Uttar Pradesh

Faizabad

CC/220/13

BAJRANG BHADUR SINGH - Complainant(s)

Versus

P.N.B - Opp.Party(s)

27 Jan 2016

ORDER

DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM
Judgement of Faizabad
 
Complaint Case No. CC/220/13
 
1. BAJRANG BHADUR SINGH
H.NO. 181 ADARSPURAM COLONY THANAKOTWALI NAGAR FZD
...........Complainant(s)
Versus
1. P.N.B
CIVIL LINE FZD
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL PRESIDENT
 HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA MEMBER
 HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद।

 

उपस्थित -     (1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
        (2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
(3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य

परिवाद सं0-220/2013 

               
बजरंग बहादुर सिंह उम्र लगभग 58 साल पुत्र स्व0 श्री राम कुमार सिंह निवासी म.नं. 181 आदर्षपुरम कालोनी थाना कोतवाली नगर, फैजाबाद।                .............. परिवादी 
बनाम
1.    वरिश्ठ षाखा प्रबन्धक पंजाब नेषनल बैंक सिविल लाइन फैजाबाद।
2.    सहायक महाप्रबन्धक ग्राहक सेवा केन्द्र पंजाब नेषनल बैंक प्रधान कार्यालय 5 संसद मार्ग नई दिल्ली। 
3.    चेयरमैन पंजाब नेषनल बैंक भीकाजी काम्प्लेक्स नई दिल्ली 607 . ....... विपक्षीगण
निर्णय दिनाॅंक 27.01.2016            
उद्घोशित द्वारा: श्री विश्णु उपाध्याय, सदस्य।
                        निर्णय
    परिवादी के परिवाद का संक्षेप इस प्रकार है कि परिवादी बाढ़ खण्ड विभाग में कर्मचारी है। परिवादी का एक बचत खाता संख्या 4152010100502948 विपक्षी संख्या 1 के यहंा विकास भवन फैजाबाद में है। जिस पर परिवादी ने ए0टी0एम0 कार्ड ले रखा है जिसका नम्बर 5126520188435197 है जिससे परिवादी अपने खाते से अपनी सुविधा अनुसार समय समय पर पैसा निकालता रहता है। परिवादी का वेतन भी इसी खाते में आता है। परिवादी ने दिनांक 04.01.2013 को अपने ए0टी0एम0 कार्ड से रुपये 40,000/- निकालने का प्रयास किया लेकिन न तो पैसा निकला और न ही रसीद निकली, बल्कि ए0टी0एम0 की स्क्रीन भी एक दम सफेद हो गयी। थोड़ी देर बाद परिवादी ने फिर रुपया निकालने की प्रक्रिया पूरी की लेकिन दूसरी बार भी न तो रुपया निकला और न ही रसीद ही निकली। थोड़ी देर हैरान व परेषान होने के बाद परिवादी ने जब बैलेंस चेक किया तो पता चला कि परिवादी के खाते से रुपये 25,000/- निकल गये हैं। परिवादी तत्काल षाखा प्रबन्धक के पास गया और अपनी षिकायत की जिस पर षाखा प्रबन्धक ने टोल फ्री नम्बर पर बात करने की सलाह दी। परिवादी ने टोल फ्री नम्बर पर तत्काल षिकायत दर्ज करायी जिस पर षिकायत संख्या 59169954 दिनांक 04.01.2013 को दर्ज हुई। जिस पर भी कोई समाधान न मिलने पर परिवादी पुनः षाखा प्रबन्धक से मिला तो उन्होंने दिनांक 15.01.2013 को षिकायत का ई मेल करवाया। जिसका भी कोई उत्तर नहीं मिला तो परिवादी ने पत्र दिनांक 12.02.2013 को जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के