जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण अजमेर
रामलाल , निवासी- 400/31, तेल घाणी के पास, अंधेरी पुलिया , पाल बीठला, अजमेर ।
प्रार्थी
बनाम
सहायक अभियंता, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग, नगर उपखण्ड षष्टम, अलवर गेट, अजमेर ।
अप्रार्थी
परिवाद संख्या 549/2013
समक्ष
1. गौतम प्रकाष षर्मा अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
उपस्थिति
1.श्री तरूण अग्रवाल,प्रतिनिधि, प्रार्थी
2.श्री अजय वर्मा,अधिवक्ता अप्रार्थी
मंच द्वारा :ः- आदेष:ः- दिनांकः- 28.05.2015
1. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि प्रार्थी ने अप्रार्थी जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग (जिसे आगे निर्णय में केवल अप्रार्थी विभाग ही संबोधित किया जावेगा ) से एक जल कनेक्षन जरिए खाता संख्या 33-10-14 ले रखा है । वह अप्रार्थी विभाग द्वारा भेजे जाने वाले बिलों का नियमित रूप् से भुगतान कर रहा है फिर भी कुछ समय से भेजे जाने वाले बिलों में ’’ इस बिल में माह-मार्च, 2011 से पूर्व की बकाया राषि यदि कोई है तो समायोजित नहीं की गई है ’’ का अंकन कर भेजे जा रहे है । चूंकि प्रार्थी बिलों का भुगतान नियमित रूप से करता आ रहा है इसलिए उसने इस अंकन पर ध्यान नहीं दिया किन्तु सितम्बर, 2013 के बिल में जनवरी, 2010 से मार्च, 2011 तक की अवधि की षेष बकाया राषि रू. 242/- जमा कराने का अंकन करते हुए उक्त राषि जमा कराने का अप्रार्थी विभाग ने निर्देष दिया । जबकि वह नियमित रूप से बिलों का भुगतान करता आ रहा है किन्तु उसके पास जमा की कोई रसीद नही ंहोने के कारण मजबूरन उसने उक्त राषि रू. 242/- दिनांक 26.09.2013 को जरिए रसीद संख्या 030460/00070 के जमा करा दी । उसने सूचना के अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत जनवरी, 2010 से मार्च, 2011 तक के उसके खाते की सूचना मांगी तो पता चला कि उसके माह मार्च व मई, 2010 के दो बिलों की राषि ही बकाया है । प्रार्थी द्वारा उक्त राषि जमा करा दिए जाने के पष्चात उस पर कोई राषि बकाया नहीं रही फिर भी नवम्बर, 2013 के बिल में पुनः वहीं अंकन किया हुआ भेजा । प्रार्थी ने इसे अप्रार्थी विभाग की सेवा में कमी बतलाते हुए परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है ।
2. अप्रार्थी विभाग ने जवाब प्रस्तुत करते हुए दर्षाया है कि प्रार्थी के प्रष्नगत खाता संख्या में कोई राषि बकाया नहीं है और जो बिलो में अंकन किया गया है यह सूचना के लिए है न कि नोटिस है । जवाब परिवाद की चरण संख्या 2 में वर्णित अनुसार प्रार्थी के खाते में रू. 242/- की राषि बकाया थी जिसे प्रार्थी ने दिनांक 26.09.2013 को जमा करा दी । प्रार्थी पर दो माह की राषि बकाया होने पर भी जल चूंकि एक आवष्क आधारभूत सुविधा है, जल संबंध विच्छेेद नहीं किया गया है। अन्त में अप्रार्थी विभाग के स्तर पर कोई सेवा में कमी नहीं बतलाते हुए परिवाद खारिज होना दर्षाया है ।
3. हमने पक्षकारान को सुना एवं पत्रावली का अनुषीलन किया । साथ ही पक्षकारान द्वारा प्रस्तुत लिखित बहस पर मनन किया ।
4. प्रार्थी ने अप्रार्थी विभाग के विरूद्व सेवा में कमी इस आषय की दषाई है कि उपभोक्ता में किसी तरह की पूर्व की राषि बकाया नहीं होते हुए भी बिलो के नीचे निम्न आषय का नोट लगा दिया जाता है कि - ’’ पूर्व की बकाया राषि यदि कोई है तो समयोजित नहीं की गई है । ’’ प्रार्थी प्रतिनिधि की इस संबंध में बहस है कि हस्तगत प्रकरण के मामले में किसी भी तरह की पूर्व में कोई राषि प्रार्थी पर बकाया नहीं है तब भी इस आषय का नोट लगाने का कोई औचित्य नहीं था । बल्कि ऐसे नोट से उपभोक्ता भ्रमित होता है एवं उसे आंषका रहती है कि कहीं उसके खाते में कोई बकाया राषि तो नहीं है । प्रार्थी प्रतिनिधि की यह भी बहस है कि प्रार्थी विषेष हेतु कोई राषि बकाया है तो उसकी अप्रार्थी विभाग मांग करें एवं बकाया नही ंहै तो इस तरह का नोट नहीं लगाया जावे एवं इस तरह का नोट लगाया जाता है तो यह कृत्य अनुचित व्यापार व्यवहार की परिभाषा में आता है । इस संबंध में उन्होने अपने लिखित तर्क में माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा दिनांक 31.8.2007 को पारित निर्णय
’’ अनन्त प्रसाद जैन बनाम स्टेण्डर्ड चाण्र्टेर्ड बैंक ’’ का भी उल्लेख किया है । अप्रार्थी अधिवक्ता की बहस रही है कि इस आषय के नोट लगाए जाने से अप्रार्थी के विरूद्व सेवा मंे कमी का मामला नहीं बनता क्योंकि प्रार्थी से पूर्व की बकाया राषि की मांग नहीं की जा रही है बल्कि यह नोट ऐतिहात के तौर पर लगाया जाता रहा है एवं ऐसे नोट से कोई उपभोक्ता भ्रमित हो रहा हो, नहीं माना जा सकता ।
5. हमने बहस पर गौर किया । हस्तगत प्रकरण में प्रार्थी ने जैसा कि अपने परिवाद में वर्णित किया है इस संबंध में विभाग के रू. 242/- बकाया थे जो उसके द्वारा जमा करा दिए गए थे। उसके बाद के जारी बिलों में बकाया राषि का कोई उल्लेख नहीं किया गया था किन्तु उपर वर्णित नोट का अंकन किया जाता रहा है । हमारे विनम्र मत में अप्रार्थी विभाग द्वारा बिलों के अन्त में इस आषय का उल्लेख कि ’’ पूर्व की बकाया राषि यदि कोई है तो समायोजित नहीं की गई है ’’, अंकन मात्र से अप्रार्थी विभाग के विरूद्व सेवा में कमी का बिन्दु सिद्व नहीं माना जा सकता एवं ऐसे नोट लगाने के कृत्य को अप्रार्थी विभाग के विरूद्व अनुचित व्यापार व्यवहार की श्रेणी में भी नहीं माना जा सकता । अप्रार्थी विभाग की ओर से अपनी लिखित बहस में अनन्त प्रसाद जैन बनाम स्टेण्डर्ड चाण्र्टेर्ड बैंक के निर्णय के कुछ भाग का उल्लेख किया गया उसके अध्ययन से पूर्व की बकाया राषि जमा करवाए जाने के उपरान्त भी उसी राषि का बार बार अंकन किया जा रहा था जबकि हस्तगत प्रकरण में प्रार्थी द्वारा पूर्व की राषि जमा कराए जाने के बाद उक्त राषि का अंकन बिल में नहीं किया गया है । अतः हस्तगत प्रकरण के तथ्य दृष्टान्त वाले तथ्यों से भिन्न है
6. उपर विवेचित अनुसार प्रार्थी अप्रार्थी विभाग के विरूद्व सेवा में कमी का बिन्दु सिद्व नही ंकर पाया है । अतः प्रार्थी का परिवाद खारिज होने योग्य है एवं आदेष है कि
-ःः आदेष:ः-
7. प्रार्थी का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार किया जाकर खारिज किया जाता है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।
(श्रीमती ज्योति डोसी) (गौतम प्रकाष षर्मा)
सदस्या अध्यक्ष
8.. आदेष दिनांक 28.05.2015 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
सदस्या अध्यक्ष