Rajasthan

Ajmer

CC/93/2014

SUSHILA DEVI - Complainant(s)

Versus

ORIENTAL INS COMPANY - Opp.Party(s)

ADV.NAROTTAM SHARMA

07 Jan 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/93/2014
 
1. SUSHILA DEVI
AJMER
 
BEFORE: 
  Gautam prakesh sharma PRESIDENT
  vijendra kumar mehta MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण         अजमेर

श्रीमति सुषीला देवी बियानी पत्नी श्री हरीप्रसाद बियानी, जाति- माहेष्वरी, उम्र-35 वर्ष, निवासी-ए-3,तिलकनगर,जयपुर रोड, मदनगंज-किषनगढ, जिला-अजमेर ।  

                                                          प्रार्थीया

                            बनाम

दी ओरियण्टल इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, ष्षाखा कार्यालय-स्वर्गगंगा ज्वैलर्स के सामने, अजमेर रोड, मदनगंज, तहसील-किषनगढ, जिला-अजमेर । 

                                                           अप्रार्थी 
                    परिवाद संख्या 93/2014

                            समक्ष
                   1.  गौतम प्रकाष षर्मा    अध्यक्ष
            2. विजेन्द्र कुमार मेहता   सदस्य
                   3. श्रीमती ज्योति डोसी   सदस्या

                           उपस्थिति
                  1.श्री नरोत्तम षर्मा,अधिवक्ता, प्रार्थी
                  2.श्री संजीव रोहिल्ला,अधिवक्ता अप्रार्थी 

                              
मंच द्वारा           :ः- आदेष:ः-      दिनांकः- 10.02.2015

1.         परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि प्रार्थीया ने अपनी मोटर साईकिल संख्या आर.जे. 01 एस.एच.0734 का बीमा परिवाद की चरण संख्या 1 में वर्णित बीमा पाॅलिसी के  जरिए अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहां अवधि दिनंाक 24.10.2012 से 23.10.13 तक के लिए करवाया । बीमित अवधि में ही दिनांक 9.5.2013 को  उक्त मोटर साईकिल जब उसका जेठ विष्णुप्रसाद बियाणी  घर के बाहर ताला लगाकर खडी करके घर के अन्दर गया और थोडी देर बाद जब वापस आया तो मोटर साईकिल नहीं मिली  उसे अज्ञात चोर चुरा कर ले गया । उसके जेठ ने पुलिस थाना मदनगंज में उसी दिन  वाहन चोरी की सूचना दी किन्तु पुलिस ने प्रथम सूचना रिर्पोट दर्ज नही ंकी  बल्कि पुलिस कार्यवाही में इन्द्राज कर लिया  और कहा कि मोटर साईकिल मिलने पर सूचित कर दिया जावेगा  किन्तु मोटर साईकिल नहीं मिलने पर  उसके जेठ ने लिखित में षिकायत की जिस पर पुलिस ने दिनांक 3.6.2013 को  रिपार्ट दर्ज की । प्रार्थीया का कथन है कि उसने अप्रार्थी बीमा कम्पनी को वाहन चोरी की सूचना दूसरे दिन दे दी थी। । तत्पष्चात उसने समस्त औपचारिकताएं पूरी करते हुए अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहां क्लेम पेष किया  जिसे अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने  अपने पत्र दिनंाक 24.9.2013 के द्वारा  वाहन चोरी की सूचना  48 घण्टों में नहीं दिए जाने के आधार पर खारिज कर दिया ।  प्रार्थीया ने इसे  अप्रार्थी बीमा कम्पनी की सेवा में कमी मानते हुए  परिवाद पेष कर बीमा क्लेम दिलाए जाने व अन्य अनुतोष की मांग की है  । 
2.    अप्रार्थी बीमा कम्पनी की ओर से जवाब पेष हुआ जिसमें  अप्रार्थी ने  पाॅलिसी की वैध व प्रभावी षर्तो के अनुसार बीमा किया जाने के तथ्य को स्वीकार करते हुए  अपने अतिरिक्त कथन में दर्षाया है कि  प्रार्थीया की मोटर साईकिल का दिनंाक 9.5.2013 को चोरी हो जाने के  6 दिन बाद  बीमा कम्पनी को सूचना देना व दिनांक 2.6.2013 को घटना के  करीब 24 दिन बाद पुलिस में सूचना देना  बीमा पाॅलिसी की ष्षर्तो का  उल्लंघन है  क्योंकि 48 घण्टें में बीमा कम्पनी को चोरी की सूचना देना आवष्यक है इसलिए प्रार्थीया का क्लेम सही आधारों पर खारिज कर अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने सेवा में कोई कमी नही ंकी है । अन्त में परिवाद खारिज होना दर्षाया । 
3.    हमने पक्षकारान को सुना एवं पत्रावली का अनुषीलन किया ।     
4.          जहां तक प्रार्थीया का यह वाहन अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा दिनांक 24.10.2012 से 23.10.2013 तक बीमित था इस संबंध में कोई विवाद नहीं है ।  प्रार्थीया का वाहन दिनंाक 9.5.2013 को चोरी गया यह तथ्य भी सुस्थापित है क्योंकि इस संबंध में प्रार्थीया द्वारा प्रथम सूचना रिर्पोट दर्ज करवाई गई एवं अनुसंधान के मामले में  एफ.आर प्रस्तुत की गई एवं उक्त एफआर संबंधित न्यायालय द्वारा स्वीकृत हुई है । अतः हमारे  समक्ष निर्णय हेतु यही बिन्दु है कि क्या अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने प्रार्थीया के क्लेम को देरी से बीमा कम्पनी को सूचित  करने एवं देरी से प्रथम सूचना रिर्पोट के आधार पर अस्वीकार किया  है, वह सहीं रूप से अस्वीकार किया है ?
5.          हमने कायम किए गए निर्णय बिन्दु पर पक्षकारान को सुना । अधिवक्ता प्रार्थीया की बहस है कि चोरी की सूचना पुलिस को चोरी वाले  दिन ही दे दी गई थी एवं पुलिस ने विभिन्न थानों पर इस सूचना को प्रसारित भी  फैज् के जरिए करवाई थी  तथा वाहन की तलाष षुरू की एवं प्रार्थीया को कहा गया कि वह भी वाहन को ढूंढे  अगर नहीं मिला तो रिर्पोट दर्ज कर ली जाएगी । बीमा कम्पनी को भी सूचना चोरी के अगले दिन दे दी गई थी एवं क्लेम भी समय पर प्रस्तुत कर दिया गया था । वाहन जब नहीं मिला तब  दिनांक 2.6.2013 को प्रथम सूचना रिर्पोट पुलिस थाने पर दर्ज करवाई गई । अधिवक्ता की बहस है कि पुलिस में प्रथम सूचना रिर्पोट दर्ज करने में देरी का स्पष्टीकरण  प्रार्थीया द्वारा दिया गया है एवं बीमा कम्पनी को भी सूचना अगले दिन दे दी गई थी लेकिन उन्होने  सूचना दर्ज नहीं की । अधिवक्ता की आगे बहस है कि यदि पुलिस को एवं बीमा कम्पनी को सूचना देने में  देरी हुई तब भी प्रार्थीया के क्लेम को पूर्ण रूप से खारिज नहीं किया जा सकता  बल्कि  नाॅन स्टेण्डर्ड  में क्लेम तय किया जाना चाहिए । अधिवक्ता की आगे बहस है कि प्रार्थीया व अप्रार्थी के मध्य जो यह बीमा करार हुआ है उससे दोनो ही पक्ष पाॅलिसी षर्तो से पाबन्द होते है एवं पाॅलिसी ष्षर्तो के अनुसार वाहन चोरी के मामले में पुलिस को व बीमा कम्पनी को अविलम्ब सूचना दी जावेगी  एवं अधिकतम 48 घण्टो में सूचना दिया जाना आवष्यक दर्षाया है ।  स्पष्टरूप से प्रार्थीया ने प्रथम सूचना रिर्पोट चोरी के 24 दिन बाद दर्ज करवाई है एवं बीमा कम्पनी को सूचना भी 6 दिन बाद दी है । अतः बीमा पाॅलिसी की षर्तो का उल्लंघन होना पाया जाने से प्रार्थीया के क्लेम को अस्वीकार किया गया है जो सही रूप से अस्वीकार किया गया है उन्होने अपने तर्को के समर्थन में दृष्टान्त प्प्;2013द्धब्च्श्र 481;छब्द्ध ैंजपेी टे न्दपजमक प्दकपं प्देनतंदबम ब्व स्जक  पेष किया है 
6.    हमने  बहस पर गौर किया । प्रार्थीया का यह कथन अवष्य रहा है कि उसने चोरी की इस घटना की सूचना अप्रार्थी बीमा कम्पनी को चोरी होने के दूसरे दिन ही दे दी थी किन्तु  इस तथ्य को अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने अस्वीकार किया है एवं अपने जवाब में दर्षाया है कि ऐसी सूचना चोरी के 6 दिन बाद मिली थी । प्रार्थी ने ऐसी सूचना  देने के संबंध में कोई साक्ष्य या सबूत पेष नहीं किए है । अतः हम पाते है कि चोरी की इस घटना की सूचना अप्रार्थी बीमा कम्पनी को अविलम्ब नही दी जाकर , 6 दिन बाद दी थी । इस प्रकार प्रार्थी का यह कथन कि उसने पुलिस को इस घटना की सूचना उसी दिन दे दी थी एवं पुलिस ने प्रथम सूचना रिर्पेाट दर्ज  नही ंकर पुलिस कार्यवाही में इन्द्राज किया व वाहन का पता लगाने को कहा और जब वाहन नहीं मिला तो रिर्पोट दिनांक 3.6.2013 को दर्ज करवाई । प्रार्थीया की ओर से  उसकी सूचना पर पुलिस ने प्रथम सूचना रिर्पोट दर्ज नहीं कर उक्त सूचना को अपनी कार्यवाही में इन्द्राज किया संबंधी उक्त इन्द्राज की कोई प्रति पेष नहीं की है ।  इस प्रकार प्रार्थीया यह सिद्व नहीं कर पाई है कि उसके द्वारा चोरी की घटना की सूचना चोरी वाले दिन ही पुलिस को दे दी थी  एवं  एफ.आई.आर दिनांक 2.6.2013 को दर्ज हुई है अतः अब हमें यहीं देखना है कि प्रार्थीया के मामले में उपरोक्त अनुसार सूचना देरी से दिए जाने के उपरान्त भी क्या प्रार्थीया के क्लेम को नाॅन स्टेण्डर्ड के आधार पर तय किया जाना चाहिए  ?
7.     इस संबंध में हमने पक्षकारान की ओर से जो बहस  हुई उस पर गौर किया ।  माननीय राज्य आयोग के नवनीतम निर्णय  अपील संख्या  473/2013  नरेन्द्र सिंह बनाम एचडीएफसी जनरल इन्ष्योरेंस कम्पनी  निर्णय दिनंाक  27.10.2014  में प्रतिपादित अनुसार ऐसे मामले के क्लेम को  नाॅन स्टैण्डर्ड  के आधार पर तय किया जाना चाहिए एवं राज्य आयोग ने अपने मत हेतु माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णय अमलेन्द्र साहू का अवलम्ब लिया है । इसी तरह से  2009;2द्ध ब्च्त् 168;छब्द्ध व्तपमदजंस प्देनतंदबम ब्व स्जक टे ैंदरममअ ज्ञनउंत के पैरा 7 में माननीय  राष्ट्रीय आयोग  के पूर्व निर्णय ’’नेषनल इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड बनाम प्रेमचन्द ’’ जिसमें बीमा कम्पनियों  द्वारा  क्लेम को नाॅन स्टेण्डर्ड में निर्णित किया जा सकता है या किया जाना चाहिए, से संबंधित  क्लाॅज 10 को उद्वरत किया गया है  इसके अतिरिक्त माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णय ’’ नेषनल इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड बनाम नितिन खण्डेलवाल ’’ प्ट;2008द्धब्च्श्र च्ंहम 01;ैब्द्ध जिसमें चोरी के मामले में पाॅलिसी षर्तो का उल्लंघन महत्वपूर्ण नहीं होगा, अभिनिर्धारित किया है एवं क्लेम नाॅन स्टेण्डर्ड में निर्णित किए जाने योग्य माना है। प्ट ;2008द्ध ब्च्श्र 211;छब्द्ध व्तपमदजंस प्देनतंदबम ब्व स्जक टे च्तंअमेी ब्ींदक ब्ींककं  जिसमें  जिसमें क्लेम को सूचना देरी से देने के आधार पर अस्वीकार करने को सही नहीं माना एवं यह अभिनिर्धारित किया कि ऐसे क्लेम  को नाॅन स्टेण्डर्ड में निर्णित किया जाना चाहिए । 
8.     माननीय उच्चतम न्यायालय,  माननीय राष्ट्रीय आयोग व माननीय राज्य आयेाग  के उपर वर्णित अभिमतों से हम पाते है कि प्रार्थीया का यह क्लेम नाॅन स्टेण्डर्ड के आधार पर स्वीकार होने योग्य है । हमनें अप्रार्थी की ओर से पेष  दृष्टान्त ैंजपेी टे न्दपजमक प्दकपं प्देनतंदबम ब्व स्जक (उपर वर्णित) का भी अध्ययन किया ।  इस दृष्टान्त में देरी के आधार पर क्लेम को अस्वीकार करना सही माना है किन्तु इस दृष्टान्त में ऐसे क्लेम को नाॅन स्टेण्डर्ड  के आधार पर निर्णित नहीं किया जाएगा या निर्णित होने योग्य होगे , संबंधी प्रष्न न तो उठाए गए थे और ना ही निर्णित हुए थे ।  अतः हम प्रार्थीया के इस क्लेम को नाॅन स्टेण्डर्ड के आधार पर निर्णित किया जाना  उचित मानते है  एवं  प्रार्थीया अपने चोरी गए वाहन की आईडीवी राषि रू. 20,000/- की 75 प्रतिषत राषि  बतौर हर्जाने के रूप में  अप्रार्थी बीमा कम्पनी से प्राप्त करने की अधिकारणी है । अतः आदेष है कि 
                     :ः- आदेष:ः-
9.    (1)    प्रार्थीया अप्रार्थी बीमा कम्पनी से  अपने चोरी गए वाहन मोटर साईकिल संख्या आर.जे. 01 एस.एच.0734 की आईडीवी राषि रू. 20,000/- की 75 प्रतिषत राषि रू. 15,000/- बतौर हर्जाने के रूप में  प्राप्त करने की अधिकारणी होगी । 
    (2)    क्र.सं0 में वर्णित राषि अप्रार्थी बीमा कम्पनी प्रार्थीया को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें    अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थीया के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावें ।  
      (3)   दो माह  में आदेषित राषि का भुगतान  नहीं करने पर  प्रार्थी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से  उक्त राषि पर  निर्णय की दिनांक से  ताअदायगी 09 प्रतिषत वार्षिक  दर से ब्याज भी प्राप्त कर सकेगा  ।
      (4)     चूंकि प्रार्थीया के क्लेम  को नाॅन स्टेण्डर्ड  में निर्णित किया गया है । अतः  वाद व्यय व  मानसिक  संताप के मद में कोई आदेष नहीं किए जा रहे है । 
                
(विजेन्द्र कुमार मेहता)       (श्रीमती ज्योति डोसी)     (गौतम प्रकाष षर्मा)
            सदस्य                  सदस्या                   अध्यक्ष    
10.        आदेष दिनांक 10.02.2015 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।

           सदस्य                   सदस्या                   अध्यक्ष
 
   

     

 
 
[ Gautam prakesh sharma]
PRESIDENT
 
[ vijendra kumar mehta]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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