प्रकरण क्र.सी.सी./14/328
प्रस्तुती दिनाँक 14.11.2014
शुभम तायल आ. सुशील कुमार तायल आयु-21 वर्ष, साकिन रिसाली- थाना नेवई भिलाई, जिला-दुर्ग, वर्तमान निवासी- जय स्तंभ चैक के पास, अंबिकापुर, जिला-सरगुजा (छ.ग.) - - - - परिवादी
विरूद्ध
पी.सी.एण्ड सेल्स केंयर दि क्म्यूनिकेशन जंक्शन( मोबाईल फोन विके्रता) संचालक/सक्षम प्राधिकारी, आशीष भारती पता-दुकान नं 83, सी मार्केट, सेक्टर 6, भिलाई तह व जिला-दुर्ग (छ.ग.)
- - - - अनावेदक
आदेश
(आज दिनाँक 13 मार्च 2015 को पारित)
श्रीमती मैत्रेयी माथुर-अध्यक्ष
परिवादी द्वारा अनावेदक से विक्रय किए गए त्रुटिपूर्ण मोबाईल फोन की कीमत 13,000रू. मय ब्याज, मोबाईल क्रय दिनांक से भुगतान दिनांक तक 100 प्रतिदिन की दर से क्षतिपूर्ति, 5,000रू वाद व्यय व अन्य अनुतोष दिलाने हेतु यह परिवाद धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत प्रस्तुत किया है।
(2) प्रकरण अनावेदक के विरूद्ध एकपक्षीय हैं।
परिवाद-
(4) परिवादी का परिवाद संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी के द्वारा अनावेदक से मोबाईल फोन क्रय करनें हेतु संपर्क किया गया जिस पर अनावेदक के द्वारा एप्पल कंपनी का मोबाईल फोन दिलाते हुए परिवादी को यह बताया गया कि इसी फोन का नया सेट लगभग 25,000रू का है तथा आप इसे मात्र 13,000रू में क्रय कर सकते है। परिवादी के द्वारा तथाकथित मोबाईल को 13,000रू में क्रय कर लिया गया। अनावेदक के द्वारा पंरिवादी को उक्त मोबाईल स्विच आन करते हुए परिवादी को प्रदान कर दिया गया उक्त मोबाईल में एप्पल आई डी. एवं पासवर्ड अनावेदक के द्वारा परिवादी को बाद में बता दिया जावेगा कहा गया। परिवादी के द्वारा अनावेदक से कई बार संपर्क करनें पर भी जब अनावेदक के द्वारा उक्त मोबाईल का पास वर्ड एवं एप्पल आई. डी. नहंी बताया गया तब परिवादी के द्वारा अपनें अधिवक्ता के मार्फत अनावेदक को विधिक नेाटिस दि03.04.14 को प्रेषित किया गया। इस प्रकार सेवा में कमी के लिए परिवादी को अनावेदक से उक्त मोबाईल के पेटे अदा की गई राशि 13,000रू 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज सहित एवं प्रतिदिन 100रू की क्षति (क्रय दिनंाक से भुगतान दिनांक तक) दिलाए जानें एवं वाद व्यय 5000रू दिलाए जानें हेतु यह परिवाद प्रस्तुत किया गया।
(5) उभयपक्ष के अभिकथनों के आधार पर प्रकरण मे निम्न विचारणीय प्रश्न उत्पन्न होते हैं, जिनके निष्कर्ष निम्नानुसार हैं:-
1. क्या परिवादी, अनावेदक से विक्रय किए गए मोबाईल के पेटे अदा की गई राशि 13,000रू राशि मय ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी है? हाँ
2. अन्य सहायता एवं वाद व्यय? आदेशानुसार परिवाद स्वीकृत
निष्कर्ष के आधार
(6) प्रकरण का अवलोकन कर सभी विचारणीय प्रश्नों का निराकरण एक साथ किया जा रहा है।
फोरम का निष्कर्षः-
(7) प्रकरण का अवलोकन हम पाते हैं कि परिवादी के द्वारा एनेक्सर 1 बिल की प्रति प्रस्तुत की है, जिसके खण्डन में अनावेदक द्वारा कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं की गई है उक्त दस्तावेज में अभिकथित मोबाईल फोन के विवरण भी उल्लेखित हैं परिवादी द्वारा ऐनेक्सर 2 भी अनावेदक को दिया जाना सिद्ध होता है।
(8) परिवादी का तर्क है कि अनावेदक नं मोबाईल बेचते समय परिवादी से कहा था कि एप्पल आई.डी.एवं पासवर्ड डालकर मोबाईल चालू करनें में 1-2 घंटे का समय लगेगा 1-2 घंटे बाद आना आई.डी.पासवर्ड बताकर मोबाईल चालू कर दिया जावेगा परंतु न ही अनावेदक नें परिवादी को उक्त संबंध में जानकारी दी एवं उसके दूसरे दिन जब परिवादी अनावेदक के पास गया तो उसे उचित सेवाऐं नहीं प्रदान की गई। यदि हम परिवादी के द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज एनेक्सर 3 का अवलोकन करें तो उसमें अनावेदक नें यह जवाब दिया है कि उस समय सेट पूर्णतः चालू हालत में था और परिवादी द्वारा मोबाईल में छेड़खानी की गई है। अनावेदक नें कहीं भी यह सिद्ध नहीं किया है कि बिना आई.डी.एवं पासवर्ड के उक्त मोबाईल चालू किया जा सकता है और जब वह चालू ही नहीं था तो परिवादी द्वारा छेड़खानी किए जानें का प्रश्न ही नहीं उठता है।
(9) जब कोई व्यक्ति इतना महंगा मोबाईल खरीदता है तो वह दुकानदार पर यही विश्वास रखता है कि उसे सही सामान दिया जा रहा है तथा दुकानदार की यह जवाबदारी है कि वह यदि सामान की ब्रिकी कर रहा है तो वह सही हालत में होना चाहिए तथा यदि उसमें कोई समस्या उत्पन्न होती है तो वह उसे दूर करे वैसे भी आजकल मोबाईल अत्याधिक आवश्यक वस्तु होती है तथा मोबाईल का त्रुटिपूर्ण होना, खराब होना व चालू न होना ग्राहक को विचलित कर देता है। चंूकि प्रकरण एकपक्षीय है अतः हम परिवादी के कथनो, शपथपत्रों तथा दस्तावेजों पर अविश्वास का कोई कारण नहीं पाते हैं और यह निष्कर्षित करते है कि अनावेदक नें परिवादी को त्रुटिपूर्ण मोबाईल बेचा तथा उसकी समस्या का निराकरण नहीं किया एवं इस प्रकार अनावेदक द्वारा सेवा में कमी तथा व्यवसायिक दुराचरण किया गया है, फलस्वरूप हम परिवादी के द्वारा प्रस्तुत यह परिवाद स्वीकार करते है।
(10) अतः उपरोक्त संपूर्ण विवेचना के आधार पर हम परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद स्वीकार करते है और यह आदेश देते हैं कि अनावेदक, परिवादी को आदेश दिनांक से एक माह की अवधि के भीतर निम्नानुसार राशि अदा करे:-
(अ) अनावेदक, परिवादी को 13,000रू. ( तेरह हजार रूपये) अदा करे।
(ब) अनावेदक, परिवादी को उक्त राशि पर परिवाद प्रस्तुती दिनांक 14.11.14 से भुगतान दिनांक तक 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज भी प्रदान करें।
(स) अनावेदक, परिवादी को वाद व्यय के रूप में 5,000रू. (पांच हजार रूपये) भी अदा करे।