Chhattisgarh

Bilaspur

CC/09/245

SMT MAITURNA DEVI - Complainant(s)

Versus

ORIENTAL INSURANCE COMPANY LTD & OTHER - Opp.Party(s)

SHRI G R RATHORE

13 May 2015

ORDER

District Consumer Dispute Redressal Forum
Bilaspur (C.G.)
Judgement
 
Complaint Case No. CC/09/245
 
1. SMT MAITURNA DEVI
W/D RAJARAM BAHTARAU COLLIERY JAMUNA KOTMA AREA,TAH KOTMA,DIST ANNUPUR
ANNUPUR
MP
...........Complainant(s)
Versus
1. ORIENTAL INSURANCE COMPANY LTD & OTHER
FIRST FLOOR RAMA TRADE CENTER,AXIS BANK BUILDING OPPOSITE RAJIVE PLAZA BUS STAND BILASPUR
BILASPUR
CHHATTISGARH
2. SOUTH ESTERN COALFIELD LTD
SEEPAR ROAD BILASPUR
BILASPUR
CHHATTISGARH
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. ASHOK KUMAR PATHAK PRESIDENT
 HON'BLE MR. PRAMOD KUMAR VARMA MEMBER
 
For the Complainant:
SHRI G R RATHORE
 
For the Opp. Party:
NA 1 SHRI AMIT GAYAKWAD
NA 2 SHRI O P AGRAWAL
 
ORDER

 

// जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोषण फोरम, बिलासपुर छ.ग.//

 

                                                                              प्रकरण क्रमांक CC/245/2009

                                                                                प्रस्‍तुति दिनांक  10/09/2009

1. श्रीमती मैतुरना देवी प‍ति राजाराम

बहतराई कॉलरी, जमुना कोतमा एरिया

तह. कोतमा, जिला अनुपपुर

2.  ओम प्रकाश यादव

पिता स्‍व.राजाराम यादव                

3. इंदु कुमारी पिता स्‍व.राजाराम यादव                  ......आवेदकगण/परिवादीगण

                          विरूद्ध

  1. ओरिएंटल इंश्‍योरेंस कंपनी लिमिटेड

          द्वारा-डिवीजनल मैनेजर

        प्रथम मंजील रामा ट्रेड सेंटर,

       एक्सिस बैंक बिल्डिंग के पीछे राजीव प्‍लाजा,

         बस स्‍टैण्‍ड बिलासपुर छ.ग.

  1. साउथ ईस्‍टर्न कोलफिल्‍ड लिमिटेड

       द्वारा चेयरमेन कम मैनेजिंग डायरेक्‍टर,

          सीपत रोड, बिलासपुर छ.ग.               .........अनावेदकगण/विरोधीपक्षकारगण

                                   आदेश

             (आज दिनांक 13/05/2015 को पारित)

 

      1. आवेदकगण ने उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह परिवाद अनावेदकगण के विरूद्ध बीमा दावा का भुगतान न कर सेवा में कमी के लिए पेश किया है और अनावेदकगण से बीमा दावा की राशि 5,00,000/- रूपये को क्षतिपू‍र्ति एवं ब्‍याज सहित दिलाए जाने का निवेदन किया है ।

      2. परिवाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार है कि आवेदिका क्रमांक 1 का पति तथा शेष आवेदकों के पिता राजाराम अपने जीवन काल में अनावेदक क्रमांक 2 के नियोजन के अधीन जमुना कोतमा कालरी एरिया में एस.डी.एल. ऑपरेटर के पद पर कार्य करते हुए  अपने नियोक्‍ता के जरिए अनावेदक क्रमांक 1 बीमा कंपनी से ग्रुप जनता पर्सनल एक्‍सीडेंट पॉलिसी क्रमांक 47/2000/00257 प्राप्‍त किया था, जो दिनांक 16.10.1999 से 15.10.2009 तक प्रभावी था  । दिनांक 24.04.2004 को बीमा अवधि में बीमित राजाराम की मृत्‍यु रोड दुर्घटना के कारण हो गई, जिसकी सूचना आवेदकगण द्वारा यथाशीघ्र दिनांक 06.10.2004 को अनावेदक क्रमांक 2 को दी गई और दावा भुगतान किए जाने का निवेदन किया गया, किंतु उसके द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई । यह कहा गया है कि आवेदकगण कई बार अनावेदकगण के कार्यालय गये, ै किंतु उनके दावे का कोई निदान नहीं किया गया, तब उन्‍होंने अनावेदक बीमा कंपनी को दिनांक 10.04.2009 को रजिस्‍टर्ड नोटिस देकर यह परिवाद पेश करना बताया है और अनावेदकगण से वांछित अनुतोष दिलाए जाने का निवेदन किया गया है ।  

