जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद ।
़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़ ़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़उपस्थितिः-(1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
(2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
(3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य
परिवाद सं0-290/14
दि लिप्रेसी मिशन हास्पिटल पो0 मोती नगर जनपद फैजाबाद जरिये सुपरिटेन्डेन्ट डा0 तिमाॅथी मैक्सिमस ................ परिवादी
बनाम
1- किर्लोस्कर इलेक्ट्रिक कम्पनी लि0 पी.बी. नं0-5555 मल्लेशवरम वेस्ट बैंगलोर 560055 जरिये जनरल मैनेजर।
2- पी.के. गुप्ता सेल्स एण्ड सर्विस 3 स्टार प्लाजा पुराना आर.टी.ओ. कम्पाण्ड 92 जी.बी. मार्ग लखनऊ।
3- अंकिता इन्टर प्राइजेज अधिकृत सर्विस सेन्टर ई-3217 राजा जी पुरम लखनऊ द्वारा मैनेजर ............... विपक्षीगण
निर्णय दि0 09.03.2016
निर्णय
उद्घोषित द्वारा-श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
परिवादी ने यह परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध जेनरेटर सेट को बदलकर उसके बदले नया दोषरहित जेनरेटर सेट अथवा जेनरेटर सेट की कीमत मु0 6,65,000=00 मय ब्याज दिलाये जाने हेतु योजित किया है।
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संक्षेप में परिवादी का परिवाद इस प्रकार है कि परिवादी द्वारा विपक्षी सं0-1 कम्पनी द्वारा निर्मित एक जेनरेटर सेट 125 के.वी.ए. डी.जी. सेट दि0 16.01.2011 विपक्षी सं0-2 के प्रतिष्ठान से पूर्ण कीमत मु0 6,65,000=00 चुका कर क्रय किया गया। प्रश्नगत जेनरेटर सेट क्रय किये जाने के कुछ दिनों बाद से ही जेनरेटर सेट में तमाम तकनीकी खराबियाॅं प्रदर्शित होने लगी। प्रश्नगत जेनरेटर कार्य करते-करते अचानक बंद हो जाता था तथा उसका इंजन पूर्ण रूप से डिफेक्टिव था साथ ही साथ उसके अन्य फंक्शन सुचारू रूप से कार्य नहीं कर रहे थे तथा जेनरेटर में तमाम प्रकार के गंभीर मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट्स मौजूद थे जिसकी शिकायत परिवादी द्वारा तत्काल विपक्षी सं0-2 को दी गई तब विपक्षी सं0-2 के कर्मचारियों द्वारा सभी मौजूद डिफेक्ट को दूर कर देने का झूठा आश्वासन दिया गया। प्रश्नगत जनरेटर सेट के सम्बन्ध में जब भी विपक्षी सं0-2 से बदलने की बात की जाती तो विपक्षी सं0-2 द्वारा प्रश्नगत सेट में मौजूद कमियों को तत्काल दूर करने का झूठा आश्वासन दिया जाता व सेट को ठीक करने का प्रयास किया गया परन्तु प्रश्नगत सेट के डिफेक्ट ठीक नहीं किया जा सका व समय-समय पर प्रश्नगत सेट खराब होता रहा।
विपक्षी सं0-1 ने अपने जवाबदावे मंे परिवादी के कथनों से इन्कार किया है और अपनी आपत्ति में कहा है कि परिवादी ने विपक्षी सं0-2 पी.के. गुप्ता सेल्स एण्ड सर्विस लखनऊ तथा विपक्षी सं0-3 अंकिता इन्टरप्राइजेज लखनऊ के यहाॅं जेनरेटर सेट को क्रय किया है। इस प्रकार इस न्यायालय को फैजाबाद उपभोक्ता फोरम को सुनने का क्षेत्राधिकार प्राप्त नहीं है। परिवादी का यह परिवाद वारन्टी के समाप्त होने के उपरान्त् अनधिकृत रूप से दाखिल किया है तथा स्थानीय मिस्त्री द्वारा जेनरेटर सेट जो विपक्षी सं0-2 के यहाॅं से क्रय किया है उसके द्वारा छेड़-छाड़ की गयी है। वारन्टी केवल 12 महीनें की थी या 3000 घण्टा चलाने का था। जेनरेटर सेट दि0 16.01.2011 को परिवादी ने क्रय किया था। इस प्रकार यह परिवाद समय विधान से बाधित है। परिवादी ने यह परिवाद 3 वर्ष बाद दायर किया है। जेनरेटर सेट के लिए परिवादी को जो निर्देश दिये गये थे उन नियमों का पालन नहीं किया है और सर्विस कराने का दुरूपयोग किया है।
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मैं परिवादी तथा विपक्षी सं0-1 के लिखित बहस का अवलोकन किया तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्य का अवलोकन किया। इस परिवाद में निम्न बिन्दुओं पर विचार करना है किः-
1- क्या जनपद फैजाबाद में परिवाद योजित करने का वाद कारण उत्पन्न हुआ है?
