Rajasthan

Jhunjhunun

154/2013

Sudhir Kumar - Complainant(s)

Versus

ORIENTAL BANK - Opp.Party(s)

SANDEEP

12 Nov 2014

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 154/2013
 
1. Sudhir Kumar
JHUNJHUNU
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

परिवाद संख्या 154/13
तारीख हुक्म  
    
            हुक्म या कार्यवाही मय इनिषियल्स जज 
सुधीर कुमार  बनाम ओरियंटल बैंक आफ कामर्स, शाखा कार्यालय, झुंझुनू जरिये
                  मैनेजर शाखा कार्यालय, झुंझुनू
           अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम 1986
    नम्बर व तारीख अहकाम जो इस हुक्म की तामिल में जारी हुए
16.01.2015          परिवादी की ओर से वकील श्री संदीप महला उपस्थित। विपक्षी की ओर से वकील श्री भगवान सिंह उपस्थित। उभयपक्ष की बहस सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।       
     विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी ने खाता नम्बर 06682011008226 विपक्षी बैंक में खुलवा रखा है जिसमंे परिवादी रूपयों का लेन देन करता है। इसलिये परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता है।
     विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने बहस के दौरान यह भी कथन  किया है कि परिवादी ने अपने उक्त खाते में दिनांक 16.03.2012 को 7500/-रूपये तथा दिनांक 16.04.2012 को 7700/-रूपये जमा करवाये थे । परिवादी के खाते में रूपये होते हुए भी सुन्दरम फाईनेंस लिमिटेड कम्पनी का दिया गया चैक संख्या 516483 राषि 7650/-रूपये दिनांकित      17.03.2012 को विपक्षी द्वारा दिनांक 20.03.2012 को एवं चैक संख्या 516482 राषि 7650/-रूपये दिनांकित 17.04.2012 को विपक्षी द्वारा दिनांक 19.04.2012 को कमनिधी बताकर अनादरित कर चैक वापिस कम्पनी को लौटा दिये, जिससे परिवादी को उक्त कम्पनी में पेनेल्टी के रूप में 250/-250/-रूपये तथा दो बार दो चैक अनादरित होने से क्रमषः 33/- व 34/-रूपये अदा करने पडे। परिवादी ने विपक्षी को दिनांक 13.12.2012 को कानूनी नोटिस दिया, जिसका विपक्षी ने कोई जवाब नहीं दिया। विपक्षी का उक्त कृत्य उपभोक्ता के सेवा-दोष की तारीफ में आता है।    
अन्त में विद्धान् अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार करने एंव विपक्षी से कुल 24,867/-रूपये दिलाये जाने का निवेदन किया।   
विद्धान् अधिवक्ता विपक्षी ने उक्त तर्को का विरोध करते हुए अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी का विपक्षी के यहां खाता नम्बर 06682011008226 है। परिवादी ने दिनांक 16.03.2012 को 7500/-रूपये तथा दिनांक     16.04.2012 को 7700/-रूपये उक्त खाते में जमा करवाये । परिवादी द्वारा दिनांक      16.03.2012 को 7500/-रूपये जमा करवाने के बाद परिवादी की ओर से जारी किए गये चैक संख्या 597352 के जरिए 7650/-रूपये का भुगतान बैंक की सीकर ब्रांच से दिनांक     20.03.2012 को सुन्दरम फाईनेंस लिमिटेड कम्पनी को किया गया तथा उक्त दिनांक को कम्पनी को उक्त भुगतान किये जाने के उपरांत 1049/-रूपये परिवादी के खाते में शेष जमा रहे। इसी प्रकार परिवादी ने दिनांक 16.04.2012 को 7700/-रूपये राषि जमा कराने के बाद विपक्षी द्वारा चैक संख्या 597353 के जरिये बैंक की सीकर ब्रांच से उक्त चैक के माध्यम से 7650/-रूपये का भुगतान सुन्दरम फाईनेंस लिमिटेड कम्पनी को किया गया तथा परिवादी के खाते में शेष केवल मात्र 1065/-रूपये रहे। इसलिये परिवादी द्वारा जारी किये गये चैक संख्या 516483  एवं 516482 खाते में पर्याप्त राषि जमा नहीं होने से अनादरित किए गये हैं। इस प्रकार से विपक्षी की सेवा में कोई कमी नहीं है।  
अन्त में विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने बहस के दौरान यह निवेदन किया कि परिवादी का परिवाद मय हर्जा खर्चा खारिज फरमाया जावें। 
उभयपक्ष के तर्को पर विचार किया गया पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया। 
प्रस्तुत प्रकरण मे यह निर्विवादित तथ्य है कि परिवादी का विपक्षी बैंक में खाता संख्या 06682011008226 है तथा उसमें दिनांक 16.03.2012 को 7500/-रूपये तथा दिनांक 16.04.2012 को 7700/-रूपये जमा हुए हैं।
पत्रावली के अवलोकन से यह प्रकट होता है कि विपक्षी ने सुंदरम फाईनेंस लि0 को जरिये चैक संख्या 597352 दिनांकित 17.03.2012 के 7650/-रूपये एवं जरिये चैक संख्या 597353 दिनांकित 17.04.2012 के 7650/-रूपये उक्त परिवादी के खाते से सीकर ब्रांच द्वारा भुगतान किया गया है तथा उक्त भुगतान के पश्चात परिवादी के खाते में दोनो बार ही क्रमषः 1049/-रूपये व 1065/-रूपये शेष रहे।  इसलिये पर्याप्त राषि के अभाव में चैक संख्या 516483 दिनांकित 17.03.2012 एवं चैक संख्या 516482 दिनांकित 17.04.2012 सही तौर पर अनादरित हुए हैं । इसमें विपक्षी की कोई लापरवाही प्रतीत नहीं होती है तथा विपक्षी का उक्त कृत्य विपक्षी की सेवा में कोई कमी को नहीं दर्षाता है।
उपरोक्त विवेचन के फलस्वरूप परिवादी की ओर से प्रस्तुत यह परिवाद सारहीन होने से खारिज किए जाने योग्य है, जो एतद्द्वारा खारिज किया जाता है।
खर्चा पक्षकारान अपना-अपना स्वंय वहन करेगें।
पत्रावली फैसल शुमार होकर वाद तकमील दाखिल दफ्तर हो। 
आदेश आज दिनांक 16.01.2015 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया। 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

    
        

 

 

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.