जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम कानपुर नगर
अध्यासीनः डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष
श्रीमती सुनीताबाला अवस्थी...................वरि.सदस्या
पुरूशोत्तम सिंह..............................................सदस्य
उपभोक्ता परिवाद संख्याः-474/2012
प्रमोद कुमार यादव पुत्र श्री षिवराम सिंह यादव निवासी 530 सी0 ब्लाक कच्ची बस्ती थाना गोविन्द नगर, कानपुर नगर।
................परिवादी
बनाम
प्रबन्धक, दि ओरियन्टल इन्ष्योरेन्स कंपनी लि0 17/3, मेघदूत भवन दि माल, कानपुर नगर।
..............विपक्षी
परिवाद दाखिल होने की तिथिः 13.08.2012
निर्णय की तिथिः 05.01.2016
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1. परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि परिवादी को वाहन सं0-न्च्.78 ठग्.5535 मारूति वैन की कीमत बीमा कंपनी द्वारा क्लेम धनराषि रू0 1,85,000.00 दिलायी जाये, परिवादी को गाड़ी चोरी होने के बाद ढूंढने के बाद व मुकद्मा व वकील फीस, फिजूल खर्च लगभग रू0 15000.00 दिलाया जाये तथा मा0 न्यायालय जो उचित उपषम समझे, परिवादी को दिलाया जाये।
2. परिवादी द्वारा परिवाद पत्र प्रस्तुत करके संक्षेप में यह कहा गया है कि परिवादी वाहन सं0-न्च्.78 ठग्.5535 मारूति वैन का पंजीकृत स्वामी है। परिवादी का उक्त वाहन ओरियन्टल इंष्योरेन्स कंपनी लि0 पाॅलिसी सं0-223100/31/2011/5513 दिनांक 07.01.11 से बीमित है। दिनांक 14.04.11 को प्रार्थी अपने निजी कार्य से होकर वापस पराग मिल्क बोर्ड के पास आया और पेट में अचानक दर्द होने लगा तो परिवादी ने अपना वाहन उपरोक्त स्थान पर खड़ा करके इधर-उधर षौचालय की तलाष करने लगा, तो पता चला कि यहीं निकट में षौचालय है। परिवादी ने स्टार्ट करके षौचालय चला गया और जब वापस आया तो देखा कि गाड़ी उक्त
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स्थान पर मौजूद नहीं है। परिवादी ने वाहन की खोजबीन की, किन्तु उसका वाहन नहीं मिला। अन्त में निराष होकर थाना गोविन्द नगर मुकद्मा लिखाने गया। उक्त तिथि को ही राजेष कुमार से लिखवाकर विपक्षी बीमा कंपनी को प्रार्थनापत्र द्वारा अवगत करा दिया न कोई रिसीविंग थाना गोविन्द नगर द्वारा दी गयी और न ही विपक्षी द्वारा दी गयी। परिवादी द्वारा काफी प्रयास के बावजूद भी न तो गाड़ी बरामद हुई और न ही मुकद्मा लिखा गया। अन्त-तो-गत्वा परेषान होकर मा0 न्यायालय ए.सी.एम.एम. शश्टम के यहां एक प्रार्थनापत्र देकर न्यायालय के आदेष पर थाना गोविन्द नगर में मुकद्मा पंजीकृत किया गया। विवेचक द्वारा प्रष्नगत मामले से सम्बन्धित मुकद्मा अपराध सं0-416/11 में फाइनल रिपोर्ट लगा दी जो कि न्यायालय द्वारा दिनांक 24.08.11 को स्वीकृत की गयी। परिवादी द्वारा उक्त फाइनल रिपोर्ट व रजिस्ट्रेषन कापी व बीमा सहित एक प्रार्थनापत्र के साथ ओरियन्टल कंपनी लि0 में दाखिल कर दी और कार्यालय द्वारा कोई रिसीविंग परिवादी को नहीं दी गयी और कहा गया कि जब क्लेम पास हो जायेगा तो अपका भुगतान कर दिया जायेगा। कुछ समय बाद एक पत्र आया और उसमें पूछा गया कि आपके द्वारा दिनांक 14.04.11 को जो गाड़ी चोरी के संदर्भ में कोई सूचना नहीं दी है-स्पश्टीकरण दें। परिवादी कम पढ़ा-लिखा व्यक्ति है। पत्र प्राप्त होने के उपरान्त अपने अधिवक्ता के माध्यम से उक्त प्रार्थनापत्र के बारे में जानकारी हासिल की तो परिवादी ने एक प्रार्थनापत्र रिज्वाइण्डर मय मेडिकल सहित बीमा कंपनी को अपने द्वारा ले जाकर दिया और कहा कि मैंने इसकी सूचना तो आपको चोरी के समय ही अपने