संख्या 3 के द्वारा अप्रार्थी संख्या 5 के यहां  प्रार्थी संस्थान के  रू. 55,00,000/- के स्टाॅक का बीमा दिनंाक 27.2.2008 से 26.2.2008 तक की अवधि के लिए  बीमा पाॅलिसी संख्या 370703/11/07/3100001251 के  जरिए करवाया गया था  । आगे कथन किया है कि अप्रार्थी संख्या 3 द्वारा अप्रार्थी संख्या 5 को दिनंाक 
24.2.2008 को दूरभाष पर प्रार्थी संस्थान के यहां घटित घटना की सूचना  दी गई और उसी दिन उत्तरदाता ने सर्वेयर श्री के. के.उबाना को नियुक्त किया । सर्वेयर ने दिनंाक 25.2.2008 को सर्वे किया । अप्रार्थी बैंक ने दिनंाक 27.2.2008 को बीमा करवाया जबकि तथाकथित घटना दिनंाक 245.2.2008 को घटित हो चुकी थी । अतः बीमा पाॅलिसी के प्रभाव में नहीं होने के कारण  उत्तरदाता किसी भी क्षतिपूर्ति की राषि अदा करने के लिए उत्तरदायी नहीं है ।  अपने अतिरिक्त कथनों इन्हीं तथ्यों को दोहराते हुए दर्षाया है कि अप्रार्थी संख्या 3 के वरिष्ठ प्रबन्धक ने  उक्त घटना को दोहराते हुए सर्वे करवाने  का निवेदन किया था ।  उनके द्वारा नियुक्त सर्वेयर ने सर्वे के दौरान यह पाया कि  क्षतिग्रस्त मार्बल को दुर्घटना स्थल से सर्वे के पूर्व ही बिना सर्वे करवाए हटा दिए जाने के कारण  सर्वेयर ने प्रार्थी संस्थान को दिनंाक 27.2.2008 को पत्र देते हुए  क्षतिग्रस्त मार्बल को हटाने का कारण पूछा साथ ही यदि कोई फोटोग्राफ्स लिए  हो तो  उसे देने के लिए कहा । अप्रार्थी का कथन है कि जो क्लेम फार्म प्राप्त हुआ उसमें  घटना की दिनंाक 27.2.2008  मय 3.00 पीएम लिखा ।  जिसमें दिनंाक में ओवर राईटिंग की हुई है  तथा क्लेम एंटीमेंट दिनंाक 12.4.2008  मंे भी घटना की दिनंाक 27.2.2008 लिखी है ।  ऐसा प्रार्थी ने इसलिए किया क्योंकि उसे जानकारी हो गई थी कि बीमा पाॅलिसी की अवधि दिनंाक 14.1.2008 को समाप्त हो चुकी है और अप्रार्थी बैंक ने उसके बाद की अवधि का बीमा नहीं करवा रखा है । इस प्रकार प्रार्थी व अप्रार्थी बैंक ने मिलीभगत कर  बदलाव किया है ।  उत्तरदाता द्वारा प्रार्थी संस्थान का क्लेम सही आधारों पर खारिज कर कोई सेवा में कमी कारित नहीं की है । अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना करते हुए जवाब के समर्थन में श्री नाथूलाल कोली, मण्डल प्रबन्धक का ष्षपथपत्र पेष किया है । 
4.       पक्षकारों में यथा प्रार्थी, बैंक, बीमा कम्पनी की ओर से लिखित बहस प्रस्तुत हुई  हैं।  पक्षकारों ने अपने अपने पक्षकथनों को ही लिखित बहस में तर्को के रूप में दोहराया है  । बीमा कम्पनी की ओर से  विनिष्चय  थ्पतेज ।चचमंस छवण् 513ध्2015  स्प्ब् टे  ैउज ।दरन क्ंअप  व्तकमत क्ंजमक 24ण्3ण्2015 प्रस्तुत हुआ है । जिसमें माननीय राज्य आयेाग  द्वारा  प्रतिपादित सिद्वान्त के प्रकाष में  उनका तर्क है कि  जहां ब्याज की राषि दिलवाई जा रही है ,  ऐसी स्थिति में मानसिक संताप के मद में क्षतिपूर्ति दिलवाई जाना न्यायोचित नहीं है ।  हमने सुना है एवं प्रस्तुत अभिलेखों का ध्यानपूर्वक अवलोकन भी कर लिया है । 
