समक्ष न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम महोबा
परिवाद सं0-85/2013 उपस्थित- श्री जनार्दन कुमार गोयल, अध्यक्ष,
डा0 सिद्धेश्वर अवस्थी, सदस्य,
श्रीमती नीला मिश्रा, सदस्य,
मेसर्स मुरली ग्रेनाइट गुगौरा चौकी,महोबा द्वारा प्रो0पार्टनर प्रदीप अग्रवाल पुत्र श्री यतीश चंद्र निवासी-निधि निकेतन सिविल लाइन्स बांदा तहसील व जिला-बांदा ......परिवादी
बनाम
दि ओरियेंटल इंश्योरेंस कंपनी लि0 द्वारा शाखा प्रबंधक,दि ओरियेंटल इंश्योरेंस कंपनी लि0 शाखा कार्यालय गुरूद्वारा के पास गांधीनगर,महोबा तहसील व जिला-महोबा ....विपक्षी
निर्णय
श्री जनार्दन कुमार गोयल,अध्यक्ष,द्वारा उदधोषित
परिवादी द्वारा यह परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध इन आधारों पर प्रस्तुत किया गया है कि परिवादी सिविल लाइन बांदा का निवासी है और वाहन पोकलैण्ड मशीन इंजन सं0 व चेचिस सं0 20385037 जेड एन एल 78394 का स्वामी है । विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा पोकलैण्ड मशीन की कीमत 38,00,000/-रू0 निर्धारित कर के दि023.02.2011 से 22.02.2012 तक की अवधि हेतु 32,832/-रू0 प्रीमियम लेकर बीमा पालिसी सं0223307/31/2011/5159 प्रदान की थी । बीमा करते समय आश्वासन दिया कि वाहन के क्षतिग्रस्त होने पर विपक्षी के खर्चे पर ठीक कराई जायेगी । दि0 18.08.2011 को पोकलैण्ड मशीन दुर्घटना में क्षतिग्रस्त हो गई,जिसकी सूचना तत्काल विपक्षी को दी गई । विपक्षी द्वारा सर्वेयर से वाहन का सर्वे कराया गया । सर्वे के बाद पोकलैण्ड मशीन को सर्वेयर के दिशा निर्देशन में सुधरवाया गया,जिसमें परिवादी का 5,18,084/-रू0 व्यय हुआ और 50,000/-रू0 लेवर चार्ज में खर्च हुये,जिसका भुगतान परिवादी द्वारा किया गया । समस्त बिल व पर्चे सर्वेयर को उपलब्ध कराये गये । क्लेम आवेदन को औपचारिक कागजात संलग्न कर व पूर्ण कर विपक्षी के यहां प्रेषित किया गया । मे0राकेश एण्ड कंपनी,लखनऊ द्वारा सर्वे आख्या पूर्ण की गई । विपक्षीगण ने व्यापारिक कदाचरण करते हुये डेढ वर्ष तक क्लेम का निस्तारण नहीं किया गया तब परिवादी ने दि0 25.02.2013 को विपक्षी के यहां प्रार्थना पत्र दिया । विपक्षी के अधिकारियों की बगैर सुविधा शुल्क प्रदान किये क्लेम राशि भुगतान न करने की शिकायत परिवादी द्वारा दि025.08.2013 को झांसी व लखनऊ आफिस के उच्चाधिकारियों से की,जिससे क्षुब्ध होकर दि0 02.07.2013 को उसके क्लेम को निरस्त करने की सूचना उसे भेजी गयी । दुर्घटना तिथि को पोकलैण्ड मशीन वैध अनुज्ञप्तिधारी प्रशिक्षित आपरेटर मुन्नालाल द्वारा चलाई जा रही थी,जिसका लाईसेंस प्रस्तुत किया गया है लेकिन विपक्षी ने दुर्भावनावश परिवादी का क्लेम निरस्त कर दिया । वाहन ठीक कराने में चार माह का समय बरबाद हुआ और इस दौरान उसे प्रतिदिन करीब 2,000/-रू0 का नुकसान हुआ । अंत: यह परिवाद पोकलैण्ड मशीन बनवाने में आये खर्च 5,18,084/-रू0 व लेवर चार्ज की राशि 50,000/-रू0 तथा वाहन के दुर्घटना दिनांक से दिसम्बर,2011 तक प्रतिदिन दो हजार रू0 के हिसाब से क्षति तथा मानसिक क्षति एवं परिवाद व्यय दिलाये जाने हेतु यह परिवाद प्रस्तुत किया गया ।
