जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर प्रथम, जयपुर
समक्ष: श्री महेन्द्र कुमार अग्रवाल - अध्यक्ष
श्रीमती सीमा शर्मा - सदस्य
श्री ओमप्रकाश राजौरिया - सदस्य
परिवाद सॅंख्या: 742/2012
अजय कुमार जैन पुत्र श्री हुकम चन्द जैन, जाति जैन, आयु 44 वर्ष, निवासी प्लाॅट नंबर - ए-21, केशव विहार, गोपालपुरा बाईपास, जयपुर Û
परिवादी
ं बनाम
1. दी ओरियंटल इन्श्योरेंस कम्पनी लि0, रजिस्टर्ड आॅफिस ए-25/27, ओरियंटल हाउस, आसफ अली रोड़, नई दिल्ली 110002 जरिए मुख्य प्रबंधक
2. दी ओरियंटल इन्श्योरेंस कम्पनी लि0, सर्विस संेटर, दूसरी मंजिल, आनन्द भवन, संसार चन्द्र रोड़, जयपुर जरिए क्षेत्रीय प्रबंधक
विपक्षी
अधिवक्तागण :-
श्री दिनेश काला - परिवादी
श्री जी.बी.श्रीवास्तव - विपक्षी कम्पनी
परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक: 25.06.12
आदेश दिनांक: 21.01.2015
परिवादी अजय कुमार जैन ने विपक्षी दी ओरियंटल इन्श्योरेंस कम्पनी लि0 के विरूद्ध धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्तर्गत यह परिवाद पेश किया है । परिवाद में अंकित तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी वाहन सॅंख्या टी.वी.एस. आर.जे.14 जेड.एस.7557 का पंजीकृत स्वामी है । परिवादी ने अपने इस वाहन का बीमा 07.09.2010 से 06.09.2011 तक की अवधि के लिए विपक्षी सॅंख्या 1 से करवाया था । जिसकी टू व्हीलर्स पैकेज पाॅलिसी - जोन बी जारी की गई थी । परिवादी ने दिनांक 29.06.2011 को रात 11.30 बजे उक्त मोटर साईकिल घर पर पोर्च में खडी की थी दिनंाक 30.06.2011 को सुबह 930 ए.एम. पर देखा तो मोटर साईकिल नहीं थी काफी तलाश करने पर भी मोटर साईकिल नहीं मिली तो दिनंाक 01.07.2011 को विमल कुमार गुप्ता ने पुलिस थाना मानसरोवर, जयपुर पर प्रथम सूचना रिपोर्ट प्रस्तुत की तथा दिनांक 14.09.2011 को विपक्षी बीमा कम्पनी के कार्यालय में वाहन चोरी जाने के बाबत सूचित किया । पुलिस ने पुलिस ने परिवादी की प्रथम सूचना रिपोर्ट पर मामले में तपतीश की परन्तु मोटर साईकिल का पता नहीं चलने पर एफ.आर. अदम पता माल मुल्जिम सक्षम न्यायालय में पेश की जिसे सक्षम न्यायालय द्वारा दिनांक 20.08.2011 को स्वीकार किया गया । तत्पश्चात परिवादी ने विपक्षी सॅंख्या 2 के कार्यालय में क्लेम दिए जाने हेतु आवेदन पेश किया । इस पर विपक्षी बीमा कम्पनी ने अपने पत्र दिनंाक 24.10.2011 द्वारा परिवादी को सूचित किया कि घटना के 48 घंटे के अंदर वाहन चोरी जाने की सूचना बीमा कम्पनी को नहीं दी गई जो बीमा पाॅलिसी की शर्तो का उल्लंधन है और क्लेम देने से इंकार कर दिया । तत्पश्चात परिवादी द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी के विरूद्ध यह परिवाद पेश किया गया है ।
विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से परिवादी द्वारा वाहन सॅंख्या आर .जे.14 जेड एक्स 7557 का बीमा किए जाने के बारे में कोई विवाद नहीं किया गया है और यह कहा गया है कि वाहन चोरी जाने की सूचना परिवादी द्वारा बीमा कम्पनी को 48 घंटे के अंदर-अंदर दिया जाना आवश्यक था परन्तु परिवादी द्वारा वाहन चोरी की सूचना 48 घंटे के अंदर नहीं दिए जाने से क्लेम देय नहीं होता है । विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से यह भी कहा गया है कि वाहन चोरी जाने वाले दिन परिवादी का विदेश में होना प्रमाणित नहीं है । अत: वाहन चोरी की सूचना किसी अन्य व्यक्ति द्वारा बीमा कम्पनी के कार्यालय में 77 दिन बाद दी जाकर बीमा पाॅलिसी की शर्तो का उल्लंधन कर बीमा संविदा को भंग किया गया है इसलिए बीमा कम्पनी क्षतिपूर्ति के लिए उत्तरदायी नहीं है । विपक्षी बीमा कम्पनी ने वाहन चोरी जाने के पश्चात स्वतन्त्र रूप से कार्य करने वाले इन्वेस्टीगेटर से जांच करवाई तथा क्लेम भुगतान योग्य नहीं पाए जाने पर परिवादी को पत्र दिनांक 19.09.11 व 24.10.11 से सूचना दे दी गई थी इसलिए परिवाद सव्यय खारिज किया जावे ।
