न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, द्वितीय लखनऊ
परिवाद संख्या-252/2008
श्री के0सी0 त्रिवेदी पुत्र स्व0 महाबीर प्रसाद त्रिवेदी निवासी
एम0डी0-1/223, एल0डी0ए0, कानपुर रोड, लखनऊ मृत्यु
दि025.8.08 1/1 गगन त्रिवेदी आयु लगभग 30 वर्ष पुत्र स्व0
कैलाश चन्द्र त्रिवेदी 1/2 कुमारी दीपा त्रिवेदी आयु लगभग
31 वर्ष पुत्री स्व0 कैलाश चन्द्र त्रिवेदी निवासीगण एम0डी0-1
/223 एल0डी0ए0 कालोनी कानपुर रोड लखनऊ - परिवादी
बनाम
1.पंजाब नेशनल बैंक, स्प्रींग डेल कालेज शाखा सेक्टर जी0
एल0डी0ए0 कालोनी कानपुर रोड, लखनऊ द्वारा वरिष्ठ
शाखा प्रबंधक
2.चेयरमैन, पंजाब नेशनल बैंक, हेड आॅफिस, 7 भीखाएजी
प्लेस, नई दिल्ली
3.श्रीमती मधु श्रीवास्तव, आफीसर पंजाब नेशनल बैंक
स्प्रींग डेल कालेज शाखा सेक्टर जी0 एल0डी0ए0
कालोनी कानपुर रोड, लखनऊ - विपक्षीगण
समक्ष
श्री संजीव शिरोमणि, अध्यक्ष
श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य
श्रीमती गीता यादव, सदस्य
द्वारा श्री संजीव शिरोमणि, अध्यक्ष
निर्णय
परिवाद अन्तर्गत धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-1986
परिवाद पत्र के अनुसार, परिवादी का कथन, संक्षेप में, यह है कि परिवादी केैलाश चन्द्र त्रिवेदी , मृतक का पंजाब
नेशनल बैंक , विपक्षी सं0 2 में एक सेविंग बैंक एकाउन्ट सं0 0301010100039079 है। विपक्षी सं0 2 शाखा कार्यालय पंजाब नेशनल बैंक का हेड आॅफिस नई दिल्ली में है ओैर विपक्षी सं0 1 शाखा है और हेड आॅफिस विपक्षी सं0 2 के अन्र्तगत कार्य करता है। विपक्षी सं0 3 अधिकारी है जो कि विपक्षी सं0 1 के शाखा कार्यालय में कार्यरत है। परिवादी केैलाश चन्द्र त्रिवेदी , मृतक ने अपने जीवन काल में शेयर क्रय करने के लिये दि0 15.10.2007 को एक चेक सं0 215194 रू01,44,000/-सुशील फाइनेंन्स कन्सल्टेंट लि0 के नाम से जारी किया था। विपक्षी सं0 1 ने उक्त चेक पदेनििपबपमदज इंसंदबम लिखकर दि0 17.10.2007 को मै0 सुशील फाइनेंन्स कन्सल्टेंट लि0 को वापस कर दिया, जबकि उस समय केैलाश चन्द्र त्रिवेदी , मृतक के खाते में रू0 2,46000/-से अधिक धनराशि थी। केैलाश चन्द्र त्रिवेदी , मृतक ने विपक्षी सं0 1 द्वारा की गयी सेवा में कमी की शिकायत विपक्षी सं0 2 के अधिकारियों से की लेकिन उन्होंने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। परिवादी केैलाश चन्द्र त्रिवेदी , मृतक ने पुनः शेयर ब्रोकर मै0 सुशील फाइनेंन्स कन्सल्टेंट लि0 के नाम से दी थी, जिसे विपक्षी सं0 1 द्वारा दि0 18.10.2007 को बिना किसी वैद्य कारण के बिना पेमेन्ट किये वापस कर दिया था, जबकि परिवादी केैलाश चन्द्र त्रिवेदी , मृतक के खाते में समुचित धनराशि जमा थी।
