Rajasthan

Ajmer

CC/90/2014

SMT DANNI DEVI - Complainant(s)

Versus

P.H.E.D - Opp.Party(s)

ADV.AANAND SINGH

15 Jun 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/90/2014
 
1. SMT DANNI DEVI
AJMER
...........Complainant(s)
Versus
1. P.H.E.D
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Gautam prakesh sharma PRESIDENT
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण         अजमेर

श्रीमति धन्नी देवी पत्नी श्री गौरी षंकर जोषी, जाति- ब्राह्मण, निवासी- संजयनगर, गली नम्बर 1, ब्यावर, जिला-अजमेर (राजस्थान)
                                                             प्रार्थी

                            बनाम
सहायक अभियंता, राजस्व एवं वितरण, जन स्वास्थ्य अभियात्रिकी विभाग, ब्यावर, जिला-अजमेर (राजस्थान)
                                                         अप्रार्थी 
                    परिवाद संख्या 90/2014
                            समक्ष
                   1.  गौतम प्रकाष षर्मा    अध्यक्ष
           2. श्रीमती ज्योति डोसी   सदस्या
                           उपस्थिति
                  1.श्री जसवन्त तंवर,अधिवक्ता, प्रार्थी
                  2. अप्रार्थी  की ओर से राजकीय अधिवक्ता                               
मंच द्वारा           :ः- आदेष:ः-      दिनांकः- 15.07.2015

 1.         परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि प्रार्थीया ने अपने मकान में नया घरेलु जल कनेक्षन प्राप्त करने हेतु अप्रार्थी जन स्वास्थ्य अभियात्रिकी विभाग( जो इस निर्णय में आगे विभाग ही कहलाएगा)   के यहां आवेदन किया  जिस पर अप्रार्थी विभाग द्वारा प्रार्थीया को दिनंाक 9.11.2011 को नया जल कनेक्षन प्रदान किया  ।  अप्रार्थी विभाग ने दिनंाक 23.1.2014 को घरेलू कनेक्षन की दर रू. 26/- के स्थान पर रू. 51/- प्रतिमाह की दर से  बिल भिजवाया  इस संबंध में अप्रार्थी विभाग से सम्पर्क करने पर उसे बतलाया गया कि  उसके मकान में दुकान है इसलिए व्यावसायिक दर से बिल भेजा गया है  जबकि प्रार्थीया के मकान में उसकी एक मात्र छोटी किराणे की दुकान है जिसमें पानी के कनेक्षन का कोई संबंध नहीं है  और ना ही पानी का उपयेाग होता है  तथा प्रार्थीया ने दूसरा कनेकषन अपने घरेलु उपयेाग हेतु ही लिया था ।  प्रार्थीया ने दिनंाक 24.1.2014 को प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर बिल को दुरूस्त करवाने का निवेदन किया  जिस पर अपार्थी विभाग द्वारा उसे आष्वासन दिया गया कि वह बिल जमा करवा देवेे  वे  कार्यवाही कर देगें ।  जिस पर उसने रू. 1938/-  जरिए रसीद संख्या  21162 के अप्रार्थी विभाग के यहां जमा करवा दी   किन्तु अप्रार्थी विभाग ने बिल को दुरूस्त नहीं किया  तो उसने अप्रार्थी विभाग को दिनंाक 15.2.2014 को नेाटिस देते हुए  बिल दुरूस्ती की मांग की और अधिक जमा कराई गई राषि लौटाए जाने का निवेदन किया किन्तु अप्रार्थी विभाग ने इस संबंध में कोई कार्यवाही नहीं की । प्रार्थीया ने परिवाद पेष कर  उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । 
 