मंच द्वारा दोनेां पक्षों की बहस सुनी गई एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया ।
परिवादी की ओर से बहस की गई है कि वह वाहन सॅंख्या आर.जे.14 जेड.एस.7557 का पंजीकृत स्वामी है और उसने अपने वाहन का बीमा 07.09.2010 से 06.09.2011 तक की अवधि के लिए विपक्षी बीमा कम्पनी से करवाया था तथा दिनांक 29.06.2011 को रात 11.30 बजे उक्त मोटर साईकिल घर पर पोर्च में खडी की थी दिनंाक 30.06.2011 को सुबह 930 ए.एम. पर देखा तो मोटर साईकिल नहीं थी । मोटर साईकिल चोरी चले जाने पर 01.07.2011 को विमल कुमार गुप्ता ने पुलिस थाना मानसरोवर, जयपुर पर प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करवाई जिस पर पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर अनुसंधान प्रारम्भ किया और अनुसंधान मे माल व मुलिज्म का पता नहीं चलने के कारण एफ.आर. अदम पता माल मुल्जिम सक्षम न्यायालय में पेश की गई जिसे स्वीकार कर लिया गया। परिवादी का कथन है कि चूंकि घटना के समय परिवादी का वाहन विपक्षी के यहां बीमित था और वाहन चोरी जाने की सूचना बीमा कम्पनी को दी गई थी इसलिए बीमा कम्पनी क्षतिपूर्ति के लिए उत्तरदायी है । परिवादी की ओर से यह भी बहस की गई है कि यदि किन्हीं कारणों से मंच इस नतीजे पर पहुॅंचता है कि परिवादी द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी को वाहन चोरी जाने की सूचना देरी से दी गई तब बीमा कम्पनी को नोन-स्टेण्डर्ड बेसिस पर क्लेम निर्धारित करते हुए परिवादी को क्षतिपूर्ति राशि अदा करनी चाहिए। इस सम्बन्ध में उन्होंने हमारा ध्यान माननीय राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, नई दिल्ली के न्याय निर्णय जो रिविजन पिटिशन नंबर 700 / 2009 ओरियंटल इंश्योरेेंस कम्पनी लि0 बनाम राकेश शर्मा एण्ड अनोदर में दिनंाक 09 दिसम्बर 2009 को दिया गया है की ओर दिलवाया है तथा बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण द्वारा जारी सरक्यूलर दिनांक 20.09.2011 की ओर भी हमारा ध्यान दिलाया गया है ।
बीमा कम्पनी की ओर से बहस की गई है कि वाहन चोरी जाने की सूचना वाहन के पंजीकृत स्वामी द्वारा दर्ज नहीं करवाई गई थी बल्कि वाहन चोरी जाने की सूचना विमल कुमार द्वारा पुलिस थाना मानसरोवर में दर्ज करवाई है । यह सूचना तीन दिन की देरी से दर्ज करवाई गई है तथा बीमा कम्पनी को वाहन चोरी जाने की सूचना 77 दिन देरी से दी गई है इसलिए बीमा कम्पनी क्षतिपूर्ति के लिए उत्तरदायी नहीं है । बीमा कम्पनी की ओर से यह भी बहस की गई है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय एवं माननीय राष्ट्रीय आयोग, नई दिल्ली द्वारा हाल में दिए गए निणर्यो के अनुसार बीमा पाॅलिसी की शर्तो का उल्लंधन किए जाने पर बीमा कम्पनी को क्षतिपूर्ति देने के लिए उत्तरदायी नहीं ठहराया गया है । अत: परिवाद खारिज किया जावे । विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से माननीय राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग नई दिल्ली के न्याय निर्णय प्ट;2014द्ध ब्च्श्र 350 ;छब्द्ध कुलवंत सिंह बनाम यूनाईटेड इण्डिया इन्श्योरेंस कम्पनी लि0, प्ट;2014द्ध ब्च्श्र 544 ;छब्द्ध विजय कुमार बनाम बजाज एलाइंस जनरल इंश्योरेंस कम्पनी लि0 एण्ड अदर्स, प् ;2014द्ध ब्च्श्र 411 ;छब्द्ध बुद्ध गणेश बनाम न्यू इण्डिया एश्योरेंस कम्पनी लि0, प्;2014द्ध ब्च्श्र 29 ;छब्द्ध न्यू इण्डिया एश्योरेंस कम्पनी लि0 बनाम राम अवतार पेश किए हैं।
हमने उभय पक्षों के तर्को पर विचार किया एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया ।
परिवादी अजय कुमार जैन द्वारा मोटर साईकिल आर.जे. 14 जेड.एक्स.7557 का बीमा विपक्षी सॅंख्या 1 के स्थानीय कार्यालय से दिनांक 07.09.2010 से 06.09.2011 तक की अवधि के लिए करवाए जाने के सम्बन्ध में कोई विवाद नहीं है । परिवादी का कथन है कि परिवादी ने दिनांक 29.06.2011 को रात 11.30 बजे उक्त मोटर साईकिल घर पर पोर्च में खडी की थी दिनंाक 30.06.2011 को जब मोटर साईकिल सम्भाली तो नहीं मिली । काफी तलाश करने पर भी मोटर साईकिल नहीं मिली तो दिनंाक 01.07.2011 को विमल कुमार गुप्ता ने पुलिस थाना मानसरोवर, जयपुर पर प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करवाई जिस पर पुलिस ने एफ.आई.आर नंबर 296 पर दर्ज तपतीश प्रारम्भ की और बाद तपतीश माल व मुज्लिम का पता नहीं चलने पर अदम पता माल मुल्जिम एफ.आर. पेश की गई ।
इस प्रकरण में प्रथम सूचना रिपोर्ट करीब तीन दिन की देरी से परिवादी के स्थान पर श्री विमल कुमार गुप्ता द्वारा दर्ज करवाई गई है तथा चोरी की सूचना विपक्षी कम्पनी को करीब ढाई महीने बाद दिया जाना बताया गया है और बीमा कम्पनी द्वारा वाहन चोरी जाने की सूचना करीब ढाई माह की देरी से दिए जाने को बीमा पाॅलिसी की शर्तो का उल्लंधन मानते हुए अपने पत्र दिनांक 24.10.2011 द्वारा परिवादी का दावा खारिज कर दिया गया है।
परिवादी के अधिवक्ता का कथन है कि उनके द्वारा मौखिक सूचना तुरन्त विपक्षी को दी गई थी और यदि सूचना देरी से दिया जाना माना जाए तो भी माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्तों के आधार पर नोन स्टेण्डर्ड बेसिस पर बीमित राशि की 75 प्रतिशत राशि दिलवाई जावे । इस सम्बन्ध में उन्होंने हमारा ध्यान माननीय राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, नई दिल्ली के न्याय निर्णय जो रिविजन पिटिशन नंबर 700 / 2009 ओरियंटल इंश्योरेेंस कम्पनी लि0 बनाम राकेश शर्मा एण्ड अनोदर में दिनंाक 09 दिसम्बर 2009 को दिया गया है की ओर दिलवाया है। इसके विपरीत बीमा कम्पनी का यह कथन है कि चूंकि वाहन चोरी जाने की सूचना करीब ढाई महीने की देरी से दी गई है और रिपोर्ट तीन दिन की देरी से दर्ज करवाई गई है ऐसी स्थिति में बीमा पाॅलिसी का उल्लंधन होने के कारण बीमा कम्पनी क्षतिपूर्ति के लिए उत्तरदायी है । इस सम्बन्ध में उन्होंने हमारा ध्यान प्ट;2014द्ध ब्च्श्र 350 ;छब्द्ध कुलवंत सिंह बनाम यूनाईटेड इण्डिया इन्श्योरेंस कम्पनी लि0 के मामले में दिए गए निर्णय की ओर दिलवाया है । इस न्यायिक दृष्टांत में माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा चोरी की रिपोर्ट तीन दिन देरी से लिखाए जाने के आधार पर बीमा पाॅलिसी की शर्तो का उल्लंधन होना मान कर बीमा कम्पनी द्वारा दावे को रद्द किए जाने को उचित ठहराया है । माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा इस न्यायिक दृष्टांत मंे परिवादी से से हमारे ध्यान में लाए गए अमलेन्दू शाहू बनाम ओरियंटल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड के मामले में दिए गए निर्णय को रैफर किया गया है । चूंकि माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा दिया गया यह न्यायिक दृष्टांत नवीनतम न्यायिक दृष्टांत है जिसमें पुराने सभी न्यायिक दृष्टांतों को रैफर किया गया है । अत: माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा दिए गए इस न्यायिक दृष्टांत के आधार पर, परिवादी द्वारा तीन दिन देरी से प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करवाई व बीमा कम्पनी को करीब ढाई माह की देरी से सूचित किए जाने के आधार पर, बीमा पाॅलिसी की शर्तो का उल्लंधन करने के आधार पर, परिवादी का क्लेम जो अस्वीकार किया गया है उसे अनुचित व विधि के सिद्धान्त के विरूद्ध नहीं कहा जा सकता है । परिणामस्वरूप परिवादी का यह परिवाद सारहीन होने के कारण खारिज किए जाने योग्य है ।
आदेश
अत: इस समस्त विवेचन के आधार पर परिवादी का यह परिवाद सारहीन होने के कारण खारिज किया जाता है । प्रकरण का खर्चा पक्षकारान अपना-अपना वहन करेंगे ।
निर्णय आज दिनांक 21.01.2015 को लिखाकर सुनाया गया।
( ओ.पी.राजौरिया ) (श्रीमती सीमा शर्मा) (महेन्द्र कुमार अग्रवाल)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष