राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या:-650/2022
सचिन कुमार पुत्र श्री भगवान, निवासी नरायन टोला, बहजोई तहसील चन्दौसी, जिला सम्भल।
बनाम
पी0एच0टी0 डायग्नोटिसक सेंटर आदि।
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री एस0पी0 पाण्डेय
प्रत्यर्थीगण के अधिवक्ता : कोई नहीं।
दिनांक :- 20.3.2024
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी/परिवादी द्वारा इस आयोग के सम्मुख धारा-41 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्तर्गत जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, सम्भल द्वारा परिवाद सं0-161/2021 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 10.6.2022 के विरूद्ध योजित की गई है।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्य पर विस्तार से विचार करने के उपरांत परिवाद को निरस्त कर दिया है, जिससे क्षुब्ध होकर परिवाद की परिवादी/अपीलार्थी की ओर से प्रस्तुत अपील योजित की गई है।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार है कि अपीलार्थी/परिवादी नगर पालिका परिषद बहजोई में सभासंद है तथा जनहित के कार्यों में बढ़-चढ़ कर भाग लेता है तथा हर जरूरतमंद के लिए हर समय उसकी सहायता के लिए तैयार रहता है तथा पूर्व में भी जब किसी को भी ब्लड की आवश्यकता होती है तो अपीलार्थी/परिवादी तुरन्त रक्तदान करने के लिए पहुंच जाता है। श्रीमती कमलेश पत्नी श्री
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संतोष जोशी निवासी बहजोई गर्भवती थी, जिन्हें पार्थ हॉस्पिटल बहजोई में दिनाँक 15.7.2021 को प्रसूति (डिलीवरी) के लिए भर्ती कराया गया। जहां डाक्टरों ने उनकी जांच की और जांच करने पर ह्यूमोग्लोविन कम पाया, जिसके लिए पार्थ हॉस्पिटल के डाक्टरों द्वारा श्रीमती कमलेश के पति संतोष जोशी को दो यूनिट ब्लड की व्यवस्था करने की सलाह दी गई तो संतोष जोशी ने अपीलार्थी/परिवादी से सम्पर्क किया। अपीलार्थी/परिवादी ने संतोष जोशी को अवगत कराया कि अपीलार्थी/परिवादी का ब्लड ग्रुप ओ-पॉजिटिव है तथा ओ-पॉजिटिव ऑल डोनर होता है तथा श्रीमती कमलेश का ब्लड ग्रुप बी-पॉजिटिव है। संतोष जोशी के आग्रह पर अपीलार्थी/परिवादी पीड़ित महिला श्रीमती कमलेश की मदद करने के लिए ब्लड डोनेट करने को पार्थ हॉस्पिटल, चन्दौसी पहुँचा।
पार्थ हॉस्पिटल चन्दौसी में पहुंचने पर रिशेपनिस्ट अरविन्द गुप्ता ने अपीलार्थी/परिवादी को ब्लड डोनेट करने से पूर्व ब्लड की जांच कराने के लिए कहा और अपीलार्थी/परिवादी व पीडिता के पति संतोष जोशी को अरविन्द गुप्ता द्वारा दी गई पर्ची को लेकर प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-1 के यहां खून की जांच कराने पहुंच गये। प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-1 ने 1450/- रू0 जॉच हेतु जमा कराये। प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-1 व 2 ने जो अपीलार्थी/परिवादी को रिपोर्ट दी उसमे HCV (Rapid Screening test) REACTIVE लिखकर दी और अपीलार्थी/परिवादी को अवगत कराया कि आपका ब्लड, पेसेंट श्रीमती कमलेश को नहीं दिया जा सकता क्योंकि आप काला पीलिया से पीड़ित हैं। यह सुनते ही अपीलार्थी/परिवादी अपने होश खो बैठा और अपने परिजनों को उक्त रिपोर्ट से अवगत कराया। परिजन तुरन्त चन्दौसी पहुंचे और अपीलार्थी/परिवादी को घर लाये तथा
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अगले दिन दिनांक 16.7.2021 को अपीलार्थी/परिवादी के परिजन अपीलार्थी/परिवादी को समय 10:56 मिनट पर राहुज पैथोलॉजी लैब के यहॉ ले गये जो पैथकाइंड लैब से सम्बद्ध है जिसने लैब द्वारा अपीलार्थी/परिवादी की रिपोर्ट HCV (HEPATITIS C VIRUS IgG) में Result: Non Reactive तथा संतोष डायग्नोसिस्ट सेंटर कलर डोपलर अल्ट्रासाउंड पैथ लैब एंड एक्स-रे पर दिनांक 16.7.2021 को दोपहर 12:44 बजे HCV ब्लड की रिपोर्ट करायी तो उक्त रिपोर्ट में भी अपीलार्थी/परिवादी की रिपोर्ट नगेटिव आयी। प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-1 व 2 द्वारा दी गई गलत रिपोर्ट की शिकायत प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-1 व 2 से की गई तो प्रत्यर्थी/विपक्षी द्वारा अपीलार्थी/परिवादी की कोई बात नहीं सुनी जिसकी शिकायत अपीलार्थी/परिवादी द्वारा स्वयं उपस्थित होकर प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-3 से की गई परन्तु प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-3 द्वारा प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-1 व 2 के खिलाफ कोई भी कार्यवाही नहीं की गई।
प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-1 व 2 द्वारा दी गई गलत रिपोर्ट के आधार पर अपीलार्थी/परिवादी श्रीमती कमलेश के लिए रक्तदान नहीं कर सका यदि श्रीमती कमलेश को अन्य जगह से रक्त का इंतजाम नहीं होता तो निश्चित ही उसकी मृत्यु हो जाती। प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-1 व 2 द्वारा दी गई गलत रिपोर्ट के कारण श्रीमती कमेलश का इलाज समय से नहीं हो पाया। अपीलार्थी/परिवादी प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-2 से दिनांक 19.07.2021 को मिला और विपक्षी संख्या-1 व 2 के खिलाफ कार्यवाही के लिए आग्रह किया तो प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-3 ने अपीलार्थी/परिवादी की किसी भी बात को सुनकर निस्तारित करने से साफ इन्कार कर दिया। अत: वाद का कारण प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-1 व 2 द्वारा दी गई गलत रिपोर्ट
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दिनांक 15.7.2021 तथा प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-3 से की गई शिकायत दिनांक 19.07.2021 को निस्तारण करने से इनकार करने पर माननीय आयोग के अधिकार क्षेत्र में उत्पन्न हुआ है। जिसको सुनकर निर्णित करने का पूर्ण अधिकार माननीय आयोग को प्राप्त है। अपीलार्थी/परिवादी को प्रत्यर्थी/विपक्षीगण के उपरोक्त कृत्यों से भारी मानसिक कष्ट व आर्थिक हानि हुई है अत्एव क्षुब्ध होकर परिवाद जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख योजित किया गया।
प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-1 व 2 की ओर से जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत कर परिवाद पत्र के कथनों से इंकार किया गया।
प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-3 की ओर से जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख कोई उपस्थित नहीं हुआ और न ही कोई प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत किया गया अत्एव जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-3 के विरूद्ध परिवाद की कार्यवाही एकपक्षीय रूप से अग्रसारित की गई।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा कथन किया गया कि जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: तथ्य और विधि के विरूद्ध है। यह भी कथन किया गया कि जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा अपीलार्थी के अभिकथनों पर विचार न करते हुए जो निर्णय/आदेश पारित किया गया है, वह अनुचित है।
यह भी कथन किया गया कि अपीलार्थी द्वारा प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-1 के यहॉ खून की जांच कराये जाने हेतु रू0 1450/- जमा कराया गया एवं प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-1 व 2 द्वारा अपीलार्थी/परिवादी को जो रिपोर्ट दी उसमे HCV (Rapid Screening test) REACTIVE का
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उल्लेख किया गया, जिसके कारण अपीलार्थी रोगी को रक्त दान नहीं कर सका।
यह भी कथन किया गया कि जब संतोष डायग्नोसिस्ट सेंटर कलर डॉपलर अल्ट्रा साउंड पाथ लैब और एक्स-रे पर दिनांक 16.7.2021 को दोपहर 12:44 बजे HCV ब्लड की जॉच करायी गई तब उक्त रिपोर्ट में भी अपीलार्थी/परिवादी की जॉच रिपोर्ट नगेटिव आयी, जो कि हैरान व परेशान कर देने वाला साक्ष्य/रिपोर्ट थी।
यह भी कथन किया गया कि जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा परिवादी की ओर से प्रस्तुत साक्ष्य एवं अभिकथनों पर विचार न करते हुए जो निर्णय/आदेश पारित किया है वह अनुचित है और अपास्त किए जाने योग्य है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा राज्य उपभोक्ता आयोग द्वारा परिवाद सं0-149/2017 श्रीमती सुमय्या खातून बनाम मैसर्स निदान डायग्नोस्टिक सेंटर आदि में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 24.8.2021 को अपने तर्क के समर्थन में प्रस्तुत कर उस पर बल दिया गया।
अपीलार्थी के अधिवक्ता द्वारा अपील को स्वीकार कर जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश को अपास्त किये जाने की प्रार्थना की गई।