भाई रोजष कुमार द्वारा दे दी थी, तो ये फिर प्रार्थनापत्र आपके कार्यालय द्वारा मुझे क्यों प्रेशित किया गया तो कार्यालय द्वारा कहा गया कि हम किसी कागज की रिसीविंग नहीं देते हैं, हो सकता है षायद पूर्व में दिया गया प्रार्थनापत्र कहीं खो गया हो, इसलिए यह पत्र कार्यालय द्वारा भूलवष आपके पास जारी किया गया है। परेषान न होइये जब क्लेम पास हो जायेगा तो अपको सूचना दे दी जायेगी, हम कोई भी रिसीविंग नहीं दे सकते। विपक्षी द्वारा दिनांक 11.04.12 को एक पत्र कंपनी द्वारा जारी किया गया कि आपका क्लेम पास नहीं हुआ है। आपको क्लेम नहीं दिया जायेगा। अतः विवष होकर परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद दाखिल किया गया।
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3. विपक्षी की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र का प्रस्तरवार खण्डन किया गया है और अतिरिक्त कथन में यह कहा गया है कि स्वीकार्य रूप से परिवादी का प्रष्नगत वाहन विपक्षी के यहां दिनांक 07.01.11 से 06.01.12 के लिए बीमित था। किन्तु प्रष्नगत वाहन सं0-न्च्.78 ठग्.5535 दिनांक 14.07.11 को खोने के सम्बन्ध में जो साक्ष्य दाखिल किये गये है, वह साक्ष्य संदिग्ध है, इन साक्ष्यों से अभिकथित चोरी की कहानी झूठी प्रतीत होती है। परिवादी के किसी भी प्रार्थनापत्र में प्रष्नगत वाहन की अभिकथित चोरी की तिथि अंकित नहीं की गयी है। परिवादी द्वारा विपक्षी बीमा कंपनी को प्रष्नगत वाहन के खोने के सम्बन्ध में विभिन्न तिथियों में दी गयी सूचना में भिन्नता है। परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का यह कथन है कि वह स्वयं थाना गोविन्द नगर, प्रष्नगत वाहन के खोने की प्राथमिकी लिखाने गया था और उसी दिन उसके द्वारा प्रष्नगत वाहन खोने की सूचना अपने भाई राजेष कुमार के द्वारा दी गयी है। किन्तु परिवादी की ओर से प्रस्तुत प्रार्थनापत्र 156 सी.आर.पी.सी. के अनुसार परिवादी स्वयं थाना गोविन्द नगर गया और स्वयं उसके द्वारा प्रष्नगत वाहन खोने की सूचना दी गयी और उसके बाद वह अपने घर आया और पुनः वह 3-4 दिन बाद पुलिस स्टेषन गया, किन्तु प्रार्थनापत्र दिनांक 10.04.12 जो कि परिवादी द्वारा बीमा कंपनी को दिया गया है, के अनुसार वह डा0 राहुल षुक्ला से इलाज करा रहा था और डा0 राहुल षुक्ला के द्वारा दिनांक 14.04.11 को उसे 20.04.11 तक बिस्तर में आराम करने की सलाह दी गयी थी। इस प्रकार यह तथ्य समझ से परे है कि उस दौरान परिवादी के साथ प्रष्नगत वाहन चोरी की घटना कैसे हुई और फिर कैसे वह पुलिस स्टेषन गोविन्द नगर प्रष्नगत वाहन की खोज के लिए 3-4 दिन बाद गया। इस प्रकार परिवादी की उसी दिन विपक्षी बीमा कंपनी को सूचना देने से सम्बन्धित कहानी मनगढ़न्त सिद्ध होती है, जो कि किसी भी दृश्टि से स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है। विपक्षी बीमा कंपनी के यहां एक डिस्पैच क्लर्क होता है, जो विभिन्न कार्यालयों से आये पत्रों को प्राप्त करता है और सम्बन्धित व्यक्तियों को प्राप्ति स्वीकृति देता है। बीमा कंपनी की षर्तों के अनुसार
