Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/162/2002

MANORATH - Complainant(s)

Versus

ORIENTAL INSURANCE CO. - Opp.Party(s)

ANAND PRAKASH SRIVASTAV

15 Nov 2018

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum
Azamgarh(U.P.)
 
Complaint Case No. CC/162/2002
( Date of Filing : 02 Jul 2002 )
 
1. MANORATH
KARHAN MAU
...........Complainant(s)
Versus
1. ORIENTAL INSURANCE CO.
AZAMGARH
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE KRISHNA KUMAR SINGH PRESIDENT
 HON'BLE MR. RAM CHANDRA YADAV MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 15 Nov 2018
Final Order / Judgement

1

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 162 सन् 2002

प्रस्तुति दिनांक 02.07.2002

                  निर्णय दिनांक 15.11.2018    

 

मनोरथ जायसवाल उर्फ मनोहर जायसवाल पुत्र रामबृक्ष जायसवाल निवासी ग्राम व पोस्ट- करहां, जिला मउ।......................................................याची।

बनाम

दि ओरिएन्टल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिo आजमगढ़ जरिए शाखा प्रबन्धक दि ओरिएण्टल इन्श्योरोन्स कम्पनी लिo आजमगढ़।..............................विपक्षी।

     उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा राम चन्द्र यादव “सदस्य”

निर्णय

कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”-

     परिवादी ने परिवाद पत्र प्रस्तुत कर यह कहा है कि परिवादी मनोरथ जायसवाल उर्फ मनोहर जायसवाल ग्राम व पोस्ट- करहां जिला मऊ का रहने वाला है। करहां में उसकी किराने की दुकान थी। जिसके लिए उसने यूनियन बैंक करहां से 1,50,000/- लोन लिया था। रोजाना की भाँति दिनांक 23.01.2001 की शाम को दुकान बन्द करके तथा ताला बन्द व चेक करके घर चला गया और उसी रात उसकी दुकान का ताला तोड़कर अज्ञात चोरों ने 25,000/- रुपया नकद तथा दुकान में स्थित लौंग, इलायची, किसमिस, तेल, साबुन आदि का सामान लगभग 1,68,055/- रुपया का उठा ले गए। जिसकी जानकारी 24.01.2001 की सुबह हुई तो उसकी रिपोर्ट थाने में किया। लिखित यू.बी.आई. और ओरिएण्टल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड शाखा आजमगढ़ को दिनांक 24.01.2001 को दिया। उसकी दुकान का बीमा विपक्षी के यहां 3,00,000/- रुपये का 09.05.2000 से 08.05.2001 की अवधि तक कवरनोट संख्या 500482 द्वारा किया गया था। बीमा कम्पनी ने सर्वेयर एवं लास असेसर हबीबुल्लाह एण्ड कम्पनी को उनके द्वारा मांगे गए सभी विवरण को दिया गया तथा सभी आवश्यक विवरण जैसे स्टाक, खरीद एवं बिक्री स्टाक स्टेटमेण्ट जो बैंक में जमा किए गए शाखा प्रबन्धक से प्रमाणित करके दिया। क्लेम मांगने पर विपक्षी आजकल करता रहा। चोरी का पता न लगने पर पत्रावली में एफ.आर. लग गया। अतः परिवादी को बीमा कम्पनी

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से 1,68,055/- रुपया क्लेम दिलवाया जाए और शारीरिक तथा मानसिक कष्ट हेतु 70,000/- रुपया दिलवाया जाए तथा खर्चा मुकदमा भी दिलवाया जाए।

     परिवादी ने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया है। प्रलेखीय साक्ष्यों में परिवादी द्वारा बीमा के कागजात की छायाप्रति, विपक्षी संख्या 01 को दिए गए पत्र की छायाप्रति, थाने पर दिए गए पत्र की छायाप्रति, एफ.आर. की छायाप्रति प्रस्तुत किया है।