परिवाद के अनुसार विपक्षी सं0-1 कम्पनी द्वारा निर्मित एक जेनरेटर सेट 125 के.वी.ए. डी.जी. सेट दि0 16.01.2011 विपक्षी सं0-2 के प्रतिष्ठान से पूर्ण कीमत मु0 6,65,000=00 चुका कर क्रय किया गया। विपक्षी सं0-1 ने अपनी आपत्ति में कहा है कि यह जेनरेटर सेट विपक्षी सं0-2 के प्रतिष्ठान से क्रय किया गया है। परिवादी का यह कथन है कि इस जेनरेटर सेट की धनराशि मु0 6,65,000=00 परिवादी ने विपक्षी सं0-2 को आर.टी.जी.एस. के माध्यम से फैजाबाद से विपक्षी सं0-2 के खाते में ट्रांसफर किया है जिसके कागजात पत्रावली में कागज सं0-1/9 लगायत 1/13 है। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का यह भी तर्क है कि विपक्षी सं0-2 को जब आर.टी.जी.एस. से मु0 6,65,000=00 विपक्षी सं0-2 के खाते में ट्रांसफर कर दिया गया, तो विपक्षी सं0-2 ने जेनरेटर सेट को फैजाबाद में परिवादी के यहाॅं भेज दिया। इस प्रकार परिवादी का कथन है कि जेनरेटर सेट को फैजाबाद में प्राप्त किया है। परिवादी की ओर से अपने तर्क के समर्थन में टाटा काॅफी लिमि0 बनाम एन. स्रीनिवाससालू आदि प्प् (2014) सी0पी0जे0 2007 (एन.सी.) को प्रेषित किया गया है। इस नजीर में यह सिद्धान्त प्रतिपादित किये गये हैं कि जहाॅं पर माल को दिया गया हो और उसी स्थान में पैसा प्राप्त किया गया हो, भौतिक रूप से माल प्राप्त करने और उसका उपभोग करने पर, उसी जगह सुनवाई का क्षेत्राधिकार रहेगा। इसी प्रकार परिवादी ने डा0 नरेश खन्ना बनाम लवली सनीटेशन प्प्प् (2015) सी0पी0जे0 87 स्टेट कमीशन पंजाब को प्रेषित किया। इस नजीर में वाद कारण वहाॅं उत्पन्न होता है, जहाॅं पर माल को दिया गया हो। माल फरीदपुर में दिया गया था, इसलिए वाद कारण फरीदपुर सिटी में ही उत्पन्न माना जायेगा और वाद वहाॅं संधारण माना जायेगा। विपक्षी की ओर से अपने तर्क के समर्थन में श्रीराम इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड तथा अन्य बनाम बी. नागार्जू तथा अन्य प्ट (2011) सी0पी0जे0 33 स्टेट कमीशन आॅंध्र प्रदेश को प्रेषित किया। इस नजीर में क्षेत्रीय श्रवण क्षेत्र के सम्बन्ध में सिद्धान्त प्रतिपादित किये
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गये हैं। खम्माम ब्रान्च आफिस में माल डेलिवर हुआ था। इस प्रकार इसमें क्षेत्राधिकार नहीं माना गया है। सम्माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने यूनियन बैंक आॅफ इण्डिया बनाम मेसर्स सिप्पो रैली ओ.वाई. एण्ड अदर्स 2000 ए.सी.जे. 9 (एस.सी.) इस केस में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-11 (2) (ग) के सम्बन्ध में वाद कारण कहाॅं पैदा होगा सिद्धान्त प्रतिपादित किये हैं। बैंक गारन्टी सहारनपुर में पेमेन्ट की गयी और सहारनपुर ब्रान्च में ही प्राप्त की गयी इस प्रकार सहारनपुर में वाद कारण उत्पन्न होना माना गया। इस केस में जेनरेटर सेट जनपद फैजाबाद में प्राप्त किया गया। जनपद फैजाबाद के बैंक से आर.