उक्त दोनों चेकों के संदर्भ में विपक्षी सं0 1 ने सर्विस चार्जेज परिवादी केैलाश चन्द्र त्रिवेदी , मृतक के खाते से काट लिये थे। इसके अतिरिक्त मै0 सुशील फाइनेंन्स कन्सल्टेंट लि0द्वारा भी उक्त चेके वापसी के विरूद्व परिवादी केैलाश चन्द्र त्रिवेदी , मृतक से समुचित राशि वसूली गयी जो कि परिवादी केैलाश चन्द्र त्रिवेदी , मृतक को बैंक द्वारा भुगतान नहीं किया गया। विपक्षी सं0 3 उक्त तिथियों पर बैंक में आफीसर आॅफ इंचार्ज थी और बैंक की समस्त कार्यवाही आफीशियल करवा रही थी , इस तरह से उक्त चेकों के अनादरित होने की पूर्णतया जिम्मेदारी विपक्षी सं0 3 की भी बनती है। विपक्षीगण ने पत्र दि0 29.11.07 में स्वीकार किया है कि उनसे सेवा में त्रुटि हुयी है। परिवादी केैलाश चन्द्र त्रिवेदी , मृतक द्वारा विपक्षी सं0 3 से संपर्क करने पर उन्होंने कोई भी समुचित कार्यवाही नहीं की और उसकी समस्या का समाधान भी नहीं किया। परिवादी केैलाश चन्द्र त्रिवेदी , मृतक के उक्त चेकों का सही समय से भुगतान न होने के कारण उसके द्वारा मै0 सुशील फाइनेंन्स कन्सल्टेंट लि0 को देय धनराशि के विरूद्व मेरे पूर्व में परिवादी केैलाश चन्द्र त्रिवेदी , मृतक द्वारा क्रय किये गये शेयर्स को लगभग तिहाई दामों में विक्रय कर दिया गया ,जिससे क्षुब्ध होकर परिवादी को वर्तमान परिवाद इस जिला मंच में संस्थित करने की आवश्यकता पड़ी, जिसके माध्यम से उसने विपक्षी से विभिन्न मदों में रू0 6,36,000/- मय 10 प्रतिशत ब्याज सहित दिलाये जाने की प्रार्थना किया है।
विपक्षीगण ने प्रतिवाद पत्र में कहा है कि परिवादी केैलाश चन्द्र त्रिवेदी , मृतक उपभोक्ता की परिभाषा में नहीं आता है। परिवादी केैलाश चन्द्र त्रिवेदी , मृतक को विपक्षी द्वारा चार्जेज रिफन्ड किया जा चुका है। परिवादी केैलाश चन्द्र त्रिवेदी , मृतक ने कभी भी व्यक्तिगत रुप से विपक्षी से संपर्क नहीं किया।बैंकिग लोकपाल ने आदेश दि0 26.2.08 के आधार पर रू0 805/-बतौर हर्जा दिलाये का पारित किया। परिवादी केैलाश चन्द्र त्रिवेदी , मृतक यह धनराशि प्राप्त कर चुका है उसके सेविंग बैंक एकाउन्ट में यह धनराशि प्राप्त हो चुकी है। प्रस्तुत परिवाद मिथ्या तथ्यों पर संस्थित किया गया है जो कि सव्यय खारिज किये जाने योग्य है ।
परिवाद पत्र के समर्थन में गगन त्रिवेदी ने अपना शपथपत्र दाखिल किया है एवं परिवाद पत्र के साथ अभिलेखीय साक्ष्यों की छायाप्रतियाॅ दाखिल किया है।
विपक्षीगण ने प्रतिवाद पत्र के समर्थन में एन0पी0 श्रीवस्तव का शपथपत्र दाखिल किया है और शपथपत्र के साथ अभिलेखीय साक्ष्यों की छायाप्रतियाॅ दाखिल की गयी है।
मंच ने पक्षों के विद्वान अधिवक्तागण को श्रवण किया एवं पत्रावली का सम्यक् अवलोकन किया।
परिवादी के विद्वान अधिवक्ता की ओर से यह कहा गया है कि परिवादी केैलाश चन्द्र त्रिवेदी , मृतक के सेविंग बैंक एकाउन्ट में पर्याप्त धनराशि थी परंतु विपक्षी ने पदेनििपबपमदज इंसंदबम लिखकर चेक वापस कर दिया जो कि अनुचित है।
विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि बैंकिग लोकपाल ने अपने आदेश दि0 26.2.08 के आधार पर रू0 805/-को बतौर हर्जा दिलाने का पारित किया, जिसे परिवादी केैलाश चन्द्र त्रिवेदी , मृतक यह धनराशि प्राप्त कर चुका है उसके सेविंग बैंक एकाउन्ट में यह धनराशि प्राप्त हो चुकी है। विपक्षी ने सेवा में कोई कमी नहीं किया है। अतएवं प्रस्तुत परिवाद सव्यय निरस्त किये जाने योग्य है।
