Rajasthan

Churu

56/2012

SHYAMLAL - Complainant(s)

Versus

P.N.B. Bank SARDARSHAHAR - Opp.Party(s)

RAMNIWAS SAHARAN

18 Dec 2014

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 56/2012
 
1. SHYAMLAL
VPO DHANI TETARWAAL TEH. SARDARSHAHAR, CHURU
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Shiv Shankar PRESIDENT
  Subash Chandra MEMBER
  Nasim Bano MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

प्रार्थी की ओर से श्री रामनिवास सहारण अधिवक्ता उपस्थित। अप्रार्थी की ओर से श्री माणकचन्द भाटी अधिवक्ता उपस्थित। पक्षकारान की बहस सुनी गई। प्रार्थी अधिवक्ता ने अपनी बहस में परिवाद के तथ्यों को दौहरते हुए तर्क दिया कि दिनांक 28.12.2011 को प्रार्थी ने जब अपने भाई के खाता संख्या 4142011500007016 में 2500 रूपये केश डिपोजिट किओस्क मशीन में डाले तो मशीन द्वारा 1,000 रूपये जमा लेकर बाकी 1500 रूपये वापिस फेंक दिये जिसमें से एक नोट 500 रूपये का वापिस करते समय मशीन की तकनीकी खराबी के कारण फट गया जिसकी शिकायत प्रार्थी ने अप्रार्थी बैंक में दिनंाक 28.12.2011 को ही प्रार्थना-पत्र देकर की वह नोट बदलकर देने की मांग की परन्तु अप्रार्थी ने प्रार्थी के प्रार्थना-पत्र पर कोई कार्यवाही नहीं की इसके बाद पुनः प्रार्थी दिनांक 02.01.2012 को अप्रार्थी शाखा के प्रबन्धक से मिला व नोट बदलकर देने की मांग की। परन्तु अप्रार्थी ने प्रार्थी को नोट बदलकर देने से स्पष्ट इन्कार कर दिया जिस पर प्रार्थी ने अधिवक्ता के माध्यम से एक विधिक नोटिस भी अप्रार्थी को दिया। नोटिस प्राप्ति के बावजूद भी अप्रार्थी ने प्रार्थी को नोट बदलकर नहीं दिया। अप्रार्थी का उक्त कृत्य स्पष्ट रूप से सेवादोष की श्रेणी में आता है। उक्त आधार पर प्रार्थी अधिवक्ता ने परिवाद स्वीकार करने का तर्क दिया। अप्रार्थी अधिवक्ता ने प्रार्थी अधिवक्ता के तर्कों का विरोध करते हुए मुख्य तर्क यही दिया कि दिनांक 28.12.2011 को जब प्रार्थी द्वारा अप्रार्थी बैंक के यहां स्थित किओस्क मशीन में लेनदेन किया गया उस समय मशीन बिल्कुल सही थी। यदि मशीन खराब होती तो निश्चित रूप से सारे नोट वापिस फेंक देती। यह भी तर्क दिया कि मशीन बिल्कुल ठीक थी। यदि प्रार्थी वास्तव में नोट बदलवाना चाहता तो वह रिजर्व बैंक आॅफ इण्डिया के अनुसार निश्चित प्रारूप में फार्म भरकर जमा करवाता तो उसे तुरन्त नोट बदलकर दिया जा सकता था। प्रार्थी ने उक्त बैंक नियमों के तहत उपचार प्राप्त होते हुए भी मिथ्या आधारों पर यह परिवाद पेश किया है। इसलिए प्रार्थी अधिवक्ता का परिवाद खारिज करने का तर्क दिया।

           प्रार्थी अधिवक्ता ने अपने परिवाद के समर्थन में स्वंय का शपथ-पत्र, विधिक नोटिस, प्रार्थना-पत्र, असल रसीद व ए.डी. दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया है। पत्रावली का ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया। मंच का निष्कर्ष निम्न प्रकार है।

           हमने उभय पक्षों के तर्कों पर मनन किया। वर्तमान प्रकरण में प्रार्थी अधिवक्ता ने यह तर्क दिया है कि अप्रार्थी बैंक के यहां स्थित किओस्क मशीन खराब होने के कारण मशीन के द्वारा एक नोट फटा हुआ जारी किया गया जिसकी शिकायत करने पर अप्रार्थी बैंक द्वारा बदलकर नहीं दिया गया। प्रार्थी अधिवक्ता ने अपनी बहस के समर्थन मंे इस मंच का ध्यान अपने द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना-पत्र दिनांक 28.12.2011, बैंक स्लीप व असल फटे हुये नोट की ओर ध्यान दिलाया जिसका ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया। प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों से यह तो स्पष्ट है कि नोट व स्लीप फटी हुई है लेकिन इससे यह साबित नहीं होता कि उक्त स्लीप व नोट का फटने का कारण क्या वास्तव में किओस्क मशीन है। परन्तु फटे हुये नोट को बदलने का अधिकार अप्रार्थी बैंक के पास था। प्रार्थी जब अप्रार्थी बैंक मेनेजर से मिला तो अप्रार्थी बैंक को आर.बी.आई. के नियमानुसार नोट बदल कर देना चाहिए था। यदि अप्रार्थी बैंक द्वारा प्रार्थी के फटे हुये नोट को बदलकर उसी समय दे देते तो प्रार्थी को अनावश्यक रूप से इस मंच में यह परिवाद पेश कर अपने धन व समय खर्च नहीं करना पड़ता। अप्रार्थी बैंक की ओर से अपने जवाब के समर्थन में किसी भी अधिकारी का कोई शपथ-पत्र व दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया इसलिए अप्रार्थी के कथन विश्वसनीय प्रतीत नहीं होते। मंच की राय में अप्रार्थी बैंक ने प्रार्थी के द्वारा 500 रूपये के फटे हुये नोट को बदलकर नहीं देना अप्रार्थी बैंक का सेवादोष है। इसलिए प्रार्थी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।

           अतः प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थी बैंक के विरूद्ध आंशिक रूप से स्वीकार किया जाकर अप्रार्थी बैंक को आदेश दिया जाता है कि वह प्रार्थी के द्वारा प्रश्नगत फटा हुआ नोट बैंक में प्रस्तुत करने पर उसे नियमानुसार बदलकर देंवे व प्रार्थी को परिवाद व्यय के रूप में 2,000 रूपये भी अदा करेगा। अप्रार्थी को आदेश दिया जाता है कि वह उक्त आदेश की पालना आदेश की दिनांक से दो माह के अन्दर-अन्दर करें। पत्रावली फैसला शुमार होकर दाखिल दफ्तर हो।

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Shiv Shankar]
PRESIDENT
 
[ Subash Chandra]
MEMBER
 
[ Nasim Bano]
MEMBER

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