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Rajendra kumar soni filed a consumer case on 09 Nov 2015 against Oriental Insurance company ltd. in the Kota Consumer Court. The case no is CC/251/2009 and the judgment uploaded on 10 Nov 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच, झालावाड,केम्प कोटा (राज)।
पीठासीन अधिकारी:-श्री नन्दलाल षर्मा,अध्यक्ष व श्री महावीर तंवर, सदस्य।
प्रकरण संख्या-251/2009
राजेन्द्र कुमार सैनी पुत्र श्री रामप्रसाद सैनी,निवासी-ब्भ्.ठ.13 महावीर नगर विस्तार योजना, कोटा (राज0)।
-परिवादी।
बनाम
ओरियेण्टल इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड,षाखा कार्यालय द्वितीय, सहयोग भवन,एयरोड्रम सर्किल, कोटा (राज0)।
-विपक्षी।
परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थिति-
1 श्री चन्द्र प्रकाष दाधीच,अधिवक्ता ओर से परिवादी।
2 श्री ष्याम बिहारी भार्गव,अधिवक्ता ओर से विपक्षी।
निर्णय दिनांक 09.11.2015
यह पत्रावली जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच, कोटा, में पेष की गई तथा निस्तारण हेतु जिला मंच, झालावाड केम्प, कोट,ा को प्राप्त हुई है।
प्रस्तुत परिवाद ब्वदेनउमत च्तवजमबजपवद ।बज 1986 की धारा 12 के तहत दिनांक 18.08.2009 को परिवादी ने इन अभिवचनों के साथ प्रस्तुत किया है कि परिवादी ने अपनी जीप संख्या-त्श्र.20.ज्.1183 का बीमा काॅमर्षियल व्हीकल के रूप में दिनंाक 15-02-2008 से 14-02-2009 तक की अवधि के लिए 7,819/-रूपये प्रीमियम अदा करके 1,50,000/-रूपये की राषि के लिए कराया था जिसकी पाॅलिसी संख्या 4572/2008 है। दिनंाक 15-03-2008 को वाहन चालक रमेष चन्द्र बीमित वाहन में 8-9 सवारियाँ बैठाकर गन्तव्य स्थान पर छोड़ने जा रहा था कि राश्ट्रीय राजमार्ग 12 पर गणेषपाल मन्दिर के सामने वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गया जिसकी थ्प्त् छवण् 102ध्08 थाना कुन्हाडी में दर्ज करायी तथा विपक्षी बीमा कम्पनी को सूचित किया तो स्पाॅट सर्वे हेतु सर्वेयर भेजा जिसने वाहन में 8,957/-रूपये का लाॅस पाया और अपनी रिपोर्ट दी। तत्पष्चात् बीमा कम्पनी द्वारा रिपेयर करवाने की स्वीकृति प्रदान की जिसमें कुल खर्चा 49,691/-रूपये का आया। परिवादी ने विपक्षी बीमा कम्पनी में अपना क्लेम प्रस्तुत किया लेकिन न तो क्लेम अदा किया और न ही संतोशजनक जवाब दिया गया। विपक्षी बीमा कम्पनी ने दिनांक 19-06-2008 को जरिये पत्र अवगत कराया कि वाहन में क्षमता से अधिक सवारियाँ बैठा रखी थीं जिसका जवाब भी परिवादी ने दे दिया लेकिन अधिक सवारियाँ बैठाने का कारण उल्लेखित करते हुए दिनंाक 25-09-2008 को क्लेम खारिज कर दिया गया। विपक्षी का
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यह कृत्य सेवादोश की श्रेणी में आता है। परिवादी ने विपक्षी से क्लेम की राषि मय हरजाने के दिलाये जाने का अनुतोश चाहा है।
विपक्षी ने परिवाद का जवाब यह दिया है कि दुर्घटना की सूचना प्राप्त होने पर विभागीय अन्वेक्षक द्वारा जाँच करवायी गई तो परिवादी क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का अधिकारी नहीं पाया गया और परिवादी को सूचित करके अपने दायित्व का निर्वहन कर दिया है। परिवादी कोई क्लेम राषि प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। विपक्षी ने कोई सेवामें कमी नहीं की है। परिवाद सव्यय निरस्त किये जाने की प्रार्थना की है।
परिवाद के समर्थन में परिवादी ने स्वयं का षपथपत्र तथा प्रलेखीय साक्ष्य में म्ग.1 लगायत म्ग.4 दस्तावेज प्रस्तुत किये हैं तथा विपक्षी ने जवाब के समर्थन में डा0 श्री प्रभूदयाल आलडिया,मण्डलीय प्रबन्धक का षपथपत्र तथा प्रलेखीय साक्ष्य में म्गक.1 लगायत म्ग.8 दस्तावेज प्रस्तुत किये हैंै।
उपरोक्त अभिवचनों के आधार पर बिन्दुवार निर्णय निम्न प्रकार है:-
1 क्या परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता है ?
परिवादी का परिवाद,षपथपत्र तथा प्रस्तुत दस्तावेजात के आधार पर परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता है।
2 क्या विपक्षी ने सेवामें कमी की है ?
उभयपक्षों को सुना गया, पत्रावली का अवलोकन किया गया तो स्पश्ट हुआ कि परिवादी की जीप संख्या-त्श्र.20.ज्.1183 का राश्ट्रीय राजमार्ग नंबर 12 पर गणेषपाल मंदिर के सामने दुर्घटनाग्रस्त हो गयी। विपक्षी बीमा कम्पनी ने सर्वेयर भेजा और उसने 8,957/-रूपये का लाॅस पाया। तत्पष्चात् बीमा कम्पनी की स्वीकृति के बाद जीप को रिपेयर कराया और उसमें 49,691/-रूपये का खर्चा आया और बीमा कम्पनी ने दिनंाक 19-06-2008 को क्षमता से अधिक सवारी बैठाने के आधार पर क्लेम खारिज कर दिया। इस सन्दर्भ में पुलिस बयानों में 10-12 सवारी होना अंकित है और सर्वेयर की रिपोर्ट में 12 सवारी होना अंकित है। रजिस्ट्रेषन में 10 सवारियों की क्षमता का अंकन है। अब प्रष्न आता है कि दुर्घटनाग्रस्त वाहन में यदि 12 सवारियाँ बैठी थीं तो क्या अधिक सवारियों के कारण दुर्घटना हुई, यह भी बिन्दु विचारणीय है। फिर ड्राईवर और उसकी बगल में बैठी सवारी के अलावा अन्य सवारियाँ पीछे बैठी थीं। एक्सिडेण्ट का कारण पुलिस बयानों के अनुसार जीप को दूसरे वाहन से आगे निकालने के चक्कर में ड्राईवर का बैलेन्स खराब हो गया इसलिए जीप पलटी खा गई तो ऐसी स्थिति में ड्राईवर द्वारा जीप को लापरवाहीपूर्वक चलाने के कारण एक्सिडेण्ट हुआ है न कि अधिक सवारियाँ बैठाने के कारण। यह सही है कि वरवक्त दुर्घटना जीप में 12 सवारियाँ थीं परन्तु दुर्घटना अधिक सवारी बैठाने
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के कारण नहीं होने से दो सवारी अधिक मानकर बीमा क्लेम खारिज किया जाना विपक्षी का तर्क मानने योग्य नहीं है। यद्यपि पाॅलिसी की षर्त और मोटरयान अधिनियम की धारा 149 (2) में यह उल्लेख है कि वाहन में निर्धारित क्षमता से अधिक सवारी नहीं बैठानी चाहिए परन्तु यदि दो सवारी ज्यादा बैठा लीं तो वह सवारी दुर्घटना का कारण नहीं होने से षर्तो का उल्लंघन नहीं माना जायेगा और विपक्षी के सर्वेयर द्वारा 8,957/-रूपये का नेट लाॅस पाया है और परिवादी ने जब ठीक कराया तो 49,691/-रूपये का लाॅस पाया है। ऐसी स्थिति में यदि परिवादी का दोश मान भी लिया जाये तो कम से कम सर्वेयर की रिपोर्ट के अनुसार परिवादी को क्लेम दिलाया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है।
इस प्रकार उपरोक्त विवेचन और विष्लेशण के आधार पर हमारे विचार से विपक्षी का सेवादोश प्रमाणित पाया जाता है।
3 अनुतोश ?
परिवादी का परिवाद आंषिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य पाया जाता है।
आदेष
परिणामतः परिवादी का परिवाद खिलाफ विपक्षी आंषिक रूप से स्वीकार किया जाकर आदेष दिया जाता है:-
5 विपक्षी परिवादी को सर्वेयर की रिपोर्ट के अनुसार 8,957/-रूपये राउण्ड फिगर में 9,000/-रूपये वाहन की क्षति के अदा करें।
6 विपक्षी परिवादी को 3,000/-रूपये मानसिक और षारीरिक क्षति के तथा 2,000/-रूपये परिवाद व्यय के अदा करें।
7 विपक्षी आदेषित राषि को निर्णय दिनंाक से दो माह में अदा करना सुनिष्चित करें अन्यथा ताअदाएगी सम्पूर्ण भुगतान 9ः वार्शिक ब्याज दर से ब्याज भी अदा करने के लिए दायित्वाधीन होगा।
(महावीर तंवर) (नन्द लाल षर्मा)
सदस्य अध्यक्ष
निर्णय आज दिनंाक 09.11.2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
(महावीर तंवर) (नन्द लाल षर्मा)
सदस्य अध्यक्ष
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