जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
कमल कुमार बान्दुडा पुत्र स्व. श्री घनष्यामदास बान्दुडा, उम्र- 56 वर्ष, निवासी- पृथ्वीराजनगर, मदनगंज-किषनगढ, जिला-अजमेर ।
- प्रार्थी
बनाम
1. पंजाब नेषनल बैंक जरिए मुख्य ष्षाखा प्रबन्धक, मुख्य चैराहा, मदनगंज-किषनगढ, जिला-अजमेर ।
2. पंजाब नेषनल बैंक जरिए क्षेत्रीय कार्यालय, 802, अंगीरा दर्पण, प्रथम तल, चैपासनी रोड़, जोधुपर ।
- अप्रार्थीगण
परिवाद संख्या 270/2013
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री कमल कुमार बान्दुडा, प्रार्थी स्वयं
2.श्री विमल सिंह बाफणा, अधिवक्ता अप्रार्थीगण
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः- 30.09.2016
1. प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हंै कि उसका अप्रार्थी बैंक के यहां एक बचत खाता संघारित है जिसके पेटे उसे एटीएम कार्ड जारी कर रखा है । दिनंाक 3.4.2012 को उसके खाते में रू. 1072/- जमा थे जिसमें से अप्रार्थी ने दिनंाक 4.4.2012 को एटीएम ष्षुल्क के रू. 112/- काट लिए । इसी प्रकार न्यूनतम बैलेन्स कम होने पर रू. 150/- की कटौती दिनांक 3.7.2012 को कर ली । इन कटौतियों की जानकारी अप्रार्थी बैंक ने नहीं दी और ना ही कोई स्लिप इत्यादि ही जारी की । अप्रार्थी बैंक का मुुख्य षाखा मैन चैराहा रेल्वे स्टेषन के पास स्थित एटीएम अक्सर खराब रहता है इसी क्रम में उसके खराब होने पर उसने दिनंाक 7.7.2012 को अन्य बैंक सेन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया के एटीएम का 3 बार उपयोग किया । जिसकी भी राषि 18/- काट ली गई और राषि निकालने पर रू. 20/- की कटौती उसके खाते से कर ली गई । इन सभी तथ्यों की उसने अप्रार्थी बैंक के वरिष्ठ प्रबन्धक से षिकायत की, समस्या का समाधान न होने पर उसने दिनांक 24.9.2012 को ई-मेल के जरिए षिकायत करते हुए अवैध रूप से काटी गई राषि पुनः उसके खाते में जमा कराने का निवेदन किया । किन्तु उसकी काटी गई राषि जमा नहीं कर अप्रार्थी बैंक ने सेवा में कमी कारित की है । परिवाद के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र पेष किया है ।
2. अप्रार्थी बैंक ने जवाब प्रस्तुत करते हुए प्रार्थी का बचत खाता उनके यहां संघारित होने के तथ्य को स्वीकार करते हुए आगे कथन किया है कि प्रार्थी द्वारा उक्त खाते से नियमित लेनदेन नहीं किया जाता हैं । दिनंाक 4.4.2012 से 3.7.2012 तक उसके खाते में जमा षेष न्यूनतम राषि रू. 1000/- से कम होने पर दिनंाक 3.7.2012 को न्यूनतम बैलेन्स कम होने पर रू. 150/- रिजर्व बैंक के निर्देषानुसार नियमानुसार काटे गए है । इसी प्रकार प्रार्थी के खाते से एटीएम की वार्षिक ष्षुल्क राषि रू. 112/- की कटौती गई गई तथा इससे पूर्व दिनंाक 19.42010 व 12.4.2011 को भी एटीएम वार्षिक षुल्क की राषि की कटौती की गई है । इसकी जानकारी प्रार्थी को पूर्व से ही है ।
