जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
श्री जगदीष प्रसाद बोहरा पुत्र स्व. श्री सुवालाल बोहरा, निवासी- प्लाट संख्या 90-91, पटेल नगर, इन्द्रा काॅलोनी, मसूदा रोड़, ब्यावर, जिला-अजमेर ।
- प्रार्थी
बनाम
1. दी ओरियण्टल इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड जरिए इसके षाखा प्रबन्धक, ष्षाखा कार्यालय, अजमेर गेट के अन्दर, ब्यावर, जिला-अजमेर- 305901
2. जिला परिवहन अधिकारी, ब्यावर, जिला-अजमेर -305901
- अप्रार्थीगण
परिवाद संख्या 429/2013
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री सूर्यप्रकाष गांधी, अधिवक्ता, प्रार्थी
2.श्री संजीव रोहिल्ला,अधिवक्ता अप्रार्थी संख्या 1
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः-27.09.2016
1. प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हंै कि उसकी टोएटो इनोवा कार संख्या आरजे.36 यूए 9100 जो अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहां दिनंाक 21.6.2012 से 20.6.2013 तक की अवधि के लिए बीमित थी , का दिनंाक 4.8.2012 को दुर्घटनाग्रस्त हो जाने पर उसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट संख्या 236 दिनंाक 4.8.2012 को पुलिस थाना फलौदी, जोधपुर ग्रामीण में दर्ज करवाने के बाद इसकी सूचना बीमा कम्पनी को देते हुए वाहन पेटे मरम्मत में खर्च हुई राषि रू. 7,22,385/- का क्लेम समस्त औपचारिकताएं पूर्ण करते हुए अप्रार्थी बीमा कम्पनी के समक्ष पेष किया । जिसे अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने पत्र दिनंाक
8.7.2013 के इस आधार पर खारिज कर दिया कि वक्त दुर्घटना वाहन बिना रजिस्ट्रेषन के चलाया जा रहा था इसलिए मोटर वाहन अधिनियम की धारा 39 के तहत पाॅलिसी की ष्षर्तो का उल्लंघन होने के कारण क्लेम देय नही ं है । जबकि प्रार्थी ने वाहन का अस्थाई रजिस्ट्रेषन एक माह का करवा रखा था। इसके बाद प्रार्थी ने दिनांक 3.7.2012 को जिला परिवहन अधिकारी के यहां स्थाई रजिस्ट्रेषन के लिए आवेदन कर वांछित फीस जमा करा दी थी । परिवहन विभाग ने यदि रजिस्ट्रेषन प्रमाण पत्र देने में देरी की है तो इसके लिए वह कतई जिम्मेदार नहीं है । प्रार्थी ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा क्लेम निरस्त किए जाने को सेवा में कमी बताते हुए परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है ।
2. अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने जवाब प्रस्तुत करते हुए बीमा पाॅलिसी किए जाने के तथ्य को स्वीकार करते हुए आगे दर्षाया है कि प्रार्थी ने वाहन का रजिस्ट्रेषन करवाए बिना ही उसका उपयोग किए जाने के कारण मोटर वाहन अधिनियम की धारा 39 की अवहेलना किए जाने से क्लेम खारिज किए जाने में उनके स्तर पर कोई सेवा दोष नहीं किया गया है । अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना की है ।
3. अप्रार्थी संख्या 2 के बावजूद तामील के उपस्थित नहीं होने के कारण उसके विरूद्व एक पक्षीय कार्यवाही अमल में लाई गई ।
4. प्रार्थी का तर्क है कि प्रष्नगत वाहन के वैध एवं प्रभावी रूप से बीमित होने, वाहन खरीदते समय 1 माह के लिए वैध एवं प्रभावी अस्थायी रजिस्ट्रेषन करवाने जाने तथा दिनांक 3.7.2012 को जिला परिवहन अधिकारी के समक्ष स्थायी रजिस्ट्रेषन के लिए आवेदन कर वांछित फीस जमा करवाने के बाद यदि परिवहन विभाग द्वारा पंजीयन प्रमाण पत्र देने में देरी की जाती है और इस अवधि के बीच वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो जाता है तो इसके लिए प्रार्थी को कतई जिम्मेदार नहीं माना जा सकता । बीमा कम्पनी ने क्लेम अवैध एवं निराधार रूप से खारिज करते हुए सेवा में कमी की है जिसके लिए वे पूर्णतया उत्तरदायी है । क्लेम स्वीकार किए जाने योग्य है ।
5. अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने इन तर्को का खण्डन करते हुए घटना के दिन वाहन के स्थायी रूप से रजिस्ट्रेषन नहीं होने व बीमा पाॅलिसी की षर्तो के उल्लंघन के फलस्वरूप एमवी एक्ट की धारा 39 के उल्लंघन में वाहन का प्रयोग बीमा पाॅलिसी की षर्तेेेेेेे की अवहेलना करते हुए किया गया है । । तदनुसार खारिज किया गया क्लेम उचित है ।
6. हमने परस्पर तर्क सुन लिए हैं एवं पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों का ध्यानपूर्वक अवलोकन कर लिया है ।
7. अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने अपने पत्र दिनंाक 8.7..2013 के द्वारा जो क्लेम खारिज किया है, के अनुसार विवाद का बिन्दु मात्र यह है कि क्या घटना की तिथि को प्रष्नगत वाहन बिना अस्थायी रजिस्ट्रेषन के चलाया जा रहा था ?
8. स्वीकृत रूप से प्रष्नगत वाहन दिनांक 21.6.2012 से 20.6.2013 तक वैध एवं प्रभावी रूप से बीमित होकर दिनंाक 4.8.2012 को दुर्घटनाग्रस्त हुआ है । वाहन की खरीद की तिथि 21.6.2012 से 20.7.2012 तक यह वाहन अस्थायी रूप से पंजीकृत था । प्रार्थी का तर्क है कि उसने दिनांक 3.7.2012 को स्थायी रजिस्ट्रेषन हेतु जिला परिवहन कार्यालय में षुल्क जमा करवा दिया था जिसकी रसीद उसने संलग्न की है । यदि जिला परिवहन कार्यालय द्वारा वाहन का स्थायी रजिस्ट्रेषन नहीं किया जाता है तो इसमें प्रार्थी का कोई दोष नहीं है जबकि अप्रार्थी बीमा कम्पनी का तर्क है कि मात्र फीस जमा करवाने से स्थायी रजिस्ट्रेषन जारी कर दिया गया है, यह नहीं माना जा सकता । पत्रावली में प्रार्थी द्वारा जिला परिवहन कार्यालय में रजिस्ट्रेषन की फीस हेतु षुल्क जमा कराया गया है व यह रसीद दिनंाक 3.7.2012 को जारी की गई है । कहा जा सकता है कि उसके द्वारा स्थायी रजिस्ट्रेषन के लिए समय रहते हुए यह षुल्क जमा करवा दिया गया था तथा जिला परिवहन कार्यालय से यह अपेक्षित था कि वे इस जमा हुई फीस के आधार पर प्रार्थी को अविलम्ब रजिस्ट्रेषन प्रमाण पत्र जारी करता । चूंकि उनके द्वारा ऐसा किया गया हो, यह सिद्व नहीं है । अतः प्रार्थी का इस संबंध में किसी प्रकार का कोई दोष नहीं माना जा सकता । मात्र रजिस्ट्रेेषन के आधार पर जो क्लेम खारिज किया गया है वह उचित नहीं है व ऐसा कर अप्रार्थी ने सेवा दोष किया है क्योंकि वाहन दिनांक 21.6.2012 से 20.6.2013 तक बीमित था, इसके समस्त परिणामों के लिए अप्रार्थी बीमा कम्पनी उत्तरदायी है । अतः प्रार्थी का परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य है एवं आदेष है कि
:ः- आदेष:ः-
9. (1) प्रार्थी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से बीमा क्लेम राषि रू. 7,22,385/- क्लेम खारिज करने की दिनांक से तदायगी 9 प्रतिषत वार्षिक ब्याज दर सहित प्राप्त करने का अधिकारी होगा ।
(2) प्रार्थी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से ं परिवाद व्यय के पेटे रू. 5000/- भी प्राप्त करने के अधिकारी होगा ।
(3) क्रम संख्या 1 लगायत 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी बीमा कम्पनी प्रार्थी को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे ।
आदेष दिनांक 27.09.2016 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
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