मेरे द्वारा अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश व पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।
प्रस्तुत प्रकरण में अपीलार्थी की ओर से राज्य आयोग द्वारा परिवाद सं0-149/2017 श्रीमती सुमय्या खातून बनाम मैसर्स निदान डायग्नोस्टिक सेंटर आदि में पारित निर्णय के तथ्य प्रस्तुत मामले के
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तथ्यों से भिन्न प्रतीत हो हैं अत्एव उपरोक्त निर्णय का लाभ अपीलार्थी को इस मामले में प्रदान किया जाना अनुचित है।
ऊपर उल्लिखित तथ्यों का सम्यक परिशीलन करने के उपरांत तथा पत्रावली पर उपलब्ध प्रपत्रों के परिशीलनोंपरांत मेरे द्वारा यह तथ्य स्पष्ट रूप से पाया जाता है कि अपीलार्थी द्वारा स्वयं इस तथ्य को स्वीकार किया गया है कि वह नगर पालिका परिषद बहजोई में सभासद के रूप में चयनित थे एवं जनहित के कार्यों में सक्रिय थे। यह भी अपीलार्थी/परिवादी द्वारा स्वीकृत किया गया है कि अकसर उसके द्वारा आवश्यकता होने पर लोगों को अपने ब्लड डोनेट किया जाता रहा है अर्थात वह रैगुलर ब्लड डोनर के रूप में स्वयं अपने परिवाद में कथन करता है। दिनांक 15.7.2021 को उनके द्वारा स्वयं अपनी इच्छानुसार आवश्यकता पडने पर श्री संतोष जोशी की धर्म पत्नी को ब्लड डोनेट किया गया एवं ब्लड के सैंपल के अनुसार पैथलॉजी की जो जॉच रिपोर्ट आयी उसमें REACTIVE का तथ्य उल्लिखित किया गया अर्थात कि अपीलार्थी/परिवादी के ब्लड को किसी अन्य द्वारा प्रयोग नहीं किया जा सकता, क्योंकि अपीलार्थी के ब्लड सैंपल के अनुसार उसे पीलिया की बीमारी पाई गई।
उपरोक्त की पी.एच.टी. डायग्नोस्टिक सेंटर जिनके द्वारा उल्लिखित ब्लड रिपोर्ट में HCV (RAPID SCREENING TEST) REACTIVE का उल्लेख पैथोलॉजी द्वारा किया गया जिसके कारण अपीलार्थी/परिवादी द्वारा एक अन्य पैथोलॉजी से परीक्षण कराया जाना उचित समझा गया। तद्नुसार संतोष डायग्नोस्टिक सेंटर द्वारा जॉच कराना उचित समझा गया। उपरोक्त संतोष डायग्नोस्टिक सेंटर द्वारा अपनी रिपोर्ट में निम्न तथ्य उल्लिखित किये गये:-
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“C Virus (HCV) has been identified as the main etiological agent of Non-A- Nom B hepatitis accounting for 80-90 % of parenterally transmitted hepatitis cases. HCV antibo dies have been found in patients with acute or chronic forms of Hepatitis C and in many asymptomatic donors. Diagnosis of this infectious disease should not be based on results of this test alone, and a clinical correlation is essential for the same.”
उपरोक्त उल्लिखित तथ्यों में स्पष्ट रूप से संतोष डायग्नोस्टिक सेंटर द्वारा "HCV antibo dies have been found in patients with acute or chronic forms of Hepatitis C" अर्थात पूर्व पैथोलॉजी सर्व श्री पी.एच.टी. डायग्नोस्टिक सेंटर के द्वारा Hepatitis C का उल्लेख किया गया, जो सामान्य रूप से उन लोगों में पाया जाता है जो ब्लड डोनेशन का कृत्य अधिक मात्रा में करते हैं।
यहॉ यह भी प्रश्न है यदि दो पैथेलॉजी की रिपोर्ट में कुछ भिन्नता पाई जाती है तब उस स्थिति में किसी सक्षम चिकित्सक से परामर्श करने का प्रयास आवश्यक है एवं परामर्श करने के उपरांत किसी तृतीय अच्छे पैथोलॉजी लैब से पुन: जॉच कराये जाने का प्रयास किया जाना चाहिए था, न कि परिवाद प्रस्तुत कर प्रत्यर्थी/विपक्षी पैथोलॉजी सेंटर को अनावश्यक रूप से प्रताडित किया जाना चाहिए।
प्रस्तुत वाद में उपरोक्त प्रयास किये जाने का कोई उल्लेख न तो पत्रावली पर है, न ही जिला उपभोक्ता आयोग अथवा परिवाद पत्र में उल्लिखित पाया गया।
मेरे द्वारा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के कथनों को सुनने के पश्चात तथा विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह पाया गया विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा
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विधिक सिद्धांतों पर विचार करने के उपरांत जो निष्कर्ष अपने निर्णय में अंकित किया गया है, वह पूर्णत: उचित एवं विधि सम्मत है, उसमें किसी प्रकार कोई अवैधानिकता अथवा विधिक त्रुटि अपीलीय स्तर पर नहीं पायी गई, तद्नुसार प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
हरीश सिंह
वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,
कोर्ट नं0-1