Uttar Pradesh

StateCommission

A/2013/1843

Anshuman Furniture - Complainant(s)

Versus

P N B - Opp.Party(s)

Mahendra Kumar Mishra

10 Dec 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2013/1843
( Date of Filing : 16 Aug 2013 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Anshuman Furniture
a
...........Appellant(s)
Versus
1. P N B
A
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 10 Dec 2021
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

मौखिक

अपील सं0-१८४३/२०१३

 

(जिला उपभोक्‍ता मंच/आयोग, गोण्‍डा द्वारा परिवाद सं0-६७/२०१२ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक १७-०१-२०१३ के विरूद्ध)

 

अंशुमान फर्नीचर, बलेशरगंज, पोस्‍ट-वजीरगंज, जिला गोण्‍डा द्वारा प्रौपराइटर श्री इन्‍द्र देव तिवारी पुत्र स्‍व0 सतगुर प्रसाद तिवारी।

          ................. अपीलार्थी/परिवादी। 

बनाम्

पंजाब नेशनल बैंक, ब्रान्‍च नबाबगंज, जिला गोण्‍डा द्वारा मैनेजर।

                                               ...............    प्रत्‍यर्थी/विपक्षी।   

समक्ष:-

१.  मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

२-  मा0 श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :- श्री महेन्‍द्र कुमार मिश्रा विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित   :- श्री अवनीश पाल विद्वान अधिवक्‍ता।

 

दिनांक : १०-१२-२०२१.

 

मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

१.    यह अपील, जिला उपभोक्‍ता मंच/आयोग, गोण्‍डा द्वारा परिवाद सं0-६७/२०१२ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक १७-०१-२०१३ के विरूद्ध उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम १९८६ की धारा-१५ के अन्‍तर्गत प्रस्‍तुत की गई है। इस परिवाद को अदम पैरवी में खारिज कर दिया गया है।

२.    उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण को सुना गया तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया।

३.    प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश को इस आधार पर चुनौती दी गई है कि यह आदेश अपास्‍त होना चाहिए और परिवाद मूल नम्‍बर पर पुनर्स्‍थापित होना चाहिए।

४.    अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि उनके मुवक्किल से उनका सम्‍पर्क नहीं हो पा रहा है, इसलिए दस्‍तावेज के आधार पर इस अपील का निस्‍तारण कर दिया जाए।

 

 

 

-२-

५.    प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि परिवादी द्वारा ऋण प्राप्‍त किया गया था। ऋण की वापसी नहीं की गई, इसलिए ऋण की बसूली की कार्यवाही संचालित है। जिला उपभोक्‍ता मंच के समक्ष परिवाद संधारणीय है। परिवाद को मूल नम्‍बर पर पुनर्स्‍थापित करने का कोई आधार नहीं है। स्‍वयं परिवाद के तथ्‍यों से इस तथ्‍य की पुष्टि होती है। अपील तद्नुसार निरस्‍त होने योग्‍य है।

आदेश

६.    यह अपील निरस्‍त की जाती है।

७.    अपील व्‍यय उभय पक्ष अपना-अपना वहन करेंगे।  

८.    उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाय।

 

     

                     (विकास सक्‍सेना)            (सुशील कुमार)

                         सदस्‍य                    सदस्‍य

 

९.    निर्णय आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।

 

                     (विकास सक्‍सेना)            (सुशील कुमार)

                         सदस्‍य                    सदस्‍य

प्रमोद कुमार,

वैय0सहा0ग्रेड-१,

कोर्ट-२. 

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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