अन्तर्गत विपक्षी बैंक से सूचना मंागी जो आज तक नहीं मिली। उसके बाद परिवादी ने एक पत्र विपक्षी संख्या 2 को दिनांक 25.02.2013 को लिखा, उस पर भी कोई कार्यवाही नहीं हुई और न ही परिवादी का पैसा वापस आया। तब परिवादी ने विपक्षीगण को एक विधिक नोटिस भेजा लेकिन उस पर भी कोई कार्यवाही नहीं हुई। विपक्षीगण के कृत्य से परिवादी को आर्थिक व मानसिक क्षति हुई है। विपक्षीगण ने दिनांक 19.6.2013 को किसी प्रकार से परिवादी को रुपया उसके खाते में वापस करने से इन्कार कर दिया। इसलिये परिवादी को अपना परिवाद दाखिल करना पड़ा। परिवादी को विपक्षीगण से परिवादी के खाते से निकले रुपये 25,000/- वापस दिलाये जायें, रुपये 75,000/- क्षतिपूर्ति दिलायी जाय, ब्याज तथा परिवाद व्यय दिलाया जाय। 
    विपक्षीगण ने अपना उत्तर पत्र प्रस्तुत किया है तथा परिवादी का खाता अपने बैंक में होना तथा ए0टी0एम0 कार्ड जारी किया जाना स्वीकार किया है। विपक्षीगण ने परिवादी के परिवाद के अन्य कथनों से जिस प्रकार कथित हैं से इन्कार किया है और कहा है कि असलियत यह है कि परिवादी के द्वारा दिनांक 04.01.2013 को रुपये 10,000/- निकालने के पूर्व समय 14.33 व 14.37 पर परिवादी के बचत खाता संख्या 4152010100502948 से परिवादी को जारी ए0टा0एम0 कार्ड संख्या 5126520188435197 से क्रमषः रुपये 15,000/- व रुपये 10,000/- का आहरण हुआ था। चूंकि परिवादी के ए0टी0एम0 कार्ड से एक दिन में रुपये 25,000/- की अधिकतम सीमा निर्धारित थी जिसका उपयोग खाता धारक द्वारा उसी दिन दिनांक 04.01.2013 को किया गया, इस कारण दिनांक 04.01.2013 को पुनः वांछित रकम का आहरण परिवादी के ए0टी0एम0 कार्ड से नहीं हुआ। परिवादी द्वारा जन सूचना 2005 के तहत मांगी गयी सूचना परिवादी को समय से व नियमानुसार उपलब्ध करा दी गयी थी। इसके अलावा परिवादी के अन्य षिकायती पत्रों का उत्तर भी परिवादी को दिया जा चुका है। प्रष्नगत धनराषि रुपये 25,000/- का आहरण परिवादी के ए0टी0एम0 कार्ड से हुआ है इसलिये परिवादी को उक्त रकम वापस नहीं की जा सकती। परिवादी ने अपना परिवाद असत्य कथनों पर दाखिल किया है और परिवादी किसी प्रकार का उपषम पाने का अधिकारी नहीं है। परिवादी के ए0टी0एम0 कार्ड से निकली धनराषि की जांच कराने पर पता लगा कि दिनांक 04.01.2013 को ट्रंाजेक्षन नम्बर 9630 से रुपये 15,000/- समय 14.33 और टंªाजेक्षन नम्बर 9632 से रुपये 10,000/- समय 14.37 सक्सेस फुल था। इसके अतिरिक्त दिनांक 05.01.2013 को ए0टी0एम0 मषीन में रुपया डालते समय कैष अतिरिक्त नहीं पाया गया। जांच के बाद परिवादी के क्लेम को निरस्त करते हुए परिवादी को सूचित कर दिया गया। परिवादी द्वारा बाद में दिये गये षिकायती पत्रों का उत्तर भी परिवादी को दिया जा चुका है। ए0टी0एम0 मषीन से धन निकालते समय ए0टी0एम0 कार्ड और उसका गुप्त कोड जो कि ग्राहक को दिया जाता है वह परिवादी के पास था, जिसे गुप्त रखने की जिम्मेदारी ग्राहक अथवा परिवादी की होती है। गुप्त कोड को कार्ड धारक को समय समय पर बदलते रहना चाहिए। इस सम्बन्ध में यदि परिवादी ने कोई लापरवाही बरती है तो बैंक उसके लिये जिम्मेदार नहीं है। परिवादी को परिवाद दायर करने का कोई कार्य कारण उत्पन्न नहीं हुआ है। उत्तरदातागण ने अपनी सेवा में किसी प्रकार की कमी नहीं की है। परिवादी ने बैंक नियमों व षर्तों का पालन नहीं किया है। परिवादी ने विपक्षी बैंक को गलत पक्षकार बनाया है। परिवादी का परिवाद पोशणीय नहीं है। इसलिये खारिज किये जाने योग्य है। 
    पत्रावली का भली भंाति परिषीलन किया। परिवादी एवं विपक्षीगण द्वारा दाखिल साक्ष्यों व प्रपत्रों का अवलोकन किया। परिवादी ने अपने परिवाद के समर्थन में अपना षपथ पत्र, विपक्षीगण को भेजे गये अदिनांकित पत्र रजिस्ट्री रसीद दिनांक 18.03.2013 सहित की छाया प्रति, परिवादी के जन सूचना के अधिकार अधिनियम सन 2005 के तहत परिवादी को दी गयी सूचना के पत्र दिनांक 30.03.2013 की छाया प्रति, परिवादी के पत्र दिनांक 03-04-2013 की छाया प्रति, विपक्षी संख्या 2 के पत्र दिनांक 10.04.2013 की छाया प्रति, परिवादी के ए0टी0एम0 के ट्रंाजेक्षन की छाया प्रति, परिवादी के कार्ड के विवरण की छाया प्रति, विपक्षी बैंक के ए0टी0एम0 के रिकन्सीलियेषन की छाया प्रति तथा परिवादी के जन सूचना के पत्र दिनांक 12.02.2013 की छाया प्रति दाखिल की है जो षामिल पत्रावली है। विपक्षीगण ने अपने पक्ष के समर्थन में अपना लिखित कथन, अखिल रंजन त्रिपाठी वरिश्ठ षाखा प्रबन्धक का षपथ पत्र, परिवादी को दी गयी सूचना पत्र दिनांक 22.03.2013 की छाया प्रति तथा परिवादी के ए0टी0एम0 के टंªाजेक्षन की रसीदों की छाया प्रति दाखिल की है जो षामिल पत्रावली है। परिवादी एवं विपक्षीगण द्वारा दाखिल साक्ष्यों व प्रपत्रों से प्रमाणित है कि परिवादी के ए0टी0एम0 से रुपये 25,000/- दिनांक 04.01.2013 को परिवादी की लापरवाही से निकले हैं। परिवादी ने विपक्षीगण को भेजे गये विधिक नोटिस की कोई प्रति अपने परिवाद के साथ दाखिल नहीं की है। विपक्षी ने अपने पक्ष के समर्थन मंे प्;2015द्ध ब्च्श्र 254 ;छब्द्ध ‘‘राघवेन्द्र नाथ सेन एवं आदि बनाम पंजाब नेषनल बैंक’’ का उद्हरण प्रस्तुत किया है जो विपक्षीगण के पक्ष को समर्थित करता है। परिवादी विपक्षीगण बैंक की सेवा में कमी को प्रमाणित करने में असफल रहा है। विपक्षीगण बैंक ने अपनी सेवा में कोई कमी नहीं की है। परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है। 
आदेश
    परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।     
          (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)             (चन्द्र पाल)              
              सदस्य                  सदस्या                    अध्यक्ष      
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 27.01.2016 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया।

          (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)             (चन्द्र पाल)           
              सदस्य                  सदस्या                    अध्यक्ष

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY]
MEMBER

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