अप्रार्थी बैंक का यह भी कथन है कि रिजर्व बैंक के नियमानुसार अन्य बैंक के एटीएम से पांच बार से अधिक उपयोग करने पर आहरित की जाने वाली राषि के आधार पर चार्जेज वसूला जावेगा और इसी क्रम में प्रार्थी के खाते से क्रमष राषि 9/-,9/- वव रू. 20/- वसूली गई है । इस प्रकार उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी नहीं की गई अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना करते हुए जवाब के समर्थन में श्री टी.आर. मीणा, वरिष्ठ षाखा प्रबन्धक का षपथपत्र पेष हुआ है ।
3. प्रार्थी का तर्क है कि उसके बचत खाते से एटीएम षुल्क राषि रू. 112/- काट लिए जाने की सूचना न तो उसे दी गई और ना ही इस हेतु बिल अथवा स्लिप जारी की गई । इस राषि के काटने के बाद उसके खाते में षेष रही राषि में से न्यूनतम बैलेन्स को ध्यान में रखते हुए जो रू. 150/- की राषि काटी गई है वह गलत व विधि अनुरूप नहीं है । अप्रार्थी बैंक का एटीएम अक्सर खराब रहता है । उसके द्वारा अपने खाते की बैलेन्स जानकारी व रकम निकालने के लिए 3 बार उक्त बैंक का एटीएम खराब होने से सेन्ट्रेल बैंक आफ इण्डिया के एटीएम का उपयोग किए जाने तथा इस हेतु अप्रार्थी बैंक द्वारा उसके खाते से सूचना लेने के कुल रू. 18/- व रकम निकालने बाबत् रू. 20/- की काटी गई राषि अनाधिकृत व विधि विरूद्व है । इस हेतु अप्रार्थी बैंक से पत्र व्यवहार भी किया गया किन्तु उसके साथ दुव्र्यवहार किया गया । परिवाद स्वीकार किया जा कर वंाछित अनुतोष दिलाया जाना चाहिए ।
4. अप्रार्थी बैंक द्वारा प्रार्थी की दलीलों का पुरजोर खण्डन किया गया व उसके खाते से पूर्व के वर्षो में भी समय समय पर एटीएम पेटे राषि काटे जाने का हवाला देते हुए न्यनूतम बैलेन्स के आधार पर राषि काट जाना रिजर्व बैंक की गाईड लाइन्स के अनुरूप बताया । सूचना मांगे जाने पर षुल्क राषि काटा जाना भी उक्त गाईड लाइन्स के अनुरूप सही बताया । कुल मिलाकर उनका तर्क रहा है परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है ।
5. हमने परस्पर तर्क सुन लिए हैं एवं पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों का भी ध्यानपूर्वक अवलोकन कर लिया है ।
6. स्वीकृत तथ्यानुसार प्रार्थी का अप्रार्थी बैंक में बचत खाता रहा है तथा दिनंाक 4.4.2012 को उसके खाते से एटीएम ष्षुल्क के रू. 112/- काटे गए है जैसा कि संलग्न प्रार्थी के खाते के स्टेटमेंट से स्पष्ट है । पूर्व में इसी खाते से दिनंाक 19.4.2010 को रू. 100/- व दिनंाक 12.4.2011 को रू. 112/- , दिनंाक 4.4.2012 को रू. 112/- एटीएम के वार्षिक ष्षुल्क के रूप में काटे गए है , में अप्रार्थी बैंक की किसी प्रकार की कोई अनियमितता प्रकट नहीं होती है । अब यदि इस राषि के काटे जाने के बाद प्रार्थी के खाते में न्यूनतम बैलेन्स की राषि उपलब्ध नहीं रहती है तो इसके लिए अप्रार्थी बैंक के लिए अपेक्षित नहीं है कि वह न्यनूतम बैलेन्स के आधार पर राषि काटे जाने से पूर्व खाताधारक को सूचना दे । बैंक के लिए यह भी अपेक्षित नहीं है कि एटीएम के षुल्क की राषि काटे जाने से पूर्व अथवा पष्चात् इसकी जानकारी खाताधारक को दे । रिजर्व बैंक की गाईड लाईन्स के अनुसार प्रत्येक खाताधारक के खाते से एटीएम ष्षुल्क, लाॅकर ष्षुल्क इत्यादि स्वतः कट जाती है तथा खाताधारक से यह अपक्ष्ेाा की जाती है कि वह अपनी पासबुक में इस आषय का इन्द्राज देखकर स्वयं को सन्तुष्ट कर ले कि बैंक द्वारा उसे उपलब्ध करवाई जा रही सुविधाओं के षुल्क का उसके खाते में जमा राषि से समायोजन कर लिया गया है ।
