Uttar Pradesh

StateCommission

A/1998/2503

Ansal Housing - Complainant(s)

Versus

P C Agrwal - Opp.Party(s)

Ankit Srivastava

10 Oct 1998

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1998/2503
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Ansal Housing
New Delhi
...........Appellant(s)
Versus
1. P C Agrwal
Ghaziabad
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'ABLE MR. Ashok Kumar Chaudhary PRESIDING MEMBER
 HON'ABLE MR. RAM PAL SINGH MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

सुरक्षित

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

अपील संख्‍या-2503 सन 1998

(जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम गाजियाबाद    द्वारा परिवाद संख्‍या  821 सन 1995 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं  आदेश दिनांक 08.09.1998  के विरूद्ध)

 

मै0 अंसल हाउसिंग एण्‍ड कान्‍स्‍ट्रेक्‍शन लि0 15, यू0एफ0जी0 इन्दिरा पार्क, बाराखंभा रोड, नई दिल्‍ली ।

                                     ...........अपीलार्थी

बनाम

                                    

प्रयाग चन्‍द्र अग्रवाल, ईसीई इण्‍डस्‍ट्रीज ए-20, इण्‍डस्‍ट्रयल एरिया, मेरठ रोड, गाजियाबाद ।

     ........प्रत्‍यर्थी

समक्ष:-

1. मा0 न्‍यायमूर्ति श्री वीरेन्‍द्र सिंह, अध्‍यक्ष ।

2. मा0 श्री, चन्‍द्रभाल श्रीवास्‍तव, न्‍यायिक सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित    : श्री अंकित श्रीवास्‍तव, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित     : कोई नहीं ।

दिनांक -09-10-2014

 

मा0 श्री चन्‍द्रभाल श्रीवास्‍तव, न्‍यायिक सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

     

      जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम गाजियाबाद   द्वारा परिवाद संख्‍या  821 सन 1995 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं  आदेश दिनांक 08.09.1998  के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी है जिसके द्वारा जिला फोरम ने परिवादी के परिवाद को स्‍वीकार कर लिया है और परिवादी द्वारा जमा की गयी धनराशि वापस को करने का निर्देश दिया है।

      संक्षेप में, प्रकरण के आवश्‍यक तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादी ने विपक्षी की अंसल हाउसिंग की चिरंजीव बिहार योजना के अन्‍तर्गत भवन के आवंटन हेतु आवेदन दिया। परिवादी को भवन संख्‍या बी-20, दिनांक 17.4.95 को आवंटित किया गया जिसका मूल्‍य 05,75,825.00 रू0 था। बुकिंग के समय परिवादी को 10 प्रतिशत धनराशि जमा करनी थी जो कि 57,500.00 रू0 होती है। परिवादी ने 52,500.00 रू0 अदा किए और 5000.00 रू0 का चेक दिया, जो बाद में अनादरित हो गया। इस प्रकार परिवादी द्वारा 52,500.00 रू0 जमा किए गए । इसके अतिरिक्‍त परिवादी द्वारा कोई अन्‍य धनराशि जमा नहीं की गयी। किस्‍तों का भुगतान न करने के कारण परिवादी का आवंटन निरस्‍त कर दिया गया। जिला फोरम के समक्ष विपक्षी द्वारा इस आशय का लिखित कथन प्रस्‍तुत किया गया कि चूंकि परिवादी द्वारा समय पर किस्‍तों को अदा नहीं किया गया है, ऐसी स्थिति में विपक्षी को अर्नेस्‍टमनी जब्‍त करने एवं आवंटन रद्द करने का अधिकार है, जैसा कि पक्षकारों के बीच हुए अनुबंध के उपबंध-5 से स्‍पष्‍ट है। जिला फोरम ने उक्‍त अनुबंध की शर्तो पर ध्‍यान न देते हुए विपक्षी को परिवादी द्वारा जमा धनराशि ब्‍याज रहित लोटाने का आदेश दिया, जिससे विक्षुब्‍ध होकर यह अपील संस्थित की गयी।

      अपील के आधारों में मुख्‍यत: यह कहा गया है कि पक्षकारों के बीच किया गया अनुबन्‍ध पक्षकारों पर बाध्‍यकारी है। अपीलार्थी को, परिवादी द्वारा किस्‍त अदा करने में विफल रहने पर अर्नेस्‍ट मनी और आवंटन रद्द करने का अधिकार है ।

      हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता की बहस सुन ली है। प्रत्‍यर्थी की ओर से बहस हेतु कोई उपस्थित नहीं हुआ, हमने स्‍वत: अभिलेख का अनुशीलन किया ।

      अभिलेख के अनुशीलन से स्‍पष्‍ट है कि विवादित भवन आवंटन के संबंध में पक्षकारों के बीच 19.11.94 को अनुबंध हुआ था जिसके उपबंध 5 में यह स्‍पष्‍ट रुप से कहा गया है कि यदि परिवादी समय पर किस्‍त अदा करने में विफल होता है तो उसके द्वारा जमा की गयी धनराशि में से अर्नेस्‍टमनी की धनराशि जब्‍त कर ली जाएगी और शेष धनराशि ब्‍याज रहित लौटायी जाएगी। अनुबंध के उपबंध-1 के नोट-5 में यह स्‍पष्‍ट किया गया है कि भवन के मूल्‍य की 20 प्रतिशत धनराशि अर्नेस्‍ट मनी मानी जाएगी। इस दृष्टि से परिवादी को आवंटित भवन जिसका मूल्‍य 05,75,825.00 रू0 था और जिसका 20 प्रतिशत 01,15,165.00 रू0 होता है, किन्‍तु परिवादी द्वारा 10 प्रतिशत से भी कम धनराशि 52,500.00 रू0 जमा की गयी थी क्‍योंकि उसके द्वारा प्रस्‍तुत 5000.00 रू0 का चेक अनादरित हो गया था। 52,500.00 रू0 की धनराशि भवन के मूल्‍य के 20 प्रतिशत धनराशि से कम है, अत: अपीलार्थी द्वारा उक्‍त 52500.00 रू0 की धनराशि अर्नेस्‍ट मनी मानते हुए जब्‍त करना तथा उक्‍त आधार पर आवंटन निरस्‍त करना न्‍यायोचित प्रतीत होता है। अभिलेख पर अपीलार्थी द्वारा आवंटन निरस्‍तीकरण आदेश दाखिल किया गया है, जिसके अवलोकन से यह स्‍पष्‍ट होता है कि सदभाव में परिवादी को किस्‍तों की धनराशि जमा करने के संबंध में रिमाइंडर भी जारी किया गया था, किन्‍तु उसके बावजूद भी परिवादी द्वारा किस्‍तें जमा नहीं की गयी। जिला फोरम ने उभय पक्षों के बीच निष्‍पादित अनुबन्‍ध पर ध्‍यान न देते हुए सरसरी तौर पर परिवादी द्वारा जमा की गयी धनराशि वापस करने का आदेश दिया है, जोकि किसी भी रुप में उचित नहीं है।

      उपर्युक्‍त विवेचन के आधार पर हम इस निष्‍कर्ष पर पहुंचते हैं कि यह अपील स्‍वीकार करते हुए जिला फोरम द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश तथा संबंधित परिवाद खण्डित किए जाने योग्‍य है।

आदेश

      प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार करते हुए जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम गाजियाबाद  द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं  आदेश दिनांक 08.09.1998  खण्डित करते हुए संबंधित परिवाद भी निरस्‍त किया जाता है।

      उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

      इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार नि:शुल्‍क उपलब्‍ध करा दी जाए।

 

 

(न्‍यायमूर्ति वीरेन्‍द्र सिंह)                        (चन्‍द्र भाल श्रीवास्‍तव)

   अध्‍यक्ष                                                                            सदस्‍य(न्‍यायिक)

    कोर्ट-1

(S.K.Srivastav,PA-2)

 

 

 

 
 
[HON'ABLE MR. Ashok Kumar Chaudhary]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'ABLE MR. RAM PAL SINGH]
MEMBER

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.