Rajasthan

Ajmer

CC/96/2013

LAXMINARAYAN AGARWAL - Complainant(s)

Versus

ORIENTAL INS COMPANY - Opp.Party(s)

ADV R.G AGARWAL

26 Mar 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/96/2013
 
1. LAXMINARAYAN AGARWAL
KISHANGARH
...........Complainant(s)
Versus
1. ORIENTAL INS COMPANY
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Gautam prakesh sharma PRESIDENT
  vijendra kumar mehta MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण         अजमेर

लक्ष्मी नारायण अग्रवाल पुत्र स्व. श्री रतन लाल जी, जाति- अग्रवाल, निवासी- 53/54, आदर्ष काॅलोनी, अजमेर रोड, मदनगंज-किषनगढ, जिला-अजमेर ।
 
                                                             प्रार्थी

                            बनाम

दि ओरियण्टल इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड जरिए वरिष्ठ मण्डल प्रबन्धक,कचहरी रोड, गणेष भवन, अजमेर । 

                                                           अप्रार्थी 
                  परिवाद संख्या  96/2013

                            समक्ष
                   1.  गौतम प्रकाष षर्मा    अध्यक्ष
            2. विजेन्द्र कुमार मेहता   सदस्य
                   3. श्रीमती ज्योति डोसी   सदस्या

                           उपस्थिति
              1.श्री आर.जी.अग्रवाल एवं महेष अग्रवाल,अधिवक्तागण, प्रार्थी
                  2.श्री राजेष जैन,अधिवक्ता अप्रार्थी 
                              
मंच द्वारा           :ः- आदेष:ः-      दिनांकः- 01.04.2015

1.          परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि प्रार्थी ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी से सिल्वर प्लान केषलेस मेडिक्लेम बीमा पाॅलिसी संख्या 242104/48/2012/5481 अवधि दिनंाक 31.1.3012 से 30.03.2013 तक के लिए रू. 4,00,000/- की  प्राप्त की । इससे पूर्व प्रार्थी ने वर्ष 2010, 11 एवं 2012  के लिए भी  उपरोक्तानुसार ही बीमा पाॅलिसी  करवाई थी ।  दिनांक 24.4.2012 को अचानक उसकी छाती में दर्द होने पर डाक्टर को दिखलाया जिन्होने उसकी एज्योग्राफी की  और उसे हार्ट की बीमारी का पता लगने पर दिनंाक 28.4.2012 को मेदान्ता दा मेडिसिटी अस्पताल, गुडगांव में डा. नरेष त्रेहान को दिखलाया । जहां बाद जांच के बाद  दिनांक 1.5.2012 को उसके दिल का आपरेषन किया गया और  दिनांक 7.5.2012 को  डिस्चार्ज किया गया ।  उक्त अस्पताल में भर्ती रहने की अवधि के दौरान इलाज में खर्च हुए राषि का भुगतान करने हेतु अस्तपाल को केष कार्ड प्रस्तुत किया किन्तु अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने  चिकित्सा व्यय का भुगतान अस्पताल को नहीं किया  जिस पर प्रार्थी द्वारा इलाज में व्यय हुई राषि रू. 2,83,000/- का भुगतान प्रार्थी को करना पडा । 
    प्रार्थी का कथन है कि उसने आवष्यक दस्तावेजात के साथ अप्रार्थी बीमा कम्पनी के समक्ष बीमा क्लेम पेष किया । तत्पष्चात् अप्रार्थी बीमा कम्पनी के एजेण्ट टीपीए ने  दिनंाक 28.5.12 के पत्र से  बीमारी बाबत् संबंधित इलाज करने वाले चिकित्सक के प्रमाण पत्र की मांग की तो उसने श्री निर्मल गर्ग,एमबीबीएस,एमडी का प्रमाणपत्र दिनांक 6.6.2012 को  अप्रार्थी बीमा कम्पनी के टीपीए को दे दिया  उक्त प्रमाण पत्र में डाक्टर ने  15 महिनों से  प्रार्थी को हायपरटेंषन  का रोगी होना व इलाजरत होना दर्षाया इसके बावजूद भी  अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने  प्रार्थी को 15 वर्षो से  हायपरटेंषन  का रोगी  एवं बीमा पाॅलिसी लिए जाने के पूर्व बीमार होना बतलाते हुए  मात्र रू. 9909/- का क्लेम  जरिए पत्र दिनांक  17.07.2012 के दिया ।  इसे अप्रार्थी की सेवा में कमी बतलाते हुए प्रार्थी ने परिवाद प्रस्तुत कर  परिवाद में वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । 
2.    अप्रार्थी बीमा कम्पनी की ओर से जवाब पेष हुआ जिसमें  अप्रार्थी ने  दर्षाया है कि  केषलेस सुविध उपलब्ध कराने का निर्णय टीपीए का होता है  और टीपीए द्वारा केषलेस सुविधा उपलब्ध न कराने की स्थिति में  बीमा क्लेम अप्रार्थी बीमा कम्पनी के समक्ष पेष किया जाता है  इसी क्रम में प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत क्लेम को  बीमा पाॅलिसी के एक्सक्लूजन क्लाॅज 4.1 के अनुसार  बीमाधारक को प्री एक्जीस्टिंग डीजिज होने के आधार  पर भुगतान योग्य नहीं पाया गया । आगे यह भी कथन किया है कि  मेदांता द मेडिसिटी अस्पताल में भर्ती होते समय च्ंेज ीपेजवतल में  क्ड के आगे 15 वर्ष व भ्ज्छ के आगे 15 वर्ष अंकित  है जिस पर  प्रार्थी बीमाधारक के भी हस्ताक्षर है ।  अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना की है । 
3.    हमने उभय पक्ष को सुना एवं पत्रावली का अनुषीलन किया तथा अप्रार्थी द्वारा प्रस्तुत दृष्टान्त 2007;2द्ध।ब्ज्ब्ण् 665;ैब्द्ध व्तपमदजंस प्देनतंदबम ब्व स्जक टे च्तमउसंजं ैीनासं - व्ते  एवं  लिखित बहस का  भी अवलोकन किया ।  
4.    उभय पक्ष ने परिवाद व जवाब में अंकित तथ्यों को ही अभिवचनों के रूप में प्रस्तुत किया ।
5.    हस्तगत प्रकरण में अप्रार्थी बीमा कम्पनी को यह सिद्व करना था कि क्या बीमाधारक के पिता श्री  लक्ष्मीनाराण अग्रवाल बीमा कराने से पूर्व हाईपरटेंषन से पीडित थे जिसके कारण बीमा पाॅलिसी की षर्त संख्या 4.1 के अनुसार बीमा क्लेम च्तम.म्गपेजपदह ीमंसजी  बवदकपजपवद के अनुसार देय नहीं माना  है । 
6.    अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा प्रस्तुत बीमा पाॅलिसी की षर्त संख्या 
4.1. निम्न प्रकार से है:-
                       श्च्तम दृमगपेजपदह ीमंसजी बवदकपजपवद वत कपेमंेम वत ंसपउमदजध्पदरनतपमेरू ।दल ंपसउमदजध्कपेमंेमध्पदरनतपमेध्ीमंसजी बवदकपजपवद ूीपबी ंतम चतम.मगपेजपदह ;जतमंजमकध्नदजतमंजमकए कमबसंतमकध्दवज कमबसंतमक पद जीम चतवचवेंस वितउद्धए पद बंेम व िंदल व िजीम पदेनतमक चमतेवद व िजीम ंिउपसलए ूीमद जीम बवअमत पदबमचजे वित जीम पितेज जपउमए ंतम मगबसनकमक वित ेनबी पदेनतमक चमतेवद नच जव 4 लमंते व िजीपे चवसपबल इमपदह पद वितबम बवदजपदनवनेसलण् थ्वत जीम चनतचवेम व िंचचसलपदह जीपे बवदकपजपवद जीम कंजम व िपदबमचजपवद वित जीम  चवसपबल जंामद तिवउ जीम बवउचंदल वित मंबी पदेनतमक चमतेवद व िजीम ंिउपसलए ेींसस इम बवदेपकमतमकए चतवअपकमक जीम तमदमूंसे ींअम इममद बवदजपदनवने ंदक ूपजीवनज ंदल इतमंा पद चमतपवक श्
7.    अप्रार्थी  बीमा कम्पनी ने प्रकरण में मेडिक्लेम भुगतान न करने के समर्थन में बीमाधारक राजकुमार  के स्वयं के द्वारा बीमा कम्पनी को प्रस्तुत किया गया ब्ंेी स्मेे तमुनमेज वितउ पेष किया ।  जिसमें बीमाधारक राजकुमार को    भ्ण्ज्ण्छ (हायरपरटेन्षन) की बीमारी से पिछले 15 वर्षो से पीडित होना दर्षाया है और उक्त दस्तावेज पर बीमाधारक राजकुमार स्वयं के हस्ताक्षर है । इस प्रकार बीमधारक पिछले 15 वर्षो से हायरपरटेंषन की बीमारी से  ग्रसित होना उक्त दस्तावेज से प्रमाणित है । जबकि बीमाधारक द्वारा बीमा पाॅलिसी गत 3 वर्षो से  ही ली  जा रही है ।  जो हायरपरटेंषन बीमारी से ग्रसित होने के बाद की अवधि की है । एक बार  बीमाधारक किसी तथ्य की पुष्टि हेतु अपने हस्ताक्षर कर देता है तो, दोबारा  वह उस तथ्य को नहीं नकार सकता ।  अप्रार्थी द्वारा प्रस्तुत न्यायिक दृष्टान्त में भी माननीय उच्चतम न्यायालय में यही अभिनिर्धारित किया है कि - ’’  भ्वूमअमत एजीम ंिबजनउ व िंद ंबबपकमदज बवनसक ंसेव इम चतवअमक तिवउ जीम थ्पतेज प्दवितउंजपवद त्मचवतज प्ज पे ंसेव जव इम दवजमक जींज वदबम ं चंतज व िजीम बवदजमदजे व िजीम कवबनउमदज पे ंकउपजजमक पद मअपकमदबमए जीम चंतजल इतपदहपदह जीम ेंउम वद तमबवतक बंददवज इम चमतउपजजमक वत जनतद तवनदक ंदक बवदजमदकमक जींज जीम वजीमत बवदजमदजे बवदजंपदमक पद जीम तमेज चंतज जीमतमव िींक दवज इममद चतवअमकए ठवजी जीम चंतजपमे ींअम तमसपमक जीमतम नचवदण् प्ज ूंे उंतामक ंे ंद म्गीपइपज ंे इवजी जीम चंतजपमे पदजमदकमक जव तमसल नचवद जीमउ’’
8.    इसके विपरीत प्रार्थी ने  बीमाधारक राजकुमार का ष्षपथपत्र प्रस्तुत किया जिसके अनुसार उन्होने मेदान्ता अस्पताल, गुडगाव में दिनांक 28.4.2012 को भर्ती कराया था, तब अस्पताल में कार्यरत कर्मचारी को, बीमा होना तथा कैषलेस कार्ड होना बताया था । जिस पर  अस्पताल द्वारा प्रार्थी से खाली फार्म पर हस्ताक्षर करवाए गए ताकि अस्पताल द्वारा कैषलेस कार्ड होने के कारण बीमा कम्पनी से उन्हें सीधा भुगतान प्राप्त हों सके  साथ ही इस कार्यवाही में एक षपथपत्र भी इस आषय का दिया कि उपरोक्त फार्म को प्रार्थी ने  अपनी हस्तलिपि में नहीं भरा है  और ष्षपथपत्र में सद्भाविक भूलवष 15 महिनों की बजाय 15 वर्ष  हायपरटेंषन की बीमारी से ग्रसित होना अंकित हो गया  । 
9.    हमने अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा प्रस्तुत ब्ंेी स्मेे तमुनमेज वितउ    अवलोकन किया ।  जिसमें क्ड 15 लमंतेए भ्ज्छ 15 लमंते अंकित है परन्तु फार्म अप्रार्थी  द्वारा प्रस्तुत लिखित बहस  में किए गए कथन के विरूद्व राजकुमार बीमाधारक द्वारा नहीं भरा गया है । राजकुमार के हस्ताक्षर इस फार्म पर उपलब्ध है  साथ ही फार्म पर डा.मनीष  के भी हस्ताक्षर है  जिसकी हस्तलिपि फार्म में भरे गए ब्वदजमदजे से मेल खाती प्रतीत होती है । 
10.    इसके अतिरिक्त  अप्रार्थी बीमा कम्पनी के टीपीए ने अपने पत्र दिनांक 28.5.2012 द्वारा ं बीमाधारक  से प्रार्थी का इलाज करने वाले  डाक्टर द्वारा हायपरटेंष्न रोग से ग्रसित होने की ब्ंेम भ्पेजवतल की मांग की ।  जिस पर बीमाधारक  ने  डा. निर्मल गर्ग का चिकित्सा प्रमाण पत्र दिनांक 6.6.2012 जिसमें 15 महिने से हायरपरटेंष्न रोग का इलाजरत रहना दर्षित होने का  भिजवाया । जिसके समर्थन में बीमाधारक राजकुमार अग्रवाल ने षपथपत्र प्रस्तुत भी प्रस्तुत किया  है । अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने उपरोक्त तथ्यात्मक  स्थिति के विपरीत कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया । अतः षपथपत्र में वर्णित कथनों को  न मानने का कोई कारण प्रतीत नहीं होता है । 
11.    उपरोक्त तथ्यात्मक स्थिति व विवेचन  के मद्देनजर हम इस निर्णय पर पहुचें है कि प्रार्थी के ब्ंेी स्मेे तमुनमेज वितउ में  सहवन से क्ड 15 लमंतेए भ्ज्छ 15 लमंते  अंकित हो गया था । प्रार्थी 15 माह से  हायरपरटेंष्न से पीडित पाया गया  है। अतः अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा प्रार्थी का मेडिक्लेम गलत  आधारों पर  खारिज किया गया है । प्रार्थी का परिवाद स्वीकार होने योग्य है । अतः आदेष है कि
                             :ः- आदेष:ः-
12.    (1)   प्रार्थी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से  मेडिक्लेम की राषि रू, 2,73,091/-  प्राप्त करने का अधिकारी होगा । 
    (2)    प्रार्थी  अप्रार्थी बीमा कम्पनी से  मानसिक संताप व वाद व्यय के मद में भी राषि रू. 5000/- प्राप्त करने का अधिकारी होगा । 
        (3)        क्र.सं. 1 व 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी बीमा कम्पनी प्रार्थी को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें   अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावें ।  
             (4)        दो माह  में आदेषित राषि का भुगतान  नहीं करने पर  प्रार्थी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से  उक्त राषियों पर  निर्णय की दिनांक से  ताअदायगी 9 प्रतिषत वार्षिक  दर से ब्याज भी प्राप्त कर सकेगा  ।

                
(विजेन्द्र कुमार मेहता)       (श्रीमती ज्योति डोसी)     (गौतम प्रकाष षर्मा)
            सदस्य                  सदस्या                   अध्यक्ष    
13.        आदेष दिनांक 01.04.2015 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।

           सदस्य                   सदस्या                   अध्यक्ष

 

   
 

 
 
[ Gautam prakesh sharma]
PRESIDENT
 
[ vijendra kumar mehta]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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