Uttar Pradesh

StateCommission

C/2012/19

Umesh Agarwal - Complainant(s)

Versus

Oriental Bank Of Commerce - Opp.Party(s)

Alok Ranjan

22 Sep 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. C/2012/19
( Date of Filing : 09 Mar 2012 )
 
1. Umesh Agarwal
a
...........Complainant(s)
Versus
1. Oriental Bank Of Commerce
a
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 22 Sep 2022
Final Order / Judgement

                                  (मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

परिवाद सं0- 19/2012

Umesh Agarwal S/o Sri Morari Lal Agarwal, R/o 14 A, F Block, Sector 11, Rajaji Puram, Lucknow.

                                       ……….Complainant

                        Versus

1. Oriental Bank of Commerce, Biharipur Branch, Near Tikait Rai Talab, Yogeashwar Math Marg, Lucknow. Through Branch Manager.

2. Director (PMEGP) Khadi and Gramodyog Commission, State office, Indira Nagar, Fizabad Road, Lucknow.

3. District Industries Center, Lucknow Through Joint Director/General Manager.

                                       ……….Opp.Parties                                       

समक्ष:-

   माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

   माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

 

परिवादी की ओर से उपस्थित           : श्री आलोक रंजन,

                               विद्वान अधिवक्‍ता।                                                       ।                                                            

विपक्षी सं0- 1 की ओर से उपस्थित  : श्री सुभाष गोस्‍वामी,

                               विद्वान अधिवक्‍ता।

विपक्षीगण सं0- 2 व 3 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं। 

                     

दिनांक:- 22.09.2022

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उद्घोषित

निर्णय

1.        यह परिवाद परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरुद्ध इस आशय से प्रस्‍तुत किया गया है कि विपक्षी बैंक को आदेशित किया जाए कि परिवादी को स्‍वीकृत ऋण अंकन 7,20,000/-रू0 तथा बकाया टर्म लोन अंकन 49,475/-रू0 जारी करें तथा इस ऋण पर छूट प्रदान करें एवं परिवादी का नाम ब्‍लैकलिस्‍ट से हटाये और पोलूसन बोर्ड से सार्टीफिकेट लेने के लिए बाध्‍य न करें तथा जो ऋण पूर्व में लिया गया है उसकी वसूली के लिए कोई उत्‍पीड़नात्‍मक कार्यवाही न करें। साथ ही आय के मद में हानि के कारण 6,00,000/-रू0 12 प्रतिशत ब्‍याज सहित, मानसिक प्रताड़ना के मद में 5,00,000/-रू0 तथा पिता के इलाज में होने वाले खर्च 2,00,000/-रू0 एवं परिवाद व्‍यय के रूप में 25,000/-रू0 की मांग की गई है।

2.        परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार विपक्षी द्वारा परिवादी के लिए टर्म लोन अंकन 1,80,000/-रू0 स्‍वीकार किया गया था तथा कैश क्रेडिट 7,20,000/-रू0 स्‍वीकार किया गया था। परिवादी को इस धनराशि से माइक्रो उद्योग स्‍थापित करना था, परन्‍तु बैंक द्वारा 1,20,310/-रू0 अदा किए गए तथा 10,215/-रू0 दि0 08.02.2011 को ब्‍लो मशीन एण्‍ड एअर कम्‍प्रेशर क्रय करने के लिए दिए गए जिनको क्रय कर लिया गया, परन्‍तु इनका कोई प्रयोग नहीं हो सका, क्‍योंकि कैश क्रेडिट अंकन 7,20,000/-रू0 जारी नहीं किए गए।

3.        हमने परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री आलोक रंजन एवं विपक्षी सं0- 1 के विद्वान अधिवक्‍ता श्री सुभाष गोस्‍वामी को सुना तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों का सम्‍यक परिशीलन किया। विपक्षीगण सं0- 2 व 3 की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

4.        स्‍वयं परिवाद पत्र के तथ्‍यों से ज्ञात होता है कि जिस परिसर में उद्योग स्‍थापित करने के लिए ऋण स्‍वीकृत किया गया था उस परिसर को बदल दिया गया और प्‍लाट नं0- 10 सारीपुरा आलमनगर, लखनऊ वाली सम्‍पत्ति 08 वर्ष के लिए किराये पर ली गई जिसकी सूचना बैंक को दी गई। बैंक द्वारा जब कि कैश क्रेडिट राशि रिलीज करने से इंकार कर दिया गया जब कि बैंक के साथ करार किए गए थे कि व्‍यापारिक स्‍थल पर उद्योग स्‍थापित नहीं किया जाता। इस प्रकार स्‍वयं परिवादी द्वारा बैंक के साथ किए गए करार का उल्‍लंघन किया गया। करार किए गए स्‍थान के अलावा किसी अन्‍य स्‍थान पर व्‍यापार प्रारम्‍भ करने का प्रस्‍ताव एक नया करार है। बैंक इस प्रस्‍ताव को स्‍वीकार कर सकता है या इस राशि को मानने से इंकार कर सकता है। इसलिए नये स्‍थल पर व्‍यापार शुरू करने के उद्देश्‍य से बैंक को मजबूर नहीं किया जा सकता कि वे पूर्व में स्‍वीकृत ऋण की अवशेष राशि परिवादी को उपलब्‍ध करायें। इस प्रकार बैंक द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गई है। अत: परिवादी को उपभोक्‍ता परिवाद दायर करने के उद्देश्‍य से कोई वाद कारण उत्‍पन्‍न नहीं हुआ। इसलिए परिवाद खारिज होने योग्‍य है।

आदेश

5.        परिवाद खारिज किया जाता है।  

          उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

          आशुलिपि‍क से अपेक्षा की जाती है कि‍ वह इस निर्णय व आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें। 

 

   (विकास सक्‍सेना)                         (सुशील कुमार)

             सदस्‍य                                  सदस्‍य                                   

शेर सिंह, आशु0,

कोर्ट नं0- 3

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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