Chhattisgarh

Bilaspur

CC/10/126

ANIL KUMAR AGRAWAL - Complainant(s)

Versus

ORIENTAL INSURANCE CO. LTD - Opp.Party(s)

KU. SAVITA PANJABI

19 Mar 2015

ORDER

District Consumer Dispute Redressal Forum
Bilaspur (C.G.)
Judgement
 
Complaint Case No. CC/10/126
 
1. ANIL KUMAR AGRAWAL
CHATIDIH BILASPUR
BILASPUR
CHHATTISGARH
...........Complainant(s)
Versus
1. ORIENTAL INSURANCE CO. LTD
OFFICE RAMA TRED CENTER BILASPUR
BILASPUR
CHHATTISGARH
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. ASHOK KUMAR PATHAK PRESIDENT
 HON'BLE MR. PRAMOD KUMAR VARMA MEMBER
 
For the Complainant:
KU. SAVITA PANJABI
 
For the Opp. Party:
SHRI AJAY DIVEDI
 
ORDER

/जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, बिलासपुर (छ0ग0)/

                                                                                     प्रकरण क्रमांक:-  सी.सी./ 2010/126
                                                                                       प्रस्तुति दिनांक:-       18/06/2010

 अनिल अग्रवाल,
 आयु 40 वर्ष,
 आ.आर.के.अग्रवाल,
 निवासी सब्जी मण्डी के पीछे,
 चांटीडीह,बिलासपुर छ0ग0                 ............आवेदक/परिवादी

                 (विरूद्ध)

ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड,
द्वारा वरिष्ठ मंडल प्रबंधक,
मंडल कार्यालय,
रामाटेªड सेंटर,
बसस्टेंड बिलासपुर छ0ग0               ..........अनावेदक/विरोधी पक्षकार
  

                       ///आदेश///
        (आज दिनांक 19/03/2015 को पारित)

     1. आवेदक अनिल अग्रवाल ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह  परिवाद अनावेदक बीमा कंपनी के विरूद्ध बीमा दावा को अस्वीकार कर सेवा में कमी के लिए पेश किया है और अनावेदक बीमा कंपनी से क्षतिपूर्ति के रूप में 5,83,780/.रु0 की राशि ब्याज सहित दिलाए जाने का निवेदन किया है ।   
    2. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि आवेदक अपने पंजीकृत वाहन महिंद्रा स्कार्पियो क्रमांक सी.जी.10 एफ. 2092 का बीमा अनावेदक बीमा कंपनी  से दिनांक 23.04.2007 से 22.04.2008 तक की अवधि के लिए कराया था। बीमा अवधि में उक्त वाहन दिनांक 17.04.2008 को जगदलपुर जाते समय रास्ते में ग्राम लोहगा के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया, फलस्वरूप उसमें सवार आवेदक के दो दोस्त की मृत्यु हो गई, आवेदक उक्त दुर्घटना में हुई वाहन की क्षति की क्षतिपूर्ति के लिए अनावेदक बीमा कंपनी के समक्ष दावा पेश किया, जिसे अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा दुर्भावनापूर्वक डेढ वर्ष पश्चात् यह सूचित करते हुए कि पाॅलिसी शर्तो के उल्लंघन में दुर्घटनाग्रस्त वाहन का व्यवसायिक उपयोग किया जा रहा था, दिनांक 17.09.2009 को दावा निरस्त कर दिया गया,जबकि घटना दिनांक दुर्घटनाग्रस्त वाहन में आवेदक के दोस्त यात्रा कर रहे थे । अतः अनावेदक बीमा कंपनी की इस सेवा में कमी के लिए आवेदक यह परिवाद पेश करते हुए अनावेदक बीमा कंपनी से वांछित अनुतोष दिलाए जाने का निवेदन किया है । 
    3. अनावेदक बीमा कंपनी की ओर से जवाब पेश कर घटना दिनांक आवेदक के वाहन को अपने यहां बीमित होना तो स्वीकार किया गया, किंतु विरोध इस आधार पर किया गया कि आवेदक द्वारा घटना दिनांक दुर्घटनाग्रस्त वाहन का उपयोग व्यवसायिक प्रयोजन हेतु किया जा रहा था, फलस्वरूप पाॅलिसी शर्तो के उल्लंघन के कारण आवेदक का दावा उचित रूप से निरस्त किया गया और सेवा में कोई कमी नहीं की गई । आगे अनावेदक बीमा कंपनी की ओर से आवेदक के परिवाद को समयावधि बाहय होना अभिकथित करते हुए उपरोक्त आधारों पर निरस्त किये जाने का निवेदन किया गया है । 
    4. हमारे पूर्वाधिकारियों द्वारा उभयपक्ष का तर्क श्रवण कर पक्षकारों के अभिवचन के आधार पर यह अभिनिर्धारित करते हुए कि आवेदक द्वारा  दुर्घटनाग्रस्त वाहन परिवाद प्रस्तुत करने के पूर्व साल्वेज के रूप में बिक्री कर दिये जाने के कारण उसकी स्थिति वाहन स्वामी की न होने के आधार पर वह भूतलक्षी प्रभाव से लाभ प्राप्त करने का अधिकारी नहीं रहा, उसका परिवाद दिनांक 16.01.2013 को निरस्त कर दिया गया, जिसके विरूद्ध अपील में माननीय राज्य आयोग द्वारा आलोच्य आदेश को अपास्त करते हुए परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि पर दुर्घटनाग्रस्त वाहन पर बीमा हित के संबंध में विचार कर पुनः गुणदोषों के आधार पर निराकृत करने हेतु प्रकरण प्रतिप्रेषित किया गया, फलस्वरूप पुनः उभयपक्ष अधिवक्ता का तर्क सुना गया । प्रकरण का अवलोकन किया गया।
     5. देखना यह है कि क्या आवेदक, परिवाद प्रस्तुति दिनांक को दुर्घटनाग्रस्त वाहन के संबंध में बीमा हित रखता था और क्या वह अनावेदक बीमा कंपनी से वांछित अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी है ? 


