Uttar Pradesh

StateCommission

A/1999/2581

M/s J. K. Dairy Foods Ltd - Complainant(s)

Versus

P. K. Sharma - Opp.Party(s)

Anurag Srivastava

22 Nov 2000

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1999/2581
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. M/s J. K. Dairy Foods Ltd
A
 
BEFORE: 
 HON'ABLE MR. JUSTICE Virendra Singh PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0 लखनऊ)

                                    सुरक्षित

 

(जिला मंच प्रथम आगरा द्वारा परिवाद सं0 222/1998 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 21/07/1999 के विरूद्ध)

अपील संख्‍या 2581/1999

                                                     

M/S J.K. Dairy and Foods Limited, a company incorporated under the Indian Companies Act, having its registered office at 3,KM Stone, Hasanpur Road, Gajraula, Distt. Jyotiba phule Nagar and its Corporate office at 3rd Floor, Gulab Bhawan, 6A, Bahadur Shah Zafar Marg, New Delhi, through its authrised Signatory.

                                                                                        …अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम

1-Shri P.K. Sharma, son of Sri Ram Swaroop Sharma.

2-Shri S.K. Sharma, son of Sri Ram Swaroop Sharma.

Both residents of F- 547, Kamla Nager, Agra.

.........प्रत्‍यर्थीगण/परिवादीगण   

समक्ष:

       1. मा0 श्री सी0बी0 श्रीवास्‍तव, पीठा0 सदस्‍य।

  2. मा0 श्री संजय कुमार, सदस्‍य ।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित       : कोई नहीं।

प्रत्‍यर्थीगण की ओर से उपस्थित      : विद्वान अधिवक्‍ता श्री ए0 निगम।

दिनांक  05/12/2014

 

मा0 श्री संजय कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित ।

निर्णय

     प्रस्‍तुत अपील परिवाद सं0 222/98 पी0के0 शर्मा बनाम जे0के0 डेयरी एवं फ्रूड्स लि0 न्‍यू दिल्‍ली जिला पीठ प्रथम आगरा के निर्णय/आदेश दिनांक 21/07/99 से क्षुब्‍ध होकर प्रस्‍तुत है।

     प्रश्‍नगत परिवाद में जिला पीठ ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए विपक्षी को निर्देशित किया कि परिवादी को मु0 30,000/ रूपये अदा करे तथा 18 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज की दर से ब्‍याज भी अदा करे। यदि परिवादी मु0 30,000/ रूपये प्राप्‍त कर चुका है तब वह मु0 30,000/ रूपये की धनराशि पर केवल 18 प्रतिशत ब्‍याज के साथ मु0 2,000/ रूपये मानसिक क्षतिपूर्ति पाने का अधिकारी है। निर्णय की तिथि से 45 दिन के अंदर आदेश का अनुपालन सुनिश्चित हो।

     प्रश्‍नगत परिवाद में परिवादी का कथन इस प्रकार है कि विपक्षी मेसर्स जे0के0 डेयरी एवं फ्रूड्स लि0 का ऐक्‍यूटिव आफीसर है। विपक्षी द्वारा जे0के0 डेयरी एण्‍ड फ्रूड्स लि0 की शेयर बिक्री हेतु विज्ञापन दिया गया। परिवादी शेयर खरीदने के लिए दिनांक 29/07/94 को मु0 15,000/ रूपये के दो चेक सेन्‍ट्रल बैंक आफ इंडिया कमला नगर जहां परिवादी उपभोक्‍ता है। विपक्षीगण का उपरोक्‍त रूपया वर्ष 1994 में किया गया तभी से विपक्षी के पास जमा है। कंपनी

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को शेयर आवंटन हेतु व्‍यक्तिगत रूप से मिला, परन्‍तु विपक्षी टाल मटोल करता रहा और शेयर आवंटित नहीं किया। विपक्षी ने 15,000/ रूपये व 15,000/ रूपये के दो चेक दिये परन्‍तु ब्‍याज नहीं दिया।

     विपक्षी जिला पीठ के समय उपस्थित होकर अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत किया जिसमें कहा कि कंपनी ने जुलाई 1994 में इक्विटी शेयर डेवेन्‍स 19.50 करोड़ रूपये के लिए विज्ञापन जारी किया गया था। आवंटन हेतु प्रार्थना पत्र के साथ 120.65 करोड़ रूपया प्राप्‍त हुआ जो चालू खाता नं0 533 स्‍टेट बैंक आफ पटियाला इन्‍डस्‍ट्रीज फाइनेन्‍स ब्रांच न्‍यू दिल्‍ली में कंपनी एक्‍ट की धारा 73 (2ए) के अंतर्गत जमा किया गया। कंपनी अनुबन्धित समय सीमा के अंदर आवेदनकर्ता को रजिस्‍टर्ड पोस्‍ट आफिस द्वारा रिफण्‍ड कर दिया। कंपनी को प्राप्‍त धनराशि पर कोई ब्‍याज नहीं अर्जित किया है। दिनांक 07/10/94 को मु0 15,000/ रूपये व 15,000/ रूपये के दोनों चेकों को रजिस्‍टर्ड पोस्‍ट द्वारा भेज दिया तथा समाचार पत्र में भी दिनांक 12/10/94 को प्रकाशित किया गया। परिवादी ने कंपनी से कभी भी संपर्क नहीं किया न कंपनी द्वारा धनराशि वापस करने से इन्‍कार किया गया। कंपनी ने कानूनी कार्यवाही नहीं किया, बल्कि आवश्‍यक कदम उठाया कि  अपने आवेदनकर्ताओं के धनराशि समय से वापस कर दिया। कंपनी के पार्ट पर किसी भी प्रकार की कोई सेवा में कमी नहीं है।

     अपीलार्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। प्रत्‍यर्थी श्री पी0के0 शर्मा व्‍यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए उनके मौखिक बहस को सुना गया।

     आधार अपील का अवलोकन किया गया। अपीलार्थी ने अपने आधार अपील में कहा है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने मु0 30,000/ रूपये प्राप्‍त कर लिया है केवल ब्‍याज की धनराशि प्राप्‍त करने के लिए जिला फोरम में परिवाद दाखिल किया है। जिला पीठ का निर्णय/आदेश उचित नहीं है जो खारिज करने योग्‍य है।

     प्रत्‍यर्थी की ओर से श्री पी0के0 शर्मा ने आधार अपील का खण्‍डन करते हुए कहा कि मु0 30,000/ रूपये अपीलार्थी/विपक्षी के पास रहा तथा उक्‍त धनराशि का उपभोग करता है। ऐसी स्थिति में प्रत्‍यर्थी/ परिवादी को मु0 30,000/ रूपये की धनराशि पर ब्‍याज मिलना चाहिए। जिला पीठ ने जो निर्णय दिया है वह उचित है। अपील खारिज होने योग्‍य है।

    संपूर्ण पत्रावली का अवलोकन किया जिससे प्रतीत होता है कि परिवादी शेयर खरीदने के लिए मेसर्स जे0के0 डेयरी एवं फ्रूड्स लि0, से आवेदन किया था तथा आवेदन के साथ मु0

 

 

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15,000/ रूपये के दो चेक अर्थात 30,000/ रूपये की धनराशि अपीलार्थी/विपक्षी को दिया था। विपक्षी ने शेयर का आवंटन किन्‍हीं कारणों से नहीं कर सका, तद्उपरान्‍त मेसर्स जे0के0 डेयरी एवं फ्रूड्स लि0 ने शेयर के आवेदनकर्ताओं का पैसा चेक द्वारा पोस्‍ट आफिस के माध्‍यम से वापस कर दिया। प्रत्‍यर्थी/परिवादी भी मु0 30,000/ रूपये की धनराशि प्राप्‍त कर चुका है। जिला पीठ के समक्ष मु0 30,000/ रूपये की धनराशि पर ब्‍याज प्राप्‍त करने हेतु परिवाद दाखिल किया।

     मा0 राष्‍ट्रीय आयोग ने स्‍टील सिटी सिक्‍यूरिटीज लि0 बनाम जी0पी0 रमेश एवं अन्‍य (2014) सी.पी.जे. 576 (एन.सी.) में यह विधि व्‍यवस्‍था दिया है कि उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम की धारा- 2 (1) (डी) के अंतर्गत यदि कोई व्‍यक्ति प्रतिफल के बदले कोई वस्‍तु खरीदता है अथवा सेवा लेता है, किन्‍तु यदि वह ‘’ कामर्शियल परपज’’ के लिये है, तो संबंधित व्‍यक्ति उपभोक्‍ता की श्रेणी में नहीं आता है।

     ‘’13 Since, respondents are trading regularly in the share business which is commercial activity, under these circumstances, respondents would not fall under the definition of  consumer’s as per the Act. Moreover, regular trading in the sale and purchase of shares is as purely commercial activity and the only motive is to earn profits. Therefore, this activity being purely commercial one, is not covered under the provisions of the Act.”

     प्रस्‍तुत प्रकरण में हम यह पाते हैं कि परिवादी ने शेयरों के क्रय विक्रय के संबंध में विपक्षी से संपर्क किया और उसका उक्‍त व्‍यवसाय कामर्शियल व्‍यवसाय की सीमा में आता है। इसलिए प्रस्‍तुत प्रकरण उपभोक्‍ता संरक्षण की धारा 2 (1) के अंतर्गत नहीं आता है। जिला पीठ ने जो निर्णय दिया है वह खण्डित होने योग्‍य है।

आदेश

       अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला मंच प्रथम आगरा द्वारा परिवाद सं0 222/1998 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 21/07/1999 निरस्‍त किया जाता है।

      उभय पक्ष अपना अपीलीय व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

     

 

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     उभय पक्ष को इस निर्णय की सत्‍य प्रमाणित प्रति पक्षकारों को नियमानुसार उपलब्‍ध कराई जाय।

 

                                                                                                                                                  

                                                     (सी0बी0 श्रीवास्‍तव)

                                                                        पीठासीन सदस्‍य

 

                                                                    

                                                                                  

                                                                                   (संजय कुमार)

सुभाष चन्‍द्र आशु0 ग्रेड 2 कोर्ट नं0 2                                                         सदस्‍य

 

 

     

 
 
[HON'ABLE MR. JUSTICE Virendra Singh]
PRESIDENT

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