विपक्षी के जबाबदावा के अनुसार बीमा पालिसी की शर्तो के आधार पर किया जाता है । शर्तों के उल्लंघन की स्थिति में बीमा कंपनी का कोई उत्तरदायित्व नहीं है । कोई वाद हेतुक नहीं है । विपक्षी बीमा कंपनी ने परिवादी को दि0 04.04.2013 को पत्र प्रेषित कर कतिपय सूचनायें मांगी थी कि दावा सूचना में चालक का नाम मंजीत सूचित किया गया है लेकिन दावा फार्म में चालक का नाम श्री मुन्ना लाल अंकित है । मंजीत की चालक अनुज्ञप्ति मांगी गई थी जिसके जबाब में परिवादी ने अपने पत्र दि0 14.09.2011 द्वारा सूचित किया गया कि मंजीत व मुन्नालाल एक ही व्यक्ति के नाम हैं । लेकिन जांच करने पर पाया गया कि दोनों एक ही व्यक्ति के नाम नहीं हैं । मंजीत का कोई लाईसेंस प्रस्तुत नहीं किया गया । चालक मंजीत के पास पोकलैण्ड मशीन चलाने का वैध लाईसेंस नहीं था जो बीमा शर्तों का उल्लंघन है । राकेश एण्ड कंपनी लास एसेसर से सर्वे कराया गया जिसकी रिपोर्ट 09.04.2012 को प्रस्तुत की गई । चालक के पास वैध चालक लाईसेंस न होने के कारण बीमा कंपनी का कोई उत्तरदायित्व नहीं है। सर्वे रिपोर्ट में 3,49,658/-रू0 की क्षति आंकी गई । परिवादी ने आर0टी0ओ0 कार्यालय में वाहन का पंजीयन प्रस्तुत नहीं किया । जयकरण श्रीवास्तव अंवेषक द्वारा जांच कराये जाने पर उनकी आख्या दि002.05.2012 में पाया गया कि मुन्नालाल का कोई दूसरा नाम नहीं है । मुन्ना लाल के भाई चुन्ना लाल ने लिखित बयान दिया कि घटना के समय वाहन को उसका भाई मुन्नालाल नहीं चला रहा है । विपक्षी ने कोई सेवा में त्रुटि नहीं की है ।
परिवादी ने अभिलेखीय साक्ष्य के अतिरिक्त प्रदीप अग्रवाल व मुन्ना लाल के शपथ पत्र प्रस्तुत किये गये हैं ।
विपक्षी की और से अभिलेखीय साक्ष्य के अतिरिक्त मनोरंजन द्विवेदी मण्डलीय प्रबंधक का शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है ।
पत्रावली का अवलोकन किया गया व पक्षकारों के अधिवक्ता के तर्क सुने गये ।
यह स्वीकृत तथ्य है कि परिवादी ने पोकलैण्ड मशीन का बीमा विपक्षी बीमा कंपनी ने दि0 23.02.2011 से 22.02.2012 की अवधि हेतु किया । दि018.08.2011 को वाहन दुर्घटनाग्रस्त हुआ । विपक्षी द्वारा सर्वे कराया गया और परिवादी का क्लेम इस आधार पर निरस्त कर दिया गया कि चालक मंजीत का कोई चालक लाईसेंस प्रस्तुत नहीं किया गया । जबकि दावा सूचना में चालक का नाम मंजीत बताया गया था और क्लेमफार्म में मुननालाल दर्शाया गया ।
विपक्षी की और से जबाबदावा में यह उल्लेख किया गया है कि पोकलैण्ड मशीन का पंजीयन प्रस्तुत नहीं किया गया । परिवादी की और से अभिलेख सं0 21ग कर परिवहन अधिकारी की आख्या प्रस्तुत की गई कि मोटर यान अधिनियम में पोकलैण्ड मोटर यान की श्रेणी में नहीं आती है ।
मुख्य विवाद इस प्रश्न पर है कि दुर्घटना के समय वैध चालक मशीन चला रहा था और उसके पास वैध व प्रभावी चालक लाईसेंस था या नहीं । विपक्षी की और से ऐसा कोई अभिलेख प्रस्तुत नहीं किया गया,जिसमें परिवादी ने दावा फार्म पर चालक मंजीत को दर्शाया हो। यदपि विपक्षी की और से 04.04.2013 को परिवादी को पत्र लिखा गया कि मंजीत का चालक लाईसेंस प्रस्तुत न करने तथा मंजीत व मुन्ना लाल नामक व्यक्ति एक ही व्यक्ति न होने के कारण क्यों न दावा निरस्त कर दिया जाये । विपक्षी ने जयकरण श्रीवास्तव अंवेषक से इस तथ्य की जांच कराई कि मंजीत व मुन्ना लाल एक ही व्यक्ति हैं । उनकी आख्या 02.05.2012 में इस बात का उल्लेख है कि मुन्ना लाल के भाई चुन्ना लाल ने बताया कि मुन्ना लाल का अन्य कोई नाम नहीं है । इस प्रकार मुन्ना लाल व मंजीत अलग-अलग व्यक्ति होना बताये । परिवादी की और से मुन्ना लाल का शपथ पत्र अभिलेख सं019ग प्रस्तुत किया गया है,जिसमें मुन्ना लाल का पोकलैण्ड के चलाने हेतु वैध व प्रभावी ड्राइविंग लाईसेंस होना व दि0 18.08.2011 को स्वयं पोकलैण्ड मशीन चलाये जाने तथा अपने चालक लाईसेंस,जो परिवाद पत्र के साथ संलग्न है,को विपक्षी को प्राप्त कराये जाने और विपक्षी के सर्वेयर द्वारा उसके निवास स्थान पर कोई जांच आदि न करने का शपथ पत्र दिया गया है । यदि यह मान भी लिया जाये कि मुन्नालाल घटना के समय चालक था क्योंकि मंजीत के चालक होने की सूचना देने से संबंधित कोई अभिलेख विपक्षी को प्रस्तुत नहीं किया गया । तब प्रश्न उठता है कि मुन्ना लाल के पास वैध व प्रभावी ड्राइविंग लाईसेंस दुर्घटना की तिथि को था या नहीं । परिवादी की और से मुन्ना लाल के ड्राइविंग लाईसेंस की प्रतिलिपि 9ग प्रस्तुत की गई है जिसे मुन्नालाल ने परिवाद पत्र के साथ संलग्न होना कहा है,इससे यह विदित होता है कि मुन्नालाल को भारी मोटरयान चलाने का लाईसेंस जारी हुआ है जो दि021.03.2004 से 20.03.2007 तक की अवधि हेतु था जो बाद में 22.03.2007 से 21.03.2010 तक की अवधि हेतु नवीनीकृत किया गया । बाद में 07.04.2010 से 06.04.2013 तक की अवधि हेतु नवीनीकृत हुआ । यह लाईसेंस 06.04.2013 के बाद नवीनीकृत हुआ हो इसका कोई उल्लेख इस ड्राइविंग लार्इसेंस में नहीं है । दुर्घटना की तिथि 18.08.2011 है अर्थात दुर्घटना की तिथि को वैध व प्रभावी ड्राइविंग लाईसेंस था । विपक्षी की और से परिवादी के पत्र दि0 14.09.2011 की कोई प्रतिलिपि प्रस्तुत नहीं की गई और न ही पूर्व पत्र दि0 30.08.2011 की कोई प्रतिलिपि प्रस्तुत की गई । मंजीत का नाम दावा सूचना में किस प्रकार परिवादी द्वारा दिया गया इससे संबंधित भी कोई अभिलेखीय साक्ष्य नहीं है । सर्वेयर ने 3,49,658/-रू0 की क्षति आंकी है । यदपि परिवादी ने 5,18,084/-रू0 व 50,000/-रू0 लेवर चार्ज की मांग की गई है लेकिन विधि का यह प्रतिपादित सिद्धांत है कि सर्वेयर की आख्या के अनुसार क्षतिपूर्ति प्रदान की जा सकती है । यदि परिवादी उससे अधिक धनराशि की मांग करता है तो उसे दीवानी न्यायालय में कार्यवाही करनी चाहिये थी ।
इस संबंध में ।।। 2008 सी0पी0जे0 पेज 93 एन0सी0 चम्पालाल वर्मा बनाम ओरियेंटल इंश्योरेंस कंपनी लि0 मा0राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग,नई दिल्ली द्वारा यह सिद्धांत प्रतिपादित किया गया है कि यदि सर्वेयर की आख्या पर आधारित क्षतिपूर्ति राज्य आयोग द्वारा दिलाई गई है और परिवादी ने खर्च की गई धनराशि की मांग की है तो सर्वेयर रिपोर्ट को महत्व दिया जाना चाहिये । जिला फोरम धनराशि के विवाद के प्रश्न पर विचार नहीं कर सकता । परिवादी दीवानी न्यायालय में /आई0आर0डी0ए0/आर्बीट्रेशन में कार्यवाही कर सकता है । सर्वेयर रिपोर्ट के आधार पर राज्य आयोग द्वारा स्वीकृत क्षतिपूर्ति के आदेश के विरूद्ध प्रस्तुत पुनरीक्षण निरस्त किया गया ।
इसके अतिरिक्त 2006 एन0सी0जे0 748 एन0सी0 ओरियेंटल इंशयोरेंस कंपनी बनाम बी0 रामारेडडी राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग,नई दिल्ली में यह सिद्धांत प्रतिपादित किया गया है कि सर्वेयर की रिपोर्ट एक महत्वपूर्ण साक्ष्य है तथा क्षतिपूर्ति केवल सर्वेयर रिपोर्ट के आधार पर प्रदान की जा सकती है ।
उपरोक्त विधि व्यवस्था के परिपेक्ष्य में परिवादी को सर्वे रिपोर्ट केअनुसार 3,49,658/-रू0 प्रतिपूर्ति विपक्षीसे पाने का अधिकारी है।विपक्षी द्वारा क्लेम निरस्त किया जाना सेवा में त्रुटि है जिससे परिवादी को मानसिक कष्ट व आर्थिक क्षति हुई और उसे परिवाद प्रस्तुत करना पडा ।
आदेश
परिवादी का परिवाद विपक्षी के विरूद्ध इस प्रकार स्वीकार किया जाता है कि विपक्षी 3,49,658/-रू0 पोकलैण्ड की मरम्मत में आये हुये खर्च की धनराशि परिवाद योजित करने की तिथि 03.09.2013 से वास्तविक अदायगी की तिथि तक 6 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज सहित तथा परिवाद व्यय के रूप में 2,500/-रू0 व मानसिक व आर्थिक कष्ट की क्षतिपूर्ति के रूप में 2,500/-रू0 आज से एक माह के भीतर भुगतान करे । अन्यथा परिवादी विधि अनुसार विपक्षी से उक्त धनराशि वसूल पाने का अधिकारी होगा ।
(डा0सिद्धेश्वर अवस्थी) (श्रीमती नीला मिश्रा) (जनार्दन कुमार गोयल)
सदस्य, सदस्या, अध्यक्ष,
जिला फोरम,महोबा। जिला फोरम,महोबा। जिला फोरम,महोबा।
05.05.2016 05.05.2016 05.05.2016
यह निर्णय हमारे द्वारा आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित,दिनांकित एवं उद़घोषित किया गया।
(डा0सिद्धेश्वर अवस्थी) (श्रीमती नीला मिश्रा) (जनार्दन कुमार गोयल)
सदस्य, सदस्या, अध्यक्ष,
जिला फोरम,महोबा। जिला फोरम,महोबा। जिला फोरम,महोबा।
05.05.2016 05.05.2016 05.05.2016