2.    अप्रार्थी विभाग  की ओर से जवाब पेष हुआ जिसमें  दर्षाया है कि  अप्रार्थी विभाग द्वारा जो सेवाएं प्रदान की जा रही है वे सेवाएं जनहित की सेवाएं है और राज्य सरकार द्वारा प्रदत्त मूलभूत आवष्यकताओं की पूर्ति के लिए की जा रही  जन सेवा है इसलिए प्रार्थीया अप्रार्थी की उपभोक्ता नही ंहोने की श्रेणी में आती है ।  प्रार्थीया द्वारा दूसरे कनेक्षन को व्यावसायिक गतिविधियों के कार्य में लिया जाता है तो प्रथम पानी का कनेक्षन घरेलु दर से भेजा जावेगा तथा द्वितीय जल कनेक्षन का उपभोग  प्रार्थीया द्वारा व्यावसायिक गतिविधयों के लिए  किया जा रहा था जिसके चलते राज्य सरकार के नियमानुसार घरेलू क्षेत्र में जल कनेक्षन का व्यावसायिक उपयोग करने पर व्यावसायिक दर से राषि प्राप्त की जा सकती है और  राज्य सरकार के निर्देषानुसार   प्रार्थीया से राषि वसूल की गई जो सही है । प्रार्थीया को किसी प्रकार का अष्वासन बिल दुरूस्ती के संबंध में नहीं दिया गया है  और प्रार्थीया द्वारा सन्तुष्ट होकर  बिल जमा करा दिया गया है । । उनके द्वारा जो भी कार्यवाही की गई है वह नियमानुसार की गई है अन्त में परिवाद खारिज होना दर्षाया ।  
3.    हमने पक्षकारान को सुना एवं पत्रावली  का अनुषीलन किया । 
4.    परिवाद के समर्थन में  प्रार्थीया का संक्षिप्त ष्षपथपत्र परिवाद पेष करते वक्त ही पेष हुआ है । इसी तरह से अप्रार्थी विभाग की ओर से भी अपने जवाब के साथ ही जवाब के समर्थन में  षपथपत्र पेष हुआ है । प्रार्थीया की ओर से पत्र दिनांक 24.1.2014, 27.1.2014 की प्रतियां व राषि जो रू. 1938/-  जमा कराई उसकी रसीद व अधिवक्ता द्वारा जो नोटिस भेजा उसकी प्रति पेष की है ।  अप्रार्थी विभाग की ओर से प्रार्थीया को जो कनेक्षन दिया गया संबंधी आदेष व इस कनेक्षन हेतु जो आवेदन प्रस्तुत किया की प्रति तथा प्रार्थीया के पत्र  का जवाब दिनांक 4.3.2014 से भेजा के पत्र की प्रति व पानी से संबंधित  लिए जाने वाले चार्जेज संबंधी परिपत्र आदि पेष किए है । 
5.    जहां तक प्रार्थीया अप्रार्थी विभाग की उपभोक्ता है, के संबंध में कोई विवाद नहीं है क्योंकि प्रार्थीया ने अप्रार्थी विभाग से  जल कनेक्षन ले  रखा है इस संबंध में स्वयं अप्रार्थी विभाग की ओर से जो दस्तावेज पेष हुए है उन्हीं से यह तथ्य सिद्व हो रहा है । अतः हम  प्रार्थीया को अप्रार्थी विभाग का  उपभोक्ता पाते है । 
6.    परिवाद के निर्णय हेतु  हमें यही अभिनिर्धारित करना है कि क्या अप्रार्थी विभाग द्वारा प्रार्थीया से दिनंाक 24.1.2014 के बिल द्वारा राषि रू. 1938/- की मांग जल कनेक्षन का उसकी दुकान के काम में आने के आधार पर  की है क्या अप्रार्थी विभाग की ऐसी मांग उचित है ?
7.    हमने इस संबंध में बहस सुनी ।  अधिवक्ता प्रार्थीया की बहस है कि प्रार्थीया ने  नया घरेलू जल कनेक्षन  लिया था जो दिनंाक 9.11.2011 को अप्रार्थी विभाग द्वारा  दिया गया । दिनांक 23.1.2014 को अप्रार्थी विभाग द्वारा उक्त कनेक्षन जो दिनांक 9.11.2011 से लिया की अवधि से लेकर दिसम्बर, 2013 तक की अवधि हेतु प्रतिमाह रू. 51/- जो कि व्यावसायिक दर थी, से बिल भेजा जबकि प्रार्थीया के एक कनेक्षन घरेलू उपयोग हेतु था जिसकी दर रू. 26/- प्रतिमाह  है इस तरह से अप्रार्थी विभाग द्वारा प्रार्थीया से रू. 26/- के स्थान पर रू. 51/- प्रतिमाह अधिक  लेते हुए बिल जारी किया । प्रार्थीया ने इस संबंध में अपना विरोध प्रकट किया तो प्रार्थीया को कहा गया कि वह यह राषि जमा करवा देवे एवं बाद में सुधार कर दिया जावेगा ।  लेकिन परिवाद पेष होने तक कोई सुधार नहीं किया गया । परिवाद पेष करने से पूर्व अप्रार्थी विभाग  को जरिए  अधिवक्ता नोटिस भी भेजा गया । अतः अप्रार्थी विभाग के पक्ष में सेवा में कमी दर्षाते हुए  यह परिवाद पेष किया है । 
8.    अधिवक्ता अप्रार्थी विभाग की बहस है कि प्रार्थीया के पूर्व में एक कनेक्षन घरेलू उपयोग हेतु लिया हुआ था किन्तु वर्ष 2011 में प्रार्थीया ने एक ओर कनेक्षन की मांग की जो दिनंाक 9.11.2011 को स्वीकृत किया गया । प्रार्थीया के घर में एक दुकान है एवं इस कनेक्षन के पानी का उपयोग उक्त दुकान हेतु  किया जा रहा था । अतः व्यावसायिक दर का बिल भेजा गया जो नियमानुसार है । इस संबंध में राज्य सरकार के आदेषानुसार भेजा गया । 
9.    हमने बहस पर गौर किया ।  प्रार्थीया के पत्र दिनंाक 24.1.2014 व 27.1.2014 तथा परिवाद में वर्णित अनुसार प्रार्थीया ने एक अन्य कनेक्षन  लेने का उल्लेख किया है । अप्रार्थी विभाग के जवाब का अध्ययन किया । प्रार्थीया के इन पत्रों व परिवाद की चरण संख्या 1 में वर्णित तथ्यों से हम पाते है कि प्रार्थीया के आवास पर पूर्व में  एक कनेक्षन था एवं उसके द्वारा एक नया कनेक्षन ओर लिया गया था । प्रार्थीया के पत्र दिनंाक 27.1.2014 में भी उल्लेख है कि उसके घर में पानी की पूर्ति नहीं होने के कारण नया कनेक्षन  लेने की उसने अप्रार्थी विभाग के यहां फाईल लगाई थी तथा अप्रार्थी विभाग द्वारा उसे नया कनेक्षन स्वीकृत भी हुआ था । अप्रार्थी विभाग द्वारा प्रार्थीया के पत्र दिनंाक 24.1.2014  व 27.1.2014 के क्रम  में जवाब दिया है कि लिया गया नया कनेक्षन  व्यावसायिक गतिविधी के कार्य में लिया जा रहा  है अतः प्रथम कनेक्षन  का बिल घरेलु   दर से भ्ेाजा जाता है तथा द्वितीय जल कनेक्षन लेने पर व्यावसायिक दर से बिल भेजा गया है । स्पष्ट रूप से   प्रार्थीया का दिनंाक 9.11.2011 को लिया गया कनेक्षन द्वितीय जल कनेक्षन है । 
10.    अब हमारे समक्ष  निर्णय हेतु यही प्रष्न है कि क्या प्रार्थीया के आवास में कोई दुकान है एवं क्या अप्रार्थी विभाग के पत्र दिनंाक 4.3.2014 में  वर्णित अनुसार  अप्रार्थी विभाग द्वारा प्रार्थीया से दूसरे कनेक्षन के संबंध में  दुकान होने के कारण व्यावसायिक दर से राषि ली गई है वह सहीं ली गई है?
11.    जहां तक प्रार्थीया अपने घर में किराणें की दुकान चलाती है  इस तथ्य को प्रार्थीया ने अपने परिवाद के पैरा संख्या 3 में भी स्वीकार किया हे । यह तथ्य भी सिद्व हो रहा है कि प्रार्थीया के घर पर पूर्व से एक कनेक्षन था एवं यह कनेक्षन नया लिया गया है ।   किन्तु  प्रार्थीया द्वारा लिए गए दूसरे कनेक्षन के पानी का उपयोग प्रार्थीया द्वारा व्यावसायिक कार्य हेतु किया जा रहा है यह तथ्य अप्रार्थी  विभाग को सिद्व करना था जो अप्रार्थी द्वारा सिद्व नहीं हुआ है । प्रार्थीया के घर पर किराणे की दुकान होने मात्र से यह अवधारणा नहीं ली जा सकती कि इस कनेक्षन के पानी का उपभोग प्रार्थीया द्वारा इस दूकान हेतु किया जा रहा था । इसके अतिरिक्त प्रार्थीया की यह दुकान  किराणे की है  किसी हलवाई आदि की  या होटल / रेस्टोरेंट हेतु  नहीं है । अतः किराणे की दुकान  चलाने हेतु पानी की आवष्यकता हो, नहीं माना जा सकता । अप्रार्थी विभाग द्वारा दूसरे जल कनेक्षन के पानी का उपयोग व्यावसायिक हो  रहा था, के संबंध में उन्होने कोई निरीक्षण किया हो , और  ंऐसा पाया हो, नहीं दर्षाया है । 
12.    उपरोक्त सारे विवेचन से हमारे मत में प्रार्थीया द्वारा  वर्ष 2011 में लिए गए कनेक्षन के पानी का उपयोग व्यावसायिक कार्यो हेतु किया  जा रहा था , अप्रार्थी विभाग सिद्व नहीं कर पाया है । अतः अप्रार्थी विभाग द्वारा भेजा गया प्रष्नगत बिल सहीं नही ंहै एवं अपास्त होने योग्य है ।  प्रार्थीया द्वारा इस बिल की राषि रू. 51/- की दर से रू. 1938/- के रूप में जमा करवाई है  जबकि बिल रू. 26/- के हिसाब से जारी होना चाहिए  था । अतः प्रार्थीया जमा करवाई गई राषि रू. 1938/-की आधी राषि  रू. 969/- जिसे राउण्ड फिगर में रू. 970/-  किया जाता है अप्रार्थी विभाग से पुनः प्राप्त करने की अधिकारणी होगी । अप्रार्थी विभाग  इस राषि का समायोजन प्रार्थीया के भविष्य के बिलों में भी  करा सकेगा ।  प्रकरण के तथ्य एवं परिस्थितियों को देखते हुए प्रार्थीया अप्रार्थी विभाग से मानसिक संातप व वाद व्यय में भी उपयुक्त राषि प्राप्त करने की अधिकारणी होगी । अतःआदेष है कि 
                      :ः- आदेष:ः-

12.        (1)    अप्रार्थी विभाग प्रार्थीया को भेजा गया प्रष्नगत बिल संख्या 6/4733 जो राषि रू. 1938/- का है, को अपास्त किया जाता है एवं उसके  स्थान पर  अप्रार्थी विभाग  राषि रू. 970/- का संषोधित बिल आदेष से दो माह की अवधि में जारी करें ।  प्रार्थीया  द्वारा इस बिल की राषि रू. 1938/- जरिए रसीद संख्या 21162  के  जमा करवाई जा चुकी है अतः प्रार्थीया  रू. 1938-970 त्र968.00 अप्रार्थी विभाग से पुनः प्राप्त करने की अधिकारणी होगी । 
     ष्(2)   प्रार्थीया अप्रार्थी विभाग से मानसिक संताप व वाद व्यय के मद में राषि रू. 1000/- भी प्राप्त करने की अधिकारणी होगी । 
          (3)     क्रम संख्या 1 व 2 में वर्णित राषियों का भुगतान अप्रार्थी विभाग प्रार्थीया को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें    अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थीया के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावें । विकल्प में  अप्रार्थी विभाग  उक्त राषियों का समायोजन प्रार्थीया के भविष्य के बिलों में समायोजित कर सकेगा । अप्रार्थी विभाग  यदि उपरोक्त राषियों का समायोजन प्रार्थीया  के भविष्य के बिलो में करना चाहता है तो  जारी किए जाने वाले संषोधित बिल में प्रार्थीया की  राषि रू. 968/- एवं रू. 1000/- कुल राषि रू. 1968/- का भविष्य के बिलो में समायोजन होगा, संबंधी उल्लेख स्पष्ट रूप से करें ।   
                          
(श्रीमती ज्योति डोसी)                              (गौतम प्रकाष षर्मा)
           सदस्या                                           अध्यक्ष    
13.        आदेष दिनांक  15.07.2015 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।

           सदस्या                                           अध्यक्ष


    
 
  

           
 
 
 

 
 
[ Gautam prakesh sharma]
PRESIDENT
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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