उपरोक्त पपर्यवेक्षणोंपरान्त मंच ने पाया कि बैंकिग लोकपाल ने अपने आदेश दि0 26.2.08 के आधार पर रू0 805/-को बतौर हर्जा दिलाने का पारित किया, जिसे परिवादी केैलाश चन्द्र त्रिवेदी , मृतक यह धनराशि प्राप्त कर चुका है उसके सेविंग बैंक एकाउन्ट में यह धनराशि प्राप्त हो चुकी है। यह धनराशि परिवादी केैलाश चन्द्र त्रिवेदी , मृतक के
एकाउन्ट में दि0 17.4.05 को क्रेडिट हुयी । परिवादी केैलाश चन्द्र त्रिवेदी , मृतक ने अपने जीवनकाल में यह धनराशि प्राप्त कर ली थी। अब उसका पुत्र गगन त्रिवेदी तथा दीपा त्रिवेदी परिवादी केैलाश चन्द्र त्रिवेदी के मरणोपरान्त विधिक उत्तराधिकारी बनाये गये है। परिवादी केैलाश चन्द्र त्रिवेदी के मरणोंपरान्त भी वे विधिक उत्तराधिकारी है परंतु गगन त्रिवेदी तथा दीपा त्रिवेदी ने अपनी माॅ को विधिक उत्तराधिकारी नहीं बनाया है। इसका कारण यह दोनों ही बेहतर जानते है। परिवादी केैलाश चन्द्र त्रिवेदी , मृतक ने अपने जीवनकाल में रू0 805/-अर्थदण्ड के रुप में बैंकिग लोकपाल के आदेशानुसार प्राप्त कर लिया है। ऐसी स्थिति में प्रस्तुत परिवाद में विपक्षी द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है। परिवादी केैलाश चन्द्र त्रिवेदी , मृतक ने बैंकिग लोकपाल के आदेश के विरूद्व न तो अपील प्रस्तुत किया और न ही धारा 138 निगोशियेबिल इन्स्टूमेंन्ट का परिवाद ही दाखिल किया है। विपक्षीगण ने अपनी गलती को स्वीकार करते हुये रू0 500/-तथा रू0 305/-अर्थात रू0 805/-दि0 17.4.08 को परिवादी केैलाश चन्द्र त्रिवेदी , मृतक के खाते में जमा कर दिया है। विपक्षी ने अपने तर्क के समर्थन में प् ;2014द्धब्च्श्र ;छब्द्ध चंहम 39
ब्ीपजजपचतवसन स्वामेूंतं त्ंव अध्े न्दपजमक प्दकपं प्देण्ब्वण्स्जकण् - ।दतण् की नजीर दाखिल किया है, जिसमें यह सिद्वान्त प्रतिपादित किया गया है कि यदि परिवादी पिदंस ेमजजसमउमदज के रुप में धनराशि प्राप्त कर लेता है तो वह आगे अन्य किसी प्रकार की धनराशि को पाने का अधिकारी नहीं है। यह नजीर इस केस में लागू होती है।
खेद का विषय यह है कि परिवादी केैलाश चन्द्र त्रिवेदी , मृतक ने रू0 805/-के जमा होने की बात अपने परिवाद पत्र में कहीं नहीं की है और न इसकाा खंडन ही किया है। ऐसी स्थिति में वर्तमान परिवाद मंच की राय में स्वीकार किये जाने योग्य प्रतीत नहीं होता है क्योंकि विपक्षी ने न तो सेवा में कमी किया है और न ही व्यापार विरोधी प्रकिया को ही अपनाया है फलस्वरुप प्रस्तुत परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवाद निरस्त किया जाता है।
पक्षकार वाद व्यय स्वयं वहन करेगें।
(गीता यादव) (गोवर्द्धन यादव) (संजीव शिरोमणि)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
दिनांक 28 फरवरी, 2015