5.    सम्पूर्ण प्रकरण में एक मात्र विवाद दुर्घटना की तिथि बाबत् है । प्रार्थी पक्ष का कथन रहा है कि दिनंाक 27.2.2008 को उनकी फैक्ट्री  में घटना घटित हुई है जबकि अप्रार्थी बीमा कम्पनी का कथन रहा है कि घटना दिनंाक 24.2.2008 को घटित हुई  है ।  यह सूचना प्राप्त होने पर उन्हांेने सर्वेयर को नियुक्त किया और उसकी रिपोर्ट के आधार पर पाया गया कि उक्त घटना  24.2.2008 को घटित हुई क्योंकि उक्त तिथि को माल का बीमा नहीं करवाया गया था ।  इसलिए क्लेम  दिया जाना सम्भव नहीं है । हम इस संबंध में आई साक्ष्य के संदर्भ में इस बात पर विचार करेगें कि  घटना की वास्तविक स्थिति क्या थी ? प्रार्थी पक्ष का कथन रहा है कि दिनंाक  27.2.2008 को दोपहर 3.00 बजे घटित  दुर्घटना  दीवार गिरने से हुई जिसके कारण भारी क्षति हुई  व  इसकी सूचना दिनंाक 27.2.2008 को प्रार्थी द्वारा बैंक में लिखितद में दे दी गई थी । बैंक द्वारा इस तथ्य को स्वीकार किया गया है व यह सूचना प्राप्त होने पर उसके द्वारा  तत्काल बीमा कम्पनी को टेलीफोन से सूचना देने का प्रयास किया गया व टेलीफोन नहीं उठाने पर तथा बीमा कम्पनी के कार्यालय का समय 10.00 बजे से 5.00 बजे होने के कारण समाप्त होना मानते हुए बैंक के प्रबन्धक द्वारा दिनंाक 27.2.2008 को अप्रार्थी बीमा कम्पनी  के यहां उक्त दुर्घटना  की सूचना एक पत्र द्वारा प्रातः 11.00 बजे चपरासी के माध्यम से दस्ती भिजवाई गई जो बीमा कम्पनी को प्राप्त हो चुकी थी ।  बीमा कम्पनी ने इस तथ्य को अस्वीकार किया है । उन्होने क्लेम फार्म में दषाई गई तिथि में भी ओवर राईटिंग का हवाला दिया है । इस बाबत् उनका यह भी प्रतिवाद  रहा है कि बैंक द्वारा बीमा कम्पनी को दिनंाक 24.2.2008 को दूरभाष पर  घटना की सूचना दी गई थी व उसी दिन बीमा कम्पनी द्वारा सर्वेयर श्री के.के.उबाना को नियुक्त किया गया व सर्वेयर ने दिनंाक 25.2.2008 को सर्वे किया था । अपने इन तर्को का बीमा कम्पनी द्वारा बैंक के उस पत्र को आधार बताया गया है जिसके  अन्तर्गत बैंक द्वारा बीमा कम्पनी को प्रार्थी द्वारा दी गई सूचना पर सूचित किया है । उनका तर्क यह रहा है कि इस पत्र में तिथि का  कोई भी अंकन नहीं है कि यह किस तिथि को जारी हुआ । बीमा कम्पनी द्वारा इस पत्र की फोटोप्रति संलग्न की गई है जबकि पत्रावली में प्रार्थी  की ओर से प्रस्तुत इस पत्र की फोटाप्रति में नीचे बैंक की सील के अंकन के साथ उसके द्वारा दिनंाक 27.2.2008 को बैंक को लिखा गया  वह पत्र उपलब्ध है, जिसमें प्रार्थी ने उक्त दिनंाक 27.2.2008 को फैक्ट्री में नुकसान बाबत् बैंक को सूचित किया है ।  प्रार्थी ने अपने क्लेम फार्म में भी घटना की तिथि दिनंाक 27.2.2008  अंकित की है । हालांकि बीमा कम्पनी ने इस तिथि पर ओवर राईटिंग होने  का तर्क प्रस्तुत किया है । किन्तु इस तिथि को देखते हुए यह प्रकट नहीं होता कि तिथि में किसी भी प्रकार की कोई ओवरराईटिंग की गई हो । बीमा कम्पनी द्वारा  नियुक्त सर्वेयर श्री उबाना ने भी अपनी सर्वे रिपोर्ट में घटना की तिथि दिनंाक 24.2.008 अंकित की है ।  किन्तु इस तिथि के संबंध में उन्होने किन्ही गवाहों के बयान दर्ज किए हांे अथवा मौके की स्थिति की कोई फोटो  या अन्य कोई प्रमाण संकलित किया हो, ऐसा उनकी रिपोर्ट से सिद्व नहीं होता है । बीमा कम्पनी को घटना की सूचना दिनंाक 24.2.2009 को मिली। इस बाबत् भी उनकी ओर से इस तिथि की पुष्टि में कोई प्रलेखीय अथवा मौखिक साक्ष्य  प्रस्तुत नहीं हुई है । अपितु मात्र उस तिथि को सूचना मिलना बताया गया है  एवं उक्त सर्वेयर श्री उबाना का षपथपत्र प्रस्तुत हुआ है जबकि  घटना की तिथि के संबंध मे ंबैंक के उक्त प्रलेखीय साक्ष्य  के अलावा श्री गिरधर सिंह ष्षेखावत, तत्कालीन बैंक प्रबन्धक व श्री मेहष कुमार षर्मा, बैंक के प्रबन्धन अधिकारी के ष्षपथपत्र प्रस्तुत हुए है जिन्होने बताया है कि  दिनंाक 27.2.2008 को सांयकाल 6.00 बजे  प्रार्थी की ओर से लिखित सूचना  वरिष्ठ प्रबन्धक श्री गिरधर सिंह ष्षेखावत  को प्राप्त हुई थी । दिनांक 27.2.2008 को  दिन में 3 बजे  मैसर्स सूरज मार्बल की फैक्ट्री  की दिवार गिरने के कारण दिवार के सहारे  रखी मार्बल की थप्पियां  टूट गई थी जिससे काफी नुकसान हुआ था । उक्त महेष कुमार ष्षर्मा ने सषपथ बताया है कि तत्समय वह  श्री गिरधर सिंह षेखावत के साथ बैंक में किसी कार्य से बैठा हुआ था ।  