(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-2433/2011
डीएलएफ लिमिटेड
बनाम
पी.के. हाण्डा पुत्र स्व0 श्री बी.डी. तथा दो अन्य
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
प्रत्यर्थी सं0-1 व 2 की ओर से उपस्थित : श्री पी.के. हाण्डा, स्वंय।
प्रत्यर्थी सं0-3 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक : 12.03.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-138/2004, प्रद्युमन कृष्ण हांडा तथा एक अन्य बनाम डीएलएफ यूनिवर्सल तथा एक अन्य में विद्वान जिला आयोग, गाजियाबाद द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 12.10.2011 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर बल देने के लिए अपीलार्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के देहान्त होने पर अधिवक्ता श्री पीयूष मणि त्रिपाठी द्वारा वकालतनामा दाखिल करने का कथन पूर्व में किया गया था, परन्तु कोई वकालतनामा दाखिल नहीं किया गया है। अत: माना जाता है कि अपीलार्थी को इस तथ्य का ज्ञान है कि उनके अधिवक्ता की मृत्यु हो चुकी है, परन्तु कोई नया अधिवक्ता नियुक्त नहीं किया गया और न
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ही अपीलार्थी की ओर से अपील पर बल देने के लिए कोई उपस्थित हैं। अत: पीठ द्वारा स्वंय प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया तथा प्रत्यर्थी सं0-1 एवं 2 को व्यक्तिगत रूप से सुना गया।
2. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी द्वारा वर्ष 1992 में एक फ्लैट क्रय करने का अनुबंध विपक्षी से किया गया था और अंकन 5,44,332/-रू0 अदा किये गये थे। विद्वान जिला आयोग के समक्ष निर्णय पारित करते समय उपभोक्ता की आयु 75 वर्ष थी, जो अब लगभग 88 वर्ष हो चुकी है, परन्तु आज भी उन्हें उनके द्वारा जमा राशि के बदले वांछित फ्लैट प्राप्त नहीं हुआ है, इसलिए विद्वान जिला आयोग द्वारा मानसिक प्रताड़ना की मद में अंकन 4,00,000/-रू0 की क्षति की पूर्ति का आदेश पारित किया गया है, जो पूर्णतया: विधिसम्मत है। यह अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
3. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है। यद्यपि विद्वान जिला आयोग से अपेक्षित है कि वह निष्पादन वाद प्राप्त होने पर प्रत्यर्थी/उपभोक्ता की आयु को दृष्टिगत रखते हुए दो माह की अवधि के अन्दर निष्पादन वाद का निस्तारण करना सुनिश्चित करें।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
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आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-3