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परिवादी को चोरी की सूचना प्राथमिकी की प्रति सहित घटना के 48 घंटे के अंदर देना चाहिए। किन्तु प्रष्नगत मामले में दिनांक 14.07.11 तक विपक्षी बीमा कंपनी को कोई सूचना नहीं दी गयी। परिवादी द्वारा दिये गये पत्र दिनांक 14.07.11 को विधिवत् विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा प्राप्त किया गया है और तद्नुसार परिवादी का क्लेम नं0-220012/31/2012/0311 03 परिवादी को आवंटित किया गया है। जैसाकि परिवादी द्वारा कहा गया है कि यदि विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा सूचना देने की तिथि पर ही प्राप्ति स्वीकृति नहीं दी गयी थी तो फिर उसे झूठे चिकित्सा प्रमाण पत्र बनवाने की आवष्यकता क्यों उत्पन्न हुई। ’’वास्तव में परिवादी द्वारा अपने अधिवक्ता की राय पर विपक्षी बीमा कंपनी से झूठा क्लेम प्राप्त करने की मंषा से झूठे अभिलेख तैयार किये गये हैं।’’ अभिकथित चोरी की घटना दिनांक 14.04.11 को बतायी गयी है, किन्तु परिवादी द्वारा प्राथमिकी दर्ज कराने का कोई प्रयास नहीं किया गया और न ही तो पुलिस के उच्चाधिकारियों को कोई सूचना इस आषय की दी गयी कि सम्बन्धित थाने पर उसकी रिपोर्ट लिखने से मना कियाग या है। परिवादी द्वारा दिनांक 23.05.11 को आई.जी. कानपुर को भी पहले पत्र लिखा गया, जिससे परिवादी की समस्त कहानी संदिग्ध सिद्ध होती है। परिवादी की कहानी मानने योग्य नहीं है। परिवादी कोई क्लेम प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। परिवादी द्वारा मात्र क्लेम पाने की मंषा से विवेचक से सांठ-गांठ करके प्राथमिकी दर्ज कराके फाइनल रिपोर्ट हासिल की गयी है। अतः परिवादी का परिवाद खारिज किया जाये।
4. परिवादी की ओर से जवाबुल जवाब के रूप में लिखित बयान प्रस्तुत करके स्वयं के द्वारा परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों की पुनः पुश्टि की गयी है तथा विपक्षी की ओर से प्रस्तुत किये गये जवाब दावे का प्रस्तरवार खण्डन किया गया है।
परिवादी की ओर से दाखिल किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
5. परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में स्वंय का षपथपत्र दिनांकित 09.08.12 एवं 07.01.14 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में बीमा पाॅलिसी की प्रति, रजिस्ट्रेषन प्रमाण पत्र की प्रति, प्रथम सूचना रिपोर्ट की
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प्रति, अंतिम रिपोर्ट की प्रति, प्रार्थनापत्र दिनांकित 10.04.12 की प्रति, मेडिकल प्रमाण पत्रों की प्रतियां तथा नोटिस की प्रति दाखिल किया है।
विपक्षी की ओर से दाखिल किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
6. विपक्षी ने अपने कथन के समर्थन में न तो कोई षपथपत्र दाखिल किया है और न ही कोई साक्ष्य दाखिल किया है।
ःःनिष्कर्शःः
7. बहस के समय विपक्षी की ओर से कोई उपस्थित नहीं आया। अतः फोरम द्वारा परिवादी के विद्वान अधिवक्ता की एकपक्षीय बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों का सम्यक परिषीलन किया गया।
8. आदेष पत्र दिनांकित 18.08.15, 18.11.15 एवं 04.01.16 के अवलेाकन से विदित होता है कि विपक्षी की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत किया गया है। किन्तु न तो प्रतिषपथपत्र दाखिल किया गया है और न ही तो अन्य कोई साक्ष्य दाखिल किया गया है और न ही तो बहस में हिस्सा लिया गया है।
परिवादी के विद्वान अधिवक्ता की एकपक्षीय बहस सुनने तथा विपक्षी की ओर से प्रस्तुत जवाब दावे सहित समस्त पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि परिवादी द्वारा अपने प्रष्नगत वाहन के खो जाने से सम्बन्धित क्षतिपूर्ति विपक्षी बीमा कंपनी से दिलाये जाने हेतु प्रस्तुत परिवाद योजित किया गया है। विपक्षी की ओर से प्रस्तुत जवाब दावा के अनुसार प्रष्नगत वाहन की अभिकथित चोरी की तिथि 14.04.11 की सूचना, विपक्षी बीमा कंपनी को अत्यन्त विलम्ब से दिनांक 14.07.11 को तीन माह के विलम्ब से दी गयी है। जबकि बीमा षर्तों के अनुसार चोरी की घटना के 48 घंटे के अंदर विपक्षी बीमा कंपनी को बीमित द्वारा सूचना देना चाहिए था। अत्यन्त विलम्ब से सूचना देने के कारण परिवादी का क्लेम विपक्षी द्वारा खारिज किया जाना जवाब दावा के प्रस्तर-23 में स्वीकार किया गया है।