तब श्री गिरधर सिंह ने उसी समय बीमा कम्पनी के स्थानीय कार्यालय में फोन किया था  । किंतु बार बार फोन करने पर किसी ने फोन नहीं उठाया था । दिनंाक 28.2.2008 को  प्रातः  बैंक खुलने पर श्री ष्षेखावत ने बीमा कम्पनी के स्थानीय कार्यालय  में टेलीफोन से वार्ता की थी एवं उक्त घटना की जानकारी दी थी । इन ष्षपथपत्रों  के अतिरिक्त प्रार्थी की ओर से श्री अनिल अग्रावत एव श्री बाबू लाल जैन ने  भी अपने अपने ष्षपथपत्रों में दिनंाक 27.2.2008 को घटना घटित होने की पुष्टि की थी । इन तथ्यों के संबंध में मात्र बीमा कम्पनी का यह प्रतिवाद है कि उन्हें मौखिक सूचना मिली व उन्होने श्री उबाना को सर्वेयर नियुक्त किया ।  जो  घटना की तिथि के बाबत् पुख्ता प्रमाण नहीं है  तथा उनका प्रतिवाद स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है । मंच की राय में प्रार्थी यह सिद्व  करने में सफल रहा है कि उसके द्वारा दिनंाक 27.2.2008 की घटना घटित होने पर तत्काल बैंक व बीमा कम्पनी को सूचित कर दिया गया था । 
6.    अब हमारे समक्ष घटना की तिथि को प्रार्थी के माल का  बीमा होने अथवा नहीं होने बाबत् विवाद रह जाता है । उभय पक्षकारों के अभिवचनों से एवं पत्रावली में उपलब्ध बीमा पाॅलिसी को देखने से यह स्पष्ट  सिद्व है कि प्रार्थी पक्ष के उक्त माल का अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने दिनंाक 27.2.2008 से 26.2.2009 तक बीमा किया था । बीमा कम्पनी ने घटना दिनंाक 24.2.2008 की दर्षाते हुए यह सिद्व करने का प्रयास किया है कि तत्समय क्योंकि माल का  बीमा प्रभावषील नहीं था  अतः हुए नुकसान के लिए बीमा कम्पनी उत्तरदायी नहीं है । यह स्वीकृत तथ्य है कि प्रार्थी ने अप्रार्थी बैंक से ऋण/ओवरड्राफट  की सुविधा प्राप्त कर फैक्ट्री में रखे माल इत्यादि का अग्नि नुकसानी  का  बीमा करवाया  तथा संदत्त प्रीमियम राषि प्रार्थी संस्थान के खाते से नामे अंकित कर बैंक द्वारा वसूल करना  व उन्हीं के द्वारा बीमा करवाया जाना विगत 13-14 वर्षो से सतत् प्रक्रिया के अन्तर्गत बताया तथा इस संबंध में मांग नगद उधार सुरक्षित करने के लिए माल का दृष्टिबन्धक  अप्रार्थी बैंक द्वारा निष्पादित करना बताया । पत्रावली में  प्रार्थी एवं बैंक द्वारा सम्पादित किया गया दृष्टिबन्धक  उपलब्ध है जिसमें प्रार्थी फर्म  द्वारा माल के लिए गए ऋण पेटे  बैंक द्वारा बीमा प्रीमियम जमा करवाए जाने का उल्लेख है । हालांकि अप्रार्थी बैंक ने इन तर्को का खण्डन किया है कि ऐसा बीमा करवाया जाना मात्र बैंक का ही दायित्व था । किन्तु पत्रावली में जो बीमा पाॅलिसी दिनंाक 15.1.2007 से 14.1.2008  व 27.2.2008 से 26.2.2009 की पं्रस्तुत हुई है  तथा यह पाॅलिसी प्रार्थी के निवेदन पर अप्रार्थी बैंक ने मांग किए जाने पर उपलब्ध  कराई है , को देखने से  यह स्पष्ट है कि  प्रार्थी के द्वारा ऋण पेटे लिए गए माल के संबंध में अप्रार्थी बैंक का यह दायित्व था कि वह समय समय पर उक्त माल का बीमा अपने स्तर पर करवाएं  व बीमा प्रीमियम की राषि  प्रार्थी के ऋण खाते में समय समय पर समायोजित करें । इस प्रकार यह नहीं माना जा सकता कि इस संबंध में बैंक की कोई जिम्मेदारी ही  नहीं थी । 
7.     पत्रावली में बीमा कम्पनी द्वारा सर्वेयर को नियुक्त किए जाने की कोई तिथि अथवा आदेष की प्रति उपलब्ध नहीं करवाई है । सर्वेयर ने अपनी  रिपेार्ट में उसे बीमा कम्पनी द्वारा सर्वेयर नियुक्त करने का उल्लेख किया है व दिनंाक 25.2.2008 को मौके पर जाना बताया है  तथा वहीं पर दिनंाक 24.2.2008 को घटना घटित होना बताया है । रिपोर्ट में  यह भी उल्लेख किया गया है कि प्रार्थी द्वारा सर्वे के दौरान इससे पूर्व ही घटनास्थल से मार्बल के स्लेब इत्यादि हटा लिए गए थे व बीमा कम्पनी को सूचित नहीं किया गया था । यहां यह उल्लेखनीय है कि सर्वेयर ने तत्समय न तो घटना स्थल के  कोई फोटोग्राफ्स लेकर रिपोर्ट में संलग्न की है और ना ही मोके पर किन्हीं गवाहों के बयानों को दर्ज किया । उसने मात्र घटना  की तिथि को मार्बल इत्यादि को हटाए जाने का आधार मानते हुए  घटना की तिथि दिनांक 24.2.2008 बताई है । 
8.           इस प्रकार सम्पूर्ण पत्रावली  के समग्र अवलोकन के बाद मंच यह सिद्व पाता है कि प्रार्थी की फैक्ट्री  में दिनंाक 27.2.2008 को हुई घटना की सूचना उसके द्वारा बैंक को अविलम्ब   दी गई थी व अप्रार्थी  बैंक ने बीमा कम्पनी को इस आषय की सूचना अविलम्ब दी ।  क्योंकि बीमा पाॅलिसी के अनुसार दिनंाक 27.2.2008 से 26.2008 तक उक्त माल का  बीमा करवाया गया है । अतः दिनंाक 27.2.2008 को दिन के 3.00 बजे हुए नुकसान की भरपाई बाबत् क्लेम के लिए बीमा कम्पनी सीधे जिम्मेदार है व उसके द्वारा मात्र सर्वेयर की रिपोर्ट को ध्यान  में रखते हुए खारिज किया गया क्लेम सेवा में कमी व अनुचित व्यापार व्यवहार की परिधि में आता है । मंच की राय में प्रार्थी का परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य है एवं आदेष है कि 
                           :ः- आदेष:ः-      
9.            (1)    प्रार्थी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से बीमा क्लेम राषि रू. 8,80,000़  1,03,500 त्र 9,83,500  मय 9 प्रतिषत वार्षिक ब्याज दर सहित क्लेम प्रस्तुत किए जाने की दिनांक से तदायगी प्राप्त करने का अधिकारी होगा । 
              (2)       प्रार्थी अप्रार्थी  बीमा कम्पनी से परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से आज निर्णय तक की अवधि को देखते हुए  परिवाद व्यय के पेटे रू. 25,000/- भी प्राप्त करने का  अधिकारी होगा । 
              (3)    क्रम संख्या 1 लगायत 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी  बीमा कम्पनी     प्रार्थी को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें   अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे ।  
          आदेष दिनांक 23.08.2016 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।

                
(नवीन कुमार )        (श्रीमती ज्योति डोसी)      (विनय कुमार गोस्वामी )
      सदस्य                   सदस्या                      अध्यक्ष    

 

                 

 

 
 
[ Vinay Kumar Goswami]
PRESIDENT
 
[ Naveen Kumar]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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