टी.जी.एस. द्वारा विपक्षी सं0-2 को पैसा भेजा गया। इस प्रकार इस केस का वाद कारण उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-2 (ग) के तहत जनपद फैजाबाद में उत्पन्न हुआ है। विपक्षी सं0-1 के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि जेनरेटर सेट लखनऊ से क्रय किया है इस कारण वाद कारण लखनऊ में उत्पन्न हुआ यह तर्क अस्वीकृत किया जाता है।
2- क्या परिवादी का परिवाद समय विधान से बाधित है?
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-24ए के तहत वाद कारण उत्पन्न होने के दो साल के अन्दर परिवाद योजित होना चाहिए। विपक्षी सं0-1 ने अपने जवाबदावे में कहा है कि जेनरेटर सेट विपक्षी सं0-2 के यहाॅं से दि0 16.01.2011 को क्रय किया गया। 12 माह की वारन्टी या 3000 घण्टे तक चलाने की वारन्टी थी। इस वारन्टी पीरियड के उपरान्त् दि0 07.11.2014 को परिवाद योजित किया है। एक साल से अधिक समय के बाद यह परिवाद योजित किया है। पत्रावली में विपक्षी सं0-1 ने अपने साक्ष्य में शपथ-पत्र 8ख/1 लगायत 8ख/5 दाखिल किया है जिसका संलग्नक-1 है जिसमें वारन्टी के विषय में लिखा है। वारन्टी के नं0-3 को एनेक्जर में हटा दिया है। परिवाद में परिवादी ने कागज सं0-1/17 वारन्टी के विषय में दाखिल किया है, जिसके अनुसार यदि वारन्टी गेन स्कीम के तहत परिवादी वारन्टी गेन कर लेता है, तो उसकी वारन्टी 27 महीनें की हो जाती है या 5000 घण्टे जेनरेटर सेट चलाना चाहिए। परिवादी ने जेनरेटर से सम्बन्धित कागजात पत्रावली में दाखिल किये हैं, जो कागज सं0-1/17 लगायत 1/76 है। परिवादी ने विपक्षी सं0-3 के यहाॅं सर्विस करायी, जो कागज सं0-1/56 लगायत 1/57 है। इस प्रकार
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परिवादी ने विपक्षी सं0-1 व 2 के अधिकृत सर्विस सेन्टर विपक्षी सं0-3 के यहाॅं सर्विस करायी है। विपक्षी सं0-3 के यहाॅं का कागज परिवादी ने 1/32 दाखिल किया ह,ै जिसमें सर्विस कान्ट्रैक्ट एण्ड टर्म्स की कन्डीशन जेनरेटर के सम्बन्ध में लिखी हुई है। इस प्रकार परिवादी ने विपक्षी सं0-1 व 2 के अधिकृत सर्विस सेन्टर विपक्षी सं0-3 अंकिता इन्टरप्राइजेज अधिकृत सर्विस सेन्टर राजा जी पुरम लखनऊ के द्वारा सर्विस करायी है। इस प्रकार वारन्टी पीरियड 12 माह के स्थान पर 27 माह हो गयी या 3000 घण्टे के स्थान पर 5000 घण्टे हो गयी। इस प्रकार परिवादी ने विपक्षी वारन्टी गेन स्कीम के तहत 27 माह या 5000 घण्टे की वारन्टी गेन स्कीम के तहत वारन्टी प्राप्त कर लिया। इस प्रकार परिवादी ने अधिकृत सर्विस सेन्टर में ही जेनरेटर सेट की सर्विस करायी और परिवादी का यह परिवाद समय विधान से बाधित नहीं है। विपक्षी द्वारा दाखिल नजीर रामरतन एम. श्रीवास बनाम जयन्त एच. ठक्कर प्ट (2011) सी0पी0जे0 114 (एन0सी0) लागू नहीं होती है। इस प्रकार इस बिन्दु को परिवादी साबित करने में पूर्णतया सफल रहा है। यह बिन्दु परिवादी के पक्ष में निर्णीत किया जाता है।