      3. अनावेदक क्रमांक 1 बीमा कंपनी की ओर से जवाब पेश कर परिवाद का विरोध इस आधार पर किया गया कि आवेदिका का पति जमुना कोतमा कालरी एरिया में कार्यरत था, जो म.प्र. के अंतर्गत आता है, अत: आवेदकगण का परिवाद इस फोरम में चलने योग्‍य नहीं । यह भी कहा गया है कि आवेदिका के पति की मृत्‍यु दिनांक 24.08.2004 हुई, जबकि उनके द्वारा दावा काफी विलंब से 5 वर्ष उपरांत पेश किया गया है, फलस्‍वरूप भी   आवेदकगण का परिवाद चलने योग्‍य नहीं । साथ ही यह भी कहा गया है कि आवेदकगण द्वारा जिस पॉलिसी हेतु दावा राशि की मांग की गई है, उक्‍त पॉलिसी बीमित राजाराम की  मृत्‍यु के समय अस्तित्‍व में ही नहीं था, बल्कि वह उनके द्वारा दिनांक 08.03.2002 को निरस्‍त किया जा चुका है, उक्‍त आधार पर भी आवेदकगण का दावा प्रचलन योग्‍य नहीं । साथ ही यह भी कहा गया है कि आवेदकगण द्वारा यद्यपि बीमित राजाराम की मृत्‍यु सडक दुर्घटना में होना बताया गया है, किंतु इस संबंध में कोई अपराधिक दस्‍तावेज भी प्रकरण में पेश नहीं किया गया है, अत: इस आधार पर भी आवेदकगण का दावा चलने योग्‍य नहीं, फलस्‍वरूप परिवाद निरस्‍त किए जाने का निवेदन किया गया है ।

      4. अनावेदक क्रमांक 2 की ओर से पृथक से जवाब पेश कर यह तो स्‍वीकार किया गया कि उन्‍होंने अपने नियोजन में कार्यरत श्रमिकों के कल्‍याण के लिए उन्‍हें अनावेदक क्रमांक 1 से ग्रुप जनता पर्सनल एक्‍सीडेंट पॉलिसी दिलाने में सहयोग किये थे । साथ ही  कहा गया है कि अनावेदक क्रमांक 1 द्वारा प्रीमियम राशि प्राप्‍त करने उपरांत प्रत्‍येक श्रमिक को ग्रुप जनता पर्सनल एक्‍सीडेंट पालिसी क्रमांक 47/2000/00257 जारी किया गया था, जिसके शर्तों से अनावेदक बीमा कंपनी विबंधित है । आगे यह भी कथन है कि ग्रुप जनता पर्सनल एक्‍सीडेंट पॉलिसी के संबंध में बीमा कंपनी के साथ उनके तथा श्रमिक प्रतिनिधि के मध्‍य दिनांक 06.09.1999 को मेमोरण्‍डम ऑफ अंडरटेकिंग निष्‍पादित किया गया था, जिसके तहत अनावेदक बीमा कंपनी को एक पक्षीय बीमा पॉलिसी को निरस्‍त करने का अधिकार नहीं था, किंतु अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा उक्‍त शर्त का पालन नहीं किया गया, जिसके कारण ही माननीय उच्‍च न्‍यायालय छ.ग. के समक्ष रिट याचिका प्रस्‍तुत किया गया है, जो विचाराधीन है । आगे उन्‍होंने वांछित अनुतोष के संबंध में अपने उत्‍तरदायित्‍व से इंकार करते हुए अपने विरूद्ध आवेदकगण के परिवाद को निरस्‍त किए जाने का निवेदन किया है।

      5. उभयपक्ष अधिवक्‍ता का तर्क सुन लिया गया है । प्रकरण का अवलोकन किया गया।

      6.  देखना यह है क्‍या आवेदकगण, अनावेदकगण से वांछित अनुतोष प्राप्‍त करने के अधिकारी हैं

                              सकारण निष्कर्ष

      7.  इस संबंध में कोई विवाद नहीं कि आवेदिका क्रमांक 1 का पति तथा शेष आवेदकों का पिता राजाराम अपने जीवन काल में अनावेदक क्रमांक 2 के नियोजन के अधीन कार्य करते हुए उनके जरिए अनावेदक क्रमांक 1 से ग्रुप जनता पर्सनल एक्‍सीडेंट पॉलिसी प्राप्‍त किया था ।

      8. आवेदकगण का कथन है कि मृतक राजाराम द्वारा प्राप्‍त किए गए ग्रुप जनता पर्सनल एक्‍सीडेंट पॉलिसी दिनांक 16.10.1999 से 15.10.2009 तक की अवधि के लिए वैध था तथा उक्‍त अवधि में दिनांक 24.04.2004 को राजाराम की मृत्‍यु रोड दुर्घ्रटना के कारण हो गई, जिसकी अविलंब सूचना दिनांक 06.10.2004 को अनावेदक क्रमांक 2 को दी गई और दावा राशि मांग की गई, किंतु उसके द्वारा दावा के संबंध में कोई कार्यवाही नहीं किए जाने पर आवेदिका अपने पुत्र के साथ कई बार दोनों अनावेदकों के कार्यालय जाकर मुलाकात की, फिर भी कोई कार्यवाही नहीं की गई, तब उसने अनावेदक क्रमांक 1 को दिनांक 10.04.2009 को रजिस्‍टर्ड नोटिस देकर यह परिवाद पेश करना बताया है और अनावेदकगण से वांछित अनुतोष दिलाए जाने का निवेदन किया गया है ।  

      9. आवेदकगण के इस कथन की पुष्टि कि बीमित राजाराम की मृत्‍यु सडक दुर्घटना में हुई, उनके द्वारा प्रकरण में  प्रस्‍तुत मृत्‍यु प्रमाण पत्र एवं शव परीक्षण रिपोर्ट से भी होती है साथ ही दर्शित होता है कि बीमित राजाराम की मृत्‍यु सडक दुर्घटना में इलाज के दौरान जी.एम.सी.अस्‍पताल लखनउ में हई, अत: इस संबंध में बीमित की मृत्‍यु के प्रमाण में अन्‍य औपचारिक रिपोर्ट की कोई आवश्‍यकता नहीं रह जाती, अत: इस संबंध में अनावेदक बीमा कंपनी की ओर से उठाई गई आपत्ति स्‍वीकार किए जाने योग्‍य नहीं ।

      10. जहॉं तक अनावेदक बीमा कंपनी की ओर से उठाई गई इस आपत्ति का संबंध है कि आवेदिका का पति म.प्र. जमुना कोतमा कालरी में पदस्‍थ था तथा उसकी मृत्‍यु लखनउ में हुई एवं स्‍वयं आवेदिका भी जिला अनुपपुर म.प्र. में निवासरत है, अत: इस आधार पर आवेदिका का परिवाद इस फोरम के समक्ष चलने योग्‍य नहीं, के संबंध में यह स्‍पष्‍ट किया जाना उचित प्रती‍त होता है कि अनावेदक गण का मुख्‍यालय इस फोरम के क्षेत्राधिकार के अंतर्गत बिलासपुर में स्थित है, अत: क्षेत्राधिकार के संबंध में अनावेदक बीमा कंपनी की ओर से उठाई गई आपत्ति भी मामले में स्‍वीकार किए जाने योग्‍य नहीं पाया जाता ।

      11. किंतु जहॉं तक आवेदकगण द्वारा 5 वर्ष उपरांत दिनांक 10.09.2009 को यह परिवाद प्रस्‍तुत करने का संबंध है आवेदकगण के परिवाद एवं पेश प्रमाण पत्रों से यह स्‍पष्‍ट है कि आवेदिका के पति की मृत्‍यु दिनांक 24.08.2004 को हुई । यद्यपि आवेदकगण का इस संबंध में यह कथन है कि उनके द्वारा बीमित की मृत्‍यु की सूचना यथाशीघ्र दिनांक 06.04.2010 को अनावेदक क्रमांक 2 को दी गई और दावा भुगतान का निवेदन किया गया, जबकि यह स्‍पष्‍ट है कि बीमा अनावेदक क्रमांक 2 द्वारा नहीं, बल्कि उसके माध्‍यम से अनावेदक क्रमांक 1 द्वारा की गई थी । किं‍तु आवेदकगण का ऐसा कथन नहीं है कि उन्‍होंने बीमित की मृत्‍यु की सूचना यथाशीघ्र अनावेदक क्रमांक 2 के साथ अनावेदक क्रमांक 1 बीमा कंपनी को भी दिया था, बल्कि इस संबंध में आवेदकगण का कथन से यह स्‍पष्‍ट होता है कि उनके द्वारा दिनांक 10.04.2009 को पहली बार अनावेदक बीमा कंपनी को सूचना भेजी गई तथा इस दरमियार 5 वर्षों तक आवेदकगण क्‍या कर रहे थे यह स्‍पष्‍ट नहीं किया गया है  और मात्र इतना कहा गया है कि आवेदिका अशिक्षित महिला है, जबकि मात्र अशिक्षित होना विलंब क्षमा का आधार नहीं बन सकता, जब तक कि अन्‍य कोई संपोषक तथ्‍य मामले में उपलब्ध न हो ।

      12. वैसे भी आवेदकगण की ओर से दिनांक 10.04.2009 को पंजीकृत डाक से प्रेषित पत्र की कॉपी के अवलोकन से यह स्‍पष्‍ट नहीं हो पाता कि उक्‍त पत्र अनावेदकगण को प्राप्‍त हो गया था, इस संबंध में आवेदकगण द्वारा पंजीकृत डाक की रसीद अथवा पावती अभिस्‍वीकृति पत्र की कापी भी मामले में संलग्‍न नहीं किया गया है तथा जिसके अभाव में यही स्‍पष्‍ट होता है कि आवेदकगण द्वारा अनावेदक बीमा कंपनी को दिनांक 10.04.2009 को रजिस्‍टर्ड डाक के जरिए कोई सूचना नहीं भेजी गई थी और उनके द्वारा उक्‍त पत्र के आधार पर यह परिवाद बीमित के मृत्‍यु के 5 वर्ष उपरांत दिनांक 10.04.2009 को पेश किया गया है तथा जिस विलंब का भी कोई समुचित कारण आवेदकगण की ओर से मामले में प्रकट नहीं किया गया है । फलस्‍वरूप यह स्‍पष्‍ट होता है कि आवेदकगण द्वारा प्रश्‍नगत परिवाद काफी विलंब से समयावधि बाह्य प्रस्‍तुत किया गया है । अत: इस आधार पर आवेदकगण का दावा इस फोरम के समक्ष स्‍वीकार किए जाने योग्‍य नहीं ।

      13. इसके अलावा अनावेदक बीमा कंपनी के जवाब से यह स्‍पष्‍ट होता है कि आवेदकगण की ओर से जिस पॉलिसी की दावा राशि मांग बाबत यह परिवाद पेश किया गया है, वह पॉलिसी बीमित के मृत्‍यु तिथि को प्रभावी नहीं था, बल्कि वह अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा दिनांक 08.03.2002 को निरस्‍त किया जा चुका था । यद्यपि  उक्‍त पॉलिसी निरस्‍तगी के संबंध में अनावेदक क्रमांक 2 द्वारा अपने जवाब यह कहा गया है कि उन्‍होंने अनावेदक बीमा कंपनी के उक्‍त पॉलिसी निरस्‍तगी के संबंध में माननीय उच्‍च न्‍यायालय में रिट याचिका प्रस्‍तुत किया है, जो कि विचाराधीन है, जो मामले में इस तथ्‍य का प्रमाण नहीं बन सकता कि माननीय उच्‍च न्‍यायालय द्वारा अनावेदक बीमा कंपनी के पॉलिसी निरस्‍तगी संबंधी आदेश को अपास्‍त ही कर दिया जावेगा । अत: इस आधार पर भी कि बीमित राजाराम के मृत्‍यु के दिनांक को उक्‍त पॉलिसी प्रभावी नहीं था, वह अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा निरस्‍त किया जा चुका था आवेदकगण, अनावेदकगण से कोई दावा राशि प्राप्‍त करने का अधिकारी नहीं पाये जाते ।

      14. अत: उपरोक्‍त कारणों से आवेदकगण का परिवाद निरस्‍त किया जाता है । उभय पक्ष अपना-अपना वादव्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे ।  

 

                 (अशोक कुमार पाठक)                            (प्रमोद वर्मा)

                       अध्‍यक्ष                                          सदस्‍य      

 

 
 
[HON'BLE MR. ASHOK KUMAR PATHAK]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. PRAMOD KUMAR VARMA]
MEMBER

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