जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण अजमेर
श्री हुकम सिंह पुत्र श्री अन्ना सिंह, जाति-रावत, निवासी- ग्राम लाडपुरा वाया गगवाना, जिला-अजमेर ।
प्रार्थी
बनाम
प्रबन्धक, दी ओरियण्टल इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड,कचहरी रोड, अजमेर ।
अप्रार्थी
परिवाद संख्या 472/2013
समक्ष
1. गौतम प्रकाष षर्मा अध्यक्ष
2. विजेन्द्र कुमार मेहता सदस्य
3. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
उपस्थिति
1.श्री सांवर लाल षर्मा, अधिवक्ता, प्रार्थी
2.श्री संजीव रोहिल्ला, अधिवक्ता अप्रार्थी
मंच द्वारा :ः- आदेष:ः- दिनांकः- 10.02.2015
1. प्रार्थी ने अपने वाहन मोटर साईकिल संख्या आर.जे.01-15 एम.2753 का बीमा अप्रार्थी बीमा कम्पनी से अवधि दिनंाक 20.3.2012 से 19.3.2013 तक करवाया एवं इस अवधि में प्रार्थी का यह वाहन दिनंाक 28.9.2012 को चोरी चला गया एवं इस हेतु प्रार्थी ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी के समक्ष क्लेम पेष किया तथा पुलिस में प्रथम सूचना रिर्पोट भी दर्ज करवाई आदि तथ्य अप्रार्थी के जवाब अनुसार स्वीकृतषुदा है । अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा प्रार्थी के क्लेम को इस आधार पर अस्वीकार किया गया है कि वाहन की चोरी दिनंाक 28.9.2912 को हुई जबकि अप्रार्थी बीमा कम्पनी को इस चोरी की घटना की सूचना दिनांक 25.10.2012 को दी जबकि बीमा पाॅलिसी की षर्तो अनुसार प्रार्थी को चोरी की घटना की ऐसी सूचना तुरन्त बाद अर्थात 48 घण्टो के भीतर देनी आवष्यक थी । अतः बीमा पाॅलिसी षर्तो का उल्लंघन मानते हुए प्रार्थी के क्लेम को अस्वीकार किया गया ।
2. अब हमारे समक्ष निर्णय हेतु यही बिन्दु है कि क्या अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने प्रार्थी के क्लेम को सही रूप से अस्वीकार किया है ?
3. इस निर्णय बिन्दु पर हमने पक्षकारान को सुना । निर्विवाद रूप से चोरी दिनंाक 28.9.2012 की है तथा इस चोरी की सूचना दिनंाक 2.10.2012 को पुलिस थाने पर दी गई तथा बीमा कम्पनी को सूचना दिनंाक 25.10.2012 को देने संबंधी पत्र पत्रावली पर अप्रार्थी बीमा कम्पनी की ओर से पेष हुआ है । प्रार्थी ने यह अवष्य बतलाया कि उसने सूचना पहले ही दे दी थी लेकिन कोई तिथी वगैरह नहीं बतलाई है । इस संबंध में अधिवक्ता प्रार्थी का कथन है कि चोरी की सूचना अप्रार्थी बीमा कम्पनी को 28-29 दिन बाद अवष्य दी है लेकिन चोरी की प्रथम सूचना रिर्पोट 2-3 दिन के भीतर ही दर्ज करवा दी गई थी इसके अतिरिक्त अधिवक्ता कहना है कि चोरी हो जाने का तथ्य विवादित नहीं है तथा इस तथ्य को देखते हुए प्रार्थी का यह क्लेम नाॅनस्टैण्डर्ड के आधार पर स्वीकार होने योग्य है । अधिवक्ता अप्रार्थी बीमा कम्पनी का कथन है कि प्रार्थी व अप्रार्थी बीमा कम्पनी के मध्य इस वाहन का बीमा संबंधी जो करार हुआ है उस करार की षर्तो को पाॅलिसी की षर्तानुसार दानेो पक्षो को बिना किसी अन्य व्याख्या के या अर्थ के मानना होता है । पाॅलिसी जिसकी प्रति पत्रावली पर है, में वर्णितानुसार जहां क्लेम चोरी से संबंधित है वह क्लेम जब तक स्वीकार होने योग्य नहीं होता जब तक की उक्त क्लेम चोरी की घटना के भीतर 48 घण्टे में बीमा कम्पनी को प्रस्तुत कर दिया गया हो । इस प्रकार बीमा पाॅलिसी की इस षर्त से प्रार्थी व अप्रार्थी दोनो पाबन्द है तथा माननीय राष्ट्रीय आयोग व माननीय राज्य आयोगों द्वारा भी अनेक सिद्वान्त प्रतिपादित किए जा चुके है । प्रार्थी द्वारा बीमा कम्पनी को सूचना 28-29 दिन बाद दी गई है । अतः प्रार्थी का क्लेम सही रूप से अस्वीकार किया है ।
