Rajasthan

Ajmer

CC/324/2014

GOVINDA TEX - Complainant(s)

Versus

ORIENTAL INS COMPANY - Opp.Party(s)

ADV.PRADEEP AAYINI

06 Apr 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/324/2014
 
1. GOVINDA TEX
AJMER
...........Complainant(s)
Versus
1. ORIENTAL INS COMPANY
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Vinay Kumar Goswami PRESIDENT
  Naveen Kumar MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण,         अजमेर

मैसर्स गोविन्दा टैक्स ओ यान प्रो. श्री भगवानदास मांदना, निवासी- कटला बाजार, मदनगंज-किषनगढ, जिला-अजमेर । 
                                                -         प्रार्थी


                            बनाम

दी ओरियण्टल इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, षाखा प्रबन्धक, षाखा कार्यालय, मदनगंज-किषनगढ, जिला-अजमेर । 

                                               -          अप्रार्थी
 
                 परिवाद संख्या 324/2014
   

                            समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी       अध्यक्ष
                 2. श्रीमती ज्योति डोसी       सदस्या
3. नवीन कुमार               सदस्य


                           उपस्थिति
                  1.श्री प्रदीप आईनानी,अधिवक्ता, प्रार्थी
                  2.श्री हरजीत षर्मा, अधिवक्ता अप्रार्थी 

                              
मंच द्वारा           :ः- निर्णय:ः-      दिनांकः-06.04.2016
 
1.           प्रार्थी ( जो  इस परिवाद में आगे चलकर उपभोक्ता कहलाएगा) ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम , 1986 की धारा 12 के अन्तर्गत अप्रार्थी (जो  इस परिवाद में आगे चलकर अप्रार्थी  बीमा कम्पनी कहलाएगी)  के विरूद्व संक्षेप में इस आषय का पेष किया है कि  उसने अपनी हीरो होण्डा प्लेजर मोटर साईकिल संख्या आर.जे.01.एस.जे.7863 का अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहां जरिए बीमा पाॅलिसी संख्या 242104/31/2013/1515 के दिनांक 20.7.2012 से 
19.7.2013 तक के लिए  बीमा करवाया ।  उक्त वाहन दिनांक 2.12.2012 को   उसके निवास स्थान पर रात 8.30 बजे  खडा किया था और जब सुबह उठकर देखा तो वाहन नहीं मिला जिसकी काफी तलाष किए जाने के बाद नहीं मिला। तो उसने  अप्रार्थी बीमा  कम्पनी को दिनांक 3.12.2012 को वाहन चोरी की लिखित में सूचना दी तथा पुलिस थाना -मदनगंज किषनगढ में जरिए रजिस्टर्ड डाक द्वारा दिनंाक 3.12.2012 के सूचना दीं । पुलिस थाना द्वारा दिनंाक 5.1.2013 को प्रथम सूचना संख्या 10/2013 दर्ज की गई और वाहन नहीं मिलने पर संबंधित न्यायालय में एफ.आर पेष की ।  उपभोक्ता ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा चाही गई समस्त औपचारिकताएं पूर्ण कर दी । तत्पष्चात् अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने अपने पत्र दिनंाक 27.2.2014 के द्वारा उसका क्लेम इस आधार पर खारिज कर दिया कि उपभोक्ता ने वाहन चोरी की सूचना  34 दिन देरी से दी  तथा   उन्हें सौंपी गई वाहन की चाबियां  डुप्लीकेट होना बताया । इस प्रकार उपभोक्ता ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी  द्वारा बीमा क्लेम को खारिज करना सेवा में कमी बताते हुए परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है ।  परिवाद के समर्थन में उपभोक्ता ने स्वयं का षपथपत्र पेष किया । 
2.    अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने जवाब प्रस्तुत करते हुए उपभोक्ता के प्रषनगत् वाहन का बीमा  करवाए जाने के  तथ्य को स्वीकार करते हुए जवाब में  आगे दर्षाया है कि उपभोक्ता ने उत्तरदाता अप्रार्थी बीमा कम्पनी को वाहन चोरी की  दिनंाक 2.1.2.2012 की सूचना  दिनांक 3.12.2013 को  नहीं दी  और उपभोक्ता ने पुलिस थाने में  प्रथम सूचना रिर्पोट दिनंाक 5.1.2013 को दर्ज करवाई है । यह अत्यधिक देरी अर्थात  34 दिन की देरी  से दर्ज करवाई है  तथा उपभोक्ता द्वारा  वाहन की चाबियों के संबंध में चाही गई सूचना के संबंध में अवगत कराया है कि वाहन की मूल चाबियां टूट गई हंै । इस प्रकार उपभोक्ता द्वारा बीमा पाॅलिसी की षर्तो का उल्लंघन किए जाने के कारण उसका क्लेम खारिज करते हुए पत्र  दिनंाक 27.2.2014 के  सूचित किया गया । इस  तरह उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी नहीं की गई । अन्त में परिवाद सव्यय खारिज किए जाने की प्रार्थना करते हुए परिवाद के समर्थन में श्री प्रेमसुख माहेष्वरी, उपप्रबन्धक का षपथपत्र पेष किया है । 

3.    उपभोक्ता के विद्वान अधिवक्ता ने तर्क प्रस्तुत किया है कि अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा  अपने पत्र दिनांक 27.2.2014 के द्वारा 34 दिन की देरी व डुप्लीकेट चाबी बाबत् आक्षेप लगाते हुए क्लेम खारिज किया है  यह कतई न्यायोचित नहीं है । उनका तर्क रहा है कि प्रष्नगत  वाहन दिनंाक 2.12.2012 को चोरी हुआ था जिसकी उपभोक्ता ने दिनंाक 3.12.2012 को इस बाबत् पुलिस में सूचना दी   तथा  उसी दिन रजिस्टर्ड  एडी पत्र के जरिए  बीमा कम्पनी को भी सूचित कर दिया था । पुलिस थाने द्वारा तत्समय लिखित में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई थी  ।  मात्र फौरी तौर  पर जांच करने के बाद दिनंाक 5.1.2013 को प्रथम सूचना रिर्पोट दर्ज की गई । जबकि स्वयं थाना अधिकारी, पुलिस थाना मदनगंज-किषनगढ, जिला-अजमेर के पृष्ठाकन पत्र दिनंाक 22.3.2013 से स्पष्ट है कि उपभोक्ता द्वारा दिनंाक 2.12.2012 को  वाहन चोरी हो जाने  के पष्चात्  रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है । मगर थाने में अपने स्तर पर तलाष हेतु परिवाद रखा गया व वाहन नहीं मिलने पर दिनंाक 5.1.2013 को थाने में अभियोग पंजीबद्व हुआ ।

4.    खण्डन में अप्रार्थी बीमा कम्पनी के विद्वान अधिवक्ता ने तर्क प्रस्तुत किया है कि वाहन चोरी की रिपोर्ट तुरन्त दर्ज नहीं करवाई गई अपितु दिनंाक 5.12.2013 को रिर्पोट दर्ज  हई है जैसा कि प्रथम सूचना रिपोर्ट से स्पष्ट है ।  क्लेम प्राप्त करने की षर्तो के अनुसार चोरी की सूचना 48 घण्टे के  अन्दर अन्दर संबंधित थाने व बीमा कम्पनी को दी जानी चाहिए थी,  जो नहीं देना बताया है।  इसके अलावा वाहन की मूल चाबियां भी  नहीं  सौपा गई है ।  अपितु डुप्लीकेट चाबी का प्रयोग किया गया है । इन  हालात में  उपभोक्ता क्लेम प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है । अपने तर्को के समर्थन में उन्होने  2015 क्छश्र;ब्ब्द्ध7 भ्क्थ्ब् म्तहव ळमदमतंस प्देनतंदबम ब्व स्जक टे ठींह ब्ींदक ैंपदप  पर अवलम्ब लिया है जिसमें  माननीय राष्ट्रीय आयोग ने  2 दिन देरी से रिपोर्ट दर्ज करवाने व चोरी की सूचना बीमा कम्पनी को 98 दिन  बाद में देने पर बीमा पाॅलिसी  की षर्तो का उल्लंघन माना व नाॅन स्टेण्डर्ड के आधार पर प्रार्थी का कोई प्रतिकर प्राप्त करने का हकदार नहीं बताया ।  

5.    हमने परस्पर तर्को  व प्रस्तुत विनिष्चयों  में प्रतिपादित सिद्वान्तों का अवलोकन कर लिया है  एवं पत्रावली पर उपलब्ध सामग्री का भी अवलोकन किया । 

