जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, ग्वालियर मध्य प्रदेश
समक्षः-
सरिता सिंह-अध्यक्ष
श्रीमती आभा मिश्रा-सदस्य
डाॅ0मृदुला सिंह-सदस्य
प्रकरण क्रमांक 189/2014
संस्थापन दिनंाक 03.04.2014
आदेश दिनांक 25.08.2014
परिवादी निर्मल कुमार गर्ग पुत्र श्री भीखाराम गर्ग प्रोपराईटर सननी पेपर प्रोडक्ट, दाना ओली, लश्कर ग्वालियर
विरूद्ध
अनावेदक/अनावेदकगण 1. ओरियण्टल इंश्योरंेस कंपनी
लिमिटेड, मण्डल कार्यालय, होटल अमर पैलेस, तृतीय तल फूलबाग चैराहा लश्कर ग्वालियर द्वारा मण्डल प्रबंधक
2. पंजाब नेशनल बैंक द्वारा मुख्य शाखा प्रबंधक, सराफा बाजार लश्कर ग्वालियर वर्तमान पता राजमणि काम्पलेक्स, राम मंदिर लश्कर ग्वालियर
अधिवक्ताः
परिवादी द्वारा श्री अनुराग बंसल
अनावेदक क्रमांक 1 द्वारा श्री आर0व्ही0शर्मा
अनावेदक क्रमांक 2 द्वारा श्री अरविन्द अग्रवाल
आदेश
अध्यक्ष अनुसार
1. परिवादी ने उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के तहत यह परिवाद अनावेदकगण से क्षतिधन की राशि 5,34,000रू, मानसिक संताप एवं मुकदमा खर्च की राशि 50,000रू की प्राप्ति हेतु प्रस्तुत किया है।
2. यह स्वीकृत तथ्य है अनावेदक क्रमांक 1 नेबीमा पाॅलसी क्रमांक 153400/11/2010/420 मैसर्स सन्नी पेपर प्रोडक्ट लिमिटेड बृजबिहार काॅलोनी नई सड़क लश्कर ग्वालियर के हित में 6,50,000रू बीमा मूल्य के लिए जारी की थी।
3. यह भी स्वीकृत तथ्य है कि उक्त मैसर्स सन्नी पेपर प्रोडक्ट लिमिटेड के व्यावसायिक स्थल पर आगजनी की दुर्घटना होने पर अनावेदक क्रमांक 1 द्वारा क्लेम राशि 1,66,000रू का भुगतान किया है।
4. परिवादी का पक्ष इस प्रकार है कि वह सन्नी पेपर प्रोडक्ट लिमिटेड का प्रोपराईटर है उसके बृज बिहार काॅलोनी नई सड़क लश्कर ग्वालियर स्थित गोदाम मे दिनंाक 28.12.2010को आग लगने से उसमें रखा स्टाॅक जलकर नष्ट हो गया था उस वक्त गोदाम में 7,00,000रू का स्टाॅक था इसके नष्ट हो जाने से परिवादी ने अनावेदक क्रमांक 1 के यहां क्लेम पेश किया। अनावेदक क्रमांक 1 के यहां क्लेम पेश होने पर यह जानकारी हुई कि उसकी बीमा पाॅलिसी में अनावेदक क्रमांक 2 ने गलत जानकारी लिखवा दी थी जिसमें गोदाम व कारोबार का पता 134 बी मालनपुर जिला भिण्ड लिख दिया था जब कि उसका संपूर्ण कारोबार व स्टाॅक बृज बिहार काॅलोनी, नई सड़क लश्कर ग्वालियर पर था। जब सर्वेयर ने जानकारी मांगी तब उक्त त्रुटि विदित हुई। इस पर से अनावेदक क्रमांक 2 ने उक्त त्रुटि के सुधार हेतु अनावेदक क्रमांक 1 का सूचित भी कर दिया था इसके बावजूद भी अनावेदक क्रमांक 1 ने मात्र 1,66,000रू की राशि ही अदा की। अनावेदक क्रमांक 1 का यह कहना रहा कि अनावेदक क्रमांक 2 बैंक ने जो पता लिखा उसके आधार पर ही क्लेम 1,66,000रू का स्वीकार किया गया है इसके लिए अनावेदक क्रमांक 2 बैंक की त्रुटि है। यदि क्षतिधन की कम अदायगी का दायित्व बैंक की त्रुटि है तो इसके लिए बैंक से वह क्षतिधन पाने का पात्र है। अनावेदकगण ने उसे 5,34,000रू की राशि का कम भुगतान किया जो कृत्य सेवा मे कमी की परिधि में आता है। इसलिए आदेश के चरण क्रमांक 1 में वर्णित सहायता की प्राप्ति हेतु यह परिवाद पेश करना आवश्यक हुआ।
5. अनावेदक क्रमांक 1 ने उपरोक्त अभिवचन को अस्वीकार करते हुए यह अभिवचन किया कि परिवादी के नाम से तो कोई पाॅलिसी ही जारी नहीं हुई है। जो पाॅलिसी जारी हुई वह मैसर्स सन्नी पेपर प्रोडक्ट लि0बृज बिहार काॅलानी नई सड़क लश्कर ग्वालियर के नाम से ही जारी हुई थी इसलिए परिवादी को तो कोई वाद कारण ही उत्पन्न नहीं हुआ है। इसके अतिरिक्त उक्त बीमा धारक मैसर्स सन्नी पेपर प्रोडक्ट लि0 ने बिना किसी आपत्ति के दिनांक 1.5.2012 को 1,66,000रू की राशि प्राप्त करते हुए डिस्चार्ज व्हाउचर पर हस्ताक्षर किए हैं इसलिए भी परिवाद निरस्त किया जावे। इसके अतिरिक्त अनावेदक द्वारा नियुक्त सर्वेयर ने उक्त आगजनी की घटना से संबंधित क्षति का आकलन समस्त तथ्यों पर विचार करते हुए किया है उसी आधार पर अनावेदक ने क्षतिधन का भुगतान किया है जिसे बिना किसी आपत्ति के स्वीकार करते हुए डिस्चार्ज व्हाउचर का निष्पादन कर दिया गया है। अतः परिवाद निरस्त किया जावे।
6. अनावेदक क्रमांक 2 ने उपरोक्त अभिवचन को अस्वीकार करते हुए यह अभिवचन किया कि उनसे जो त्रुटि व्यावसायिक स्थान बताने के संबंध में हुई थी उसे पत्र दिनंाक 26.2.2011 को बीमा कंपनी को लिखते हुए सुधार लिया गया है। यदि परिवादी ने बीमा कंपनी को समग्र दस्तावेज क्षति धन विवरण के लिए पेश नही किए तो इसके लिए अनावेदक क्रमांक 2 उत्तरदायी नही हैं। परिवादी ने अनावेदक क्रमांक 2 के यहंा से केश के्रडिट लिमिट 4,50,000रू, टर्म लोन 2,20,000रू, शिक्षा ऋण 4,00,000रू अवश्य प्राप्त किया है परंतु उसके तीनो ऋण खाते अनियमित हो गये हैं जो एन0पी0ए की श्रेणी मंे आते हैं उसके विरूद्ध सरफेसी के तहत कार्यवाही प्रारंभ की गयी है इसीसे बचने के लिए यह परिवाद पेश किया है जो निरस्त किया जावे।
7. विचार के लिए यह प्रश्न उत्पन्न होता है कि क्या परिवादी को दिनांक 28.12.2010 को हुई आगजनी की घटना में 7,00,000रू की क्षति हुइ थी लेकिन अनावेदक क्रमांक 1 ने 5,34,000रू की राशि का कम भुगतान कर सेवा में कमी व अनुचित व्यापार व्यवहार किया है ?
8. परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने यह तर्क दिया कि सर्वे रिपोर्ट जिसके आधार पर अनावेदक क्रमांक 1 ने परिवादी को क्षतिधन देना व्यक्त किया वह सर्वे रिपोर्ट ही अनुचित है। इस सर्वे रिपोर्ट में किसी अर्लीयर स्टेटस रिपोर्ट की बात कहीं गयी है उसे पेश नहीं किया गया है। सर्वे रिपेार्ट में यह उल्लेख किया गया कि रजिस्टर आदि दस्तावेज पेश नही किए गए जब कि इसी रिपेार्ट से स्पष्ट है कि गोदाम मंे आग फैलने से समस्त सामान जल चुका था अतः उक्त स्थिति मंे रजिस्टर आदि मेण्टेन न किए जाने के मद में जो 50 प्रतिशत राशि की कटौति की गयी है वह त्रुटिपूर्ण है। क्षति का मूल्यांकन 3,40,000रू भी गलत किया गया है इसलिए सर्वे रिपोर्ट गलत होने से विचार के यौगय ही नही है। परिवादी के द्वारा सर्वेयर के समक्ष स्टाॅक स्टेटमेण्ट आदि प्रपत्र जो बैंक के समक्ष पेश किए थे उन्हें पेश किया गया गया था परंतु उनके आधार पर क्षति का निर्धारण न कर सर्वेयर ने त्रुटि की है। यह भी तर्क दिया कि परिवादी ने तो केजुअल मेनर में डिस्चार्ज व्हाउचर पर हस्ताक्षर कर दिए थे। 1,66,000रू की राशि डायरेक्ट ही उसके खाते में जमा हो गयी थी अतः राशि प्राप्त करने से पहले आपत्ति करने का प्रश्न ही नही था। डिस्चार्ज क्लेम व्हाउचर पर हस्ताक्षर करने मात्र से उसके वैधानिक अधिकार से उसे वंचित नहीं किया जा सकता है। वह भी उस स्थिति में जब कि सर्वे रिपोर्ट ही यह दर्शाती है कि त्रुटिपूर्ण तरीके से सर्वेयर ने मनमाने तौर पर क्षति का निर्धारण किया और उसमें भी फिर अनुचित रूपसे राशि काटी गयी है।
9. अनावेदक क्रमांक 1 के विद्वान अधिवक्ता ने यह तर्क दिया कि सर्वेयर रिपोर्ट के आधार पर ही क्षति धन का भुगतान किया गया है। परिवादी ने बिना किसी आपत्ति के भुगतान प्राप्त कर लिया है इसलिए वह उपरेाक्त राशि को विवादित करने में सक्षम नहीं है। सर्वेयर ने क्षति धन का जो मूल्यांकन किया वह उचित है अतः परिवाद निरस्त किया जावे।
10. अनावेदक क्रमांक 2 के विद्वान अधिवक्ता ने यह तर्क दिया कि अनावेदक क्रमांक 2 के द्वारा पाॅलिसी जारी करवाने हेतु जो जानकारी दी गयी थी उसमे व्यावसायिक स्थल मालनपुर जिला भिण्ड को बता दिया गया था जब कि व्यावसायिक स्थल बृज बिहार काॅलोनी नई सड़क लश्कर ग्वालियर है। इस त्रुटि के संबंध मे बीमा कंपनी को दिनंाक 26.2.2011 को सूचित कर दिया गया था इस संबंध में किसी प्रकार का कोई विवाद भी नही है।
11. उभय पक्ष के तर्क के प्रकाश में ेप्रदर्श सी-6 का पत्र स्वयं परिवादी ने पेश किया है जिसमें पंजाब नेशनल बैंक की ओर से फायर ब्रिगेड़ अधिकारी को भी सूचित किया गया है कि ओरियण्टल इंश्योरेंस कंपनी द्वारा अपनी बीमा पाॅलिसी में त्रुटिवश गोदाम का पता बी-134 मालनपुर जिला भिण्ड अंकित कर दिया गया है जब कि वास्तव में पता बृज बिहार काॅलोनी नई सड़क लश्कर ग्वालियर है। यही जानकारी प्रदर्श सी-7 के पत्र द्वारा दिनांक 28.2.2011 को अनावेदक क्रमांक 2 ने बीमा कंपनी को दी थी जिसमें उन्होंने यह कहा कि त्रुटिवश लोकेशन 134 बी मालनपुर जिला भिण्ड अंकित है जब कि सही पता बृज बिहार काॅलोनी नई सड़क लश्कर ग्वालियर है। इस त्रुटि का सुधार तब किया गया जब आगजनी की घटना हो चुकी थी जिससे यह स्पष्ट है कि बैंक ने कभी यह जानने का प्रयास ही नहीं किया