4. हमने बहस पर गौर किया । निर्विवाद रूप से अप्रार्थी बीमा कम्पनी को चोरी की घटना की सूचना 28-29 दिन बाद दी गई है लेकिन वाहन चोरी नहीं गया हो ऐसा अप्रार्थी बीमा कम्पनी का कथन नहीं है । वाहन चोरी के संबंध में प्रथम सूचना रिर्पोट दर्ज हुई है एवं प्रार्थी ने परिवाद में इस आषय के कथन किए है एवं स्वय का ष्षपथपत्र पेष भी किया है । अतः वाहन चोरी जाने का तथ्य सिद्व पाया गया हे । वाहन चोरी किए जाने का तथ्य जहां सिद्व हो उन मामलो में बीमा कम्पनी को देरी से सूचना करने मात्र के आधार पर क्लेम को पूरी तरह से अस्वीकार नहीं किया जाकर क्लेम को नाॅन स्टेण्डर्ड के आधार पर निर्णित किए जाने हेतु प्रतिपादन कई निर्णयों द्वारा माननीय राष्ट्रीय आयेाग व माननीय राज्य आयोगों द्वारा किया गया है । माननीय राज्य आयोग द्वारा निर्णित अपील संख्या 473/13 नरेन्द्र सिंह बनाम एचडीएफसी ईआर जी ओ जनरल इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड निर्णय दिनंाक 27.10.2014 में जहां बीमा कम्पनी को सूचना 21 दिन बाद दी गई, के मामले में माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णय अमलेन्दू षाह में अभिनिर्धारित अनुसार व आईआरडीए द्वारा हाल ही जारी परिप.त्र में दिए निर्देषानुसार क्लेम को नाॅन स्टेण्डर्ड में निर्णित किया जाना उचित माना हे ।
5. उपरोक्त विवेचन से हमारा निष्कर्ष है कि प्रार्थी का यह परिवाद नाॅन स्टेण्र्ड के आधार पर स्वीकार होने येाग्य हे । प्रार्थी अपने बीमित वाहन की आईडीवी राषि रू. 17,000/- की 75 प्रतिषत राषि अप्रार्थी बीमा कम्पनी से प्राप्त करने का अधिकारी होगा । परिवाद का परिवाद आंषिंक रूप से स्वीकार किए जाने योग्य है । अतः आदेष है कि
:ः- आदेष:ः-
6. (1) प्रार्थी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से अपने बीमित वाहन संख्या आर.जे.01-15 एम.2753 की आईडीवी राषि रू. 17,000/- की 75 प्रतिषत राषि रू.12750/- प्राप्त करने का अधिकारी होगा ।
(2) प्रार्थी के क्लेम को नाॅन स्टैण्डर्ड के आधार पर तय किया गया है अतः प्रार्थी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से किसी तरह का वाद व्यय व मानसिक संताप मद में कोई राषि प्राप्त करने का अधिकारी नहीं होगा ।
(3) क्र.सं. 1 में वर्णित राषि अप्रार्थी बीमा कम्पनी प्रार्थी को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें अथवा उक्त आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावें या मंच में जमा करावें ।
(4) दो माह में आदेषित राषि का भुगतान नहीं करने पर प्रार्थी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से उक्त राषियों पर निर्णय की दिनांक से ताअदायगी 09 प्रतिषत वार्षिक दर से ब्याज भी प्राप्त कर सकेगा ।
(विजेन्द्र कुमार मेहता) (श्रीमती ज्योति डोसी) (गौतम प्रकाष षर्मा )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
7. आदेष दिनांक 10.02.2015 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
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