3- क्या परिवादी ने विपक्षी सं0-1 व 2 के यहाॅं से खरीदी गयी जेनरेटर सेट की सर्विस अनधिकृत रूप से दूसरे मिस्त्री से करायी?
परिवादी द्वारा जो कागजात अपने परिवाद के समर्थन में दाखिल किये गये हैं जेनरेटर सेट की सर्विस विपक्षी सं0-3 जो विपक्षी सं0-1 व 2 का अधिकृत सर्विस सेन्टर है उससे सर्विस कराया। विपक्षी द्वारा ऐसा कोई सबूत दाखिल नहीं किया गया ह,ै जिससे यह साबित हो कि परिवादी ने अनधिकृत रूप से अकुशल स्थानीय मिस्त्री द्वारा जेनरेटर सेट की सर्विस करायी। इस प्रकार यह बिन्दु भी परिवादी के पक्ष में निर्णीत किया जाता है।
4- क्या जेनरेटर सेट में शुरू से मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट है?
परिवादी ने अपने परिवाद में यह कहा है कि विपक्षी सं0-3 के यहाॅं सर्विस कराने के उपरान्त् भी विपक्षी सं0-1 व 2 के यहाॅं से क्रय किया गया जेनरेटर सेट मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट होने के कारण नहीं चला है। इस सम्बन्ध में विपक्षी सं0-3 ने
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जेनरेटर सेट की सर्विस किया और कागज सं0-1/34 लगायत 1/76 दाखिल किये हैं। शपथीय साक्ष्य से एवं दस्तावेजी साक्ष्य से यह स्पष्ट होता है कि मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट के कारण जेनरेटर सेट परिवादी के यहाॅं जो लगा था, वह सही नहीं चला है। यदि मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट नहीं होता तो, विपक्षी सं0-3 द्वारा किये गये सर्विस से जेनरेटर सेट सही हो जाता और सुचारू रूप से चलता रहता लेकिन जेनरेटर सेट विपक्षी सं0-3 के सर्विस करने के उपरान्त् भी सही रूप से नहीं चला। मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट जेनरेटर सेट में है, यह बात विपक्षी सं0-3 के साक्ष्य से स्पष्ट हो जाता है। विपक्षीगण द्वारा विपक्षी सं0-3 का कोई शपथीय साक्ष्य नहीं दिया गया है क्योंकि विपक्षी सं0-3 ही विवादित जेनरेटर की सर्विस किया है। इस प्रकार जेनरेटर सेट में मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट है। इस प्रकार मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट होने के कारण यह जेनरेटर सेट सही रूप से काम नहीं कर रहा है। यह बिन्दु परिवादी साबित करने में सफल रहा है। यह बिन्दु भी परिवादी के पक्ष में निर्णीत किया जाता है।
5- क्या परिवादी का परिवाद वाणिज्यिक श्रेणी में आता है?
जेनरेटर सेट को परिवादी ने लिप्रेसी मिशन हाॅस्पिटल जनपद फैजाबाद में लगाया है। यह ट्रस्ट है और कुष्ठ रोगी की सेवा निःशुल्क अस्पताल में की जाती है। कोई फीस किसी मरीज से नहीं ली जाती है। कुष्ठ रोगियों का रजिस्ट्रेशन होने के उपरान्त् जब तक कुष्ठ रोगी का रोग ठीक नहीं हो जाता, तब तक अस्पताल में मरीजों का इलाज निःशुल्क होता रहता है और जो मरीज इस अस्पताल में भर्ती होते हैं उनको निःशुल्क सुविधा, खान-पान की दी जाती है। यदि व्यवसाय के दृष्टि से परिवादी का अस्पताल कार्य करता, डाक्टरों की फीस ली जाती, जाॅंच आदि करने की फीस ली जाती तो वह व्यवसाय की श्रेणी में आता। यह एक ट्रस्ट है और निःशुल्क होती है तो यह वाणिज्यिक श्रेणी में नहीं आता है। इस प्रकार विपक्षी सं0-1 का यह कथन कि वाणिज्यिक श्रेणी में आता ह,ै यह साबित नहीं होता है। यह बिन्दु विपक्षी सं0-1 के विरूद्ध निर्णीत किया जाता है।
उपरोक्त विवेचना के आधार पर जेनरेटर सेट 125 के.वी.ए. डी.जी. सेट में मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट है। इसे सर्विस से या मरम्मत कराके ठीक नहीं किया जा सकता है इसलिए परिवादी जेनरेटर सेट की कीमत तथा वाद व्यय एवं मानसिक
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क्षतिपूर्ति विपक्षी सं0-1 व 2 से संयुक्तता तथा पृथकता पाने के अधिकारी है। परिवादी का परिवाद विपक्षी सं0-1 व 2 के विरूद्ध संयुक्तता तथा पृथकता स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद विपक्षी सं0-1 व 2 के विरूद्ध संयुक्तता तथा पृथकता स्वीकार किया जाता है। परिवादी का परिवाद विपक्षी सं0-3 के विरूद्ध खारिज किया जाता है। परिवादी विपक्षी सं0-2 से जेनरेटर सेट की कीमत मु0 6,65,000=00 प्राप्त करने का अधिकारी है। विपक्षी सं0-2 को आदेशित किया जाता है कि परिवादी को यह धनराशि निर्णय एवं आदेश की तिथि से एक माह के अन्दर अदा कर दे। परिवादी धनराशि प्राप्त करने के पश्चात् जेनरेटर सेट को विपक्षी सं0-2 को उपलब्ध करा दें। विपक्षी सं0-2 यदि परिवादी को उक्त दिये गये समय के अन्दर उक्त धनराशि की अदायगी नहीं करता है, तो परिवादी विपक्षी सं0-2 से 12 प्रतिशत सालाना साधारण ब्याज परिवाद योजित करने की तिथि से तारोज वसूली प्राप्त करने का अधिकारी होगा। इसके अतिरिक्त परिवादी विपक्षी से मु0 3,000=00 वाद व्यय एवं मु0 5,000=00 मानसिक क्षतिपूर्ति भी प्राप्त करने का अधिकारी होगा।
(विष्णु उपाध्याय) (माया देवी शाक्य) (चन्द्र पाल)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 09.03.2016 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया।
(विष्णु उपाध्याय) (माया देवी शाक्य) (चन्द्र पाल)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष