जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
श्री षाहनवाज मदनी पुत्र डा. नासिर एम. मदनी, निवासी- पी-6, सी- ब्लाॅक, पंचषील काॅलोनी, अजमेर ।
- प्रार्थी
बनाम
1. मण्डल प्रबन्धक, दि ओरियण्टल इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, गुजराती स्कूल के पास, कचहरी रोड, अजमेर ।
2. राज मोटर्स जरिए प्रबन्धक, 195/11, कचहरी रोड, अजमेर ।
- अप्रार्थीगण
परिवाद संख्या 67/2014
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री राकेष धाभाई, अधिवक्ता, प्रार्थी
2.श्री संजीव रोहिल्ला,अधिवक्ता अप्रार्थी सं.1
3.श्री सूर्यप्रकाष गांधी ,अधिवक्ता अप्रार्थी सं.2
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः- 19.05.2016
1. प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि उसने सीबीआर 150 आर मोटरसाईकिल संख्या आर.जे.- 01.एस.यू. 0505 का अप्रार्थी सांख्या - 2 से क्रय कर उसका अप्रार्थी संख्या 2 बीमा कम्पनी से दिनांक 3.8.2013 से 2.8.2014 तक की अवधि के लिए जरिए बीमा पाॅलिसी 24190/31/2014/509 के करवाया । उक्त मोटर साईकिल स्लिप हो जाने के कारण उसके चैसिस में बैण्ड आ गया। जिसे अप्रार्थी संख्या 2 के यहां दुरूस्त करवाने में खर्चा रू. 15,122/- का आया । जिसकी पूर्ति हेतु उसने समस्त औपचारिकताएं पूर्ण करते हुए दिनांक 2.12.2013 अप्रार्थी बीमा कम्पनी के समक्ष क्लेम पेष किया । जब अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा उक्त क्लेम की अदायगी नहीं की गई तो उसने अधिवक्ता के माध्यम से दिनंाक 29.01.2014 को नोटिस भी दिलवाया । इसके बावजूद भी क्लेम राषि अदा नहीं की । अप्रार्थी के उक्त कृत्य को सेवा में कमी बताते हुए प्रार्थी ने परिवाद प्रस्तुत कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की हैं ।
2. अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने जवाब प्रस्तुत करते हुए कथन किया है कि उत्तरदाता कम्पनी के सर्वेयर द्वारा अप्रार्थी संख्या 2 के मैकेनिक व प्रार्थी की उपस्थिति में प्रष्नगत वाहन का निरीक्षण कर पाया गया कि जो पाट्र्स क्षतिग्रस्त हुए थे, वे प्लास्टिक पाट्र्स थे । जिनका बीमा नहीं किया हुआ था, मात्र प्रष्नगत वाहन रिपेयर करने पर ठीक हो जाता । प्रार्थी द्वारा अपनी मर्जी से मोटरसाईकिल के पाटर््स बदलवाए हंै, जिसमें हुए खर्च के भुगतान के लिए अप्रार्थी जिम्मेदार नहीं है । अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना की है । जवाब परिवाद के समर्थन में वोडी गोम्स, उपप्रबन्धक का षपथपत्र पेष हुआ है ।
3. अप्रार्थी संख्या 2 ने परिवाद का जवाब प्रस्तुत करते हुए प्रार्थी द्वारा प्रष्नगत वाहन उनके यहां से क्रय किए जाने के तथ्य को स्वीकार करते हुए कथन किया है कि प्रष्नगत वाहन दुर्घटनाग्रस्त स्थिति में उनके यहां लाई गई थी जिसकी दुरूस्ती में राषि रू. 15,122/- खर्च हुए थे । इसका बिल उनके द्वारा उपलब्ध कराया गया था और उक्त बिल के आधार पर प्रार्थी ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी के समक्ष क्लेम पेष किया था और अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने कार्यवाही कर क्लेम देने से इन्कार कर दिया था । इस संबंध में उनका कोई उत्तरदायित्व नहीं है । अपने अतिरिक्त कथन में दर्षाया है कि उन्हें अनावष्यक पक्षकार बनाया गया है । इसलिए प्रस्तुत परिवाद उनके विरूद्व चलने योग्य नहीं है । अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना की हैं । जवाब परिवाद के समर्थन में रघुवीर सिंह, सर्विस मैनेजर का षपथपत्र पेष हुआ है ।