6.    पत्रावली में उपलब्ध उपभोक्ता के पत्र दिनंाक 3.12.2012 जो उसके द्वारा ष्षाखा प्रबन्धक अप्रार्थी बीमा कम्पनी को लिखा गया है, में उक्त  वाहन चोरी की सूचना दिए जाने का उल्लेख है । इसमें यह भी लिखा है कि  उसके द्वारा उसी दिन स्थानीय पुलिस को भी सूचना दे दी गई थी । किन्तु उन्होने अभी तक प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज नहीं की है । इस पत्र के मुख पृष्ठ पर उपर की ओर  बीमा विभाग का 01.34 मिनिट पर  उसी दिन का  पृष्ठांकन उपलब्ध है जिसके अनुसार यह स्पष्ट है कि  वाहन चोरी की सूचना षाखा प्रबधक को   वाहन चोरी होने के अगले ही दिन दे दी गई थी ।  इसमें चोरी की सूचना का थाने में रिपोर्ट किए जाने का भी उल्लेख हुआ व दिनंाक 3.12.2012 को पुलिस थाना,मदनगंज-किषनगढ को जरिए रजिस्ट एडी पत्र जिसकी रसीद उक्त रिर्पोट में उपलब्ध है, को देखते हुए तथा अप्रार्थी बीमा कम्पनी के 8.2.2013 को क्लेम नहीं दिए  जाने बाबत् पत्र में पुलिस अधिकारी, पुलिस थाना-मदनगंज किषनगढ के पृष्ठांकन के उल्लेख को देखते हुए  कहा जा सकता है कि उपभोक्ता ने दिनांक 2.12.2012 को  वाहन चोरी की रिर्पोट 48 घण्टे  के अन्दर अन्दर पुलिस थाने को दी व जरिए रजिस्टर्ड एडी पत्र द्वारा भी  रिपोर्ट दर्ज करवाई इसके अलावा बीमा कम्पनी को भी दिनंाक 3.12.2012 को इस आषय की सूचना दी । जो विनिष्चय बीमा कम्पनी की ओर से प्रस्तुत हुए है, में तथ्यों की भिन्नता है ।  इसमें 6.12.2011 की चोरी की सूचना दिनांक 8.12.2011 को दर्ज करवाई गई व  बीमा कम्पनी को 98 दिन बाद सूचना दी गई थी । ऐसे हालात में  बीमा पाॅलिसी की षर्तांे का उल्लंघन माना गया था । किन्तु हस्तगत प्रकरण में ऐसा नहीं है ।  अतः ऐसी स्थिति में तथ्यों की भिन्नता के कारण  उनके द्वारा प्रस्तुत न्यायिक दृष्टान्त बीमा कम्पनी की कोई मदद नहीं करते है । 
7.    पत्रावली पर  उपलब्ध अभिलेख के अनुसार  प्रष्नगत वाहन का बीमा 20.7.2012 से 19.07.2013  तक था इस प्रकार बीमा  वाहन चोरी की घटना के दिन प्रभावषील था। वाहन चोरी होने की सूचना उपभोक्ता द्वारा संबंधित पुलिस थाने में व बीमा कम्पनी को 48 घण्टे के अन्दर अन्दर कर दी गई थी । ऐसे हालात में उसकी ओर से अपने कर्तव्य के प्रति कोई लापरवाही नहीं बरती गई अपितु उपरोक्त वर्णित कारणों से  क्लेम खारिज करते हुए अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने जो उदाहरण प्रस्तुत किया है, वह निष्यिचत रूप से उनकी सेवा में त्रुटि को दर्षाता है । उनकी ओर से जो डुप्लीकेट चाबी का तर्क प्रस्तुत किया गया है वह स्वीकार किए जाने योग्य नहीं ह,ै क्योंकि ऐसा  पाॅलिसी लेते समय तय नहीं किया गया था । फलतः उपभोक्ता का परिवाद अप्रार्थी बीमा कम्पनी के विरूद्व स्वीकार किए जाने योग्य है ।  अतः आदेष है कि 
                               :ः- आदेष:ः-
8.    (1)    उपभोक्ता अप्रार्थी बीमा कम्पनी से हीरो होण्डा प्लेजर मोटर साईकिल संख्या आर.जे.01.एस.जे.7863 की बीमित राषि रू. 25,000/- मय 9 प्रतिषत वार्षिक ब्याज दर सहित  क्लेम खारिज करने की दिनांक से ताअदायगी तक  प्राप्त करने का अधिकारी होगा । 
                (2)      उपभोक्ता अप्रार्थी बीमा कम्पनी से मानसिक क्षतिपूर्ति के पेटे रू.5000/- एवं परिवाद व्यय के पेटे रू.2500/- भी प्राप्त करने का  भी अधिकारी होगा । 
                  (3)       क्रम संख्या 1 लगायत 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी बीमा कम्पनी उपभोक्ता को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें   अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से उपभोक्ता के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे                
          आदेष दिनांक 06.4.2016 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।

                
(नवीन कुमार )        (श्रीमती ज्योति डोसी)      (विनय कुमार गोस्वामी )
      सदस्य                   सदस्या                      अध्यक्ष    
 

 
 
[ Vinay Kumar Goswami]
PRESIDENT
 
[ Naveen Kumar]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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