                          सकारण निष्कर्ष


    6. इस संबंध में कोई विवाद नहीं कि आवेदक अपने वाहन स्कार्पियों क्रमांक सी.जी.10 एफ. 2092 का बीमा अनावेदक बीमा कंपनी से दिनांक 23.04.2007 से 22.04.2008 तक की अवधि के लिए कराया था। यह भी विवादित नहीं कि बीमा अवधि के दौरान उक्त वाहन दिनांक 17.04.2008 को जगदलपुर रास्ते में यात्रा के दौरान ग्राम लोहगा के पास दुर्घटना में क्षतिग्रस्त हो गया था, जिसकी क्षतिपूर्ति के लिए आवेदक द्वारा अनावेदक बीमा कंपनी के समक्ष दावा पेश करने तथा अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा उसे दिनांक 17.09.2009 को निरस्त किये जाने का तथ्य भी मामले में विवादित नहीं है ।
    7. इस प्रकार प्रकरण के अविवादित तथ्यों से यह स्पष्ट है कि प्रश्नगत मामले में वादकारण सर्वप्रथम घटना दिनांक 17.04.2008 को तदुपरांत अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा दावा निरस्तगी दिनांक 17.09.2009 को उत्पन्न हुआ और आवेदक द्वारा यह परिवाद दिनांक 18.06.2010 को प्रस्तुत किया गया है, जो पश्चात्वर्ती वादकारण उत्पत्ति दिनांक से दो वर्ष के भीतर है । अतः यह नहीं माना जा सकता कि आवेदक का परिवाद समयावधि से बाहय है, जैसा कि अनावेदक बीमा कंपनी का कथन है ।
    8. जहां तक कि वाहन में बीमा हित का संबंध है, प्रश्नगत मामले में आवेदक को बीमा दावे का अधिकार उसी दिनांक को प्राप्त हो गया था, जिस दिनांक उसका वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गया,और यह अविवादित है कि आवेदक का वाहन दिनांक 17.04.2008 को दुर्घटनाग्रस्त हुआ, अतः उसके संबंध में आवेदक को दावा राशि प्राप्त करने का अधिकार दिनांक 17.04.2008 को प्राप्त हो गया था । अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा आवेदक का दावा दिनांक 17.09.2009 को निरस्त किया गया, पश्चात् अक्टूबर 2009 में आवेदक द्वारा वाहन साल्वेज के रूप में बिक्री कर यह परिवाद दिनांक 18.06.2010 को प्रस्तुत किया गया है, ऐसी स्थिति में आवेदक का वाहन के संबंध में बीमा हित केवल इस आधार पर समाप्त नहीं हो जाता कि उसके द्वारा वाहन परिवाद प्रस्तुत करने के दिनांक को बिक्री किया जा चुका था, क्योंकि बीमा हित की महत्ता सुसंगत तिथि से होती है न कि परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से ।
    9. फलस्वरूप हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि प्रश्नगत मामले में दुर्घटनाग्रस्त वाहन के संबंध में आवेदक का बीमा हित परिवाद प्रस्तुत करने के दिनांक को भी कायम था और वह अनावेदक बीमा कंपनी के दावा निरस्तगी उपरांत साल्वेज के रूप में बिक्री कर देने मात्र से समाप्त नहीं हो गया था, वैसे भी प्रश्नगत मामले में स्वयं अनावेदक बीमा कंपनी का भी ऐसा कथन नहीं है कि आवेदक का दुर्घटनाग्रस्त वाहन के संबंध में बीमा हित परिवाद प्रस्तुति दिनांक को समाप्त हो गया था । अतः इस संबंध में निष्कर्ष आवेदक के पक्ष में दिया जाता है ।
    10. अंत में जहां तक अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा आवेदक के बीमा दावा निरस्तगी का संबंध है अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा आवेदक का दावा इस आधार पर निरस्त किया गया है कि आवेदक द्वारा घटना दिनांक दुर्घटनाग्रस्त वाहन का उपयोग व्यवसायिक वाहन के रूप में किया गया था। अनावेदक बीमा कंपनी इस संबंध में अपने बचाव का आधार अन्वेषक तपन कुमार गोस्वामी की अन्वेषण रिपोर्ट दिनांक 06/09/2009 एवं उसके द्वारा अन्वेषण के दौरान दुर्घटनाग्रस्त वाहन के चालक सोनाऊ लाल के नोटरी के समक्ष सत्यापित कराए गए शपथ पत्र को लिया है, जिसमें उक्त वाहन चालक ने घटना समय दुर्घटनाग्रस्त वाहन को बुकिंग पर होना अभिकथित किया है  ।