फोरम के मतानुसार बीमा योजना सर्वोच्च विष्वास का एक कल्याणकारी प्राविधान है। बीमित व्यक्ति द्वारा यदि समय से सूचना बीमा
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कंपनी को प्रदान नहीं की जाती है, तो ऐसी दषा में बीमा कंपनी को प्रष्नगत वाहन की खोज कराने व खो जाने की सत्यता की जानकारी करने का समय नहीं रहता है। इसलिए मा0 राश्ट्रीय आयोग द्वारा अपने विभिन्न निर्णयों में यह विधिक सिद्धांत प्रतिपादित किया गया है कि, ’’वाहन के खो जाने के उपरान्त वाहन स्वामी/बीमित व्यक्ति को अविलम्ब अधिकतम 7 दिन के अंदर बीमा कंपनी को सूचना दे देनी चाहिए।’’ प्रस्तुत मामले में परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों का सम्यक अध्ययन करने से विदित होता है कि परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के प्रस्तर-2 में यह कहा गया है कि, ’’अंत में निराष होकर थाना गोविन्द नगर मुकद्मा लिखाने गया और उक्त तिथि को ही श्री राजेष कुमार से लिखाकर ओरियन्टल इंष्योरेन्स कंपनी लि0 को प्रार्थनापत्र द्वारा अवगत करा दिया, न तो कोई रिसीविंग थाना गोविन्द नगर द्वारा दी गयी और न ही कोई रिसीविंग ओरियन्टल इंष्योरेन्स कंपनी लि0 द्वारा दी गयी। परिवादी का यह कथन बिना किसी साक्ष्य के स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है। पत्रावली के परिषीलन से विदित होता है कि परिवादी द्वारा प्रस्तुत मामले में प्रथम सूचना रिपेार्ट दिनांक 02.06.11 को अंकित करायी गयी है। किन्तु ऐसा कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है, जिससे यह सिद्ध होता हो कि परिवादी द्वारा दिनांक 02.06.11 को विपक्षी बीमा कंपनी को अपने प्रष्नगत वाहन के खोने की सूचना दी गयी हो। यहां यह भी स्पश्ट करना अत्यन्त आवष्यक है कि यदि परिवादी को विपक्षी द्वारा उसके सूचना पत्र की रिसीविंग नहीं दी गयी थी, तो वह जरिये पंजीकृत डाक से सूचना पे्रशित करके उसका साक्ष्य फोरम के समक्ष प्रस्तुत कर सकता था।
उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों व उपरोक्तानुसार दिये गये निश्कर्श से फोरम इस मत का है कि परिवादी द्वारा विपक्षी को सूचना समय से नहीं दी गयी है। परिवादी द्वारा अपने कथन को साबित करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किये गये है। परिवादी द्वारा विपक्षी के द्वारा कारित सेवा में कमी साबित नहीं की जा सकी है। अतः परिवादी का प्रस्तुत परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
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:ःःआदेषःःः
9. परिवादी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षी के विरूद्ध खारिज किया जाता है। उभयपक्ष अपना-अपना परिवाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
(श्रीमती सुनीताबाला अवस्थी) (पुरूशोत्तम सिंह) (डा0 आर0एन0 सिंह)
वरि0सदस्या सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम
कानपुर नगर। कानपुर नगर। कानपुर नगर।
आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।
(श्रीमती सुनीताबाला अवस्थी) (पुरूशोत्तम सिंह) (डा0 आर0एन0 सिंह)
वरि0सदस्या सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम
कानपुर नगर। कानपुर नगर। कानपुर नगर।