7 . स्वीकृत रूप से एटीएम ष्षुल्क की राषि रू. 112/- राषि काटे जाने के बाद उसके खाते में न्यनूतम बैलेन्स रू. 960/- रह गई थी व दिनंाक 3.7.2012 को न्यूनतम बैलेन्स नहीं होने के कारण उसके खाते से रू. 150/- की राषि काटी गई है । यह राषि काटा जाना भी एक प्रकार से अनुचित व्यापार व्यवहार का कारण नहीं माना जा सकता । खाताधारक से यह अपेक्षा की जाती है कि वह न्यूनतम बैलेन्स के प्रावधानों के प्रकाष में अपने खाते में उसके द्वारा ली जा रही सुविधाओं के ष्षुल्क के समयोजन के बाद कम से कम न्यनूतम राषि का बैलेन्स उसकें खाते में रहे,यह सुनिष्चित करें । । खाते की बैलेन्स सीट को देखने से यह भी प्रकट होता है कि प्रार्थी ने खाता खुलवाने के बाद एटीएम की सुविधा प्राप्त करने के बाद इस हेतु ष्षुल्क की राषि अलग से जमा नहीं करवाई है अपितु उसके खाते में उपलब्ध राषि में से यह राषि समय समय पर डेबिट हुई है । प्रार्थी ने अप्रार्थी बैंक का एटीएम खराब होने पर अन्य बैंक से सव्ंयवहार किया है । किन्तु इस संबंध में उसने किसी प्रकार की कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं की है । वैसे भी यदि निष्चित ट्रांजेक्षन के बाद कोई भी खाताधारक एटीएम का प्रयोग करता है तो इस हेतु यदि बैंक द्वारा किसी प्रकार का कोई षुल्क कटौती के रूप में प्राप्त किया जाता है तो इसमें किसी प्रकार की न्यूनतम अथवा दोषपूर्ण व्यवहार नहीं कहा जा सकता है । स्वयं प्रार्थी के अनुसार उसने अन्य बैंक से संव्यवहार किया हेै। अतः इस स्थिति को देखते हुए यदि अप्रार्थी बैंक द्वारा कोई निर्धारित न्यनूतम ष्षुल्क प्राप्त किया गया है तो ऐसा करना अप्रार्थी बैंक का दोषपूर्ण व्यवहार नहीं माना जा सकता ।
8. यदि अप्रार्थी द्वारा किसी भी खाताधारक के साथ किसी प्रकार का दुव्र्यहार किया जाता है तो इसके लिए उक्त बैंक के विरूद्व उसके उच्चाधिकारियों को षिकायत किया जाना भी एक विकल्प है । प्रार्थी चाहे तो इस संदर्भ में आवष्यक कार्यवाही करने हेतु स्वतन्त्र है ।
9. सार यह है कि हस्तगत मामले में उपरोक्त विवचेन के प्रकाष में अप्रार्थी बैंक द्वारा किसी प्रकार का कोई सेवादेाष कारित नहीं किया गया है । मंच की राय में प्रार्थी का परिवाद निरस्त होने योग्य है एवं आदेष है कि
-ःः आदेष:ः-
10. प्रार्थी का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार किया जाकर खारिज किया जाता है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।
आदेष दिनांक 30.09.2016 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष