Uttar Pradesh

StateCommission

A/2006/1121

Babu Banarasi Das National Institute of Technology and Mamagment - Complainant(s)

Versus

P K Singh - Opp.Party(s)

R R Awasthi

02 Dec 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2006/1121
( Date of Filing : 08 May 2006 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. Babu Banarasi Das National Institute of Technology and Mamagment
a
...........Appellant(s)
Versus
1. P K Singh
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 02 Dec 2022
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

 (मौखिक) 

अपील सं0- 1121/2006

Babu Banarsi Das National Institute of Technology & Management, Sector-I, Dr. Akhilesh Das Nagar, Faizabad Road, Lucknow through its Director and Another.

                                                 …….Appellants

                       Versus

Pawan Kumar Singh S/o Mr. Gyan Singh Gram Nathpurva, Post Nara Desh, Kaushambi.                                                

                                              ……….Respondent

समक्ष:-

   माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

   माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

 

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री प्रत्‍यूष त्रिपाठी,

                               विद्वान अधिवक्‍ता।                

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित      : कोई नहीं।

                                                                  

दिनांक:- 02.12.2022

माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य द्वारा उद्घोषित

 

निर्णय

1.        परिवाद सं0- 691/2002 पवन कुमार बनाम बाबू बनारसी दास नेशनल इंस्‍टीट्यूट व अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वितीय, लखनऊ द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दि0 06.10.2004 के विरुद्ध यह अपील प्रस्‍तुत की गई है।

2.        हमने अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता श्री प्रत्‍यूष त्रिपाठी को सुना। प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों का सम्‍यक परिशीलन किया। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

 

3.        परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थीगण/विपक्षीगण शैक्षणिक संस्‍थान में वर्ष 2000-2001 में फार्मेसी कोर्स के लिए प्रवेश लिया गया और अपीलार्थीगण/विपक्षीगण के यहां धनराशि जमा की गई। एक सेमेस्‍टर की पढ़ाई छोड़ दी गई और अवशेष फीस की मांग की गई, जिसे विद्यालय में शैक्षिक सत्र में जमा की गई फीस वापस प्राप्‍त करने के लिए उपभोक्‍ता परिवाद संधारणीय नहीं है। इस सम्‍बन्‍ध में मा0 राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा पारित निर्णय मनु सोलंकी व अन्‍य बनाम विनायक यूनिवर्सिटी प्रकाशित I(2020) CPJ पृष्‍ठ 210 (N.C.) का उल्‍लेख करना उचित होगा। इस निर्णय में मा0 सर्वोच्‍च न्‍यायालय के निर्णय पी0टी0 कोशी व अन्‍य बनाम एल0एन0 चैरिटेबल ट्रस्‍ट व अन्‍य प्रकाशित 2012 Vol. III(CPC) पृष्‍ठ 615 (SC) पर आधारित किया गया जिसमें मा0 सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा यह निर्णीत किया गया है कि उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2(1)(d) में प्रदान किए गए शब्‍द ''उपभोक्‍ता'' की परिभाषा में कोई विद्यार्थी नहीं आता है और कोई शैक्षणिक संस्‍था इस अधिनियम के अंतर्गत ''सेवा प्रदाता'' नहीं मानी जा सकती है।

4.        मा0 राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा यह निर्णीत किया गया कि मा0 सर्वोच्‍च न्‍यायालय के द्वारा अन्‍य निर्णयों में विद्यार्थी एवं शै‍क्षणिक संस्‍था को उपभोक्‍ता एवं सेवा प्रदाता के रूप में माना है, किन्‍तु पी0टी0 कोशी व अन्‍य बनाम एल0एन0 चैरिटेबल ट्रस्‍ट व अन्‍य उपरोक्‍त में मा0 सर्वोच्‍च न्‍यायालय के फुल बेंच का निर्णय है जब कि अन्‍य निर्णय लघुतर बेंच के हैं। अत: मा0 सर्वोच्‍च न्‍यायालय के निर्णय अमर सिंह यादव व अन्‍य बनाम शांता देवी व अन्‍य AIR 198 के अनुसार बृहत बेंच के निर्णय का अनुसरण निम्‍नतर न्‍यायालय द्वारा किया जायेगा। अत: उपरोक्‍त मा0 सर्वोच्‍च न्‍यायालय का निर्णय पी0टी0 कोशी व अन्‍य बनाम एल0एन0 चैरिटेबल ट्रस्‍ट व अन्‍य के अनुसार वर्तमान स्‍तर पर विद्यार्थी एवं शैक्षणिक संस्‍था को ''उपभोक्‍ता'' एवं ''सेवा प्रदाता'' की परिभाषा के अंतर्गत नहीं माना जा सकता है। प्रस्‍तुत मामले पर मा0 राष्‍ट्रीय आयोग का निर्णय मनु सोलंकी व अन्‍य बनाम विनायक यूनिवर्सिटी तथा पी0टी0 कोशी व अन्‍य बनाम एल0एन0 चैरिटेबल ट्रस्‍ट व अन्‍य लागू होता है। अत: वर्तमान विधिक परिस्थिति को देखते हुए इस मामले में भी विद्यार्थी शैक्षणिक संस्‍था का उपभोक्‍ता एवं सेवा प्रदाता के अंतर्गत उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम की परिभाषा के अंतर्गत नहीं माना जा सकता है। तदनुसार विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश अपास्‍त होने योग्‍य एवं अपील स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।

                          आदेश

5.        अपील स्‍वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश अपास्‍त किया जाता है तथा परिवाद संधारणीय न होने के कारण खारिज किया जाता है।   

          अपील में उभयपक्ष अपना-अपना व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।   

          आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।        

 

   (विकास सक्‍सेना)                         (सुशील कुमार)

             सदस्‍य                                  सदस्‍य  

                                

शेर सिंह, आशु0,

कोर्ट नं0- 3

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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