कि व्यावसायिक स्थल मालनपुर जिला भिण्ड न होकर बृज बिहार काॅलोनी नई सड़क लश्कर ग्वालियर है। यही वजह रही कि जो प्रदर्श सी-12 से लगायत सी-20 तक के स्टाॅक स्टेटमेण्ट के प्रपत्र जो परिवादी ने बंक में पेश किय थे इन प्रपत्रों को भी देखें तो इसमें मौके पर निरीक्षण करने वाले किसी का कोई नाम ही उल्लेखित नहीं है। जब व्यावसायिक स्थल ही पाॅलिसी मे गलत लिखा हो, मौके पर निरीक्षण करने वाले अधिकारी के नाम का स्पष्ट उल्लेख न हो तब ऐसी स्थिति मे इन स्टाॅक स्टेटमेण्ट के अनुसार माल मौके पर यानि गोदाम मे मौजूद था यह माने जाने का आधार नही है। सर्वेयर ने अपनी रिपोर्ट में इन स्टाॅक स्टेटमेण्ट के बारे में विचार किया है। इसके अतिरिक्त बैंक अकाउण्ट जिसमें के्रडिट और डेबिट संव्यवहारों को दर्शाया गया है उसका भी उल्लेख किया गया है। समग्र परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए सर्वेयर ने 3,40,000रू की क्षति का मूल्यांकन किया है।
12. इसके अतिरिक्त अन्य कोई ऐसा दस्तावेज नहंी है जिसके आधार पर सर्वेयर यह निष्कर्ष निकाल सके कि माल 7,00,000रू का मौजूद था। यदि वास्तव में इतना माल होता तो निश्चित ही परिवादी के बैंकखाते अनियमित नहीं होते और न ही बकाया राशि की वसूली के लिए बैंक को परिवादी के विरूद्ध सरफेसी एक्ट के तहत कार्यवाही करना पड़ती।
13. अब सर्वेयर ने जो क्षति का निर्धारण 3,40,000रू किया उसे तो अनुचित नहंी माना जा सकता लेकिन इसमें उसे भी प्राॅपर रिकाॅर्ड मेण्टेन न करने के कारण जो 40 प्रतिशत एवं 10 प्रतिशत राशि की कटौति की गयी है व स्टाॅक सेव्ड भी है उन्हंे उचित नही कहा जा सकता है। एक्सेस क्लाॅज की राशि 10,000रू को कम किया जाना तो उचित माना जा सकता है। इस प्रकार सर्वे रिपोर्ट के आधार पर ही देखें तो परिवादी को जो नुकसानी हुई वह 3,30,000रू की अवश्य मान्य की जा सकती है।
14. इस बारे में कोई विवाद नही है कि अनावेदक क्रमांक 1 ने परिवादी के खाते में 1,66,000रू की राशि का भुगतान किया है जिसे परिवादी ने अपने खण्डन शपथपत्र में स्पष्ट रूपसे कहा है कि उसने उपरोक्त क्षतिधन फुल एण्ड फायनल सेटिलमेण्ट में प्राप्त नहीं किया है। उसने डिस्चार्ज व्हाउचर पर जो हस्ताक्षर किए हैं वे बीमा कंपनी द्वारा मेकनिकल मेनर मंे करवाए गए हैं। बीमा कंपनी ने कोई डिस्चार्ज व्हाउचर इस फोरम के समक्ष प्रस्तुत नही किया है ऐसी स्थिति में यह नहीं माना जा सकता कि परिवादी ने पूर्ण संतुष्टि में 1,66,000रू की राशि प्राप्त की थी। इस प्रकार यह निष्कर्ष निकलता है कि अनावेदक क्रमांक 1 ने परिवादी को क्षतिधन 3,30,000रू में से मात्र 1,66,600रू अदा कर सेवा में कमी की है। अतः परिवादी अनावेदक क्रमांक 1 से 1,63,400रू मय ब्याज प्रकरण व्यय सहित पाने का पात्र है।
15. फलस्वरूप यह परिवाद आंशिक रूपसे स्वीकार करते हुए अनावेदक क्रमांक 1 को यह आदेश दिया जाता है कि वह इस आदेश की दिनांक से 30 दिन के भीतर अवशेष क्लेम राशि के रूपमे 1,63,400रू अदा करे व इस राशि पर दिनंाक 2.5.2012 से अदायगी दिनांक तक 8 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज एवं इस प्रकरण का व्यय 1,500रू अदा करे।
16. प्रकरण समाप्त हो। आदेश की प्रतिलिपि पक्षकारों का
(सरिता ंिसंह) (श्रीमती आभा मिश्रा) (डाॅ0मृदुला सिंह)
अध्यक्ष सदस्य सदस्य