     विपक्षी द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत कर परिवाद पत्र के कथनों को इन्कार किया है। आगे विपक्षी ने यह कहा है कि परिवादी ने अपने दुकान का 3,00,000/- रुपये का बीमा 09.05.2000 से 08.05.2001 तक करवाया था। दुकान में रखे गए नकद धनराशि का कोई बीमा नहीं करवाया था। चोरी के सम्बन्ध में सूचना पांच दिन बाद विपक्षी को दी गयी थी और उसकी एफ.आई.आर. भी दर्ज करवायी गयी थी। नुकसान के निर्धारण द्वारा सर्वे कराया गया। चार्टर्ड एकाउन्टेन्ट हबीबुल्ला एण्ड कम्पनी के द्वारा यह बताया गया कि उसका सालाना टर्न ओवर 10,00000/- से ज्यादा है। धारा 44 ए(1), आयकर अधिनियम के अन्तर्गत 10,00000/- रुपये से ज्यादा टर्न ओवर व्यवसाय के लिए प्रापर एकाउन्ट बुक का रखना एवं उनका मेनटेन करना अनिवार्य है। परिवादी द्वारा यह भी कहा गया है कि उसके द्वारा व्यवसाय में ली जाने वाली लाभ की दर 03% वार्षिक से कम है। आयकर अधिनियम की धारा 44ए(1) के अनुसार उसे 05% से कम लाभ होने की स्थिति में देना चाहिए। दुकान में चोरी किए गए सामान के मूल्य का आकलन किया जाना सम्भव नहीं है। चोरी के बाद दुकान का फोटो लिया गया, जिसमें यह पाया गया कि उसकी दुकान का बहुत कम सेल्फ खाली है। जिससे यह स्पष्ट है कि वादी के दुकान में बहुत कम धनराशि के सामानों की चोही हुई थी। दुकान में उपलब्ध सामानों के विषय में उसने कोई भी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया है। उसके मुकदमें में एफ.आर. लग गया था। दुकान में चोरी गए सामानों निर्धारण हेतु वांछित कागजात उपलब्ध न होने के कारण चार्टर्ड एकाउन्टेन्ट ने नो क्लेम की आख्या दी, जिसकी सूचना दिनांक 30.03.2001 को परिवादी को दी गयी। विपक्षी द्वारा सेवा में कोई त्रुटि नहीं की गयी है। अतः परिवाद निरस्त किया जाए।

3

     विपक्षी की ओर से प्रलेखीय साक्ष्यों में मनोरथ जायसवाल को दिए गए पत्र की छायाप्रति, डी.ओ. गोरखपुर को लिए गए पत्र की छायाप्रति, चार्टर्ड एकाउन्टेन्ट की रिपोर्ट की छायाप्रति, मनोरथ जायसवाल को दिए गए पत्र की छायाप्रति, यूनयन बैंक ऑफ इण्डिया को लिखे गए पत्र की छायाप्रति, इन्श्योरेन्स की छायाप्रति, मनोरथ जायसवाल के स्टेटमेन्ट की छायाप्रति, चोरी गए सामानों का विवरण, विपक्षी द्वारा मनोरथ जायसवाल की ओर से प्रस्तुत सामानों के विवरण की छायाप्रति, रिपोर्ट की छायाप्रति, मनोरथ जायसवाल को लिए गए पत्र की छायाप्रति, चोरी गए बीमा दाखिला की छायाप्रति, मनोरथ जायसवाल को लिए गए पत्र की छायाप्रति, प्रबन्धक ओरिएण्टल इन्श्योरेन्स को लिखे गए पत्र की छायाप्रति, यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया को लिखे गए पत्र की छायाप्रति, प्रबन्धक ओरिएण्टल इन्श्योरेन्स कि लिखे गए पत्र की छायाप्रति, एफ.आई.आर. की छायाप्रति, इन्श्योरेन्स के सम्बन्ध में प्रस्तुत छायाप्रति पांच किश्तों में, ओरिएण्टल इन्श्योरेन्स द्वारा जारी पत्र की छायाप्रति प्रस्तुत की गयी है।

     सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। परिवादी द्वारा अपने प्रार्थना पत्र में यह कहा गया है कि उसने अपने दुकान का बीमा दिनांक 09.05.2000 से दिनांक 08.05.2001 तक करवाया था। दिनांक 23.01.2001 की रात में उसके दुकान में चोरी हो गयी, जिसका क्लेम उसे नहीं प्राप्त हुआ, लेकिन परिवादी द्वारा इस सन्दर्भ का कोई प्रलेख प्रस्तुत नहीं किया गया है कि उसके दुकान में कौन-कौन से सामान थे और किस मूल्य के थे। ऐसी स्थिति में मेरे विचार से परिवादी का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं है।

आदेश

परिवाद अस्वीकार किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।

 

 

      राम चन्द्र यादव                      कृष्ण कुमार सिंह

    (सदस्य)                            (अध्यक्ष)

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE KRISHNA KUMAR SINGH]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. RAM CHANDRA YADAV]
MEMBER

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