    11. जबकि अन्वेषक तपन कुमार गोस्वामी की अन्वेषण रिपोर्ट से यह भी प्रकट होता है कि आवेदक द्वारा वाहन चालक सोनाऊ लाल को दुर्घटना का जिम्मेदार ठहराते हुए उसके साथ गाली गलौच किया गया था, जो इस बात को प्रकट करने के लिए पर्याप्त है कि दुर्घटना उपरांत वाहन चालक सोनाऊ लाल का संबंध आवेदक के साथ अच्छा नहीं रह गया था । ऐसी स्थिति में उक्त वाहन चालक के शपथ पत्र को बगैर अन्य समर्थित साक्ष्य के मामले में स्वीकार नहीं किया जा सकता, परंतु अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा इस संबंध में अन्य कोई सारभूत साक्ष्य पेश नहीं किया गया है। यहाॅं तक कि इस संबंध में अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा अन्वेषक की रिपोर्ट के साथ संलग्न मनहरण साहू का कथन भी पेश करने का प्रयास नहीं किया गया है, जिसके बारे में कहा गया है कि वह सुसंगत समय दुर्घटनाग्रस्त वाहन में सवार था । 
    12. इस प्रकार साक्ष्य के अभाव में यह स्पष्ट नहीं हो पाता कि आवेदक द्वारा घटना दिनांक दुर्घटनाग्रस्त वाहन को बुकिंग पर देकर व्यवसायिक उपयोग किया जा रहा था, फलस्वरूप उक्त आधार पर अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा आवेदक के दावा निरस्तगी को विधिवत  नहीं ठहराया जा सकता । अतः यह प्रमाणित पाया जाता है कि अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा बिना किसी समुचित आधार के आवेदक का बीमा दावा अस्वीकार कर सेवा में कमी की गई है । 
    13. जहां तक क्षतिपूर्ति की मात्रा का संबंध है । अनावेदक बीमा कंपनी की ओर से प्रस्तुत सर्वेयर रिपोर्ट दिनांक 25.03.2009 प्रकरण में संलग्न है, जिसमें सर्वेयर द्वारा वाहन की क्षति का आंकलन 3,02,815.50/.रु0 किया गया है तथा जिसके खंडन में आवेदक की ओर से अन्य कोई सर्वे रिपोर्ट पेश नहीं किया गया है और न ही ऐसा कोई साक्ष्य पेश किया गया है, जिसके आधार पर अनावेदक बीमा कंपनी की ओर से प्रस्तुत उक्त सर्वे रिपोर्ट को नकारा जा सके । यद्यपि अनावेदक बीमा कंपनी केस लाॅस के आधार पर एक अन्य सर्वे रिपोर्ट पेश कर यह बतलाने का प्रयास किया है कि उक्त रिपोर्ट के आधार पर आवेदक 1,95,588/-रू. लेना स्वीकार किया था, किंतु इस बात को जाहिर करने के लिए अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा ऐसा कोई साक्ष्य पेश नहीं किया गया है कि उनके द्वारा आवेदक के उक्त प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया था। ऐसी स्थिति में हमारे मतानुसार  आवेदक अनावेदक बीमा कंपनी की ओर से प्रस्तुत सर्वेयर रिपोर्ट दिनांक 25.03.2009 के अनुसार 3,02,815.50/.रु0  क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का अधिकारी है अतः हम आदेशित करते हैं कि:-
अ. अनावेदक बीमा कंपनी, आवेदक को आदेश दिनांक से एक माह के भीतर 3,02,815.50/.रु0 (तीन लाख दो हजार आठ सौ पंद्रह रूपये पचास पैसे) अदा करेगा तथा उस पर आवेदन दिनांक 18.06.2010 से ताअदायगी 9 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज भी अदा करेगा।     
ब. अनावेदक बीमा कंपनी, आवेदक को क्षतिपूर्ति के रूप में 50,000/.रु0 (पचास हजार रूपये) की राशि भी अदा करेगा। 
स. अनावेदक बीमा कंपनी, आवेदक को वादव्यय के रूप में 3,000/.रु0 (एक हजार रूपये) की राशि भी अदा करेगा।  
           आदेश पारित

                              (अशोक कुमार पाठक)                                                     (प्रमोद वर्मा)           
                                        अध्यक्ष                                                                  सदस्य                   

 

 

    

 
 
[HON'BLE MR. ASHOK KUMAR PATHAK]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. PRAMOD KUMAR VARMA]
MEMBER

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