4. प्रार्थी की ओर से तर्क प्रस्तुत किया गया है कि वाहन बीमा पाॅलिसी के अन्तर्गत बीमित था तथा वाहन स्लिप हो जाने के कारण उसके चैसिस में बैण्ड आ गया व काफी नुकसान हुआ । उसके द्वारा वाहन को पूर्ण रूप से ठीक करवाने पर हुए व्यय की सूचना अप्रार्थी बीमा कम्पनी को भी प्रत्यक्ष रूप से प्रेषित कर दी गई । किन्तु अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा उक्त राषि दिए जाने से इन्कार कर दिया गया है । स्वयं अप्रार्थी संख्या 2 के सर्विस मैनेजर द्वारा जारी किए गए नोट में चैसिस में बैण्ड को ठीक नहीं किया जाना बताया गया है व केवल नया चेसिस लगाने का प्रावधान होना बताया है । यह नोट व सलाह अप्रार्थी कम्पनी के सर्विस मैनेजर द्वारा लिखित में दी गई है । वांछित भुगतान नहीं किया जाकर मना किए जाने पर अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा सेवा में कमी का परिचय दिया गया है । परिवाद स्वीकार किया जाना चाहिए ।
5. अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा खण्डन में तर्क प्रस्तुत किया गया है कि चैसिस में बैण्ड आ जाने के कारण यह क्षति बीमा पाॅलिसी के अन्तर्गत मान्य नहीं थी । उनके सर्वेयर द्वारा प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार भी यह क्षति, पूर्ति के लायक नहीं थी । परिवाद खारिज किए जाने योग्य है ।
6. अप्रार्थी डीलर की ओर से यह तर्क प्रस्तुत किया गया है कि उनकी कम्पनी से मात्र वाहन खरीदा गया है व इस संबंध में उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं है ।
7. हमने परस्पर तर्क सुने एवं पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेख का अवलोकन किया गया ।
8. यह स्वीकृत तथ्य है प्रष्नगत वाहन अप्रार्थी संख्या 2 डीलर से दिनांक 19.7.2004 को क्रय किया गया है व अप्रार्थी बीमा कम्पनी से जरिए पाॅलिसी संख्या 24190/31/2014/509 के दिनांक 3.8.2013 से 2.8.2014 तक की मध्य रात्रि तक बीमित करवाया गया है । स्वीकृत रूप से वाहन के स्लिप हो जाने के कारण चैसिस में बैण्ड आया है व प्रार्थी ने अप्रार्थी संख्या 2 डीलर को दिखाया है व उनके सर्विस मैनेजर की रिपोर्ट दिनंाक 30.10.2013 के अनुसार चैसिस में बैण्ड आ जाने पर केवल नया चैसिस लगाने का प्रावधान होना बताया है व चैसिस का बैण्ड निकाले जाने से चालक की सुरक्षा को खतरा होना बताते हुए इसको बदलने की सलाह दी व नियमानुसार ठीक किया जा सकना बताया है । अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा प्रस्तुत सर्वेयर की रिपोर्ट के अनुसार चैसिस में बेण्ड आने के कारण इसकी क्षतिपूर्ति के लिए बीमा पाॅलिसी की षर्तो के अनुसार पुनर्भरण योग्य नहीं होना बताया गया है ।
9. प्रष्न यह है कि क्या बीमित वाहन में बीमा अवधि के दौरान चैसिस में आए बैण्ड को सुधरवाने के बाद खर्च की गई राषि की क्षतिपूर्ति हेतु बीमा कम्पनी जिम्मेदार है । सामान्य तौर पर बीमित वाहन में किसी प्रकार की कोई टूट फूट हो जाने के बाद इसकी सूचना बीमा कम्पनी को दी जाती है व बीमा कम्पनी द्वारा भेजे गए सर्वेयर की रिपोर्ट के अनुसार क्ष़्ातिपूर्ति के लिए क्षति का आंकलन किया जाकर पीड़ित पक्षकार को बीमा पाॅलिसी के अधीन भुगतान किया जाता है । हस्तगत प्रकरण में बीमा कम्पनी के सर्वेयर ने इसे बीमा पाॅलिसी की षर्तो से बाहर पाया है । यहां यह उल्लेखनीय है कि प्रार्थी ने प्रष्नगत वाहन का बीमा अप्रार्थी बीमा कम्पनी से बीमा पाॅलिसी संख्या 24190/31/2014/509 के जरिए करवाया है । यह बीमा पाॅलिसी पैकेज पाॅलिसी के रूप में बीमित द्वारा प्राप्त की गई है । पैकेज पाॅलिसी में क्या सम्मिलित किया जाएगा , यह निम्नानुसार स्पष्ट है -
डवजवत च्ंबांहम प्देनतंदबम च्वसपबल वित जूव ूीममसमतरू
ॅींज पे बवअमतमक नदकमत जूव ूीममसमत प्देनतंदबम च्वसपबल रू
ज्ीम च्ंबांहम च्वसपबल बवअमते
1ण् ।बबपकमदजंस स्वेे व िवत कंउंहम जव जीम टमीपबसम
2ण् स्ंइपसपजल जव चंतजपमेए चमतेवदंस ंबबपकमदज बवअमत जव वूदमत कतपअमतण्
3ण् टंतपवने ंकक वद क्वअमत वद मगजतं चतमउपनउण्
स्वेे वत कंउंहम जव जूव ूीममसमत बंनेमक इल रू
4ण् ।बबपकमदजंस मगजतमउंस
5ण् ठनतहसंतलए भ्वनेम ठतमंापदह वत ज्ीमजिण्
6. थ्पतमए म्गचसवेपवदए ैमस.िपहदपजपवद - स्पहीजमदपदहण्
7ण् म्ंतजीुनंामए सिववकऐजतवउउएस्ंदकेसपकम वत त्वबोसपकमएप्दनदकंजपवदए ज्मततवतपेउएत्पवजेए
ैजतपामेए डंसपबपवने ।बजे
8ण् ज्तंदेपज इल त्वंक ए त्ंपसए प्दसंदक ूंजमतूंलेए ंपत वत सपजिण्
10. उपरोक्त स्थिति को देखते हुए यदि बीमित वाहन में उसके चैसिस में किसी भी प्रकार की कोई खराबी आई है तो इसके लिए बीमा कम्पनी पूर्ण रूप से जिम्मेदारी मानी जाएगी । फलस्वरूप जिस प्रकार सर्वेयर की रिपोर्ट को आधार मानते हुए अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने क्षतिपूर्ति के लिए इन्कार करने बाबत् तर्क प्रस्तुत किया गया है, वह स्वीकार किए जाने योग्य नहीं हैं ।
11. सार यह है कि प्रार्थी का परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य है एवं आदेष है कि
:ः- आदेष:ः-
12. (1) प्रार्थी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से बीमा क्लेम की राषि रू. 15122/- क्लेम खारिज किए जाने की दिनांक से ताअदायगी 9 प्रतिषत वार्षिक ब्याज दर सहित प्राप्त करने का अधिकारी होगा ।
(2) प्रार्थी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से मानसिक क्षतिपूर्ति के पेटे रू.2500/- एवं परिवाद व्यय के पेटे रू. 2500/- भी प्राप्त करने का भी अधिकारी होगा ।
(3) क्रम संख्या 1 लगायत 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी बीमा कम्पनी प्रार्थी को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से उपभोक्ता के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे ।
आदेष दिनांक 19.5.2016 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष